योगी आदित्यनाथ ने भरे सदन में कहा कि हम मिट्टी में मिला देंगे. अतीक अहमद ने योगी को जवाब देते हुए कहा कि हम मिट्टी में मिल चुके हैं मेरे परिवार और मेरे बच्चों को परेशान न किया जाए. अतीक अहमद के इस बयान को दिए अभी 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि यूपी एसटीएफ ने अतीक अहमद के सबसे चहेते बेटे को मिट्टी में मिला दिया. एक ओर सबका ध्यान इस तरफ था कि अतीक अहमद को क्या कोर्ट पुलिस को रिमांड पर सौंपेगी, लेकिन दूसरी ओर यूपी में खेला हो गया. अचानक से मीडिया के सारे कैमरे प्रयागराज से हटकर झांसी की ओर मुड़ गए. खबर बड़ी थी, खबर के मायने बड़े थे, खबर यह थी कि अतीक एंड कंपनी के सबसे नए शूटर, फिल्मी अंदाज में खुलेआम हत्याकांड को अंजाम देने वाले शूटरों को झांसी में ढेर कर दिया गया है. यह खबर जंगल में आग की तरह फैली. इस खबर ने अतीक को तो झकझोर ही दिया, साथ ही योगी सरकार के अपराधियों के प्रति जीरो टालरेंस की नीति का जमकर प्रचार किया.
निगाह ट्वीटर पर डाली जाए तो लोगों के ट्वीट भरे पड़े थे. कोई राजस्थान में योगी जैसा मुख्यमंत्री चाह रहा था कोई महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में. लेकिन अधिकतर ट्वीट भरे पड़े थे कि योगी बाबा को देश का प्रधानमंत्री बनना चाहिए. इस एनकाउंटर के क्या मायने हैं और इसका क्या असर पड़ेगा इस पर चर्चा करने से पहले एक हल्की सी चर्चा इस बात पर भी जरूरी है कि आखिर एनकाउंटर तक मामला पहुंचा क्यों.
तारीख- 24 फरवरी 2023
दिन – शुक्रवार
समय – शाम के सवा पांच बजे
स्थान – प्रयागराज का धूमनगंज इलाका, जोकि भूमाफियाओं का अड्डा कहलाता है. यहां एक क्रेटा कार आकर एक गली के सामने रुकती है. कार से उमेश पाल फोन पर बात करते हुए बाहर निकलते हैं. अभी उमेश के दोनों पांव जमीन पर होते कि उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई. उमेश उठे और फौरन अपने घर की गली की ओर भागे लेकिन हत्यारों ने गली में घर के अंदर तक पीछा किया और गोली मारने के साथ ही बम...
योगी आदित्यनाथ ने भरे सदन में कहा कि हम मिट्टी में मिला देंगे. अतीक अहमद ने योगी को जवाब देते हुए कहा कि हम मिट्टी में मिल चुके हैं मेरे परिवार और मेरे बच्चों को परेशान न किया जाए. अतीक अहमद के इस बयान को दिए अभी 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि यूपी एसटीएफ ने अतीक अहमद के सबसे चहेते बेटे को मिट्टी में मिला दिया. एक ओर सबका ध्यान इस तरफ था कि अतीक अहमद को क्या कोर्ट पुलिस को रिमांड पर सौंपेगी, लेकिन दूसरी ओर यूपी में खेला हो गया. अचानक से मीडिया के सारे कैमरे प्रयागराज से हटकर झांसी की ओर मुड़ गए. खबर बड़ी थी, खबर के मायने बड़े थे, खबर यह थी कि अतीक एंड कंपनी के सबसे नए शूटर, फिल्मी अंदाज में खुलेआम हत्याकांड को अंजाम देने वाले शूटरों को झांसी में ढेर कर दिया गया है. यह खबर जंगल में आग की तरह फैली. इस खबर ने अतीक को तो झकझोर ही दिया, साथ ही योगी सरकार के अपराधियों के प्रति जीरो टालरेंस की नीति का जमकर प्रचार किया.
