दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केजरीवाल ने Odd-even scheme को दोबारा चालू करने की घोषणा की है. नियम 4 से 15 नवंबर के बीच लागू किये जाएंगे. अपनी योजना पर बात करते हुए केजरीवाल ने कहा है कि नवंबर के महीने में दिल्ली के आस-पास के राज्यों में पराली जलाई जाती है, इस वजह से दिल्ली गैस चेंबर बन जाता है. इसलिए फिर से ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू करने का फैसला किया गया है. केजरीवाल ने कहा कि पिछले वर्षों में ऑड-ईवन सिस्टम को लागू करने से राज्य में प्रदूषण काफी कम हुआ है.
सीएम केजरीवाल भले ही इस योजना को प्रदूषण की रोकथाम के लिहाज से एक बड़ा कदम मान रहे हों. मगर विपक्ष को राज्य सरकार की आलोचना का मौका मिल गया है और तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. केजरीवाल ने इससे पहले 2016 में ऑड-ईवन को लागू किया था. उसके बाद 2017 और 18 में वो इसे भूल गए. मगर अब चुनावों से ठीक पहले उनका इसे फिर से शुरू करना ये बता रहा है कि, अगर आने वाले समय में, दिल्ली की हवा साफ़ होती है तो इसका सारा क्रेडिट केजरीवाल खुद लेंगे और इसे वोटों में तब्दील करेंगे.
सवाल ये भी है कि अगर उन्हें इसे शुरू ही करना था तो उन्होंने त्योहार (दिवाली) के बाद का समय क्यों चुना? अगर वो इसके लिए गंभीर थे तो इसकी शुरुआत दिवाली से एक सप्ताह पहले हो सकती थी. केजरीवाल के इस फैसले पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है और इसे चुनावों से ठीक पहले एक बड़ा पॉलिटिकल स्टंट बताया है. वहीं भाजपा सांसद मिनाक्षी लेखी का मानना है कि राज्य सरकार का ये फैसला भले ही अरविंद केजरीवाल को फायदा दे मगर बात जब आम लोगों की आएगी तो इससे उन्हें केवल तकलीफ ही पहुंचने...
दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केजरीवाल ने Odd-even scheme को दोबारा चालू करने की घोषणा की है. नियम 4 से 15 नवंबर के बीच लागू किये जाएंगे. अपनी योजना पर बात करते हुए केजरीवाल ने कहा है कि नवंबर के महीने में दिल्ली के आस-पास के राज्यों में पराली जलाई जाती है, इस वजह से दिल्ली गैस चेंबर बन जाता है. इसलिए फिर से ऑड-ईवन फॉर्मूले को लागू करने का फैसला किया गया है. केजरीवाल ने कहा कि पिछले वर्षों में ऑड-ईवन सिस्टम को लागू करने से राज्य में प्रदूषण काफी कम हुआ है.
सीएम केजरीवाल भले ही इस योजना को प्रदूषण की रोकथाम के लिहाज से एक बड़ा कदम मान रहे हों. मगर विपक्ष को राज्य सरकार की आलोचना का मौका मिल गया है और तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. केजरीवाल ने इससे पहले 2016 में ऑड-ईवन को लागू किया था. उसके बाद 2017 और 18 में वो इसे भूल गए. मगर अब चुनावों से ठीक पहले उनका इसे फिर से शुरू करना ये बता रहा है कि, अगर आने वाले समय में, दिल्ली की हवा साफ़ होती है तो इसका सारा क्रेडिट केजरीवाल खुद लेंगे और इसे वोटों में तब्दील करेंगे.
सवाल ये भी है कि अगर उन्हें इसे शुरू ही करना था तो उन्होंने त्योहार (दिवाली) के बाद का समय क्यों चुना? अगर वो इसके लिए गंभीर थे तो इसकी शुरुआत दिवाली से एक सप्ताह पहले हो सकती थी. केजरीवाल के इस फैसले पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है और इसे चुनावों से ठीक पहले एक बड़ा पॉलिटिकल स्टंट बताया है. वहीं भाजपा सांसद मिनाक्षी लेखी का मानना है कि राज्य सरकार का ये फैसला भले ही अरविंद केजरीवाल को फायदा दे मगर बात जब आम लोगों की आएगी तो इससे उन्हें केवल तकलीफ ही पहुंचने वाली है.
