योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के 2017 में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद से ही यूपी पुलिस (P Police) सवालों के घेरे में रही है - खासकर अपने एनकाउंटर के तौर तरीके को लेकर. खास बात ये है कि एनकाउंटर के मामले में हमेशा ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पुलिस की पीठ ठोकते रहे हैं.
हाल ही में जब योगी आदित्यनाथ से 'गाड़ी पलटने' वाले वाकये से जोड़ते हुए एक सवाल पूछा गया था, तो भी उनका जवाब उसी अंदाज में मिला, 'गाड़ी तो कभी भी पलट सकती है... कभी भी पलट कती है... गाड़ी का क्या है!'
दरअसल, गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद गाड़ी पलटने की बात जुमले का रूप ले चुकी है - और यूपी पुलिस को लेकर बोलचाल में गाड़ी पलटने को लोग एनकाउंटर ही समझते है. मुद्दे की बात ये रही कि योगी आदित्यनाथ ने यूपी पुलिस के एनकाउंटर को अपने कार्यकाल के आखिर तक कायम रहने का संकेत दिया है, लेकिन लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर यूपी पुलिस के कामकाज पर काफी सवाल उठाये गये हैं - और आगरा में एक सफाईकर्मी की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जोर शोर से उठाया ही है.
और तो और सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि विपक्षी नेताओं की कौन कहे, अब तो यूपी में सत्ताधारी बीजेपी की ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य (Baby Rani Maurya) ने ही यूपी पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया है - और ये तो सीधे सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शासन व्यवस्था पर ही सवालिया निशान लगा रहा है जो कुछ ही महीनों में बीजेपी की सत्ता में वापसी के लिए विधानसभा चुनाव फेस करने जा रहे हैं.
बेबी रानी मौर्य ने तो यूपी की महिलाओं और लड़कियों को साफ तौर पर चेतावनी दे डाली है कि वे शाम 5 बजे के बाद तो कतई थाने न जायें - मतलब तो यही हुआ कि सड़क पर मौजूद जिस खतरे के खिलाफ शिकायत लेकर महलाएं थाने जाएंगी वे भी उनके लिए सुरक्षित नहीं हैं.
ऐसे में जबकि विपक्ष उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की हालत पर पहले से ही सवाल उठा रहा है, बीजेपी नेता का ये...
योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के 2017 में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद से ही यूपी पुलिस (P Police) सवालों के घेरे में रही है - खासकर अपने एनकाउंटर के तौर तरीके को लेकर. खास बात ये है कि एनकाउंटर के मामले में हमेशा ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पुलिस की पीठ ठोकते रहे हैं.
हाल ही में जब योगी आदित्यनाथ से 'गाड़ी पलटने' वाले वाकये से जोड़ते हुए एक सवाल पूछा गया था, तो भी उनका जवाब उसी अंदाज में मिला, 'गाड़ी तो कभी भी पलट सकती है... कभी भी पलट कती है... गाड़ी का क्या है!'
दरअसल, गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद गाड़ी पलटने की बात जुमले का रूप ले चुकी है - और यूपी पुलिस को लेकर बोलचाल में गाड़ी पलटने को लोग एनकाउंटर ही समझते है. मुद्दे की बात ये रही कि योगी आदित्यनाथ ने यूपी पुलिस के एनकाउंटर को अपने कार्यकाल के आखिर तक कायम रहने का संकेत दिया है, लेकिन लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर यूपी पुलिस के कामकाज पर काफी सवाल उठाये गये हैं - और आगरा में एक सफाईकर्मी की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जोर शोर से उठाया ही है.
और तो और सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि विपक्षी नेताओं की कौन कहे, अब तो यूपी में सत्ताधारी बीजेपी की ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य (Baby Rani Maurya) ने ही यूपी पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया है - और ये तो सीधे सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शासन व्यवस्था पर ही सवालिया निशान लगा रहा है जो कुछ ही महीनों में बीजेपी की सत्ता में वापसी के लिए विधानसभा चुनाव फेस करने जा रहे हैं.
बेबी रानी मौर्य ने तो यूपी की महिलाओं और लड़कियों को साफ तौर पर चेतावनी दे डाली है कि वे शाम 5 बजे के बाद तो कतई थाने न जायें - मतलब तो यही हुआ कि सड़क पर मौजूद जिस खतरे के खिलाफ शिकायत लेकर महलाएं थाने जाएंगी वे भी उनके लिए सुरक्षित नहीं हैं.
ऐसे में जबकि विपक्ष उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की हालत पर पहले से ही सवाल उठा रहा है, बीजेपी नेता का ये बयान तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही निशाने पर ला देता है. आखिर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी तो महिलाओं के साथ हो रही नाइंसाफी के इल्जाम के साथ ही आवाज उठा रही हैं.
अब तो ये समझना भी मुश्किल हो रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जिस उत्तर प्रदेश को कानून और व्यवस्था के मामले में देश में बेस्ट बता चुके हों - आखिर बेबी रानी मौर्य उसी उत्तर प्रदेश की पुलिस को महिलाओं के लिए क्यों खतरनाक बता रही हैं? ये अचानक बेबी रानी मौर्य में पंजाब कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू का अक्स क्यों नजर आने लगा है?
