अच्छे दिन के आह्वान में जब पलटकर जनता चहकती थी, अच्छे दिन आने वाले हैं, दिल के हर गोशे से कोई उम्मीद की लौ फूटती थी. मुस्लिम औरतों की ऐसी फिक्र किसने की थी भला, जितनी बीजेपी ने शाहबानों कि की. क्रूर और अमानवीय मुस्लिम शौहरों की सताई बुर्क़े वाली दबी कुचली बीवियों के लिए कैसा बेहतरीन और सम्मानजनक इंतज़ाम किया बीजेपी सरकार ने. ट्रिपल तलाक़ को तमाम विरोधों के बावजूद बैन कर ही दिया. लेकिन शाहबानों और उन जैसी तमाम औरतों के आंसू पोछने का दावा करते हुए, आपने बिलक़ीस बानों को रुला कैसे दिया? शायद प्रधानसेवक जी को यह पता न हो आज़ादी के जिस अमृत का वो महोत्सव मना और मनवा रहे थे, उसका रसपान पांच महीने की गर्भवती बिलक़ीस के 11 बलात्कारी छक्क भर के करेंगे. ऐन आज़ादी के रोज़ उन्हें भी आज़ादी मिलेगी. वरना वे क्यों ही, लाल क़िले के प्राचीर से जनता से अपना दुख कहते कि 'हम अपनी भाषा, व्यवहार में नारी का सम्मान नहीं करते. क्या हम इसे बदल नहीं सकते?
उन्हें कहां पता होगा कि वे तमाम लोग जो उन्हें महामानव नहीं मात्र एक प्रधानसेवक समझते हैं, उनकी जुमलेबाजी और करनी के बीच एक मोटी सी रेखा खींच ही लेंगे. एक बार फ़िर से उनकी किरकिरी होगी. उन्हें कहां पता होगा कि बलात्कार ओजस्वी और वीर पुरुषों में सबसे उच्च कोटि का टैलेंट है. जभी उन बलात्कारियों का स्वागत वी एच पी के द्वारा मिठाई और माला पहना के किया गया.
बेचारे प्रधान सेवक जी की एक जान उस पर देश संभालने जैसा इतना मुश्किल काम. उन्हें कहां ही याद होगी कोई बिलक़ीस बानों...और यह भी उस गोधरा नरसंहार के वक़्त, जब 11 लोगों ने उस पांच महीने की गर्भवती औरत का बलात्कार किया. उसकी...
अच्छे दिन के आह्वान में जब पलटकर जनता चहकती थी, अच्छे दिन आने वाले हैं, दिल के हर गोशे से कोई उम्मीद की लौ फूटती थी. मुस्लिम औरतों की ऐसी फिक्र किसने की थी भला, जितनी बीजेपी ने शाहबानों कि की. क्रूर और अमानवीय मुस्लिम शौहरों की सताई बुर्क़े वाली दबी कुचली बीवियों के लिए कैसा बेहतरीन और सम्मानजनक इंतज़ाम किया बीजेपी सरकार ने. ट्रिपल तलाक़ को तमाम विरोधों के बावजूद बैन कर ही दिया. लेकिन शाहबानों और उन जैसी तमाम औरतों के आंसू पोछने का दावा करते हुए, आपने बिलक़ीस बानों को रुला कैसे दिया? शायद प्रधानसेवक जी को यह पता न हो आज़ादी के जिस अमृत का वो महोत्सव मना और मनवा रहे थे, उसका रसपान पांच महीने की गर्भवती बिलक़ीस के 11 बलात्कारी छक्क भर के करेंगे. ऐन आज़ादी के रोज़ उन्हें भी आज़ादी मिलेगी. वरना वे क्यों ही, लाल क़िले के प्राचीर से जनता से अपना दुख कहते कि 'हम अपनी भाषा, व्यवहार में नारी का सम्मान नहीं करते. क्या हम इसे बदल नहीं सकते?
उन्हें कहां पता होगा कि वे तमाम लोग जो उन्हें महामानव नहीं मात्र एक प्रधानसेवक समझते हैं, उनकी जुमलेबाजी और करनी के बीच एक मोटी सी रेखा खींच ही लेंगे. एक बार फ़िर से उनकी किरकिरी होगी. उन्हें कहां पता होगा कि बलात्कार ओजस्वी और वीर पुरुषों में सबसे उच्च कोटि का टैलेंट है. जभी उन बलात्कारियों का स्वागत वी एच पी के द्वारा मिठाई और माला पहना के किया गया.
बेचारे प्रधान सेवक जी की एक जान उस पर देश संभालने जैसा इतना मुश्किल काम. उन्हें कहां ही याद होगी कोई बिलक़ीस बानों...और यह भी उस गोधरा नरसंहार के वक़्त, जब 11 लोगों ने उस पांच महीने की गर्भवती औरत का बलात्कार किया. उसकी आंखों के सामने उसी के परिवार के 14 लोग की हत्या की तब, आदर्श राज्य गुजरात के मुखमंत्री वे ही थे.
उन्हें कुछ याद हो न हो, पीड़ित महिला की क़ौम को यह याद रखना चाहिए, जब प्रधानमंत्री महिलाओं के सम्मान की बात करते हैं, तब दरसल वे मंगलसूत्र और सिंदूर धारी महिलाओं की चिंता में मग्न हैं. बलत्कृत बुर्क़े वालियों की हैसियत कीड़े मकौड़े से ज्यादा की नहीं है. जिन्हें कुचलने, मसलने, तार तार करने पर बलात्कारियों का स्वागत फूल माला, मिठाई से किया जाएगा.
हां ख़्वातीनों, आप तलाक़ या हलाला का मुद्दा लेकर आईये. सौ दफा खुश आमदीद!
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