निगाह ट्वीटर पर डाली जाए तो लोगों के ट्वीट भरे पड़े थे. कोई राजस्थान में योगी जैसा मुख्यमंत्री चाह रहा था कोई महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में. लेकिन अधिकतर ट्वीट भरे पड़े थे कि योगी बाबा को देश का प्रधानमंत्री बनना चाहिए. इस एनकाउंटर के क्या मायने हैं और इसका क्या असर पड़ेगा इस पर चर्चा करने से पहले एक हल्की सी चर्चा इस बात पर भी जरूरी है कि आखिर एनकाउंटर तक मामला पहुंचा क्यों.
तारीख- 24 फरवरी 2023
दिन – शुक्रवार
समय – शाम के सवा पांच बजे
स्थान – प्रयागराज का धूमनगंज इलाका, जोकि भूमाफियाओं का अड्डा कहलाता है. यहां एक क्रेटा कार आकर एक गली के सामने रुकती है. कार से उमेश पाल फोन पर बात करते हुए बाहर निकलते हैं. अभी उमेश के दोनों पांव जमीन पर होते कि उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई. उमेश उठे और फौरन अपने घर की गली की ओर भागे लेकिन हत्यारों ने गली में घर के अंदर तक पीछा किया और गोली मारने के साथ ही बम फेंके. हत्यारे बेखौफ होकर भाग निकले. कुछ ही देर में प्रयागराज से लखनऊ तक हत्याकांड की खबर फैल गई.
उमेश पाल चूंकी राजूपाल हत्याकांड के मुख्य गवाह थे. इसलिए शक की सुई सबसे पहले अतीक अहमद एंड कंपनी पर ही गई. लेकिन उमेश पाल के और भी दुश्मन थे, और अतीक, अशरफ के जेल में होने के चलते लोगों का शक फिफ्टी-फिफ्टी ही था. दो घंटे के बाद प्रयागराज पुलिस ने गली के पास का सीसीटीवी कैमरा फूटेज जारी किया, और बताया कि गोली चलाने वालों में अतीक का बेटा असद, उसका दोस्त गुलाम, अतीक एंड कंपनी का शूटर अरमान और गुड्डू मुस्लिम हैं.
इनके धरपकड़ के लिए जब पुलिस इनके घरों पर पहुंची तो सब भाग चुके थे. इनके घर के सदस्यों से पूछताछ की गई. हिरासत में लिया गया. फिर हर दिन जांच की सुई आगे बढ़ी. दो एनकाउंटर भी प्रयागराज पुलिस ने किए. सवाल उठे, लेकिन पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया. पुलिस और एसटीएफ अपनी जांच की कड़ी को आगे बढ़ाती गई. बमबाज गुड्डू मुस्लिम को मेरठ में पनाह देने वाले अतीक के बहनोई को उठाया गया.
दिल्ली में असद को पनाह देने वाले दोस्तों को उठाया गया. जांच और आगे बढ़ी. दिन आया 13 अप्रैल का, अतीक और अशरफ को इसी हत्याकांड में रिमांड पर लेने के लिए पुलिस अतीक व अशरफ को लेकर प्रयागराज के सीजीएम कोर्ट पहुंची थी, यहां पर सारी प्रक्रिया चल ही रही थी कि खबर आई कि यूपी एसटीएफ ने अतीक के बेटे और उसके शूटर दोस्त गुलाम को झांसी में मार गिराया है.
अतीक का बेटा असद, उमर और अली के बाद तीसरे नंबर का बेटा था. दो और बेटे हैं जो नाबालिग हैं और पुलिस ने परिवार के सभी सदस्यों के फरार होने के बाद बालग्रह में दाखिल कर रखा है. असद ने इसी साल 12वीं की परीक्षा पास की थी, बताया जाता है कि वह पढ़ने में तेज था. घर में अतीक और अशरफ दोनों का चहेता था. पढ़ाई की राह छोड़कर अपराध कि दुनिया में वह कई साल पहले कूद चुका था. लेकिन उमेशपाल के मर्डर ने उसे पांच लाख का अपराधी बना दिया था. उसने 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल को खुद मौके पर पहुंचकर गोली मारी थी.
