सुप्रीम कोर्ट के सख्ती से पेश आते ही एमसीडी में मेयर के चुनाव (MCD Mayor Election) का रास्ता साफ हो गया है - और हां, जिस दिन 11 बजे मेयर का चुनाव हो रहा होगा, ठीक तीन दिन पहले मनीष सिसोदिया (Manish sisodia) की सीबीआई दफ्तर में पेशी चल रही होगी.
ये जानकारी भी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ही दी है कि सीबीआई ने 19 फरवरी को पूछताछ के लिए बुलाया है - आप चाहें तो इसे संयोग भी मान सकते हैं, चाहें तो प्रयोग भी समझ सकते हैं. मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फरमान सुनते ही सीबीआई भी एक्टिव हो गयी है, आम आदमी पार्टी को ये कह कर शोर मचाने का मौका तो सीबीआई ने दे ही दिया है. सीबीआई अधिकारियों की ये पहल और तत्परता बीजेपी को फायदा पहुंचाएगा या नहीं, राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर तो ला ही देगा.
जैसे चुनाव आयोग के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने अपने लोगों को बोल दिया है कि गली गली जाकर बोल दो कि शिवसेना का चुनाव निशान चोरी हो गया है, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एंड कंपनी भी बीजेपी के खिलाफ ऐसे कैंपेन चालू कर ही देगी.
एमसीडी चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी और बीजेपी जितना टकराव नहीं देखा गया, नतीजे आने के बाद नजर आ रहा है. चुनाव नतीजे आने के बाद ये तो साफ रहा कि मेयर के चुनाव के दौरान दोनों पक्षों में जबर्दस्त टकराव देखने को मिल सकता है.
पंजाब चुनाव से पहले चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में भी आम आदमी पार्टी का ऐसा ही अनुभव रहा. बीजेपी से ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद आम आदमी पार्टी अपना मेयर नहीं बना सकी थी - और दिल्ली में भी तीन बार सदन की बैठक बुलायी गयी, लेकिन बीजेपी और आप पार्षदों के हंगामे के कारण मेयर का चुनाव नहीं हो सका. ऐसी पहली बैठक 6 जनवरी को बुलायी गयी थी. फिर 24 जनवरी और तीसरी बार 6 फरवरी को हुई थी, लेकिन बात जहां की तहां रह गयी.
हर बार आम आदमी पार्टी की तरफ से उपराज्यपाल वीके सक्सेना की तरफ से मनोनीत एमसीडी के 10 सदस्यों के वोट देने का आम आदमी पार्टी विरोध करती रही - और इसी मुद्दे पर हर बार...
सुप्रीम कोर्ट के सख्ती से पेश आते ही एमसीडी में मेयर के चुनाव (MCD Mayor Election) का रास्ता साफ हो गया है - और हां, जिस दिन 11 बजे मेयर का चुनाव हो रहा होगा, ठीक तीन दिन पहले मनीष सिसोदिया (Manish sisodia) की सीबीआई दफ्तर में पेशी चल रही होगी.
ये जानकारी भी दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ही दी है कि सीबीआई ने 19 फरवरी को पूछताछ के लिए बुलाया है - आप चाहें तो इसे संयोग भी मान सकते हैं, चाहें तो प्रयोग भी समझ सकते हैं. मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फरमान सुनते ही सीबीआई भी एक्टिव हो गयी है, आम आदमी पार्टी को ये कह कर शोर मचाने का मौका तो सीबीआई ने दे ही दिया है. सीबीआई अधिकारियों की ये पहल और तत्परता बीजेपी को फायदा पहुंचाएगा या नहीं, राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर तो ला ही देगा.
जैसे चुनाव आयोग के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने अपने लोगों को बोल दिया है कि गली गली जाकर बोल दो कि शिवसेना का चुनाव निशान चोरी हो गया है, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एंड कंपनी भी बीजेपी के खिलाफ ऐसे कैंपेन चालू कर ही देगी.
