सचिन पायलट (Sachin Pilot) पर अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने फिर से हमला बोला है. खबर तो ये आयी थी कि राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को सार्वजनिक बयान देने से भी मना कर दिया था, लेकिन अब तो ऐसा नहीं लग रहा है. ऐसा तो संभव नहीं कि अशोक गहलोत कांग्रेस में राहुल गांधी के फरमान को लांघ जायें. फिलहाल तो सिर्फ सचिन पायलट की गतिविधियां ही ऐसे संदेश दे रही हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि सचिन पायलट को नोटिस भेजा जाना भी राहुल गांधी को अच्छा नहीं लगा था. फिर अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के सरकार गिराने की डील में शामिल होने का दावा कर मामले को काफी गंभीर बना दिया था - लेकिन फिर से अशोक गहलोत अगर वैसे ही सचिन पायलट को टारगेट कर रहे हैं - और 'निकम्मा-नकारा' करार दे रहे हैं, फिर तो ये मान कर चलना होगा कि सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी (Sonia Gandhi and Rahul Gandhi) ने राय बदल ली है!
कांग्रेस नेतृत्व पर गहलोत का जादू फिर चल गया
सचिन पायलट को लेकर अशोक गहलोत ने नये सिरे से जो विचार व्यक्ति किये हैं, वो खुद उन पर तो सवाल खड़े करता ही है, राहुल गांधी और सोनिया गांधी की नेतृत्व क्षमता के साथ साथ प्रियंका गांधी वाड्रा की सूझ-बूझ पर भी सवाल खड़े करता है.
अशोक गहलोत ने हफ्ते भर के भीतर तीसरे तीखे हमले में सचिन पायलट के बारे में तीन बातें खास तौर पर कही है - निकम्मा, नकारा और पीठ में छुरा घोंपने वाला. जैसे रणदीप सिंह सुरजेवाला मीडिया में सचिन पायलट पर कांग्रेस पार्टी का बयान रखते हैं या टीवी बहसों में रागिनी नायक कांग्रेस पार्टी को डिफेंड करती हैं, अशोक गहलोत के ताजा बयान में सचिन पायलट के प्रति सोनिया गांधी और राहुल गांधी की राय देखी जा सकती है.
अशोक गहलोत का कहना है कि कभी भी उन्होंने...
सचिन पायलट (Sachin Pilot) पर अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने फिर से हमला बोला है. खबर तो ये आयी थी कि राहुल गांधी ने अशोक गहलोत को सार्वजनिक बयान देने से भी मना कर दिया था, लेकिन अब तो ऐसा नहीं लग रहा है. ऐसा तो संभव नहीं कि अशोक गहलोत कांग्रेस में राहुल गांधी के फरमान को लांघ जायें. फिलहाल तो सिर्फ सचिन पायलट की गतिविधियां ही ऐसे संदेश दे रही हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि सचिन पायलट को नोटिस भेजा जाना भी राहुल गांधी को अच्छा नहीं लगा था. फिर अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के सरकार गिराने की डील में शामिल होने का दावा कर मामले को काफी गंभीर बना दिया था - लेकिन फिर से अशोक गहलोत अगर वैसे ही सचिन पायलट को टारगेट कर रहे हैं - और 'निकम्मा-नकारा' करार दे रहे हैं, फिर तो ये मान कर चलना होगा कि सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी (Sonia Gandhi and Rahul Gandhi) ने राय बदल ली है!
कांग्रेस नेतृत्व पर गहलोत का जादू फिर चल गया
सचिन पायलट को लेकर अशोक गहलोत ने नये सिरे से जो विचार व्यक्ति किये हैं, वो खुद उन पर तो सवाल खड़े करता ही है, राहुल गांधी और सोनिया गांधी की नेतृत्व क्षमता के साथ साथ प्रियंका गांधी वाड्रा की सूझ-बूझ पर भी सवाल खड़े करता है.
