पहले आसाराम के समर्थकों को यही शिकायत रहती रही कि सबको जमानत मिल जा रही है - आखिर बापू कब बाहर आएंगे? हालांकि, अब इस शिकायत की वैलिडिटी इसलिए खत्म हो गयी, क्योंकि नाबालिग से बलात्कार के केस में सुनवाई पूरी हो चुकी है और अब फैसले की बारी है.
समर्थकों से इतर इस बार आसाराम की खुद की शिकायत तब सामने आयी जब जोधपुर जेल सलमान खान पहुंचे. सलमान खान करीब 50 घंटे तक जेल में रहे और उस दौरान जेल अफसरों के परिवार वालों समेत मिलने वालों का तांता लगा रहा.
चूंकि सलमान बैरक नंबर दो में आसाराम के पड़ोसी थे, इसलिए उन्हें भी हर बात की भनक रही - फिर आसाराम के मन की बात भी सामने आयी - सलमान से मिलने इतने लोग आ रहे हैं, हमसे मिलने तो कोई नहीं आता.
आसाराम और राम रहीम
आसाराम और राम रहीम केस में बुनियादी फर्क ये है कि एक सजा से पहले जेल कभी गया नहीं, और दूसरा सजा की घड़ी आने तक जेल से निकल ही नहीं सका.
आसाराम और राम रहीम के बीच तुलना के तो कई फैक्टर हैं, लेकिन फिलहाल दोनों की चर्चा की वजह हाई कोर्ट में दी गयी पुलिस की अर्जी है. दरअसल, राजस्थान पुलिस को आशंका है कि पंचकूला की तरह जोधपुर में भी हिंसा हो सकती है. खुफिया जानकारी मिली है कि फैसले के दिन 10 हजार से ज्यादा की संख्या में आसाराम के समर्थक जोधपुर पहुंच सकते हैं. ये ठीक वैसे ही है जैसे पिछले साल राम रहीम को बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा सुनाये जाने के बाद उसके समर्थकों ने पंचकूला में खूब उत्पात किया - और कई लोगों की मौत भी हो गयी.
हरियाणा में भी सरकार बीजेपी की थी और राजस्थान में भी बीजेपी की ही है. पंचकूला हिंसा को लेकर मनोहरलाल खट्टर सरकार की खूब फजीहत हुई थी, राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ऐसी आशंका को...
पहले आसाराम के समर्थकों को यही शिकायत रहती रही कि सबको जमानत मिल जा रही है - आखिर बापू कब बाहर आएंगे? हालांकि, अब इस शिकायत की वैलिडिटी इसलिए खत्म हो गयी, क्योंकि नाबालिग से बलात्कार के केस में सुनवाई पूरी हो चुकी है और अब फैसले की बारी है.
समर्थकों से इतर इस बार आसाराम की खुद की शिकायत तब सामने आयी जब जोधपुर जेल सलमान खान पहुंचे. सलमान खान करीब 50 घंटे तक जेल में रहे और उस दौरान जेल अफसरों के परिवार वालों समेत मिलने वालों का तांता लगा रहा.
चूंकि सलमान बैरक नंबर दो में आसाराम के पड़ोसी थे, इसलिए उन्हें भी हर बात की भनक रही - फिर आसाराम के मन की बात भी सामने आयी - सलमान से मिलने इतने लोग आ रहे हैं, हमसे मिलने तो कोई नहीं आता.
आसाराम और राम रहीम
आसाराम और राम रहीम केस में बुनियादी फर्क ये है कि एक सजा से पहले जेल कभी गया नहीं, और दूसरा सजा की घड़ी आने तक जेल से निकल ही नहीं सका.
आसाराम और राम रहीम के बीच तुलना के तो कई फैक्टर हैं, लेकिन फिलहाल दोनों की चर्चा की वजह हाई कोर्ट में दी गयी पुलिस की अर्जी है. दरअसल, राजस्थान पुलिस को आशंका है कि पंचकूला की तरह जोधपुर में भी हिंसा हो सकती है. खुफिया जानकारी मिली है कि फैसले के दिन 10 हजार से ज्यादा की संख्या में आसाराम के समर्थक जोधपुर पहुंच सकते हैं. ये ठीक वैसे ही है जैसे पिछले साल राम रहीम को बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा सुनाये जाने के बाद उसके समर्थकों ने पंचकूला में खूब उत्पात किया - और कई लोगों की मौत भी हो गयी.
