पाकिस्तान में 2018 के चुनाव देश में लोकतंत्र के जो भी मुखौटे हो सकते हैं, वो सेना को स्पष्ट रूप से विचलित कर रहे हैं. और सेना इसे छुपा भी नहीं रही है. फिर चाहे वो नवाज शरीफ (न्यायपालिका के बावजूद) के बाद इमरान खान के लिए उपयुक्त पिच बनाये जाने पर मीडिया को डराने को धमकाना ही क्यों न हो. लेकिन 25 जुलाई के चुनाव से कुछ सप्ताह पहले तक पाकिस्तान में आतंकवाद के मुख्यधारा में सेना की भूमिका कभी भी इतनी स्पष्ट नहीं थी.
पाकिस्तान के आम चुनावों से एक हफ्ते पहले अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित और हरकत-उल-मुजाहिदीन आतंकवादी संगठनों के संस्थापक फजलुर रहमान खलील, ने खुलेआम इमरान खान की पाकिस्तान तेहरिक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है. तालिबान और अफगानिस्तान के पाकिस्तानी समर्थक आतंकवादियों के गुड बुक में होने के कारण इमरान खान को 'तालिबान खान' के नाम से भी जाना जाता है. पाकिस्तान आर्मी ने इस चुनाव पर इन पर ही दांव लगाया है.
यह पाकिस्तान सेना ही है, जो इमरान खान को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जगह बनाने में मदद कर रही है. पहले नवाज शरीफ को सजा दिलाई, फिर नवाज की पार्टी पीएमएल-एन में फूट डलवा दी. इस तरह से इमरान खान की पीटीआई के लिए एक समर्थन प्रणाली बना दी गई. खलील द्वारा पीटीआई को समर्थन देने को भी पाकिस्तानी इसी के तर्ज पर देखा जा रहा है.
30 सितंबर, 2014 को अमेरिकी सरकार ने खलील को एसपेस्शली डेजीगनेटेड ग्लोबल टेरेरिस्ट (एसडीजीटी) की सूची में डाला था. खलील के दोनों आतंकवादी संगठन, एचयूएम और अंसार-उल-उम्मा अमेरिका द्वारा नामित आतंकवादी संस्थाएं हैं. खलील का नाम अफगानिस्तान में अल-कायदा से भी जुड़ा है. 1998 में ओसामा बिन लादेन के साथ-साथ खलील भी...
पाकिस्तान में 2018 के चुनाव देश में लोकतंत्र के जो भी मुखौटे हो सकते हैं, वो सेना को स्पष्ट रूप से विचलित कर रहे हैं. और सेना इसे छुपा भी नहीं रही है. फिर चाहे वो नवाज शरीफ (न्यायपालिका के बावजूद) के बाद इमरान खान के लिए उपयुक्त पिच बनाये जाने पर मीडिया को डराने को धमकाना ही क्यों न हो. लेकिन 25 जुलाई के चुनाव से कुछ सप्ताह पहले तक पाकिस्तान में आतंकवाद के मुख्यधारा में सेना की भूमिका कभी भी इतनी स्पष्ट नहीं थी.
पाकिस्तान के आम चुनावों से एक हफ्ते पहले अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित और हरकत-उल-मुजाहिदीन आतंकवादी संगठनों के संस्थापक फजलुर रहमान खलील, ने खुलेआम इमरान खान की पाकिस्तान तेहरिक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है. तालिबान और अफगानिस्तान के पाकिस्तानी समर्थक आतंकवादियों के गुड बुक में होने के कारण इमरान खान को 'तालिबान खान' के नाम से भी जाना जाता है. पाकिस्तान आर्मी ने इस चुनाव पर इन पर ही दांव लगाया है.
यह पाकिस्तान सेना ही है, जो इमरान खान को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जगह बनाने में मदद कर रही है. पहले नवाज शरीफ को सजा दिलाई, फिर नवाज की पार्टी पीएमएल-एन में फूट डलवा दी. इस तरह से इमरान खान की पीटीआई के लिए एक समर्थन प्रणाली बना दी गई. खलील द्वारा पीटीआई को समर्थन देने को भी पाकिस्तानी इसी के तर्ज पर देखा जा रहा है.
