अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ मीटिंग को लाइव दिखाने (Live Streaming) के लिए माफी मांग ली है. अरविंद केजरीवाल के तत्काल माफी मांग लेने के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय से भी एक बयान जारी किया गया जो एक तरह से माफीनामा ही है - और नादानी भरी सफाई भी.
सफाई में मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से बताया नहीं गया था कि मीटिंग को लाइव नहीं करना है. मतलब, मुख्यमंत्री कार्यालय ये समझाना चाहता है कि गलती केंद्र सरकार की ही है, अगर ये पहले से ही बता दिया गया होता तो ये नौबत आती ही नहीं.
फिर तो ऐसी बैठकों के लिए केंद्र सरकार को हर बार ये साफ साफ बता देना चाहिये कि लाइव करना है या नहीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री को प्रोटोकॉल की याद दिलायी - और संयम से काम लेने की सलाह दी. बस.
अरविंद केजरीवाल ने भी तत्काल गलती मानते हुए बोल भी दिया कि गुस्ताखी हुई है तो माफी चाहते हैं - और लगे हाथ प्रॉमिस भी कर दिया कि आइंदे से ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे.
सवाल ये है कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री को वाकई ये मालूम नहीं था कि प्रधानमंत्री और देश के कई मुख्यमंत्रियों के साथ हो रही मीटिंग को सार्वजनिक तौर पर लाइव करना है या नहीं?
ये तो सीधे सीधे प्रोटोकॉल का विषय है - तो क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री को प्रोटोकॉल की ठीक ठीक जानकारी नहीं है? अगर प्रोटोकॉल की जानकारी नहीं भी हो तो अरविंद केजरीवाल ये तो जानते ही होंगे कि वो प्रधानमंत्री की तरफ से बुलायी गयी मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में एक हिस्सेदार भर हैं - और उस मीटिंग को लाइव करना है या नहीं ये तय करने का अधिकार भी तो प्रधानमंत्री कार्यालय के पास ही होगा.
मान लेते हैं कि अनजाने में ही अरविंद केजरीवाल ने प्रोटोकॉल तोड़ा, लेकिन सवाल ये है कि प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग को लाइव करने का मकसद क्या रहा होगा?
हुआ क्या - और कैसे?
बेतहाशा फैलते कोरोना वायरस और तेज गति से बढ़ते...
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ मीटिंग को लाइव दिखाने (Live Streaming) के लिए माफी मांग ली है. अरविंद केजरीवाल के तत्काल माफी मांग लेने के बाद भी दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय से भी एक बयान जारी किया गया जो एक तरह से माफीनामा ही है - और नादानी भरी सफाई भी.
सफाई में मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से बताया नहीं गया था कि मीटिंग को लाइव नहीं करना है. मतलब, मुख्यमंत्री कार्यालय ये समझाना चाहता है कि गलती केंद्र सरकार की ही है, अगर ये पहले से ही बता दिया गया होता तो ये नौबत आती ही नहीं.
फिर तो ऐसी बैठकों के लिए केंद्र सरकार को हर बार ये साफ साफ बता देना चाहिये कि लाइव करना है या नहीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री को प्रोटोकॉल की याद दिलायी - और संयम से काम लेने की सलाह दी. बस.
अरविंद केजरीवाल ने भी तत्काल गलती मानते हुए बोल भी दिया कि गुस्ताखी हुई है तो माफी चाहते हैं - और लगे हाथ प्रॉमिस भी कर दिया कि आइंदे से ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे.
सवाल ये है कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री को वाकई ये मालूम नहीं था कि प्रधानमंत्री और देश के कई मुख्यमंत्रियों के साथ हो रही मीटिंग को सार्वजनिक तौर पर लाइव करना है या नहीं?
ये तो सीधे सीधे प्रोटोकॉल का विषय है - तो क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री को प्रोटोकॉल की ठीक ठीक जानकारी नहीं है? अगर प्रोटोकॉल की जानकारी नहीं भी हो तो अरविंद केजरीवाल ये तो जानते ही होंगे कि वो प्रधानमंत्री की तरफ से बुलायी गयी मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में एक हिस्सेदार भर हैं - और उस मीटिंग को लाइव करना है या नहीं ये तय करने का अधिकार भी तो प्रधानमंत्री कार्यालय के पास ही होगा.