इस साल देश भर में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई है. ऐसे में केजरीवाल का नवंबर में इसे शुरू करना ये बता देता है कि पर्यावरण तो बस बहाना है. असल में केजरीवाल अपनी कमियां छुपा रहे हैं और इस वक़्त उनकी प्राथमिकता ऑड-ईवन को भुनाना और कैसे भी करके उसके दम पर चुनाव जीतना है.
क्या है केजरीवाल का एक्शन प्लान
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पर्यावरण के मुद्दे पर कई बड़े ऐलान किए. इसमें ऑड ईवन, पेड़-पौधे लगाने की ड्राइव समेत कुल सात प्वाइंट्स जारी किए गए हैं.
बात अगर इन 7 पॉइंट्स पर हो तो इसमें जहां एक तरफ 4 से 15 नवंबर तक दिल्ली में ऑड ईवन को शुरू करने की बात की गई है. तो वहीं इसमें पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए लोगों को पेड़-पौधों को लगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. बताया जा रहा है कि जो पेड़-पौधे लगाएगा, उसे सरकार की ओर से नंबर दिया जाएगा और पौधों की फ्री होम डिलीवरी की जाएगी. इस योजना को राज्य सरकार ने ट्री चैलेंज का नाम दिया है. अपनी पत्रकारवार्ता में केजरीवाल ने दिवाली के दौरान इस्तेमाल होने वाले पटाखों का भी जिक्र किया है और कहा है कि हम लोगों से अनुरोध करेंगे कि वो पर्यावरण की सलामती के लिए पटाखों का इस्तेमाल करने से बचें.
बताया ये भी गया है कि दिल्ली सरकार जल्द ही लेज़र शो का आयोजन करेगी, जिसमें प्रदूषण/पर्यावरण के बारे में जानकारी दी जाएगी. साथ ही इन पॉइंट्स में हर वार्ड में पर्यावरण मार्शल की नियुक्ति का भी जिक्र है जिसका काम लोगों को जागरूक करना रहेगा. राज्य सरकार की तरफ से लोगों के लिए मास्क बांटे जाएंगे. ताकि किसी को दिक्कत ना आ पाए. धूल पर कंट्रोल किया जाएगा, कचरे को जलाने पर भी रोक लगाई जाएगी. दिल्ली सरकार की ओर से पर्यावरण वॉर रूम बनाए जाएंगे, जहां कोई भी अगर शिकायत करेगा तो पर्यावरण से जुड़ी हर समस्या का निपटारा किया जाएगा.
वहीं बात अगर उपलब्धियों की हो तो केजरीवाल इसकी चर्चा पहले ही कर चुके हैं. केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली में लोगों को बिजली चौबीस घंटे मिलती है इसलिए जेनेरेटर का इस्तेमाल बिलकुल शून्य हो गया है. साथ ही उन कंस्ट्रक्शन साइट्स पर भी भारी फाइन लगाया गया है जहां पर डस्ट कंट्रोल नॉर्म्स का मखौल उड़ाया जा रहा है. इसके अलावा राजघाट और बदरपुर थर्मल पॉवर प्लांट्स के बंद होने को भी बढ़ते हुए प्रदूषण के निदान की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
क्या वाकई कामयाब रहा है Odd-even?
Odd-even कामयाब है या नहीं इसे समझने के लिए हमें थोडा पहले जाना होगा. ध्यान रहे कि ये तीसरी बार है जब मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली में ऑड ईवन लागू करके सुर्खियां बटोरीं हैं. इससे पहले जनवरी 2016 में 1 जनवरी से 15 जनवरी और उसके बाद अप्रैल 15 से लेकर 30 अप्रैल तक इसे दिल्ली में लागू किया गया था. लोग इसपर गंभीर हो इसके लिए सरकार ने 2000 रुपए की पेनल्टी भी लगाई थी. आप नेता दिलीप पांडे, इसे वर्तमान समय की एक जरूरी पहल मानते हैं. आप नेता का मानना है कि इससे प्रदूषण 10 से 13 % तक कंट्रोल हुआ है.