30 सितंबर, 2014 को अमेरिकी सरकार ने खलील को एसपेस्शली डेजीगनेटेड ग्लोबल टेरेरिस्ट (एसडीजीटी) की सूची में डाला था. खलील के दोनों आतंकवादी संगठन, एचयूएम और अंसार-उल-उम्मा अमेरिका द्वारा नामित आतंकवादी संस्थाएं हैं. खलील का नाम अफगानिस्तान में अल-कायदा से भी जुड़ा है. 1998 में ओसामा बिन लादेन के साथ-साथ खलील भी ग्लोबल जिहाद की घोषणा के हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है.
खालिल ने 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के साथ मिलकर भी काम किया था. कारगिल में ऑपरेशन बद्र के लॉन्च से पहले पाकिस्तानी सेना को खलील के आदमियों द्वारा सहायता पहुंचाने की भी खबरें हैं. बीते मंगलवार, इमरान खान के करीबी असद उमर ने घोषणा की कि खलील, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी में शामिल हो गया है. इसके बाद स्पष्ट किया गया कि वह और उनके समर्थक इस्लामाबाद सीट पर पीटीआई का साथ देंगे.
जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक कुलदीप खोड़ा कहते हैं, "1990 के दशक में खलील का ग्रुप भारत में सक्रिय था. और एचयूएम और हरकत उल जिहादी इस्लामी (हुजी) ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को टारगेट किया था. मौलाना मसूद अजहर इस आतंकवादी संगठन का हिस्सा था. अज़हर को दिसंबर 1999 में काठमांडू में अपहृत एयरइंडिया के विमान आईसी 814 के यात्रियों के बदले रिहा कर दिया गया था. और उसने पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया."
खलील ही अकेला ऐसा आतंकवादी नहीं है जो आगामी पाकिस्तान विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. खोड़ा कहते हैं, "यह पाकिस्तान में आतंक का सबसे अधिक मुख्यधारा है. लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित नेता जेल में हैं और जेल में रहने वाले आतंकवादियों को पाकिस्तान की सेना द्वारा बहादुरी से मुख्यधारा में लाया जा रहा है."
25 जुलाई के चुनावों में हाफिज मोहम्मद सईद को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में देखा जा रहा है. उसका बेटा तलहा सईद सरगोधा से चुनाव लड़ रहा है. उसका दामाद खालिद वालीद लाहौर से चुनाव लड़ रहा है. हफीज सईद की पार्टी अल्लाह-ओ-अकबर तहरिक पार्टी से लगभग 265 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
सईद को भी पाकिस्तान सेना के बहुत करीब माना जाता है. हाफिज सईद और उनके आतंकवादी संगठन के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए पाकिस्तान को वित्तीय कार्य टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के ग्रे सूची में डाल दिया गया है. लेकिन इस तथ्य के बावजूद हाफिज सईद को आगे बढ़ाया जा रहा है.
खंडित जनादेश के मामले में आतंकवादी, पाकिस्तान में तुरुप का इक्का और किंग मेकर बनकर उभरेंगे. औरंगजेब फारूकी का नाम पाकिस्तान आतंकवादी सूची के अनुसूची 4 में है. लेकिन फिर भी वो कराची से चुनाव लड़ रहा है. उसकी राजनीतिक पार्टी अहले सुन्नत वाल जमात (लश्कर-ए-झांगवी के लिए एक मोर्चा) को पाकिस्तान में शिया अल्पसंख्यकों हत्या सहित सांप्रदायिक हिंसा के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया है.
इस तरह से ये लिस्ट लगभग अंतहीन है.
खादीम हुसैन रिजवी एक कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बाइक नेता है (जिसने हॉलैंड पर परमाणु बम गिराने की धमकी दी थी). उसकी पार्टी से चुनाव में 152 उम्मीदवार हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना ने आतंकवादियों और चरमपंथियों को मुख्यधारा में लाने के लिए अपनी रणनीति के तहत चुपचाप मोहम्मद अहमद लुधियानवी का नाम हटा वॉच लिस्ट से हटा दिया था.
पाकिस्तान सेना ने इन चुनावों के नतीजे को तय कर दिया था. लेकिन नवाज शरीफ ने पाकिस्तान वापस लौटकर और जेल जाकर उनकी सारी योजना पर पानी फेर दिया है.
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