नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) विवाद हर रोज नये नये रंग दिखा रहा है - और ये भारतीय जनता पार्टी के लिए रोजाना नयी नयी मुसीबतें खड़ी करने लगा है. बीजेपी जिस तरीके से अपने ही लोगों के खिलाफ एक्शन ले रही है, साफ है उसे बचाव का कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा है.
अभी तक तो बीजेपी से यही पूछा जाता रहा कि अगर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) को गिरफ्तार किया गया है तो नुपुर शर्मा बाहर क्यों हैं? बीजेपी ऐसी चीजों पर चुप्पी साध लेती है, लेकिन तभी ट्विटर पर #ArrestArunYadav ट्रेंड करने लगता है और बीजेपी दबाव में आ जाती है. दबाव में आने पर बचाव का रास्ता बीजेपी को एक्शन ही समझ में आता है.
सोशल मीडिया पर कैंपेन के दबाव में हरियाणा बीजेपी के आईटी सेल के हेड अरुण यादव (Arun Yadav) को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है. हालांकि, उनके खिलाफ केस दर्ज किये जाने जैसी कोई खबर नहीं है. कांग्रेस की तरफ से ये जरूर पूछा गया है कि ऐसे लोगों के खिलाफ दिखावे की कार्रवाई ही होगी या कभी गिरफ्तारी भी होगी?
बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे को लेकर जो बहस शुरू हुई थी, तमाम टेढ़े मेढ़े रास्तों से गुजरते हुए काली के पोस्टर को लेकर बहस तक जा पहुंची है. बीजेपी नेतृत्व भले खुश हो रहा हो कि तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के बयान की वजह से ममता बनर्जी घिरी हुई हैं, लेकिन जिस तरह से राजस्थान हाई कोर्ट के दो मुंशी भिड़ गये हैं और कन्हैयालाल का हाल करने की धमकी देने लगते हैं - समाज में शांति व्यवस्था कायम रहने को लेकर खतरनाक इशारा ही समझा जाना चाहिये.
अरुण यादव जैसे विवाद से बचने के लिए हो सकता है बीजेपी अपने नेताओं और आईटी सेल के लिए कोई गाइडलाइन भी जारी कर दे, लेकिन उनके पुराने...
नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) विवाद हर रोज नये नये रंग दिखा रहा है - और ये भारतीय जनता पार्टी के लिए रोजाना नयी नयी मुसीबतें खड़ी करने लगा है. बीजेपी जिस तरीके से अपने ही लोगों के खिलाफ एक्शन ले रही है, साफ है उसे बचाव का कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा है.
अभी तक तो बीजेपी से यही पूछा जाता रहा कि अगर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) को गिरफ्तार किया गया है तो नुपुर शर्मा बाहर क्यों हैं? बीजेपी ऐसी चीजों पर चुप्पी साध लेती है, लेकिन तभी ट्विटर पर #ArrestArunYadav ट्रेंड करने लगता है और बीजेपी दबाव में आ जाती है. दबाव में आने पर बचाव का रास्ता बीजेपी को एक्शन ही समझ में आता है.
सोशल मीडिया पर कैंपेन के दबाव में हरियाणा बीजेपी के आईटी सेल के हेड अरुण यादव (Arun Yadav) को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है. हालांकि, उनके खिलाफ केस दर्ज किये जाने जैसी कोई खबर नहीं है. कांग्रेस की तरफ से ये जरूर पूछा गया है कि ऐसे लोगों के खिलाफ दिखावे की कार्रवाई ही होगी या कभी गिरफ्तारी भी होगी?
बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिलने के दावे को लेकर जो बहस शुरू हुई थी, तमाम टेढ़े मेढ़े रास्तों से गुजरते हुए काली के पोस्टर को लेकर बहस तक जा पहुंची है. बीजेपी नेतृत्व भले खुश हो रहा हो कि तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के बयान की वजह से ममता बनर्जी घिरी हुई हैं, लेकिन जिस तरह से राजस्थान हाई कोर्ट के दो मुंशी भिड़ गये हैं और कन्हैयालाल का हाल करने की धमकी देने लगते हैं - समाज में शांति व्यवस्था कायम रहने को लेकर खतरनाक इशारा ही समझा जाना चाहिये.