अतीक अहमद को जैसे ही अपने बेटे असद के एनकाउंटर में ढेर होने की जानकारी मिली उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. कोर्ट परिसर में ही अतीक रोने लगता है, सिर पकड़कर जमीन पर बैठ जाता है, भाई अशरफ उसे संभालता नजर आता है. अब सवाल उठता है कि क्या अतीक का रोना उसके अपराध की दुनिया पर अंकुश लगा देगा. असद के मारे जाने के बाद अतीक ब्रांड का क्या होगा. इस एनकाउंटर के सियासी मायने क्या निकलेंगे और अतीक अहमद का भविष्य क्या होगा?
अतीक ब्रांड का क्या खात्मा होगा ?
सवाल उठता है कि क्या इस एनकाउंटर के बाद अतीक एंड कंपनी टूट जाएगी, खत्म हो जाएगी, डर जाएगी, अपराध की दुनिया से तौबा-तौबा कर लेगी... जवाब है कि अतीक एंड कंपनी को खूब अंदाजा था कि योगी सरकार में उमेश पाल की हत्या को अंजाम देने का अंजाम बेहद बुरा होगा. इस बात से वाकिफ होने के बाद भी इस अपराध को अंजाम देने का मतलब है कि अतीक एंड कंपनी अपनी दहशत को कायम रखना चाहती थी.
असद के सीसीटीवी में कैद होने के बाद योजना को विफल मान लिया गया. अतीक और अशरफ ने अपने एनकाउंटर किए जाने की बात कहकर दांव खेलने की कोशिश की. सत्ताधारी नेताओं से संपर्क साधा गया. हत्याकांड में लगे आरोप को सियासी बताने की कोशिश की गई, लेकिन योगी सरकार का फैसला अडिग था. मिट्टी में मिला देने के बयान का उद्देश्य साफ था. छह शूटरों में चार को एनकाउंटर में मार गिराया गया.
अतीक एंड कंपनी इस एनकाउंटर से दहली तो होगी, खूब कांपी भी होगी लेकिन अपराध कि दुनिया से अतीक एंड कंपनी तौबा-तौबा कर लेगी इसको लेकर कुछ भी ठीक ठाक नहीं कहा जा सकता है क्योंकि अतीक के गुर्गे उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी अपराधिक घटनाओं में लिप्त रहते हैं.
क्या होंगे इस एनकाउंटर के सियासी मायने ?
अतीक के बेटे का एनकाउंटर हो जाना सियासी दलों को भी एक अजीब कशमकश में डाल देगा. बसपा सुप्रीमो मायावती ने अतीक की पत्नी शाइस्ता को मेयर प्रत्याशी बनाया था. बसपा ने अभी भी शाइस्ता को पार्टी ने बाहर नहीं निकाला है. असद के एनकाउंटर के बाद मायावती ने ट्वीट कर इस एनकाउंटर के जांच की मांग की है. उधर अखिलेश यादव के सदन में उमेश पाल हत्याकांड में घेराव करने पर ही योगी आदित्यनाथ ने मिट्टी में मिला देने वाला बयान दिया था.
अतीक की बहन ने आरोप लगाया था कि अखिलेश यादव अतीक की हत्या कराना चाहते हैं इसीलिए उन्होंने भरे सदन में मुख्यमंत्री योगी को उकसाया था. अखिलेश यादव ने इस एनकाउंटर को लेकर ट्वीट किया है कि सरकार झूठे एनकाउंटर करके मुद्दों से भटका रही है. भाजपा न्यायालय पर विश्वास नहीं करती है. इस एनकाउंटर की जांच होनी चाहिए. सपा और बसपा के रुख के इतर कांग्रेस ने अबतक इस मामले पर चुप्पी साधे रखा है. अब बात भाजपा की करें तो भाजपा को इस एनकाउंटर का बड़ा फायदा हासिल होगा.
