'भारत जोड़ो यात्रा' के मोटो के साथ राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर की यात्रा पर हैं. 12 राज्यों से होकर गुजरने वाली इस 3750 किलोमीटर की यात्रा का उद्देश्य कुछ भी हो, लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है. यानी इस यात्रा से राहुल गांधी उस छवि को बदलना चाहते हैं जो 2014 के बाद से लोगों के दिमाग में कांग्रेस को लेकर बनी है. सामने 2024 का आम चुनाव है. इसलिए इस यात्रा से कांग्रेस और राहुल गांधी को कितना फायदा होता है? इसका फैसला वक़्त करेगा. लेकिन इतना जरूर है कि इस यात्रा ने राहुल को कांग्रेसियों के बीच 'राम' जरूर बना दिया है. वैसे तो भगवान श्रीराम और राहुल गांधी की कोई तुलना नहीं है लेकिन अब जबकि हो गयी है तो इतना जरूर है कि एक पार्टी के रूप में कांग्रेस दुविधा में है. सवाल ये है कि कांग्रेस राहुल में राम देखे या फिर राम को काल्पनिक की संज्ञा दे दे.
जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अब इसे राहुल गांधी का मोह कहें या फिर चाटुकारिता की पराकाष्ठा कांग्रेसी नेता भारत भ्रमण पर निकले राहुल गांधी के लिए ऐसी तमाम बातें करते नजर आ रहे हैं जिनका न तो सिर है और न ही पैर. ये तमाम बातें ऐसी हैं जो आने वाले वक़्त में राहुल गांधी और कांग्रेस दोनों के लिए ही तमाम तरह की चुनौतियां खड़ी करेंगी.
दरअसल हुआ कुछ यूं है कि राहुल गांधी की यात्रा के मद्देनजर राजस्थान सरकार में मंत्री परसादी लाल मीणा ने एक बड़ी टिप्पणी की थी. मीणा ने राहुल गांधी की तुलना भगवान राम से करते हुए कहा था कि राहुल गांधी की पदयात्रा ऐतिहासिक होगी. भगवान राम भी अयोध्या से श्रीलंका पैदल ही गए थे. राहुल गांधी उससे भी ज्यादा कश्मीर से कन्याकुमारी...
'भारत जोड़ो यात्रा' के मोटो के साथ राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर की यात्रा पर हैं. 12 राज्यों से होकर गुजरने वाली इस 3750 किलोमीटर की यात्रा का उद्देश्य कुछ भी हो, लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है. यानी इस यात्रा से राहुल गांधी उस छवि को बदलना चाहते हैं जो 2014 के बाद से लोगों के दिमाग में कांग्रेस को लेकर बनी है. सामने 2024 का आम चुनाव है. इसलिए इस यात्रा से कांग्रेस और राहुल गांधी को कितना फायदा होता है? इसका फैसला वक़्त करेगा. लेकिन इतना जरूर है कि इस यात्रा ने राहुल को कांग्रेसियों के बीच 'राम' जरूर बना दिया है. वैसे तो भगवान श्रीराम और राहुल गांधी की कोई तुलना नहीं है लेकिन अब जबकि हो गयी है तो इतना जरूर है कि एक पार्टी के रूप में कांग्रेस दुविधा में है. सवाल ये है कि कांग्रेस राहुल में राम देखे या फिर राम को काल्पनिक की संज्ञा दे दे.
जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. अब इसे राहुल गांधी का मोह कहें या फिर चाटुकारिता की पराकाष्ठा कांग्रेसी नेता भारत भ्रमण पर निकले राहुल गांधी के लिए ऐसी तमाम बातें करते नजर आ रहे हैं जिनका न तो सिर है और न ही पैर. ये तमाम बातें ऐसी हैं जो आने वाले वक़्त में राहुल गांधी और कांग्रेस दोनों के लिए ही तमाम तरह की चुनौतियां खड़ी करेंगी.
दरअसल हुआ कुछ यूं है कि राहुल गांधी की यात्रा के मद्देनजर राजस्थान सरकार में मंत्री परसादी लाल मीणा ने एक बड़ी टिप्पणी की थी. मीणा ने राहुल गांधी की तुलना भगवान राम से करते हुए कहा था कि राहुल गांधी की पदयात्रा ऐतिहासिक होगी. भगवान राम भी अयोध्या से श्रीलंका पैदल ही गए थे. राहुल गांधी उससे भी ज्यादा कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैदल चल रहे हैं.
राहुल गांधी को श्रीराम बताने वाले मीणा के बयान पर अभी चर्चा ही ही रही थी कि महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष नाना पटोले मीणा से भी दो हाथ आगे निकल गए और कह दिया कि जिस तरह से राम का नाम है उसी तरह राहुल गांधी का भी नाम 'रा' से ही शुरू होता है. पटोले ने कहा कि, भगवान राम और जगद्गुरु शंकराचार्य भी पदयात्रा पर निकले थे. लोग उनके साथ जुड़ते चले गए. यह श्रीराम से तुलना नहीं है लेकिन यह भी संयोग ही है कि दोनों का ही नाम 'रा' से शुरू होता है. उन्होंने यह भी कहा, हम राहुल गांधी की तुलना भगवान राम से नहीं कर रहे हैं. वह ईश्वर हैं लेकिन राहुल गांधी एक इंसान हैं जो कि मानवता की सेवा कर रहे हैं.
वाक़ई गजब है कांग्रेस. हैरत होती है ये देखकर कि एक पार्टी आखिर कुछ वोटों के लिए क्या इस तरह भी अपने विचार, अपनी विचारधारा से विमुख हो सकती है? इस बात को जानकार बहुत ज्यादा विचलित होने या बहस में पड़ने की कोई बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है. हमें वो दौर नहीं भूलना चाहिए जब इसी कांग्रेस या ये कहें की इन्हीं कांग्रेसी नेताओं ने भगवान श्री राम को एक काल्पनिक पात्र की संज्ञा दी थी.
याद करो वो वक़्त जब एक पार्टी के रूप में कांग्रेस केंद्र में सत्तारूढ़ थी. जिक्र यदि उस समय का हो तो ये बताना भी जरूरी हो जाता है कि तब इसी कांग्रेस पार्टी ने और इसके नेताओं ने भगवान राम को काल्पनिक बताया था और दिलचस्प ये कि यह बात कोर्ट को दिए गए हलफनामे में कांग्रेस की तरफ से कही गई थी. इसके अलावा हमें उस पल को भी याद रखना चाहिए जब 2005 में मनमोहन सिंह देश प्रधानमंत्री थे.
सेतु समुद्रम परियोजना को बिलकुल नयी तरह से मंजूरी दी गयी थी. इस परियोजना में रामसेतु को तोड़ना भी था जिसे लेकर काफी विरोध हुआ था. मामले के मद्देनजर मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट की क्षरण में आया था. उस समय जो दलील कांग्रेस की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दी गयी थी यदि उसपर यकीन किया जाए तो मिलता है कि रामायण में जो वर्णित है, उसके वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं.
अब जो बात सोचने वाली है और साथ ही जो तमाम सवाल भी खड़े करती है. वो ये कि, वो कांग्रेस जो राम को कभी काल्पनिक मानती थी यदि आज उनकी तुलना राहुल गांधी से कर रही है समय के हिसाब से अपना चाल, चरित्र और चेहरा बदलना जानती है.
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