अरुण यादव जैसे विवाद से बचने के लिए हो सकता है बीजेपी अपने नेताओं और आईटी सेल के लिए कोई गाइडलाइन भी जारी कर दे, लेकिन उनके पुराने ट्वीट और बयानों का क्या होगा? ये ठीक है कि नुपुर शर्मा के बयान पर बवाल के बाद ही ये सब हो रहा है, लेकिन अरुण यादव का मामला उससे आगे की बात है - जो नई मुश्किलों की तरफ इशारा कर रहा है.
अरुण यादव पर एक्शन क्यों
नुपुर शर्मा के बाद बीजेपी की तरफ से अरुण यादव के खिलाफ हुआ ये तीसरा एक्शन है. मोहम्मद साहब पर विवादित टिप्पणी को लेकर बीजेपी प्रवक्ता रहीं नुपुर शर्मा को निलंबित किया जा चुका है - और उनका समर्थन करने के लिए एक और बीजेपी नवीन जिंदल को तो पार्टी ने बाहर का ही रास्ता दिखा दिया था.
नवीन जिंदल ट्विटर पर अब भी वैसे ही एक्टिव हैं जैसे बीजेपी प्रवक्ता के तौर पर हुआ करते थे, लेकिन नुपुर शर्मा की तरफ से 5 जून के बाद कोई नया ट्वीट नहीं किया गया है. अपने बयान पर सफाई और किसी को ठेस पहुंची हो तो अपने शब्द वापस लेने वाला आखिरी ट्वीट है.
जैसे नुपुर शर्मा को मोहम्मद साहब पर विवादित टिप्पणी के लिए बीजेपी की तरफ से एक्शन लिया गया, अरुण यादव के भी जिस ट्वीट पर बवाल मचा है वो भी मोहम्मद साहब को लेकर ही है.
अरुण यादव को पांच साल पुराने ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया है, जबकि ऑल्ट न्यूज के कोफाउंडर मोहम्मद जुबैर को 2018 के ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया है. वैसे बाद में जुबैर के खिलाफ और भी कई धाराओं में मामले दर्ज किये गये हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, मोहम्मद जुबैर ने चार साल पहले ट्विटर पर एक फोटो शेयर की थी, जिस पर 'हनुमान होटल' लिखा हुआ था. जो फोटो शेयर किया गया उसका बैकग्राउंड 1983 की फिल्म 'किसी से ना कहना' से लिया गया था. फिल्म से लिए गये स्क्रीनशॉट का एक एडिटेड फोटो शेयर करते हुए मोहम्मद जुबैर ने लिखा था - '2014 से पहले: हनीमून होटल। 2014 के बाद : हनुमान होटल.' जुबैर के उसी ट्वीट पर शिकायत दर्ज होने पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.
अरुण यादव ने 21 जुलाई 2017 को ट्विटर पर लिखा था, 'मुझे तो पेग में पैगंबर नजर आता है.' अरुण यादव के खिलाफ सोशल मीडिया कैंपेन में उनके इसी ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर कर लोग उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. ऐसे कुछ और भी अरुण यादव के ट्वीट हैं जिन्हें अभी शेयर किया जा रहा है.
आपको याद होगा नुपुर शर्मा पर कार्रवाई से पहले उनको फ्रिंज एलिमेंट बताया गया था - और अब बीजेपी के खिलाफ उसी के हथियार का इस्तेमाल करते हुए यूथ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ट्विटर पर लिखते हैं, 'फ्रिंज एलिमेंट के अथाह समुद्र में से बीजेपी ने अपने एक और फ्रिंज एलिमेंट अरुण यादव को 'पदमुक्त' किया, लेकिन इस दिखावे की जगह, क्या कभी इन नफरती चिंटूओं की गिरफ्तारी होगी?'
ट्विटर पर गिरफ्तारी की मांग के साथ अरुण यादव का नाम ट्रेंड होने पर बीजेपी ने उनको हरियाणा बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख के पद से तत्काल प्रभाव से हटा तो दिया है, लेकिन इसकी कोई वजह नहीं बतायी गयी है. बीजेपी के एक्शन के बाद भी अरुण यादव ट्विटर पर एक्टिव तो हैं लेकिन इस मुद्दे पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है. हरियाणा बीजेपी प्रवक्ता रमन मलिक ने भी मीडिया के सवाल पर बस इतना ही कहा है कि इस कार्रवाई की वजह को लेकर उनके पास पूरी जानकारी नहीं है.
