आजम खान कितना गिर सकते हैं वो उन्होंने जया प्रदा पर शर्मनाक बयान देकर हर किसी को समझा दिया था. हालांकि समाजवादी पार्टी को सपोर्ट करने वालों को ये आज भी नहीं लगता कि वो बातों उन्होंने जया प्रदा के लिए बोली थीं.
चुनाव आयोग ने बेहूदा टिप्पणी करने के लिए 72 घंटों के लिए उनकी बोलती बंद कर दी थी और राष्ट्रीय महिला आयोग की तरफ से उन्हें नोटिस भी भेज दिया गया था और जया प्रदा के लिए आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल करने के लिए उनपर केस भी दर्ज हुआ.
सुनिए क्या कहा था आजम खान ने जया प्रदा के लिए-
हालांकि आजम खान के लिए केस दर्ज होना कोई नई बात नहीं है. 13 दिन में 9 केस हुए दर्ज हो चुके हैं आजम खान पर. और इनमें से 5 सिर्फ गलत बयानबाजी करने के लिए ही दर्ज हैं. इसलिए आपत्तिजनक बोलना तो उनका व्यवहार ही है.
कहते हैं कि बच्चे अपने बड़ों से ही सीखते हैं. माता पिता के कुछ गुण बच्चों में भी आ जाते हैं. और जो रह जाते हैं वो बच्चे उनके साथ रहते हुए सीख लेते हैं. तो महिलाओं का अपमान करने का गुण आजम खान के बेटे ने भी उनसे सीख लिया है. बाप के नक्शेकदम पर बेटा न चले तो वो कैसा बेटा ! रामपुर में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन एक रैली में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने कहा कि- 'हमें अली और बजरंगबली की जरूरत है, न कि अनारकली की.'
हां इसपर भी आपत्ति दर्ज होगी तो अब्दुल्ला यही कहेंगे कि उन्होंने ये जया प्रदा के लिए नहीं कहा. क्योंकि अपने पिता की ही तरह उन्होंने भी जया प्रदा का नाम नहीं लिया. लेकिन ये तो कोई बेवकूफ भी बता सकता है कि ये...
आजम खान कितना गिर सकते हैं वो उन्होंने जया प्रदा पर शर्मनाक बयान देकर हर किसी को समझा दिया था. हालांकि समाजवादी पार्टी को सपोर्ट करने वालों को ये आज भी नहीं लगता कि वो बातों उन्होंने जया प्रदा के लिए बोली थीं.
चुनाव आयोग ने बेहूदा टिप्पणी करने के लिए 72 घंटों के लिए उनकी बोलती बंद कर दी थी और राष्ट्रीय महिला आयोग की तरफ से उन्हें नोटिस भी भेज दिया गया था और जया प्रदा के लिए आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल करने के लिए उनपर केस भी दर्ज हुआ.
सुनिए क्या कहा था आजम खान ने जया प्रदा के लिए-
हालांकि आजम खान के लिए केस दर्ज होना कोई नई बात नहीं है. 13 दिन में 9 केस हुए दर्ज हो चुके हैं आजम खान पर. और इनमें से 5 सिर्फ गलत बयानबाजी करने के लिए ही दर्ज हैं. इसलिए आपत्तिजनक बोलना तो उनका व्यवहार ही है.
कहते हैं कि बच्चे अपने बड़ों से ही सीखते हैं. माता पिता के कुछ गुण बच्चों में भी आ जाते हैं. और जो रह जाते हैं वो बच्चे उनके साथ रहते हुए सीख लेते हैं. तो महिलाओं का अपमान करने का गुण आजम खान के बेटे ने भी उनसे सीख लिया है. बाप के नक्शेकदम पर बेटा न चले तो वो कैसा बेटा ! रामपुर में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन एक रैली में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने कहा कि- 'हमें अली और बजरंगबली की जरूरत है, न कि अनारकली की.'