एमसीडी चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी और बीजेपी जितना टकराव नहीं देखा गया, नतीजे आने के बाद नजर आ रहा है. चुनाव नतीजे आने के बाद ये तो साफ रहा कि मेयर के चुनाव के दौरान दोनों पक्षों में जबर्दस्त टकराव देखने को मिल सकता है.
पंजाब चुनाव से पहले चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में भी आम आदमी पार्टी का ऐसा ही अनुभव रहा. बीजेपी से ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद आम आदमी पार्टी अपना मेयर नहीं बना सकी थी - और दिल्ली में भी तीन बार सदन की बैठक बुलायी गयी, लेकिन बीजेपी और आप पार्षदों के हंगामे के कारण मेयर का चुनाव नहीं हो सका. ऐसी पहली बैठक 6 जनवरी को बुलायी गयी थी. फिर 24 जनवरी और तीसरी बार 6 फरवरी को हुई थी, लेकिन बात जहां की तहां रह गयी.
हर बार आम आदमी पार्टी की तरफ से उपराज्यपाल वीके सक्सेना की तरफ से मनोनीत एमसीडी के 10 सदस्यों के वोट देने का आम आदमी पार्टी विरोध करती रही - और इसी मुद्दे पर हर बार बीजेपी के साथ टकराव शुरू हो जाता. ये बीजेपी के लिए राहत की ही बात होती, क्योंकि अपना न सही आप का भी तो मेयर नहीं बन पा रहा था.
और फिर AAP की मेयर कैंडिडेट शैली ओबेरॉय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी. शैली ओबेरॉय ने मनोनीत पार्षदों को मेयर चुनाव में वोटिंग का अधिकार दिये जाने के फैसले को चुनौती दी थी. शैली ओबेरॉय ने सुप्रीम कोर्ट से ये भी मांग की थी कि मेयर का चुनाव अदालत की निगरानी में कराया जाये.
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मनोनीत पार्षदों को वोट देने की परमिशन तो खारिज कर ही दी, बड़े ही सख्त लहजे में आदेश दिया कि 24 घंटे के भीतर एमसीडी की पहली बैठक का नोटिफिकेशन जारी किया जाये - ये आदेश आम आदमी पार्टी के पक्ष में और बीजेपी के खिलाफ गया.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल को नया प्रस्ताव भेजा था. और अब एलजी की तरफ से प्रस्ताव को मंजूरी भी दी जा चुकी है - एमसीडी के मेयर का चुनाव अब 22 फरवरी को होना पक्का हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मेयर का चुनाव पहली बैठक में होगा. कोर्ट ने कहा है कि मेयर का चुनाव हो जाने के बाद ही नये मेयर की अध्यक्षता में डिप्टी मेयर और स्थाई समिति के सदस्यों को चुनाव कराये जाएंगे. कोर्ट ने एल की तरफ से पेश वकील की वो दलील खारिज कर दी थी कि पहली बैठक में मनोनीत सदस्यों वोट दे सकते हैं. अरविंद केजरीवाल ने केस की पैरवी के तौर तरीके पर भी सवाल उठाया है.
बीजेपी को एमसीडी में 15 साल बाद ऐसे दिन देखने पड़ रहे हैं, जब मेयर की कुर्सी उसकी तरफ से दूर खिसकती नजर आ रही है. 250 सीटों वाले एमसीडी में आम आदमी पार्टी को 134 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी 104 पर ही सिमट कर रह गयी. आप की सीटें जहां बहुमत से 8 ज्यादा हैं, वहीं कांग्रेस के सिर्फ 9 पार्षद ही चुन कर आये हैं. तीन निर्दलीय पार्षद भी एमसीडी पहुंचे हैं.
एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर काफी गंभीर आरोप लगाया है. केजरीवाल का आरोप है कि एलजी सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट में सच्चाई बताने से रोकने की कोशिश की. अरविंद केजरीवाल का कहना है कि एलजी ने सेक्रेट्री को आदेश दिया और सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों के वकील तय कर दिये गये. केजरीवाल का दावा है कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही वकील को दिल्ली सरकार और एलजी की तरफ से भी पैरवी करने के लिए नियुक्त किया गया. एलजी की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी जहां जश्न के मूड में देखी गयी, वहीं बीजेपी जैसे तैसे बचाव करने की कोशिश करती रही. लेकिन मनीष सिसोदिया के लिए जश्न फीका पड़ गया और वो नयी लड़ाई के लिए खुद को तैयार करने लगे. ट्वीट कर बोले कि पहले भी जांच में सहयोग किया है, आगे भी करेंगे. पहले भी सीबीआई और ईडी को कुछ नहीं मिला, आगे भी नहीं मिलेगा - और अरविंद केजरीवाल ने भी उनकी बातों को एनडोर्स किया है.
पहले मेयर बन तो जाने दें!
सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने बेशक बीजेपी का खेल थोड़ा खराब कर दिया है, लेकिन केजरीवाल और उनके साथियों को अभी फील गुड फैक्टर से जहां तक हो सके, बचने की कोशिश करनी चाहिये.
सुप्रीम कोर्ट ने उस तरीके को खारिज किया है, जैसे बीजेपी मेयर का चुनाव चाह रही थी, लेकिन आम आदमी पार्टी को मालूम होना चाहिये कि अदालत ने भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक चालों पर कोई रोक नहीं लगायी है - और ऐसा संभव भी नहीं है.
जब तक एमसीडी में मेयर का चुनाव नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी मान कर चलना राजनीतिक तौर पर सही नहीं होगा. बीजेपी खेल में थोड़ा पिछड़ी गयी हो सकती है, लेकिन वो चूकी नहीं है. बीजेपी के रणनीतिकार नये सिरे से तैयारियों में जुटे होंगे.
और ये भी ध्यान रहे की मेयर के चुनाव के ऐन पहले सीबीआई भी कूद पड़ी है. सीबीआई की जांच पड़ताल का मेयर चुनाव से तकनीकी रूप से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है, लेकिन जांच एजेंसी के एक्शन का असर होने से भी इनकार तो नहीं ही किया जा सकता है - सिर्फ शराब घोटाला ही नहीं, सीबीआई दिल्ली सरकार के फीडबैक यूनिट की जांच के लिए भी ऊपर से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रही है.
आप नेता अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की शराब नीति में किसी भी तरह की गड़बड़ी को सिरे से खारिज करने की कोशिश की है, लेकिन दूसरी तरफ से बीजेपी नेताओं ने भी धावा बोल दिया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री की प्रेस कांफ्रेंस के मुकाबले बीजेपी की तरफ से दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के साथ साथ बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा भी मीडिया के सामने आये और अरविंद केजरीवाल की सरकार पर सवालों की बौछार कर दी.
बीजेपी की तरफ से इल्जाम लगाया गया - 'मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बेशर्मी के साथ झूठ बोला है कि शराब घोटाला नहीं हुआ है... अगर शराब घोटाला नहीं हुआ तो सीबीआई जांच के बाद पॉलिसी में क्यों चेंज किया गया?
अरविंद केजरीवाल जो भी दावा करें. लड़ाई भले ही वो राजनीतिक लड़ रहे हों, लेकिन सवालों के जवाब तो हर हाल में देने ही होंगे - और मनीष सिसोदिया के साथ साथ आगे पूछे जाने वाले उन सवालों के जवाब भी अभी से तैयार कर लेना होगा कि दिल्ली सरकार को फीडबैक यूनिट बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
फीडबैक यूनिट केस की आरंभिक जांच के बाद सीबीआई ने आगे की जांच के लिए उप राज्यपाल वीके सक्सेना से अनुमति मांगी थी. अब खबर है कि कि उप राज्यपाल ने मामला वो मामला जांच के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया है.
दिल्ली से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी का आरोप है कि केजरीवाल सरकार की की फीडबैक यूनिट जासूसी कर रही है. आम आदमी पार्टी छिप कर बातें सुन रही है. मनोज तिवारी कह रहे हैं, आप के नेता दिल्ली के लिए काम नहीं करते, बल्कि वे दिल्लीवालों के पैसे से अवैध तरीके से जासूसी कर रहे हैं.