जर्मनी को भारत का जवाब: भारत की तरफ से जर्मनी को उस टिप्पणी का भी जवाब दे दिया गया है, मोहम्मद जुबैर केस के बहाने प्रेस की आजादी पर नसीहत देने की कोशिश की गयी थी. जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था, ‘पत्रकारों को लिखने या बोलने के लिए कैद नहीं किया जाना चाहिये.’
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जर्मनी को जबाव देते हुए कहा है, ‘ये अपने आप में एक घरेलू मुद्दा है... मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि ये मामला अदालत में है और मुझे नहीं लगता कि मेरे या किसी अन्य के लिए ठीक होगा कि इस मामले पर कोई टिप्पणी करे.'
नुपुर शर्मा विवाद का असर बहुत बुरा है
नुपुर शर्मा और अरुण यादव का केस बिलकुल अलग अलग होकर भी एक जैसा ही लगता है. नुपुर शर्मा और अरुण यादव दोनों के केस में कॉमन कीवर्ड मोहम्मद साहब ही हैं, लेकिन फर्क ये है कि नुपुर शर्मा के ताजा बयान पर विवाद हो रहा है - और अरुण यादव के पुराने ट्वीट पर. वैसे ही जुबैर के मामले में विवाद पुराने ट्वीट को लेकर है, लेकिन शुरुआत नुपुर शर्मा के बयान का वीडियो शेयर करने से हुई थी.
विवादों का वही सिलसिला आगे बढ़ कर काली के पोस्टर से जुड़ जाता है और फिर थियेटर कलाकारों के काम से ब्रेक के दौरान स्मोकिंग की तस्वीर से जोड़ कर विवाद को बनाये रखने की कोशिश होती है. फिक्रवाली बात ये है कि समाज सीधे सीधे ऐसी चीजों की चपेट में आता जा रहा है - और राजस्थान हाई कोर्ट परिसर में दो मुंशियों के बीच हुआ विवाद ये चिंता और भी बढ़ाने वाला है.
नुपुर शर्मा का सपोर्ट करने के लिए ही राजस्थान के टेलर कन्हैयालाल की बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी. विडम्बना देखिये कि राजस्थान हाई कोर्ट के दो मुंशी नुपुर शर्मा को लेकर आपस में ही भिड़ जाते हैं - और पुलिस को दखल देना पड़ता है.
पुलिस के मुताबिक, राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर खंडपीठ में कार्यरत मुंशी महेंद्र सिंह ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस में लिखा था, 'आई सपोर्ट नूपुर शर्मा' - और ये चीज वहीं काम कर रहे एक अन्य मुंशी को बेहद नागवार गुजरी. उसे गुस्सा आ गया और महेंद्र सिंह के खिलाफ धावा बोल दिया.
महेंद्र सिंह के स्टेटस को लेकर सोहेल खान नाम के एक मुंशी ने पहले तो व्हाट्सऐप पर ही भला बुरा कहना शुरू कर दिया. गर्मागर्म चैटिंग के बाद जब हाई कोर्ट परिसर में दोनों का आमना सामना हुआ तो बहस और भी तीखी हो गयी. महेंद्र सिंह से सोहेल खान ने पूछा, 'तूने ऐसा क्यों लिखा?' - और साथ में धमकाते हुए बोला, 'तेरा हाल भी उदयपुर के कन्हैयालाल जैसा कर दूंगा.'
ये सुनने के बाद महेंद्र सिंह ने साथियों को पूरी बात बतायी और फिर मामला थाने पहुंचा. कुड़ी थाने में शिकायत के साथ अर्जी दी गयी. केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने सोहेल खान को गिरफ्तार भी कर लिया है.
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, और निलंबित बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा के बयान से आगे बढ़ कर देखें तो दो कर्मचारियों का ऐसे लड़ना काफी गंभीर मामला है. हो सकता है दोनों की आपस में कोई पुरानी दुश्मनी भी रही हो, लेकिन कन्हैयालाल का हाल कर देने जैसी धमकी दिया जाना बहुत खतरनाक इशारे करता है.
केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के लिए सिर्फ नुपुर शर्मा या अरुण यादव का मामला ही नहीं, राजस्थान का ये वाकया भी चिंता की बात होनी चाहिये - क्योंकि ऐसे माहौल पैदा करने की तोहमत से भी उसे खुद का बचाव करना ही होगा.
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