मान लेते हैं कि अनजाने में ही अरविंद केजरीवाल ने प्रोटोकॉल तोड़ा, लेकिन सवाल ये है कि प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग को लाइव करने का मकसद क्या रहा होगा?
हुआ क्या - और कैसे?
बेतहाशा फैलते कोरोना वायरस और तेज गति से बढ़ते कोविड के मामलों को लेकर प्रधानमंत्री ने कई हाई लेवल मीटिंग बुलाई थी जिसके चलते पश्चिम बंगाल का चुनावी दौरा भी रद्द कर दिया था. सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की ये मीटिंग भी कोरोना वायरस के खतरे से मुकाबले पर विचार विमर्श के लिए ही बुलायी गयी थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी मुख्यमंत्रियों से ऑनलाइन जुड़े हुए थे - और जैसे ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बोलने की बारी आयी मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू हो गयी जो टीवी चैनलों पर भी प्रसारित होने लगी. कुछ देर बाद अचानक लाइव स्ट्रीमिंग बंद भी हो गयी, हालांकि, उसकी वजह काफी देर बाद ही मालूम हो सकी.
मीटिंग में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बार बार 'सर' के संबोधन के साथ अपना हर वाक्य शुरू करते हुए बोल तो रहे थे लेकिन लहजा काफी सख्त नजर आ रहा था - और कटाक्ष से भरपूर भी. अरविंद केजरीवाल के संबोधन में ढेरों शिकायतों के साथ कुछ डिमांड भी थे - और सुझाव भी.
1. अरविंद केजरीवाल की शिकायत रही, वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने कहा है कि केंद्र सरकार को वैक्सीन 150 रुपये में और राज्यों का रेट 400 रुपये का होगा - एक ही देश में वैक्सीन के दो रेट कैसे हो सकते हैं? वैक्सीन का वन नेशन, वन रेट होना चाहिये.
2. अरविंद केजरीवाल का एक सुझाव रहा, एक नेशनल प्लान बनना चाहिये... देश के सभी ऑक्सीजन प्लांट को सेना के जरिये सरकार टेकओवर कर ले. अगर हर ट्रक के साथ आर्मी का एस्कॉर्ट व्हीकल रहेगा तो कोई उसे नहीं रोक पाएगा.
3. जब अरविंद केजरीवाल ने ऑक्सीजन एक्सप्रेस के आइडिया का जिक्र किया तो प्रधानमंत्री मोदी ने टोक दिया और अपडेट भी किया. अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'हो सके तो हमें हवाई जहाज से उपलब्ध करायें या आपका जो आइडिया है ऑक्सीजन एक्सप्रेस का.. तो उससे से ही हमें ऑक्सीजन मिले.'
प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि ऑक्सीजन एक्सप्रेस पहले से ही चल रही है.
अरविंद केजरीवाल का रिएक्शन रहा, ‘जी लेकिन दिल्ली में नहीं आ रही... बाकी राज्यों में चल रही होगी.’
4. अरविंद केजरीवाल की एक और शिकायत रही कि सबसे ज्यादा ऑक्सीजन के ट्रक रोके जा रहे हैं. बोले, 'अगर आप उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक फोन लगा दें तो वो काफी होगा - मैं मुख्यमंत्री होते हुए भी कुछ नहीं कर पा रहा... ईश्वर न करे कि कुछ अनहोनी हो गई... तो हम कभी अपने आप को माफ नहीं कर पाएंगे.'
5. मार्गदर्शन की गुजारिश के साथ अरविंद केजरीवाल बोले, 'अगर किसी अस्पताल में एक-दो घंटे की ऑक्सीजन बच जाये या ऑक्सीजन रुक जाए और लोगों की मौत की नौबत आ जाए तो मैं फोन उठाकर किससे बात करूं? कोई ट्रक रोक ले तो किससे बात करूं? आप बस ये बता दीजिये.'
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाये जाने के लिए आभार भी प्रकट किया, साथ ही बताये, 'हालात बहुत गंभीर हो चुके हैं... हम किसी को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते... हमने पिछले दिनों केंद्र के कई मंत्रियों को फोन किये... पहले मदद की, पर अब तो वो भी थक गये हैं.'