पुलिस तो बहाना है, निशाने पर तो योगी हैं!
बेबी रानी मौर्या बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाये जाने से पहले उत्तराखंड की राज्यपाल हुआ करती थीं - और बीजेपी नेतृत्व ने राजभवन से उठाकर सीधे उनको उत्तर प्रदेश के चुनावी मोर्चे पर लगा दिया - अव्वल तो वो बीएसपी नेता मायावती को काउंटर करने के लिए फील्ड में उतरी हैं, लेकिन उनके ताजा बयान के बाद तो 'कहीं पे निगाहें और कहीं पे निशाने' जैसी स्थिति दिखायी पड़ रही है.
22 अक्टूबर को देर शाम बेबी रानी मौर्य बीजेपी की तरफ से आयोजित वाल्मीकि महोत्सव कार्यक्रम में महिलाओं को संबोधित कर रही थीं. ये कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बजरडीहा की मलिन बस्ती में हो रहा था.
बीजेपी नेता बेबी रानी मौर्य का कहना रहा - “थानों में एक महिला अधिकारी और सब-इंस्पेक्टर जरूर बैठती हैं, लेकिन एक बात मैं जरूर कहूंगी कि शाम 5 बजे अंधेरा होने के बाद थाने कभी मत जाना... अगर जरूरी हो तो अगले दिन सुबह जाना - और अपने साथ भाई, पति या पिता को लेकर ही थाने जाना.”
वाल्मीकि जयंती के दिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी आगरा गयी थीं, सफाईकर्मी रहे अरुण वाल्मीकि के परिवार से मिलने. अरुण वाल्मीकि की हाल ही में पुलिस हिरासत में मौत हो गयी थी. अरुण वाल्मीकि केस में संबंधित थाने के प्रभारी और एक सब इंसपेक्टर सहित छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.
बताते हैं कि मामले की जांच के दौरान आगरा पुलिस ने अरुण के साथ 20 लोगों से हिरासत में लेकर पूछताछ की थी. अरुण के ससुर के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है, रात को करीब 12 बजे लगभग डेढ़ दर्जन पुलिसवाले उनके घर पहुंचे और अरुण की पत्नी सोनम सहित घर के कई लोगों को उठा ले गये. पुलिस ने थाने ले जाकर सबकी खूब पिटायी की थी जिसमें अरुण की तो मौत ही हो गयी.
बेबी रानी मौर्य आगरा से ही आती हैं और शहर की मेयर भी रह चुकी हैं - क्या अरुण वाल्मीकि केस में आगरा पुलिस की भूमिका से बेबी रानी मौर्य भी गुस्से में हैं? क्या बेबी रानी मौर्य आगरा की घटना को ही केस स्टडी के तौर पर लेते हुए यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर इतना बड़ा सवाल उठाया है? रिपोर्ट के मुताबिक, अरुण वाल्मीकि करीब 8 साल से आगरा के जगदीशपुर थाने में सफाई का काम करते थे - और थाने के पुलिसकर्मियों ने अरुण पर मालखाने से दो पिस्टल और 25 लाख रुपये चोरी करने का आरोप लगाया था.
एक अन्य मामले का जिक्र करते हुए बेबी रानी मौर्य ने आरोप लगाया कि निचले स्तर पर अधिकारी बदमाशी कर रहे हैं - और सलाह दी कि ऐसी चीजों की लोग सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत करें.
अफसरों की मनमानी के बहाने कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान भी योगी आदित्यनाथ एक बीजेपी सांसद और कई नेताओं-विधायकों के निशाने पर रहे. योगी सरकार के ही मंत्री ब्रजेश पाठक ने तो कई मामलों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री को लंबा चौड़ा पत्र भी लिखा था. ये ठीक है कि अफसरों के लोगों की बातें अनसुना करे के आरोप लगाये गये थे, लेकिन असल बात तो यही रही कि टारगेट तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही किया जा रहा था. योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक विरोधियों की तरह ही उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े किये जा रहे थे.
प्रसंग के आधार पर कुछ बीती कड़ियों को जोड़ने पर बेबी रानी मौर्य की बातों से एक बार फिर पुरानी ही कहानी समझ में आती है. कोरोना संकट के दौरान जब हालात बेकाबू होने लगे थे तो दिल्ली से पूर्व नौकरशाह अरविंद शर्मा को मोर्चे पर तैनात किया गया. पीएमओ के संपर्क में रहते हुए अरविंद शर्मा ने कोरोना पर काबू पाने वाला वाराणसी मॉडल पेश किया - और ये ऐसा काम था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तारीफ करते नहीं थकते थे, लेकिन जब उनको मंत्री बनाने की बात आयी तो योगी आदित्यनाथ जिद पर अड़ गये और अरविंद शर्मा को संगठन में सेट करना पड़ा. बीजेपी के अंदर भी योगी आदित्यनाथ के स्टैंड को प्रधानमंत्री मोदी की अवहेलना के रूप में देखा गया.
