आयुष्मान भारत योजना को पीएम मोदी ने 23 सितंबर को लॉन्च कर दिया है, लेकिन यह पूरे देश में लागू नहीं हुई है. 5 राज्य इस योजना को प्रदेश में लागू करने के खिलाफ हैं. दिल्ली, केरल, ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना सरकार ने अपने राज्य में इसे लागू नहीं करने का फैसला किया है. हर राज्य के अलग-अलग तर्क हैं. लेकिन इतनी बड़ी योजना का देश की राजधानी दिल्ली में ही लागू न होना सरकार के गले की फांस बन सकता है. सवाल ये उठता है कि 'प्रधानमंत्री जन आयोग्य योजना: आयुष्मान भारत (Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana-Ayushman Bharat)' से तो गरीबों को फायदा होने का दावा किया जा रहा है, तो फिर दिल्ली सरकार इसके खिलाफ क्यों है? क्या केजरीवाल को इस योजना में 'प्रधानमंत्री' लिखे जाने से दिक्कत है? या इसे 'मोदी केयर' के नाम से प्रचारित किए जाने पर उन्हें आपत्ति है? या उनके डरे हुए होने का कोई दूसरा कारण है?
क्यों डरे हुए हैं अरविंद केजरीवाल?
इस योजना में प्रधानमंत्री लिखे जाने से तो अरविंद केजरीवाल को बेशक दिक्कत है. वह तो कह भी चुके हैं कि इस योजना का नाम मुख्यमंत्री के नाम पर होना चाहिए. वहीं दूसरी ओर, उनके डर का सबसे बड़ा कारण है उनकी मोहल्ला क्लीनिक की योजना. जी हां, अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सरकार में आते ही बिजली, पानी और स्वास्थ्य के क्षेत्र में खूब काम किया. मोहल्ला क्लीनिक खोले. इन मोहल्ला क्लीनिक ने न केवल लोगों का दिल जीता, बल्कि दुनियाभर में इसकी खूब चर्चा हुई. खुद नीति आयोग भी इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह सका. लेकिन अगर आयुष्मान भारत दिल्ली में लागू हो जाएगा, तो मोहल्ला क्लीनिक की योजना पर पानी फिरने का डर है.
मोहल्ला क्लीनिक की सबने...
आयुष्मान भारत योजना को पीएम मोदी ने 23 सितंबर को लॉन्च कर दिया है, लेकिन यह पूरे देश में लागू नहीं हुई है. 5 राज्य इस योजना को प्रदेश में लागू करने के खिलाफ हैं. दिल्ली, केरल, ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना सरकार ने अपने राज्य में इसे लागू नहीं करने का फैसला किया है. हर राज्य के अलग-अलग तर्क हैं. लेकिन इतनी बड़ी योजना का देश की राजधानी दिल्ली में ही लागू न होना सरकार के गले की फांस बन सकता है. सवाल ये उठता है कि 'प्रधानमंत्री जन आयोग्य योजना: आयुष्मान भारत (Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana-Ayushman Bharat)' से तो गरीबों को फायदा होने का दावा किया जा रहा है, तो फिर दिल्ली सरकार इसके खिलाफ क्यों है? क्या केजरीवाल को इस योजना में 'प्रधानमंत्री' लिखे जाने से दिक्कत है? या इसे 'मोदी केयर' के नाम से प्रचारित किए जाने पर उन्हें आपत्ति है? या उनके डरे हुए होने का कोई दूसरा कारण है?
क्यों डरे हुए हैं अरविंद केजरीवाल?
इस योजना में प्रधानमंत्री लिखे जाने से तो अरविंद केजरीवाल को बेशक दिक्कत है. वह तो कह भी चुके हैं कि इस योजना का नाम मुख्यमंत्री के नाम पर होना चाहिए. वहीं दूसरी ओर, उनके डर का सबसे बड़ा कारण है उनकी मोहल्ला क्लीनिक की योजना. जी हां, अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सरकार में आते ही बिजली, पानी और स्वास्थ्य के क्षेत्र में खूब काम किया. मोहल्ला क्लीनिक खोले. इन मोहल्ला क्लीनिक ने न केवल लोगों का दिल जीता, बल्कि दुनियाभर में इसकी खूब चर्चा हुई. खुद नीति आयोग भी इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह सका. लेकिन अगर आयुष्मान भारत दिल्ली में लागू हो जाएगा, तो मोहल्ला क्लीनिक की योजना पर पानी फिरने का डर है.
मोहल्ला क्लीनिक की सबने की है तारीफ
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद पॉल ने कहा था कि मोहल्ला क्लीनिक मॉडल पर विचार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि मोहल्ला क्लीनिक में बहुत सारी अच्छी बाते हैं और इसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने यह भी माना था कि अभी भी मोहल्ला क्लीनिक में कुछ खामियां हैं, जिन्हें सुधारने की जरूरत है.
