शिकारी वही होता है जो पाताल में छिपे शिकार को भी खोज निकाले. असली शिकारी तो वो होता है जो शिकार न मिलने जो भी सामने दिखे उसे ही अपना शिकार बना डाले. पुलिस कहीं की भी हो अक्सर ऐसी ही हरकतों को लेकर सवालों के कठघरे में खड़ी दिखायी देती है. यूपी पुलिस का एक ऐसा ही कारनामा सुर्खियों में है. खास बात ये है कि यूपी पुलिस को एनकाउंटर के लिए सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ का ग्रीन सिग्नल मिला हुआ है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राजनीति पर भी कुछ कुछ पुलिसिया कार्यप्रणाली की छाप देखने को मिल रही है. वैसे तो अरविंद केजरीवाल की पुलिसवालों के बारे में राय अच्छी नहीं है और इसीलिए वो उन्हें ठुल्ला कहते हैं. फिर भी शिकार ढूंढने का केजरीवाल का तरीका पुलिस से काफी मिलता जुलता है.
लखनऊ के सनसनीखेज विवेक तिवारी मर्डर केस में भी अरविंद केजरीवाल ने अपने हिसाब से राजनीतिक ऐंगल तलाश लिया है - 'वो तो हिंदू था...'
अब तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पंगे लेने के लिए ज्यादातर दिल्ली के उप राज्यपाल हथियार बनते थे. 2014 में बनारस तक मोदी को चैलेंज कर चुके केजरीवाल ने अब लखनऊ के विवेक तिवारी मर्डर केस को ताजा हथियार बनाया है.
ये केजरीवाल पॉलिटिक्स है...
2016 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए सर्जिकल स्ट्राइक के राजनीतिक इस्तेमाल पर सेना के अफसरों ने भी नाराजगी जतायी है. अरविंद केजरीवाल ने तो तब एक वीडियो भी जारी किया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि आप सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत पाकिस्तान के मुंह पर दे मारिये. असल में उस वक्त पाकिस्तानी फौज ने भारत के सर्जिकल स्ट्राइक को झुठलाने की कोशिश की थी.
मगर, राजनीति तो राजनीति होती है. किसी भी...
शिकारी वही होता है जो पाताल में छिपे शिकार को भी खोज निकाले. असली शिकारी तो वो होता है जो शिकार न मिलने जो भी सामने दिखे उसे ही अपना शिकार बना डाले. पुलिस कहीं की भी हो अक्सर ऐसी ही हरकतों को लेकर सवालों के कठघरे में खड़ी दिखायी देती है. यूपी पुलिस का एक ऐसा ही कारनामा सुर्खियों में है. खास बात ये है कि यूपी पुलिस को एनकाउंटर के लिए सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ का ग्रीन सिग्नल मिला हुआ है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राजनीति पर भी कुछ कुछ पुलिसिया कार्यप्रणाली की छाप देखने को मिल रही है. वैसे तो अरविंद केजरीवाल की पुलिसवालों के बारे में राय अच्छी नहीं है और इसीलिए वो उन्हें ठुल्ला कहते हैं. फिर भी शिकार ढूंढने का केजरीवाल का तरीका पुलिस से काफी मिलता जुलता है.
लखनऊ के सनसनीखेज विवेक तिवारी मर्डर केस में भी अरविंद केजरीवाल ने अपने हिसाब से राजनीतिक ऐंगल तलाश लिया है - 'वो तो हिंदू था...'
अब तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पंगे लेने के लिए ज्यादातर दिल्ली के उप राज्यपाल हथियार बनते थे. 2014 में बनारस तक मोदी को चैलेंज कर चुके केजरीवाल ने अब लखनऊ के विवेक तिवारी मर्डर केस को ताजा हथियार बनाया है.
ये केजरीवाल पॉलिटिक्स है...
2016 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए सर्जिकल स्ट्राइक के राजनीतिक इस्तेमाल पर सेना के अफसरों ने भी नाराजगी जतायी है. अरविंद केजरीवाल ने तो तब एक वीडियो भी जारी किया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि आप सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत पाकिस्तान के मुंह पर दे मारिये. असल में उस वक्त पाकिस्तानी फौज ने भारत के सर्जिकल स्ट्राइक को झुठलाने की कोशिश की थी.
मगर, राजनीति तो राजनीति होती है. किसी भी पेशेवर राजनीतिज्ञ का ध्यान टारगेट पर रहना चाहिये. बिलकुल वैसे ही जैसे महाभारत में अर्जुन की निगाह सिर्फ मछली पर टिकी हुई थी. विवेक तिवारी को यूपी के पुलिसवालों ने गोली मारी है - और दिल्ली में बैठे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उसमें से अपने मनमाफिक राजनीतिक मसला निकाल लिया है.