अशोक गहलोत ने हफ्ते भर के भीतर तीसरे तीखे हमले में सचिन पायलट के बारे में तीन बातें खास तौर पर कही है - निकम्मा, नकारा और पीठ में छुरा घोंपने वाला. जैसे रणदीप सिंह सुरजेवाला मीडिया में सचिन पायलट पर कांग्रेस पार्टी का बयान रखते हैं या टीवी बहसों में रागिनी नायक कांग्रेस पार्टी को डिफेंड करती हैं, अशोक गहलोत के ताजा बयान में सचिन पायलट के प्रति सोनिया गांधी और राहुल गांधी की राय देखी जा सकती है.
अशोक गहलोत का कहना है कि कभी भी उन्होंने सचिन पायलट पर सवाल नहीं किया. कहते है, 'सात साल के अंदर राजस्थान ही एक ऐसा राज्य है जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने की मांग नहीं की गई. हम जानते थे कि वो निकम्मे थे, नाकारा थे लेकिन मैं यहां बैंगन बेचने नहीं आया हूं, मुख्यमंत्री बनकर आया हूं.'
हालांकि, वो ये भी कह रहे थे कि 'मैं जब कहता था कि षडयंत्र हो रहा था तो लोगों को यकीन नहीं होता था... कोई नहीं जानता था कि मासूम चेहरे वाला ऐसा कुछ करेगा.'
और फिर सबसे बड़ा धोखेबाज भी करार दिया, 'जिस व्यक्ति को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में इतना सम्मान मिला वो कांग्रेस की पीठ में छुरा भोंकने को तैयार हो गया.'
अशोक गहलोत बार बार यही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि सचिन पायलट मासूम चेहरे के पीछे एक शातिर व्यक्ति हैं - वो बार बार ये भी समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि लोग सचिन पायलट के मुंह से अच्छी अंग्रेजी और हिंदी भाषा सुन कर बहकावे में न आयें क्योंकि अपने आकर्षक व्यक्तित्व से सचिन पायलट मीडिया को भी प्रभावित कर लेते हैं.
सुन कर तो ऐसा ही लगता है जैसे अशोक गहलोत अपनी भड़ास निकाल रहे हों - और अपनी जीतोड़ कोशिश से सचिन पायलट की खूबियों को खामी के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हों. सचिन पायलट ने अशोक गहलोत की ऐसी बातों पर तो कुछ नहीं कहा है, लेकिन उनके समर्थक एक विधायक ने अशोक गहलोत को याद दिलाया है - 'राजीव गांधी भी हैंडसम थे, अच्छी अंग्रेजी बोलते थे.'
अब तो सचिन पायलट को भी मान लेना चाहिये कि नोटिस भेजने और डील में शामिल होने जैसे आरोप लगाने के बाद अगर आलाकमान से अशोक गहलोत को कोई हिदायत मिली थी तो, मुख्यमंत्री ने अपने जादू से वो सब बदल दिया है. सचिन पायलट को समझ लेना होगा कि अशोक गहलोत अब उनके खिलाफ नये सिरे से अपने मनमाफिक समझा चुके हैं - और सचिन पायलट को ये भी गांठ बांध लेनी चाहिये कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी की भी राय अब उनके बारे में या तो बदलने लगी है या फिर बदल ही चुकी है.
अशोक पायलट का नये सिरे से सचिन पायलट पर हमला, उनके ये सुनिश्चित करने के बाद ही संभव है कि वो आलाकमान को ये समझाने में में कामयाब रहे कि सचिन पायलट 'नकारा और निकम्मा तो हैं ही, कांग्रेस की पीठ में छुरा भी भोंक दिया है'.
सचिन पायलट दुखी हैं, हैरान नहीं!
अशोक गहलोत अपनी सरकार बचाने के लिए किलेबंदी तो कर ही रहे हैं, ज्यादा जोर तो उनका सचिन पायलट को गांधी परिवार के दरबार से पैदल करने पर है. साथ ही, मीडिया के सामने आकर सचिन पायलट के बारे में जितना भी भला-बुरा कह सकते हैं, बोलते हैं. भड़ास मन में बहुत दिन से भरी पड़ी हो तो निकलने से मन थोड़ा हल्का तो हो ही जाता है. अशोक गहलोत को इससे कोई और फायदा हो न हो थोड़ा सुकून और दिमागी तौर पर थोड़ी राहत तो मिलती ही होगी.
कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया के खिलाफ सीबीआई की हरकत देख कर राजस्थान सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर सीबीआई के लिए राज्य में किसी भी तरीके की जांच के लिए अनुमति अनिनवार्य कर दिया है. हालांकि, ऐसे सर्कुलर विशेष परिस्थितियों में बेअसर और बेकार साबित होते हैं. हालांकि, बड़ी मुसीबत ये है कि बीजेपी वायरल ऑडियो क्लिप के आधार पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद सीबीआई जांच की मांग कर रही है. सचिन पायलट के बाद कृष्णा पूनिया राजस्थान की दूसरी कांग्रेस विधायक हैं जिनको जेड प्लस सिक्योरिटी मिली हुई है. सीबीआई, दरअसल, एक एसएचओ की खुदकुशी के केस के सिलसिले में विधायक से पूछताछ करना चाहती है.
अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री होने का फायदा तो है ही, लेकिन सबसे पहले वो कांग्रेस का दिल्ली दरबार मैनेज करते हैं - दूसरी तरफ सचिन पायलट को ले देकर अब सिर्फ अदालत से ही आस है. हाईकोर्ट नहीं तो सुप्रीम कोर्ट सही. अच्छी बात ये है कि सचिन पायलट ने ऐसे दो वकीलों का इंतजाम तो कर ही लिया है जो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सभी जगह मुकदमों की पैरवी में हर तरीके से मजबूत हैं - मुकुल रोहतगी और हरीश साल्वे.
अशोक गहलोत ने इस पर भी सवाल उठाया है, कह रहे हैं - 'सचिन पायलट का चाल, चेहरा, चरित्र सब बाहर आ गया है... वो क्या वकीलों की फीस अपनी जेब से दे रहे हैं? कहां से आ रहा है ये पैसा?
अशोक गहलोत का कहना है कि एक-एक वकील की एक-एक सुनवाई की फीस 50-50 लाख रुपये है - ये पैसा मुंबई के कार्पोरेट हाउस से आ रहा है?
इस बीच राजस्थान कांग्रेस के एक विधायक गिरिराज सिंह मलिंगा ने सचिन पायलट पर रिश्वत ऑफर करने का आरोप लगाया है - और कहा है कि ये बात वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पहले ही बता चुके हैं.
सचिन पायलट ने रिश्वत के आरोपों अपनी सफाई में कहा है - 'ऐसे आरोपों से दुखी हूं, लेकिन आश्चर्यचकित नहीं... ऐसे आरोप मेरी छवि खराब करने की लगातार कोशिश हैं - मैं अभी कांग्रेसी हूं.'
सचिन पायलट का कहना है कि जो कुछ भी उनके खिलाफ चल रहा है वो मूल मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश है. कहते हैं, मुझे बदनाम करवाने और मेरी विश्वसनीयता को कम करने की कोशिश है. सचिन पायलट ने आरोप लगाने वाले विधायक के खिलाफ लीगल एक्शन लेने की बात कही है.
अदालत के अलावा सचिन पायलट को एक और सपोर्ट मिलने की खबर आ रही है. खबर है कि गुर्जर समाज ने सचिन पायलट का सपोर्ट करने का फैसला किया है. सचिन पायलट को समर्थन जताने के लिए गुरुग्राम में 26 जुलाई को गुर्जर पंचायत होने जा रही है जिसमें हरियाणा, राजस्थान और यूपी के गुर्जर समाज के लोगों के हिस्सा लेने की अपेक्षा है. पंचायत की तारीख सोच समझ कर रखी गयी लगती है क्योंकि 22 जुलाई को राजस्थान विधानसभा का सत्र बुलाये जाने की भी तैयारी है.
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