ऐसा क्यों लगने लगा है कि बेबी रानी मौर्य भी योगी आदित्यनाथ के लिए नये अरविंद शर्मा की भूमिका में प्रकट हो गयी हैं - अगर वास्तव में ऐसा है तो ये निश्चित तौर पर ये तो योगी आदित्यनाथ के लिए नया ही और काफी बड़ा चैलेंज है.
योगी के सामने ये नया चैलेंज नहीं तो क्या है?
बीजेपी नेता बेबी रानी मौर्य ने वाराणसी में हो रहे विकास की चर्चा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की. फास्ट ट्रैक कोर्ट की सुविधा का भी बखान किया, लेकिन उनकी बातों से तो यही लगता है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर योगी आदित्यनाथ के मिशन शक्ति पर ही सवाल खड़े कर रही हैं - और थानों में महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी न होने की तरफ इशारा कर रही हैं.
मिशन शक्ति प्रोग्राम के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी सरकार के अफसरों को साफ तौर पर हिदायत दे रखी है कि महिलाओं से जुड़े अपराधों को बेहद गंभीरता से लेने की जरूरत है. मिशन शक्ति के तीसरे चरण के दौरान योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं और लड़कियों से जुड़ी आपराधिक घटनाओं को संवेदशीलता के साथ लिया जाना चाहिये - और ऐसे मामले सामने आने पर तत्काल संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई भी होनी चाहिये.
बेबी रानी मौर्य की बातों से तो लगता है कि योगी आदित्यनाथ का मिशन शक्ति प्रोग्राम बस हवा हवाई है या फिर कागजों और मौखिक आदेशों तक सिमट कर रह गया है - वरना, बेबी रानी मौर्य को अपनी ही सरकार के खिलाफ ऐसा बयान देने की भला क्या जरूरत आ पड़ी?
यूपी पुलिस को लेकर बेबी रानी मौर्या के बयान में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू स्टाइल पॉलिटिक्स के कई तत्व नजर आ रहे हैं - जैसे सिद्धू, कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री रहते टारगेट करते रहे या अब भी चरणजीत सिंह चन्नी को लेकर कटाक्ष करने लगे हैं - बेबी रानी मौर्य के बयान का भी राजनीतिक मतलब तो वैसा ही निकल रहा है.
यूपी चुनाव में विपक्षी खेमे में घुसपैठ कर हाथ पांव मार रही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के नेता और राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने बेबी रानी मौर्य के बयान पर एक अखबार की कटिंग के साथ ट्विटर पर सिर्फ दो शब्द लिखा है - "बेटी बचाओ."
बीजेपी की तरह से इशारा तो यही किया जाता रहा है कि बेबी रानी मौर्य को बीएसपी नेता मायावती की काट में मैदान में उतारा गया है - क्योंकि वो भी मायावती के ही दलितों में जाटव कैटेगरी से ही आती हैं. कयास तो पहले भी लगाये जा रहे थे, लेकिन अब तो तस्वीर ज्यादा ही साफ लग रही है जैसे वो मायावती के खिलाफ नहीं बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ही चुनावी मैदान में उतारी गयी हों.
बीजेपी की तरफ से दलित बहुल आबादी वाले इलाकों में बेबी रानी मौर्य की रैली के कार्यक्रम बनाये जा रहे है, जहां वो मायावती के दलितों से, खासकर जाटवों से छल किये जाने के किस्से सुनाने वाली हैं. पहले बीजेपी गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव दलित पर फोकस करती रही, लेकिन अब तो सीधे सीधे मायावती की जड़ खोदने की ही तैयारी चल रही है.
बेबी रानी मौर्य खुद भी मौका मिलते ही बताना शुरू कर देती हैं, ‘मैं इस जाति में पैदा हुई थी... मेरा परिवार चमड़े और जूते का काम करता था और अब भी करता है... करीब तीन दशक से मैं जाटव के रूप में भाजपा के साथ हूं.’
बेबी रानी मौर्य का यूपी पुलिस को लेकर दिया गया बयान तब तो और भी खतरनाक लगता है जब कांग्रेस 40 फीसदी महिला उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी हो - और छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी दिये जाने के चुनावी वादे हो रहे हैं.
भला लोग क्या समझेंगे जब प्रियंका गांधी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए उनसे न्याय की लड़ाई के लिए अपना कंधा ऑफर कर रही हों - और ऐन उसी वक्त बेबी रानी मौर्य महिलाओं को यूपी पुलिस से खतरे को लेकर आगाह कर रही हों - बाराबंकी में महिलाओं को अपने हाथों से साग और रोटी खिला कर कांग्रेस की प्रतिज्ञा यात्रा शुरू करते हुए कह रही हों और कह रही हों कि जिस तरह से महिलाओं ने माइक थामा है, उसी तरह सत्ता भी थामेंगी!
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