हां इसपर भी आपत्ति दर्ज होगी तो अब्दुल्ला यही कहेंगे कि उन्होंने ये जया प्रदा के लिए नहीं कहा. क्योंकि अपने पिता की ही तरह उन्होंने भी जया प्रदा का नाम नहीं लिया. लेकिन ये तो कोई बेवकूफ भी बता सकता है कि ये उपनाम किसके लिए हैं. जया प्रदा के बॉलिवुड से जुड़े होने की वजह से आजम खान ने उनके लिए ऐसी ओछी बातें ही कही हैं. आजम खान अगर उन्हें नाचने-गानेवाली बुला सकते हैं तो अबदुल्ला अनारकली क्यों नहीं ! और हां इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अब्दुल्ला पढ़े-लिखे हैं और इंजीनियर हैं.
हम सब जानते हैं कि जयाप्रदा एक नेता हैं लेकिन यहां पहले उन्हें एक महिला समझना चाहिए. और जब पिता और पुत्र दोनों एक महिला का अपमान करने पर तुले हों तो उस महिला से जरा से गुस्से की भी उम्मीद नहीं की जा सकती. जया प्रदा अपमान के घूंट पी रही हैं उसके बाद जया प्रदा ने एक रैली में मायावती को ये हिदायत दे डाली- 'आजम खान ने मेरे खिलाफ जो टिप्पणी की है, उसे देखते हुए मायावती जी आपको सोचना चाहिए. उनकी एक्स-रे जैसी आंखें आपके ऊपर भी कहां-कहां डाल कर देखेंगी.' गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा का गठबंधन है. और मायावती रैलियों में लोगों से कह रही हैं कि 'गुमराह मत होना, आजम को जिताना.'
जया प्रदा ने अपना गुस्सा मायावती के सामने इस तरह से रखा. मायावती वरिष्ठ हैं, और एक महिला भी हैं और वो भली भांति समझती भी हैं कि राजनीति में महिलाओं के साथ किस तरह की अभद्रता की जाती है. लेकिन जया प्रदा के इस रिएक्शन पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई की है. जयाप्रदा के बयान को लेकर चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ गैर-संज्ञेय अपराध के तहत केस दर्ज किया है. जाहिर है जया प्रदा ने ये बयान उनके साथ हुई बदतमीजी के मद्देनजर दिया, जो स्वाभाविक भी था और उस बयान से तो ज्यादा मर्यादा में थी जो आजम खान ने जयाप्रदा के लिए दिया था. लेकिन तब भी जया पर केस दर्ज किया गया है, जो हैरान करने वाली बात है.
लेकिन चुनाव में न कोई महिला होता है और न शिष्टाचार. होता है तो बस एक उम्मीदवार और मायने रखती है तो सिर्फ जीत. जिसे पाने के लिए सामने वाले पर कीचड़ उछालना, अपशब्द कहना बहुत नॉर्मल है. हैरानी होती है कि महिलाओं के लिए अश्लील टिप्पणी करने वाले लोग जब लोगों के सामने दो आंसू बहा देते हैं तो लोग उनके लिए कहते हैं कि 'आजम तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं.' और जब एक महिला अपने साथ हुए अन्याय पर आवाज उठाती है तो उसे अनारकली जैसे शब्दों से बुलाया जाता है.
सुनिए, आंसू बहाकर आजम खान ने कैसे लोगों के दिलों में बसे गुस्से को बहा दिया-
जाहिर है कि चुनाव आयोग अब्दुल्ला के खिलाफ भी कार्रवाई करेगा. लेकिन अब वो वक्त आ गया है कि चुनावी मैदान में खड़े प्रत्याशियों को मर्यादा का भी पाठ पढ़ाया जाए. चुनाव आयोग को जरूरत है कि वो आचार संहिता को थोड़ा मजबूत करे और इसके खिलाफ जाने वालों पर कठोर कार्वाई का प्रावधान हो. नहीं तो ये संहिता सिर्फ कागज के पन्ने तक ही सीमित रह जाएगी और रोज आजम खान और अब्दुल्ला जैसे लोग इसकी गरिमा को तार-तार करते रहेंगे.
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