दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) 8 फरवरी को ही संपन्न हो गया था और एग्जिट पोल के नतीजों (Delhi Exit Poll) ने भी तस्वीर काफी हद तक साफ कर दी थी. चुनाव नतीजे (Delhi Assembly Election Results 2020) ने सारे भ्रम तोड़ दिए. AAP ने 70 में से 62 सीटें जीतकर दिल्ली में फिर से अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर लिया है. इस जीत के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) के 5 खास मंत्र रहे, जो न सिर्फ हमें-आपको जानने चाहिए, बल्कि राजनीतिक पार्टियों के लिए भी ये मंत्र सबक जैसे है, जिन्हें वह अपनी चुनावी रणनीति में फॉर्मूले की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं.
1- मुफ्त चीजें, जो मुफ्त ना लगें
अरविंद केजरीवाल ने पूरे कार्यकाल मुफ्त का पानी दिया. चुनाव से कुछ महीने पहले बिजली और महिलाओं के लिए बस यात्रा भी मुफ्त कर दी. केजरीवाल के विरोधियों ने तो ये भी कहा कि वह दिल्ली को मुफ्तखोर बनाना चाहते हैं, लेकिन केजरीवाल ने इसे मुफ्तखोरी नहीं, बल्कि बचत से जोड़ दिया, मदद बता दिया. उन्होंने पानी के लिए फॉर्मूला बनाया था कि 20 हजार लीटर प्रति महीना फ्री पानी मिलेगा, लेकिन एक भी लीटर अधिक हुआ तो पूरे का बिल देना होगा. इसी तरह 200 यूनिट बिजली तक फ्री कर दी, लेकिन अगर एक भी यूनिट अधिक हुई तो पूरी बिजली का बिल देना होगा. ऐसे में केजरीवाल का तर्क था कि लोग पैसे बचाने के लिए बिजली और पानी की भी बचत करेंगे. यानी लोगों की मदद भी हो गई और बिजली-पानी की बचत भी.
2- हिंदू वोट बैंक भाजपा की जागीर नहीं
यूं तो अगर देखा जाए हर कोई कहता दिखेगा कि हिंदू वोट भाजपा को जाते हैं. लेकिन अरविंद केजरीवाल ने दिखा दिया कि...
दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) 8 फरवरी को ही संपन्न हो गया था और एग्जिट पोल के नतीजों (Delhi Exit Poll) ने भी तस्वीर काफी हद तक साफ कर दी थी. चुनाव नतीजे (Delhi Assembly Election Results 2020) ने सारे भ्रम तोड़ दिए. AAP ने 70 में से 62 सीटें जीतकर दिल्ली में फिर से अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर लिया है. इस जीत के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) के 5 खास मंत्र रहे, जो न सिर्फ हमें-आपको जानने चाहिए, बल्कि राजनीतिक पार्टियों के लिए भी ये मंत्र सबक जैसे है, जिन्हें वह अपनी चुनावी रणनीति में फॉर्मूले की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं.
1- मुफ्त चीजें, जो मुफ्त ना लगें
अरविंद केजरीवाल ने पूरे कार्यकाल मुफ्त का पानी दिया. चुनाव से कुछ महीने पहले बिजली और महिलाओं के लिए बस यात्रा भी मुफ्त कर दी. केजरीवाल के विरोधियों ने तो ये भी कहा कि वह दिल्ली को मुफ्तखोर बनाना चाहते हैं, लेकिन केजरीवाल ने इसे मुफ्तखोरी नहीं, बल्कि बचत से जोड़ दिया, मदद बता दिया. उन्होंने पानी के लिए फॉर्मूला बनाया था कि 20 हजार लीटर प्रति महीना फ्री पानी मिलेगा, लेकिन एक भी लीटर अधिक हुआ तो पूरे का बिल देना होगा. इसी तरह 200 यूनिट बिजली तक फ्री कर दी, लेकिन अगर एक भी यूनिट अधिक हुई तो पूरी बिजली का बिल देना होगा. ऐसे में केजरीवाल का तर्क था कि लोग पैसे बचाने के लिए बिजली और पानी की भी बचत करेंगे. यानी लोगों की मदद भी हो गई और बिजली-पानी की बचत भी.