यूपी पुलिस के एनकाउंटर पर पहले भी भेद भाव और फर्जी होने के इल्जाम लगते रहे हैं. मगर, अरविंद केजरीवाल का आरोप कुछ अलग तरह का है.
केजरीवाल से पहले 'मुस्कराइये कि आप लखनऊ में हैं...' की तर्ज पर आप नेता संजय सिंह का बयान था - 'घबराइये कि आप लखनऊ में हैं...' बाद के ट्वीट में भी अरविंद केजरीवाल विवेक तिवारी की हत्या में हिंदू ऐंगल पर फोकस दिखे - और बीजेपी को टारगेट करते हैं.
योगी आदित्यनाथ के राजनीति विरोधी तो विवेक तिवारी की हत्या की खबर आते ही हमलावर हो गये थे, लेकिन हिंदू-मुस्लिम ऐंगल सिर्फ अरविंद केजरीवाल की खोज है. योगी आदित्यनाथ पर हमला तो कांग्रेस नेता राज बब्बर और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी बोला था, लेकिन केजरीवाल की तरह तो नहीं ही.
अरविंद केजरीवाल के ट्वीट पर उनके दोस्त से दुश्मन बने कपिल मिश्रा और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी तकरीबन उसी अंदाज में रिएक्ट किया है.
एक ट्वीट में केजरीवाल ने विवेक तिवारी की पत्नी से फोन पर बात करने की जानकारी भी दी है. इतना तो मान कर ही चलना चाहिये कि अरविंद केजरीवाल ने फोन पर बातचीत में भी उस मुद्दे का जिक्र तो नहीं ही किया होगा जो उन्होंने ट्विटर पर उठाया है?
एक निहत्थे व्यक्ति को यूपी की पुलिस गोली मार देती है. जब फंसती है तो उसे आपत्तिजनक अवस्था में होने का दावा कर चरित्रहनन करती है - और खुद के बचाव में सेल्फ डिफेंस का पेंच पिरो देती है.
क्या अरविंद केजरीवाल ने ऐसी ही राजनीति के सपने दिखाये थे? माना जा रहा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से राजनीति में आने के बाद केजरीवाल दूसरों को भी कोई नया रास्ता दिखाएंगे, लेकिन ये क्या - ये तो उन्हीं से प्रतियोगिता करने लगे?
बात सिर्फ इतनी ही नहीं है कि विवेक तिवारी की हत्या पर इस तरह की राजनीति हो रही है. बात ये है कि किसी को भी विवेक के परिवार की फिक्र नहीं लगती, हर कोई अपना हित साधने में ही जुटा हुआ है - चाहे वो पुलिसवाले हों, अफसर हों या फिर नेता और मंत्री!
अब तो विवेक को अपराधी भी बताने लगे!
सिर्फ केजरीवाल को कौन कहे, योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री धर्मपाल सिंह ने तो अपनी तरफ से विवेक तिवारी को भी अपराधी करार दिया है - पुलिस वाले तो एफआईआर में हेराफेरी कर ही चुके हैं. फर्जी एनकाउंटर को लेकर यूपी पुलिस को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस भी मिल चुका है. मानवाधिकार आयोग तो हिसाब मांगता ही रहता है.
ऐसा नहीं है कि योगी आदित्यनाथ की पुलिस पर भेदभाव का आरोप लगाने वाले केजरीवाल पहले नेता हैं. समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी भी यूपी पुलिस पर भेदभाव का इल्जाम लगा चुके हैं. बीबीसी से बातचीत में कुछ दिन पहले राजेंद्र चौधरी ने कहा था, "चिह्नित करके करके लोगों के साथ अन्याय हो रहा है और उन्हें दंडित किया जा रहा है. पिछड़ी जाति, दलितों, अल्पसंख्यकों और किसानों को निशाना बनाया जा रहा है."
विवेक तिवारी मर्डर केस के बारे में भले ही योगी आदित्यनाथ कह चुके हों कि ये एनकाउंटर नहीं है, लेकिन उनके मंत्री धर्मपाल सिंह आगे बढ़ कर अलग ही दावा कर रहे हैं, "...गोली उन्हीं को लग रही है, जो वास्तव में अपराधी हैं..."
धर्मपाल सिंह का ध्यान जब विवेक तिवारी की हत्या की तरफ दिलाया जाता है तो कहते हैं, "जो गलती करेगा उसको दंड मिलेगा, किसी भी हाल में किसी को बख्शा नहीं जाएगा."
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात तो वो है जो विवेक की बेटी प्रियांशी ने आज तक से बातचीत में कहा. सातवीं की छात्रा प्रियांशी ने ये तो बताया ही कि लखनऊ के डीएम और एसएसपी घर आये थे ये भी बताया कि बोले क्या - "वे मम्मी पर चिल्ला रहे थे और चुप रहने के लिए कह रहे थे..."
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