बड़ा सवाल, केजरीवाल ने पूछा भी, 'अगर दिल्ली में ऑक्सीजन की फैक्ट्री नहीं है तो क्या दो करोड़ लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिलेगी? जिन राज्यों में ऑक्सीजन प्लांट हैं, वो दूसरों की ऑक्सीजन रोक सकते हैं क्या?'
लाइव भी कर लिया - और माफी भी मांग ली
अरविंद केजरीवाल को माफी मांगे काफी दिन हो भी गये थे. अब तो जरूरी भी हो गया था. ऐसा कुछ करना जिसकी चर्चा हो. जिससे सुर्खियों में सिर्फ अरविंद केजरीवाल की चर्चा हो. मीडिया कवरेज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज्यादा या उनके बराबर न हो सके तो थोड़ा कम ही सही, लेकिन सुर्खियों में जगह पक्की रहे.
कोरोना संकट को लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों की पिछली मीटिंग का भी एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उनको प्रधानमंत्री की बातों का मजाक उड़ाते देखा भी गया. जब प्रधानमंत्री मोदी बोल रहे थे तो वो अपने साथ बैठे लोगों से कुछ इशारे कर रहे थे और मंद मंद मुस्कुरा भी रहे थे. बाद में वीडियो को कई लोगों ने केजरीवाल वाले हिस्से को जूम करके दिखाया भी था.
अब चाहे जो विवाद हो. अरविंद केजरीवाल अपने मकसद में तो कामयाब रहे ही. असल में तो उनको दिल्ली के लोगों को बताना था कि प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में वो बोल क्या रहे हैं - क्योंकि केंद्र ने तो ऐसा नियम बना डाला है कि अब कुछ भी करने से पहले मुख्यमंत्री को उप राज्यपाल से पूछना ही होगा. असल में केजरीवाल दिल्ली के लोगों को एक ही बार में कई चीजें बताना चाहते थे -
1. लाइव स्ट्रीमिंग के जरिये अरविंद केजरीवाल यही बताना चाह रहे थे कि अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार है कि कोई मदद ही नहीं कर रही है.
2. अरविंद केजरीवाल ने अपनी तरफ से दिल्ली वालों को ये तो बता ही दिये कि मदद के लिए वो सबको फोन लगा रहे हैं. पहले कुछ लोगों ने मदद भी की लेकिन अब सभी लोग हाथ खड़े कर चुके हैं - और वो दिल्ली की जनता के लिए चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं.
ये भी हो सकता है कि दिल्ली में ऑक्सीजन की फैक्ट्री होती तो किसी को परेशान नहीं होना पड़ता. अब अगर कोई ये सोचता है कि इतने साल में वो ऑक्सीजन की कोई फैक्ट्री क्यों नहीं लगा पाये तो समझ ले कि उनको तो हर बात के लिए उप राज्यपाल का मुंह देखना पड़ता है.
3. देखा जाये तो अरविंद केजरीवाल ने कोई नया प्रयोग नहीं किया है - ये उनके उसी स्लोगन का नया प्रजेंटेशन है जिसमें वो कहते रहे हैं - 'वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे.'
दिल्ली में जब दंगे हो रहे थे तो अरविंद केजरीवाल तब तक खामोश बैठे रहे जब तक उन पर सवाल न उठने शुरू हुए. अरविंद केजरीवाल मान कर चल रहे थे कि दंगा रोकने की जिम्मेदारी तो पुलिस की होती है और वो केंद्रीय गृह मंत्रालय तो रिपोर्ट करती है - ऐसे में दिल्ली सरकार तो जिम्मेदारी तो आने से रही.
तभी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ साथ अरविंद केजरीवाल से भी सवाल पूछ लिये - 72 घंटे तक कहां थे और कर क्या रहे थे?
जहां तक गलती के लिए माफी मांगने का सवाल है, अरविंद केजरीवाल पहले भी दर्जन भर लोगों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा कर माफी मांग कर पीछा छुड़ा चुके हैं.
प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग के लाइव स्ट्रीमिंग का जो असली मकसद था वो यही रहा कि अरविंद केजरीवाल कोरोना काल में दिल्ली की बदहाली की तोहमत अपने माथे से हटा कर केंद्र सरकार के सिर पर मढ़ सकें - और अपने इस मकसद में वो कुछ हद तक कामयाब भी हो चुके हैं.
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