भाजपा और भोजपुरी सुपरस्टार निरहुआ की जुगलबंदी रंग लाई और पार्टी ने आजमगढ़ में वो कर दिखाया जो लगभग असंभव था. जिस तरह आजमगढ़ के किले को भाजपा ने भेदा है, ये इसलिए भी बड़ी बात है क्योंकि आजमगढ़ का शुमार देश की उन चुनिंदा लोकसभा सीटों में है जहां किसी ज़माने में समाजवादी पार्टी की तूती बोलती थी. कैसे निरहुआ असंभव को संभव बनाने में कामयाब हुए? इसपर चर्चा के कई बिंदू और पक्ष हो सकते हैं. लेकिन अगर आजमगढ़ भाजपा की झोली में आया है तो इसकी एक बड़ी वजह बसपा उम्मीदवार गुड्डू जमाली तो हैं ही लेकिन यहां आम्रपाली दुबे को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ज्ञात हो कि आजमगढ़ में बसपा के गुड्डू जमाली न केवल समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव के लिए वोट कटवा साबित हुए बल्कि जिन्होंने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के पॉलिटिकल करियर को संशय के घेरे में डाल दिया. अब जबकि दिनेश लाल यादव निरहुआ आजमगढ़ से इतिहास रचने में कामयाब हुए हैं तो उससे जुडी हर उस चीज की चर्चा हो रही है जिसने उनकी जीत में उत्प्रेरक की भूमिका अदा की. क्योंकि बात निरहुआ की हुई है और आजमगढ़ जीतने की हुई है तो उनकी इस जीत में आम्रपाली दुबे की भूमिका को भी किसी भी सूरत में ख़ारिज नहीं किया जा सकता है.
जिस वक़्त निरहुआ आजमगढ़ में अपना चुनाव प्रचार कर रहे थे, उस वक़्त ये आम्रपाली दुबे ही थीं जो साए की तरह उनके साथ थीं. निरहुआ के मामले में दिलचस्प ये रहा कि जीत के बाद निरहुआ अपनी दोस्ती का कर्ज उतारना नहीं भूले. समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव को लोकसभा उप चुनावों में करारी शिकस्त देने के बाद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है. मुख्यमंत्री से निरहुआ...
भाजपा और भोजपुरी सुपरस्टार निरहुआ की जुगलबंदी रंग लाई और पार्टी ने आजमगढ़ में वो कर दिखाया जो लगभग असंभव था. जिस तरह आजमगढ़ के किले को भाजपा ने भेदा है, ये इसलिए भी बड़ी बात है क्योंकि आजमगढ़ का शुमार देश की उन चुनिंदा लोकसभा सीटों में है जहां किसी ज़माने में समाजवादी पार्टी की तूती बोलती थी. कैसे निरहुआ असंभव को संभव बनाने में कामयाब हुए? इसपर चर्चा के कई बिंदू और पक्ष हो सकते हैं. लेकिन अगर आजमगढ़ भाजपा की झोली में आया है तो इसकी एक बड़ी वजह बसपा उम्मीदवार गुड्डू जमाली तो हैं ही लेकिन यहां आम्रपाली दुबे को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. ज्ञात हो कि आजमगढ़ में बसपा के गुड्डू जमाली न केवल समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव के लिए वोट कटवा साबित हुए बल्कि जिन्होंने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के पॉलिटिकल करियर को संशय के घेरे में डाल दिया. अब जबकि दिनेश लाल यादव निरहुआ आजमगढ़ से इतिहास रचने में कामयाब हुए हैं तो उससे जुडी हर उस चीज की चर्चा हो रही है जिसने उनकी जीत में उत्प्रेरक की भूमिका अदा की. क्योंकि बात निरहुआ की हुई है और आजमगढ़ जीतने की हुई है तो उनकी इस जीत में आम्रपाली दुबे की भूमिका को भी किसी भी सूरत में ख़ारिज नहीं किया जा सकता है.