2- हिंदू वोट बैंक भाजपा की जागीर नहीं
यूं तो अगर देखा जाए हर कोई कहता दिखेगा कि हिंदू वोट भाजपा को जाते हैं. लेकिन अरविंद केजरीवाल ने दिखा दिया कि अगर काम अच्छा किया जाए और फिर उसके आधार पर वोट मांगा जाए तो हिंदू वोट भी खूब मिलते हैं. उन्होंने दिखा दिया कि हिंदू वोट बैंक भाजपा की जागीर नहीं है, बल्कि उन पर हर वो नेता अपना हक दिखा सकता है, जो उनकी भलाई के काम करे, ना कि सिर्फ बयानबाजी करे. अगर एग्जिट पोल के आंकड़े देखें तो सामान्य वर्ग ने भाजपा से भी अधिक आम आदमी पार्टी को वोट दिया. वाल्मीकि और एससी ने भी आम आदमी पार्टी को चुना.
3- पिछड़ी जाति छिटक सकती है
यूं तो भाजपा की एक बड़ी ताकत है पिछड़ी जाति. खासकर राष्ट्रीय चुनाव में ये देखने को मिलता है कि पिछड़ी जाति के लोग भाजपा को ही चुनना पसंद करते हैं. कुछ इसी सोच के साथ भाजपा ने दिल्ली में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा, बल्कि पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ना चाहा. शायद भाजपा को लगा था कि इस चुनाव को भी लोग लोकसभा चुनाव की तरह देखेंगे और मोदी के चेहरे पर वोट दे देंगे. लेकिन पिछड़ी पूरी तरह से छिटकी दिखी. लेकिन केजरीवाल ने दिखा दिया कि सही चुनावी रणनीति हो तो पिछड़ी जाति का वोटबैंक भी छिटक सकता है. इन्हें लेकर आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि अभी पिछड़ी जाति वाले को प्रमाण पत्र के लिए दिल्ली में 1993 या उससे पहले से रहने का एड्रेस प्रूफ दिखाना पड़ता है. उन्होंने कहा था कि वह मोदी सरकार पर इस बात के लिए दबाव डालेंगे कि इसे 5 साल किया जाए. इस घोषणा ने भी पिछड़ी जाति वालों को आप की ओर खींचा होगा. तभी तो एग्जिट पोल के मुताबिक आम आदमी पार्टी को 54 फीसदी पिछड़ी जाति वालों ने वोट दिया है, जबकि भाजपा को सिर्फ 38 फीसदी लोगों ने वोट दिया.
4- सकारात्मक चुनावी कैंपेन
ये वो नारा है जो हर राजनीतिक पार्टी लगाती है, लेकिन इस पर अमल कोई नहीं करता. अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव में इस पर अमल कर के दिखाया. जहां एक ओर भाजपा और कांग्रेस की ओर से आरोप-प्रत्यारोप के बयान आते रहे, वहीं अरविंद केजरीवाल ने कुछ भी गलत नहीं बोला. यहां तक कि जो केजरीवाल हमेशा ही पीएम मोदी को लेकर आक्रामक रहते थे, उन्होंने दिल्ली चुनाव से कुछ समय पहले से ही पीएम मोदी के खिलाफ बोलना बंद कर दिया. जहां एक ओर बाकी राजनीतिक पार्टियां उकसावे में आ जाती है, केजरीवाल ने किसी के उकसाने पर भी पीएम मोदी के खिलाफ नहीं बोला, वरना हो सकता है कि इसकी वजह से वह तबका उन्हें वोट नहीं देता, जो पीएम मोदी को बहुत अधिक पसंद करता है.
5- छवि को पाक-साफ बनाए रखना
अरविंद केजरीवाल ने कभी अपने किसी ऐसे नेता का बचाव नहीं किया, जिसका नाम किसी भी गलत चीज से जुड़ा हो. भले ही वह भ्रष्टाचार के आरोप हों या कोई और. यहां तक कि आखिरी वक्त में जब सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के ओएसडी को गिरफ्तार कर लिया तब भी उन्होंने बचाव नहीं किया. अरविंद केजरीवाल की ओर से हमेशा यही कहा गया कि अगर आपको उसके खिलाफ सबूत मिले हैं तो कार्रवाई करो. यहां तक कि भाजपा के प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को आतंकी कहा था तो उन्होंने कहा कि उन्हें आतंकी कहे जाने से उनका पूरा परिवार दुखी है. उन्होंने खुद को दिल्ली का बेटा कहा.
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