जिस तरीके से मनीष सिसोदिया पर सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है, ऐसी नौबत आ पड़ी है जैसी आशंका कई बार सिसोदिया और केजरीवाल की तरफ से जतायी जा चुकी है - मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिये जाने की.
एमसीडी चुनावों से पहले ऐसी बातें आम आदमी पार्टी की तरफ से जोर शोर से कही जा रही थीं, लेकिन अभी विरोध का तरीका थोड़ा बदल दिया गया है. वैसे भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के उप राज्यपाल पर हमले का केजरीवाल और उनके साथियों को मौका तो मिल ही गया है.
जैसे सिसोदिया पर गिरफ्तारी की फिर से तलवार लटकने लगी है, मेयर चुनाव में भी आम आदमी पार्टी की जीत पर आशंका के बादल छाये हुए हैं. जीत तो तभी पक्की हो पाएगी जब आम आदमी पार्टी के सारे ही पार्षद वोट देने पहुंचें - क्या मालूम कुछ ऐसे भी हों जो किसी न किसी वजह से सीबीआई के डर से घर ही बैठे रह जायें. या कोई रास्ता न सूझे तो मेडिकल छुट्टी ही ले लें.
अगर ऐसा होता है तो पलड़ा तो बीजेपी का ही भारी रहेगा - वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से ईडी की तारीफ सुनने के बाद सीबीआई के अफसरों को भी तो बेसब्री से इंतजार होगा ही. क्या वे नहीं सुनना चाहते होंगे कि दिल्ली के लोग जो काम नहीं कर पाये, सीबीआई के तेज तर्रार अफसरों ने कर दिखाया.
सिसोदिया को गिरफ्तार तो नहीं करेगी सीबीआई?
आपको अरविंद केजरीवाल की वो बात तो याद होगी ही, जिसमें वो मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के फायदे समझा रहे थे - तब अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अगर सीबीआई मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर ले तो गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाएगी - देखना है, आगे केजरीवाल का रिएक्शन क्या होता है?
इस बीच एक बात और भी देखने में आयी है, दिल्ली की शराब नीतियो में गड़बड़ियों के जो आरोप लगे हैं, उनके तार तेलंगाना तक जुड़े हुए लगते हैं. दिल्ली शराब नीति की जांच पड़ताल के दौरान ही एक चार्टर्ड एकाउंटेंट को गिरफ्तार किया गया है. बताते हैं कि गिरफ्तार सीए तेलंगाना मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता का के लिए काम कर चुका है.
क्या सीबीआई की जांच ने ही अरविंद केजरीवाल और केसीआर को राजनीति के मैदान में भी करीब ला दिया है? वैसे सीए की गिरफ्तारी तो हाल फिलहाल हुई है, दोनों नेता काफी पहले पंजाब के दौरे में साथ साथ देखे गये थे - और कुछ दिन पहले ही केसीआर के बुलावे पर अरविंद केजरीवाल उनकी रैली में हैदराबाद तक गये थे.
केजरीवाल और केसीआर के साथ केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी मंच शेयर किया था - और इसे विपक्षी खेमे में उभर रही नयी गुटबाजी के तौर पर देखा गया.
एमसीडी के मेयर चुनाव के बाद अरविंद केजरीवाल 2024 से पहले कर्नाटक और राजस्थान जैसे राज्यों में भी हाथ आजमाने की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन उनको भी सीबीआई से वैसे लड़ना पड़ रहा है जैसे गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी के साथ हुआ करता था. ये सीबीआई भी गजब काम करती है, सत्ता भले बदलती रहे उसके कामकाज में कोई तब्दीली नहीं आती - बड़े आराम से वो अपने लिए नये शिकार तलाश लेती है.
इन्हें भी पढ़ें :
MCD नतीजों के बाद कैसा होगा केजरीवाल के लिए आगे का सफर
केजरीवाल-तेजस्वी मुलाकात के पीछे दिमाग तो लालू का है, निशाने पर कौन?
राहुल गांधी की नरेंद्र मोदी पर निगाहें, अरविंद केजरीवाल पर निशाना - आपने गौर किया?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.