जो लोग एनआरसी लागू करने की बात कर रहे हैं, उनको अपने पूर्वजों की जन्म तारीख याद है न? क्या उन्हें (अमित शाह) अपने मां-पिता की जन्म तारीख का पता है. क्या उनका (माता-पिता) जन्म प्रमाण पत्र उनके पास है. अगर कोई मुझसे मेरे माता-पिता का जन्म प्रमाण मांगे तो वह मैं नहीं दे पाउंगी, क्योंकि उनका जन्म गांव में हुआ था और उन लोगों ने जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनाया था.
ममता बनर्जी - मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल
बंगाल में चुनाव होने में अभी वक़्त है. मगर अभी से जिस तरह के भाजपा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के तेवर हैं. कहना गलत नहीं है कि ये चुनाव न सिर्फ रोमांचक होगा बल्कि इस बात का भी निर्धारण कर देगा कि वाम की भूमि पर कमल के उदय होने की कितनी सम्भावना है. ध्यान रहे कि रैली के सिलसिले में भाजपा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कोलकाता थे. कोलकाता में शाह ने वो-वो बोला जो उन्हें बोलना चाहिए था. इसके अलावा उन्होंने वो भी बोल दिया जिसे बोलने की जरूरत वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में बिल्कुल नहीं थी. इसके अलावा शाह ने राज्य की ममता सरकार पर भारी अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए.
आरोपों के बाद ममता का भी आहत होना लाजमी था. जल्दबाजी में शाह द्वारा लगाए गए आरोपों और NRC के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सफाई तो दी मगर जो उनका अंदाज था वो विचलित करने वाला है. ऊपर ममता के बयान से न सिर्फ ये साफ हो जाता है कि वो शाह को लेकर व्यक्तिगत हुई हैं बल्कि ये भी बता देता है कि अपनी नाकामियों से राज्य की मुख्यमंत्री बौखला गई हैं और बात कहने की सारी मर्यादाओं को उन्होंने ताख पर रख दिया है.
बात आगे ले जाने से...
जो लोग एनआरसी लागू करने की बात कर रहे हैं, उनको अपने पूर्वजों की जन्म तारीख याद है न? क्या उन्हें (अमित शाह) अपने मां-पिता की जन्म तारीख का पता है. क्या उनका (माता-पिता) जन्म प्रमाण पत्र उनके पास है. अगर कोई मुझसे मेरे माता-पिता का जन्म प्रमाण मांगे तो वह मैं नहीं दे पाउंगी, क्योंकि उनका जन्म गांव में हुआ था और उन लोगों ने जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनाया था.
ममता बनर्जी - मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल
बंगाल में चुनाव होने में अभी वक़्त है. मगर अभी से जिस तरह के भाजपा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के तेवर हैं. कहना गलत नहीं है कि ये चुनाव न सिर्फ रोमांचक होगा बल्कि इस बात का भी निर्धारण कर देगा कि वाम की भूमि पर कमल के उदय होने की कितनी सम्भावना है. ध्यान रहे कि रैली के सिलसिले में भाजपा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कोलकाता थे. कोलकाता में शाह ने वो-वो बोला जो उन्हें बोलना चाहिए था. इसके अलावा उन्होंने वो भी बोल दिया जिसे बोलने की जरूरत वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में बिल्कुल नहीं थी. इसके अलावा शाह ने राज्य की ममता सरकार पर भारी अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए.
आरोपों के बाद ममता का भी आहत होना लाजमी था. जल्दबाजी में शाह द्वारा लगाए गए आरोपों और NRC के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सफाई तो दी मगर जो उनका अंदाज था वो विचलित करने वाला है. ऊपर ममता के बयान से न सिर्फ ये साफ हो जाता है कि वो शाह को लेकर व्यक्तिगत हुई हैं बल्कि ये भी बता देता है कि अपनी नाकामियों से राज्य की मुख्यमंत्री बौखला गई हैं और बात कहने की सारी मर्यादाओं को उन्होंने ताख पर रख दिया है.
बात आगे ले जाने से पहले यहां ये भी बतान जरूरी है कि अमित शाह ने पिछले दिनों कोलकाता में आयोजित सभा के दौरान ममता बनर्जी पर एनआरसी व केंद्र सरकार द्वारा दिये गये फंड के संबंध में जवाब मांगा था. इस बारे में जब ममता से पूछा गया तो उन्होंने ये कहते हुए अपना पल्ला झाड़ दिया कि, वह अमित शाह को जवाब नहीं देना चाहतीं. उनकी वैसी हैसियत नहीं है कि हमें उनको जवाब देना पड़े.
शाह द्वारा NRC का मुद्दा उठाए जाने के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि असम में एनआरसी के नाम पर जिन 40 लाख लोगों का नाम काटा गया है, उनमें 25 लाख हिंदू बंगाली हैं, जबकि 13 लाख मुस्लिम बंगाली हैं. वहीं, बाकी दो लाख में बिहारी, पंजाबी व अन्य भाषा के लोग हैं. मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर इस बात को माना कि उनका यह आंदोलन हिंदू बनाम मुस्लिम का नहीं, बल्कि नागरिकता का है और भाजपा इस मुद्दे को भी हिन्दू मुस्लिम के रंग में रंगना चाहती है.
अपने ऊपर लगे आरोपों पर अपनी बात को पुख्ता करने के लिए ममता ने असम के बंगाली यूनाइटेड फोरम के प्रतिनिधियों का हवाला दिया. ममता बनर्जी ने कहा कि फोरम के प्रतिनिधियों ने उनसे मुलाकात की और बताया कि एनआरसी में ऐसे लोगों का नाम भी काटा गया है, जो 24 मार्च 1971 से पहले यहां आये थे. 1971 से पहले की मतदाता सूची में जिनका नाम था, उनका नाम भी एनआरसी में नहीं है. तो क्या जो 1965 में बंगाल आये हैं, वह भी घुसपैठिया हैं.
अमित शाह पश्चिम बंगाल में भाजपा के विस्तार को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं. भाजपा NRC के बहाने असम ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल में भी स्थानीय बंगाली लोगों को अपनी ओर रिझाने में कामयाब हो रही है. ऐसे में ममता बनर्जी की छटपटाहट समझी जाना चाहिए. उन्होंने जब अमित शाह के माता-पिता को लेकर बयान दे ही दिया है तो समझ लीजिए कि शाह हमला सह लेने वालों में से नहीं हैं. कुलमिलाकर पश्चिम बंगाल की राजनीति फिर से एक आक्रामक दौर की ओर जा रही है.
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