पिछले साल ही यूनाइटेड नेशन्स के पूर्व सेक्रेटरी जनरल Kofi Annan ने भी अरविंद केजरीवाल को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने मोहल्ला क्लीनिक की तारीफ की थी. उन्होंने मोहल्ला क्लीनिक के जरिए लोगों को मुफ्त प्राथमिक सेवाएं मुहैया कराने के लिए केजरीवाल की सराहना की थी और कहा था कि उनकी मोहल्ला क्लीनिक की योजना काफी सफल रही है.
यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के पूर्व डायरेक्टर जनरल और नॉर्वे के प्रधानमंत्री Gro Harlem Brundtland ने भी मोहल्ला क्लीनिक की तारीफ की थी. उन्होंने कहा था कि यह प्रोजेक्ट लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की एक एक शानदार रणनीति है.
योजना लागू ना करने के क्या तर्क दे रहे हैं केजरीवाल?
जहां एक ओर अरविंद केजरीवाल ने आयुष्मान भारत स्कीम को मोदी सरकार का एक और जुमला कहा है वहीं इसे एक और सफेद हाथी का भी नाम दे दिया है. इस योजना को लेकर अमित शाह और अरविंद केजरीवाल भी ट्विटर पर एक दूसरे से भिड़ रहे हैं. अमित शाह कह रहे हैं कि इस योजना के लाभ से दिल्ली वासियों को वंचित रखना आम आदमी पार्टी की छोटी सोच को दिखाता है.
अरविंद केजरीवाल ने इस योजना पर कुछ सवाल उठाए हैं. उन्होंने ट्विटर पर दो पन्नों का स्पष्टीकरण जारी करते हुए यह बताया है कि उन्होंने दिल्ली में यह स्कीम लागू क्यों नहीं की. उनके अनुसार इस योजना में प्राथमिक स्वास्थ्य पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है, जबकि मोहल्ला क्लीनिक के जरिए प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं दे जाती हैं. साथ ही उन्होंने कहा है कि आयुष्मान भारत दिल्ली के सिर्फ 6 लाख परिवारों को कवर देगी, जबकि दिल्ली में 50 लाख परिवार हैं. उनका कहना है कि इस योजना के तहत सिर्फ भर्ती होने वाले मरीजों को ही फायदा मिलेगा.
अन्य चार राज्य इसलिए नहीं जुड़ रहे आयुष्मान भारत से
- ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि उनकी सरकार की बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना की अपेक्षा ज्यादा लोगों की मदद करती है. उनकी योजना में महिलाओं को सात लाख रुपए तक का बीमा मिलता है, जबकि केंद्र की योजना पांच लाख रुपए दे रही है.
- केरल ने भी आयुष्मान भारत योजना की आलोचना की है. इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में केरल के गृह मंत्री थॉमस इसाक ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 30,000 रुपये मिलते हैं जिसके लिए सालाना 1,250 रुपये देने होते हैं. आयुष्मान भारत में 1,110 रुपये के सालाना प्रीमियम में पांच लाख रुपये का हेल्थ कवर मिलेगा. क्या इतने कम प्रीमियम पर यह लाभ देना संभव है?’
- तेलंगाना ने अपनी आरोग्यश्री योजना की वजह से केंद्र की योजना को खारिज कर दिया है. आरोग्यश्री योजना के तहत तेलंगाना के 70 प्रतिशत नागरिकों को हेल्थ कवर मिलता है, जबकि आयुष्मान भारत से केवल राज्य 80 लाख लोग लाभान्वित होते.
- पंजाब सरकार कहना है कि आयुष्मान भारत योजना का लाभ राज्य के बहुत ही कम लोगों को मिल रहा है इसलिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की इस योजना को लागू करने से मना कर दिया है.
आखिर क्यों ना डरें केजरीवाल?
अब आप ही सोचिए, अगर मोदी सरकार के आयुष्मान भारत से मोहल्ला क्लीनिक पर खतरा मंडराने लगेगा, तो कैसे वह इसे लागू करेंगे? ये बात बिल्कुल सही है कि इस योजना से मोदी सरकार को 2019 के लोकसभा चुनावों में फायदा होना तय है, लेकिन ये भी समझने की जरूरत है कि अगर दिल्ली में यह योजना लागू होती है, इससे केजरीवाल सरकार को नुकसान पहुंच सकता है. पहले लोकसभा चुनाव और दिल्ली के विधानसभा चुनाव, ये योजना केजरीवाल की मोहल्ला क्लीनिक को हाइजैक कर सकती है और साथ ही स्वास्थ्य के लिए केजरीवाल की कोशिशों का उन्हें कोई राजनीतिक फायदा भी नहीं होगा.
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