IChowk.In के साथ हुई बातचीत में दिलीप पांडे ने इस बात पर प्रमुखता से बल दिया कि हमें उन देशों का अवलोकन ज़रूर करना चाहिए जिन देशों ने इस व्यवस्था को लागू किया हुआ है. पांडे के अनुसार ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि सरकार इस दिशा में आज से ही गंभीर हुई है. पूर्व के सालों में इसके निदान की दिशा में काम किये जा रहे थे. बात अगर अभी की हो तो सरकार आम लोगों के बीच मास्क बांट रही है जो अपने आप में प्रदूषण के रोकथाम की दिशा में एक कारगर कदम है.
प्रतिक्रिया भी Odd-Even जैसी:
केजरीवाल सरकार ने एक अहम् फैसला लिया है. इस फैसले पर प्रतिक्रियाओं का आना स्वाभाविक है. यदि इस प्रतिक्रियाओं पर गौर किया जाए तो मिलता है कि ये प्रतिक्रियाएं भी Odd-Even जैसी हैं. कुछ लोग इस फैसले के लिए केजरीवाल के साथ हैं. तो एक बड़ा वर्ग वो भी है जो ये मानता है कि दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से जनता को सिर्फ दिक्कत होगी.
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश खुराना ने इस पूरे मामले के मद्देनजर एक ट्वीट के जरिये कुछ आंकड़े पेश किये हैं. खुराना ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि पिछली बार लागू की गई Odd-even स्कीम बिलकुल भी कारगर साबित नहीं हुई. खुराना ने अपने ट्वीट में बताया है कि पिछली बार Odd-Even व्यवस्था को लागू किये जाने के बावजूद PM2.5 जैसा था वैसा ही रहा. साथ ही खुराना ने ये आरोप भी लगाया कि केजरीवाल इस मुद्दे को व्यर्थ ही भुना रहे हैं और इसके प्रचार पर ढेरों पैसा खर्च कर रहे हैं.
@BunnyPunia नाम के यूजर ने ट्वीट किया है कि दिल्ली वाले फिर Odd-Even की समस्या का सामना करने को तैयार रहें. साथ ही ट्विटर यूजर ने ये भी कहा है कि फसल जलने और उसे रोकने का हल खोजने के बजाय हमें परेशान करना कितना आसान है.
@biswajit115 नाम के यूजर ने केजरीवाल की इस मुहीम का समर्थन किया है मगर साथ में उन्होंने ये भी कहा है कि ये समस्या का परमानेंट समाधान नहीं है. ट्विटर यूजर का कहना है कि सरकार को प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में अन्य प्रयोग करने चाहिए.
@MissCandid01 नाम की यूजर ने आईआईटी और आईआईएम के वायुमंडलीय वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है और बताया है कि जब दिल्ली में पहले चरण में Odd-Even को शुरू किया गया तब प्रदूषण लेवल सिर्फ 2 से 3 प्रतिशत तक सही हुआ.
पराली जलाना: समस्या की जड़ तो जस की तस
तमाम बातें हो चुकी हैं. प्रदूषण से निपटने के लिए केजरीवाल 7 पॉइंट्स सामने ला चुके हैं. मगर पराली जलाने की समस्या जस की तस है. जब इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता दिलीप पांडे से बात की गई तो उन्होंने भी प्रदूषण की एक बड़ी वजह पराली को बताया. क्योंकि पराली मुख्यतः पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा जलाई जाती है. तो जब सवाल हुआ कि, इस विषय पर उनकी सरकार पंजाब और हरियाणा के लिए क्या कर रही है? तो जवाब में पांडे ने कहा कि पंजाब में हम विपक्ष की भूमिका में है इसलिए वहां ये मुद्दा सदन में उठाया जाएगा. जबकि हरियाणा में आम आदमी पार्टी का आधार नहीं है वहां के लिए प्रयास किये जाएंगे. पांडे ने इस बात पर भी बल दिया कि दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के वो नेता जो पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े हैं एक मंच पर आएं और साथ बैठकर इस समस्या का समाधान निकालने के लिए मेहनत करें.
ध्यान रहे कि यदि आम आदमी पंजाब और हरियाणा में पराली की समस्या को उठाती है तो इससे उसे जहां एक तरफ इन दोनों राज्यों में बड़ा पॉलिटिकल माइलेज मिलेगा तो वहीं इस वजह से केजरीवाल दिल्ली वालों की नजर में भी रहेंगे और हो सकता है इसका फायदा उन्हें आने वाले चुनावों में मिल जाए और odd-even के दम पर वो फिर एक बार दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने में कामयाब हो जाएं.
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