अपराध के प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टालरेंस की नीति, अपराधियों के घर पर बुल्डोजर की कार्रवाई और अपराधियों पर नकेल कसकर उनकी कमर को तोड़ देना. इसका फायदा नगर निकाय चुनाव और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव दोनों में हासिल होगा.
पाल और ओबीसी समाज का वोटबैंक क्या मारेगा पलटी
उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग का लगभग 52 प्रतिशत वोट है. पाल समाज का वोटबैंक लगभग दो फीसदी का है. ओबीसी वर्ग में पाल समाज और यादव बिरादरी आमतौर पर सपा का वोटबैंक माना जाता है. राजूपाल की पत्नी पूजा पाल सपा में पाल समाज के नेतृत्व का दावा करती हैं, हालांकि पाल समाज पूजा पाल से इतर होकर सपा का समर्थन करता है. अब ओबीसी और पाल वर्ग का भरोसा योगी आदित्यनाथ पर बढ़ा है.
इस एनकाउंटर ने साफ कर दिया है कि योगी सरकार अपराधियों के खिलाफ मुखर है. ऐसे में कानून के प्रति विश्वास और आस्था रखने वाले ओबीसी वर्ग का वोटबैंक भाजपा की ओर जरूर पलटी मार सकता है. सपा और बसपा के लिए यह एनकाउंटर ने उगलते बन रहा है और न ही निगलते बन रहा है.
कानूनी पहलू ?
बात एनकाउंटर के कानूनी पहलू पर करें तो एसटीएफ ने एऩकाउंटर को लेकर जो तर्क दिए हैं, वह पुराने एनकाउंटर जैसे ही हैं. हर एनकाउंटर की तरह इस एनकाउंटर की भी अपनी एक कहानी है जिसकी मजिस्ट्रियल जांच भी होगी. लेकिन अतीक एंड कंपनी पर जिस तरह से शिकंजा कसा जा रहा है उससे साफ है कि इस एनकाउंटर के खिलाफ कोई भी सामने बोलने के लिए नहीं आएगा, जिसके बाद इस एनकाउंटर को भी हर एनकाउंटर की तरह क्लीन चिट मिल जाएगी.
मुस्लिम समाज का क्या है रुख
इस एनकाउंटर को लेकर मुस्लिम समाज में भी कोई खास प्रतिक्रिया नहीं देखने को मिल रही है. मुस्लिम क्षेत्र में एनकाउंटर को लेकर चर्चा तो बहुत है लेकिन कोई खुले तौर पर अतीक के समर्थन में नहीं दिखाई दे रहा है. अतीक चूंकि मुस्लिम वर्ग का चहेता है और ठीक-ठाक छवि भी अपने धर्म में बनाए हुए है. लेकिन इसके उलट एक सच यह भी है कि अतीक ने मुस्लिम वर्ग पर भी कम जुल्म नहीं किए हैं. यही वजह है कि अतीक के कई करीबी रिश्तेदार भी आज उसके खुले दुश्मन हैं. मुस्लिम समाज में भी अतीक के बेटे के एनकाउंटर को लेकर संतोष का माहोल बना हुआ है.
क्या ये माफिया साम्राज्य का अंत है
उमेश पाल हत्याकांड के बाद से माफिया की कमर तोडऩे में सरकार ने जरा भी कोताही नहीं की है. जिस तरह अतीक एनकाउंटर के ठीक एक दिन पहले अतीक के सफेदपोश मददगारों पर ईडी ने शिकंजा कसा है उससे स्थिति साफ है अतीक की पूरी कंपनी को नेस्तनाबूद करने की योजना पर काम हो रहा है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.