हरियाणा में भी सरकार बीजेपी की थी और राजस्थान में भी बीजेपी की ही है. पंचकूला हिंसा को लेकर मनोहरलाल खट्टर सरकार की खूब फजीहत हुई थी, राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ऐसी आशंका को लेकर पहले से ही सावधानी बरत रही है. वैसे भी जब भी आसाराम के केस की सुनवाई होती है समर्थक कचहरी पहुंच जाते हैं और कई बार पुलिस को उन्हें खदेड़ने के लिए लाठी चलानी पड़ती है.
पुलिस ने आसाराम की ओर से समर्थकों से ऐसी हरकतों से बचने की अपील की सलाह दी गयी है. हालांकि, मीडिया से बातचीत में आसाराम की टीम के एक आदमी को ये कहते सुना गया है कि पूरे देश में लोगों से अपील करने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं. अजीब बात है हर सुनवाई के वक्ता सोशल मीडिया पर आसाराम का नाम ट्रेंड का हिस्सा बन जाता है और अपील के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है. अगर ये प्रचार फ्री में हो जाता है तो अपील भी हो सकती है - और अगर प्रचार प्रसार के पैसे हैं तो अपील के लिए रोने का क्या मतलब है?
ताकि शांति बनी रहे
जोधपुर पुलिस चाहती है कि फैसला जेल में ही सुनाया जाये ताकि शहर में शांति कायम रहे और कानून व्यवस्था की कोई मुश्किल न खड़ी हो पाये. हालांकि, आसाराम के वकीलों को इस पर ऐतराज है. आसाराम के वकीलों का कहना है कि जब सुनवाई ट्रायल कोर्ट में हुई तो फैसला भी वहीं सुनाया जाये.
जेल में कोर्ट लगाने का प्रावधान तो है लेकिन तय हाई कोर्ट से ही होगा. वैसे तो ये अधिकार सेशंस कोर्ट को भी है लेकिन उसके लिए दोनों पक्षों की सहमति जरूरी होती है. हाई कोर्ट ने आसाराम के वकीलों से जवाब दाखिल करने को कहा है. सुनवाई की अगली तारीख 17 अप्रैल है.
25 अप्रैल को कोई चमत्कार होगा क्या?
आसाराम को जोधपुर पुलिस ने 31 अगस्त 2013 को इंदौर से गिरफ्तार किया था और एक बार आसाराम जेल गये फिर कभी बाहर नहीं आ सके. जमानत की अर्जियां तो कई बार दाखिल हुईं, लेकिन कभी गवाहों की मौत तो कभी पीड़ितों को धमकाये जाने की शिकायतों के चलते फौरन खारिज भी हो जाती रहीं. अब इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और 25 अप्रैल को अदालत फैसला सुनाने वाली है.
आसाराम के समर्थक अक्सर उनके चमत्कारों की चर्चा किया करते रहे, लेकिन पिछले पांच साल में तो ऐसा कोई चमत्कार देखने को नहीं मिला. बाकी आरोपियों की ही तरह आसाराम के चेहरे पर डर और तनाव देखने को मिला. जब भी सुनवाई पर कोर्ट लाया गया, आसाराम की शिकायतें भी बाकी अपराधियों से कुछ अलग नहीं सामने आयीं. वही अदा, वही गुजारिशें और वही रोना - मैं तो बेकसूर हूं.
2013 में शाहजहांपुर की 16 साल की एक लड़की ने आसाराम पर उनके ही जोधपुर आश्रम में बलात्कार का आरोप लगाया था. तकरीबन वैसा ही इल्जाम जैसा राम रहीम पर साबित हुआ जिसे वो सजा मिलने से पहले 'पिताजी की माफी' कहा करता रहा. आसाराम के खिलाफ ये मामला दिल्ली के कमला मार्केट थाने में दर्ज हुआ था, जिसे बाद में जोधपुर ट्रांसफर कर दिया गया.
अलावा इसके, सूरत की दो बहनों ने भी अलग-अलग शिकायतों में आसाराम और उसके बेटे नारायण साई के खिलाफ बलात्कार और गैरकानूनी तरीके से बंधकर बनाये जाने की शिकायत दर्ज कराई. इनमें से एक की शिकायत है कि 2001 से 2006 के बीच आसाराम ने अपने आश्रम में कई बार यौन उत्पीड़न किया.अब सवाल ये है कि क्या 25 अप्रैल को आसाराम कोई चमत्कार दिखा पाएंगे या फिर कानून का ही चमत्कार दिखेगा. देखना होगा कि कानून राम रहीम की तरह जेल में ही रखता है या बाइज्जत बरी कर आसाराम को प्रायश्चित करने का कोई मौका भी देता है.
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