14 अप्रैल 2020. वो तारीख जब 21 दिन का लॉकडाउन (Lockdown) पूरा हुआ और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आने वाले 3 मई तक दोबारा लॉक डाउन की घोषणा कर दी. संबोधन में जिस लहजे में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बात की कोरोना वायरस (Coronavirus) और उसके खतरों को लेकर फिक्र उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी. संबोधन के दौरान देश के प्रधानमंत्री ने तमाम तरह की बातें की लेकिन जिस चीज पर उन्होंने फिर एक बार सबसे ज्यादा बल दिया वो था अनुशासन और सोशल डिस्टेंसिंग. पीएम का राष्ट्र के नाम संबोधन एक तरफ है और झूठी खबर के कारण मुंबई (Mumbai) के बांद्रा स्टेशन (Bandra Station) पर जमा हुई भीड़ एक तरफ़ हैं. बता दें कि देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा से पहले ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा कर चुके थे, लेकिन बावजूद इसके मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) की भारी भीड़ इकट्ठा हुई. मुश्किल वक़्त में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते लोगों को काबू करने के लिए प्रशासन को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा तब जाकर स्थिति नियंत्रित हुई.
अफवाह: मामले की जड़ एक अफवाह बताई जा रही है जिसमें कहा गया था कि बांद्रा स्टेशन से लंबी दूरी की ट्रेन मिल रही हैं. वहीं एक अफवाह ये भी उड़ी थी कि यहां लोगों को राशन बांटा जा रहा है जिसने हालात और बेकाबू कर दिये. बात दें कि भीड़ का हिस्सा बने अधिकांश लोग वो प्रवासी मजदूर हैं जो खाने कमाने के लिए मुंबई रह रहे हैं और फिलहाल उन्हें कंटेन्मेंट ज़ोन में रखा गया है. मामले में दिलचस्प बात ये है कि अपने अपने घर...
14 अप्रैल 2020. वो तारीख जब 21 दिन का लॉकडाउन (Lockdown) पूरा हुआ और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आने वाले 3 मई तक दोबारा लॉक डाउन की घोषणा कर दी. संबोधन में जिस लहजे में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बात की कोरोना वायरस (Coronavirus) और उसके खतरों को लेकर फिक्र उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी. संबोधन के दौरान देश के प्रधानमंत्री ने तमाम तरह की बातें की लेकिन जिस चीज पर उन्होंने फिर एक बार सबसे ज्यादा बल दिया वो था अनुशासन और सोशल डिस्टेंसिंग. पीएम का राष्ट्र के नाम संबोधन एक तरफ है और झूठी खबर के कारण मुंबई (Mumbai) के बांद्रा स्टेशन (Bandra Station) पर जमा हुई भीड़ एक तरफ़ हैं. बता दें कि देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा से पहले ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा कर चुके थे, लेकिन बावजूद इसके मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) की भारी भीड़ इकट्ठा हुई. मुश्किल वक़्त में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते लोगों को काबू करने के लिए प्रशासन को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा तब जाकर स्थिति नियंत्रित हुई.
अफवाह: मामले की जड़ एक अफवाह बताई जा रही है जिसमें कहा गया था कि बांद्रा स्टेशन से लंबी दूरी की ट्रेन मिल रही हैं. वहीं एक अफवाह ये भी उड़ी थी कि यहां लोगों को राशन बांटा जा रहा है जिसने हालात और बेकाबू कर दिये. बात दें कि भीड़ का हिस्सा बने अधिकांश लोग वो प्रवासी मजदूर हैं जो खाने कमाने के लिए मुंबई रह रहे हैं और फिलहाल उन्हें कंटेन्मेंट ज़ोन में रखा गया है. मामले में दिलचस्प बात ये है कि अपने अपने घर जाने वाले मजदूर खाली हाथ थे उनके पास कोई सामान नहीं था.