जिस वक़्त निरहुआ आजमगढ़ में अपना चुनाव प्रचार कर रहे थे, उस वक़्त ये आम्रपाली दुबे ही थीं जो साए की तरह उनके साथ थीं. निरहुआ के मामले में दिलचस्प ये रहा कि जीत के बाद निरहुआ अपनी दोस्ती का कर्ज उतारना नहीं भूले. समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव को लोकसभा उप चुनावों में करारी शिकस्त देने के बाद दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है. मुख्यमंत्री से निरहुआ अकेले नहीं मिले इस दौरान भी उनका साथ आम्रपाली दुबे ने दिया.
बीते कई दिनों से लेकर अबतक जैसी ट्यूनिंग निरहुआ और आम्रपाली दुबे की दिख रही है कहना गलत नहीं है कि अब अगर भविष्य में अगर आम्रपाली भोजपुरी सिनेमा को अलविदा कहती हैं या किन्हीं कारणों के चलते इंडस्ट्री के दरवाजे उनके लिए बंद हुए तो भी उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. राजनीति के दरवाजे उनके लिए न केवल खुले हैं बल्कि उनका भरपूर स्वागत होगा और वो कामयाब होंगी इसकी पूरी गारंटी है.
बताते चलें कि इतिहास रचने के बाद लखनऊ पहुंचे दिनेश लाल यादव निरहुआ ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भगवा शॉल गिफ्ट की है वहीं मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची आम्रपाली दुबे ने भी यूपी के मुखिया को भगवन श्री राम की प्रतिमा बतौर उपहार दी है. जिक्र क्योंकि निरहुआ और आम्रपाली दुबे का हुआ है तो हमारे लिए ये बता देना जरूरी है कि भोजपुरी इंडस्ट्री में इस जोड़ी का वही ऑरा है जो बॉलीवुड में किसी ज़माने में शाहरुख़ और काजोल की जोड़ी या फिर हालिया दिनों में आलिया रणबीर की जोड़ी का है.
इस बात में कोई शक नहीं है कि आम्रपाली दुबे और निरहुआ की जोड़ी भोजपुरी सिनेमा की ब्लॉकबस्टर जोड़ी है. ऑनस्क्रीन तो दोनों की केमिस्ट्री कमाल की है ही, ऑफस्क्रीन कैसे दोनों के बीच बेहतरीन बॉन्डिंग है? इसका अंदाजा हमें उस वक़्त मिल गया जब हमने आज़मगढ़ के चुनाव में अपना सब कुछ छोड़ कर आम्रपाली दुबे को निरहुआ का चुनाव प्रचार करते देखा.
क्योंकि भोजपुरी बेल्ट होने के कारण आजमगढ़ का शुमार उन चुनिंदा जगहों में है जहां भोजपुरी सिनेमा गहरी पैठ रखता है. इसलिए माना ये भी जा रहा है कि जो वोट निरहुआ को मिले उनमें ऐसे भी तमाम लोगों ने निरहुआ के पक्ष में वोट किया जिनके लिए भोजपुरी सिनेमा का मतलब आम्रपाली दुबे है.
भले ही समाजवादी पार्टी और बसपा के प्रत्याशी के मुकाबले आजमगढ़ में निरहुआ कहीं अधिक सक्रिय रहे हों लेकिन अगर वो जीते हैं तो इस जीत में आम्रपाली दुबे की भी एक बड़ी भूमिका है. सवाल ये है कि क्या आम्रपाली ने जो कुछ भी निरहुआ के लिए किया वो सिर्फ दोस्ती और अच्छे संबंधों के नाम पर किया? जवाब कई हो सकते हैं लेकिन जो पहली बात हमारे दिमाग में आती है वो ये कि अब भोजपुरी इंडस्ट्री में आम्रपाली दुबे पुरानी हो गयी हैं ऐसे में यदि वो राजनीती को बतौर विकल्प देख रही हैं तो उसमें कोई बुराई नहीं है.
बहरहाल बात क्योंकि निरहुआ के जरिये यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने की हुई है तो हम इतना जरूर कहेंगे कि यदि आम्रपाली निरहुआ की बदौलत मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में आ गयीं तो जैसा उनका ट्रैक रिकॉर्ड रहा है यहां भी उनका सुपरहिट होना कन्फर्म है.
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