कहावत है कि अफवाह के कान नहीं होते. मुंबई के इस मामले में भी यही देखने को मिला. ध्यान रहे कि सरकार अलग अलग माध्यमों से लगातार इसी बात को दोहरा रही है कि देश की जनता किसी भी तरह की अफवाह को नजरअंदाज करे और सोशल डिस्टेंसिंग को अमली जामा पहनाए. मुम्बई में गफ़लत की वजह लोगों का घर जाना रहा है तो ये बताना भी बेहद ज़रूरी है फिलहाल 3 मई तक किसी भी तरफ के यातायात पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है इसलिए जो लोग जहां रह रहे हैं वहीं रहें.
पुलिस कहां थी? जैसा कि पूरा देश जान रहा है कि कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले मुंबई में आ रहे हैं, ऐसे में सबसे सख्त लॉकडाउन भी वहीं पर लागू किया गया है. चप्पे चप्पे पर पुलिस तैेनात है. किसी को घर से नहीं निकलने दिया जा रहा है. दोपहर में तो बिलकुल भी नहीं. ऐसे में जब इतने लोग बांद्रा स्टेशन के लिए निकले तो पुलिस ने इन्हें रोका क्यों नहीं? ब्रांद्रा स्टेशन पर भीड़ जमा क्यों होने दी पुलिस ने?
ओछी राजनीति: मुंबई का ये मामला मेन स्ट्रीम मीडिया के अलावा सोशल मीडिया में भी सुर्खियों में है इसलिए आरोप प्रत्यारोप और ओछी राजनीति की शुरुआत हो गई है. महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्रीआदित्य ठाकरे अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं कि कैसे भी करके वो अपने फॉलोवर्स के बीच अपनी पैठ जमा सकें. इस मामले की आड़ में आदित्य ठाकरे ने अपनी सरकार की नाकामी छुपाई है और इसका पूरा ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ा है.
उन्होंने कहा कि बांद्रा स्टेशन पर वर्तमान स्थिति, मजदूरों को हटा दिया गया. उन्होंने कहा कि सूरत में हाल में कुछ मजदूरों ने दंगा किया था. केंद्र सरकार उन्हें घर पहुंचाने को लेकर फैसला नहीं ले पाई. आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है. प्रवासी मजदूर खाना और शेल्टर नहीं चाहते हैं, वे घर जाना चाहते हैं.
आदित्य ठाकरे ने आगे कहा कि सूरत में कानून और व्यवस्था की स्थिति काफी हद तक एक समान स्थिति के रूप में देखी गई है. सभी प्रवासी श्रमिक शिविरों से प्रतिक्रिया समान है. कई खाने या रहने से इंकार कर रहे हैं. वर्तमान में महाराष्ट्र में विभिन्न आश्रय शिविरों में 6 लाख से अधिक लोगों को रखा गया है.
ब्रांद्रा मामले में सियासत तेज होेती देेख केंद्र सरकार भी सक्रिय हुई. प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर गृह मंत्री अमित शाह ने उद्धव ठाकरे सेे बात की, और हिदायत दी कि बांद्रा जैसी घटनाएं कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करेंगी. लोगों से कहा जाए कि वे अफवाह पर ध्यान न दें. सभी सरकारें प्रवासी मजदूरों के रहने और खाने की व्यवस्था कर रही हैं. गृह मंत्री से बात होने के बाद ठाकरे टीवी पर आए, और प्रवासी मजदूरों को दिलासे देते दिखे कि उनकी सरकार उनका हर तरह से ख्याल रखेगी.
क्या वो मौलाना था? बांद्रा रेलवे स्टेशन के मौके का एक वीडियो बड़ा वायरल हो रहा है जिसमें अल्लाह अल्लाह किया जा रहा है और पहली नजर में जो किसी तब्लीगी जमात का कार्यक्रम पता चल रहा है.
इस वीडियो को लेकर कहा ये भी जा रहा है कि जो व्यक्ति इस वीडियो में अल्लाह अल्लाह करके मौजूद भीड़ को ज्ञान दे रहे हैं वो और कोई नहीं इलाके के विधायक जीशान सिद्दीकी हैं. सवाल ये है कि क्या भीड़ मुस्लिम थी ? आखिर क्यों बार बार अल्लाह का नाम लिया जा रहा है. वीडियो में दिखाया जा रहा व्यक्ति यदि विधायक है तो कम से कम उसे अपने द्वारा ली गयी शपथ को याद रखना चाहिए था.
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