बिलकिस बानो बलात्कार मामले में 'अच्छे आचरण' का हवाला देकर बलात्कारियों को रिहा करना गुजरात सरकार के लिए गले की हड्डी बनता नजर आ रहा है. रेपिस्टों की रिहाई संदेह के घेरों में है. साथ ही विपक्ष भी इसे एक बड़े मुद्दे की तरह पेश कर रहा है इसलिए गुजरात सरकार ने देश की सर्वोच्च अदालत में हलफनामा दाखिल किया है. मामले में दिलचस्प ये कि अब गुजरात सरकार का एफिडेविट ही सरकार के निर्णय पर सवालिया निशान लगाता नजर आ रहा है. सवाल होगा कैसे? जवाब है उस गुनाहगार को पेरोल पर बाहर करना जो सजा के दौरान ही गुनाह कर बैठा और गुनाह भी छोटा मोटा नहीं बल्कि यौन हमला और रोचक ये कि इस आरोपी को भी अच्छे चाल चलन का हवाला देकर सरकार द्वारा छोड़ा गया था.
जो एफिडेफिट गुजरात सरकार ने कोर्ट में पेश किया है, अगर उसे देखें और उसका अवलोकन करें तो बिलकिस बानो के साथ हुए गैंगरेप में शामिल मितेश चिमनलाल भट्ट के खिलाफ पैरोल के दौरान छेड़छाड़ का मामला दर्ज हुआ है. ध्यान रहे कि भट्ट के खिलाफ दर्ज मामला जून 2020 का है. केस के संबंध में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है.चिमनलाल पर आईपीसी की धारा 354, 504, 506 (2) के तहत केस दर्ज किया गया था. और दाहोद जिले की अदालत में मुकदमा चल रहा है.
भट्ट के बारे में रोचक तथ्य ये है कि उसके खिलाफ छेड़छाड़ की एक और एफआईआर दर्ज होने के 281 दिनों बाद उन्हें फिर पैरोल दे दी गई. जेल सलाहकार समिति की रिपोर्ट में जेल के अंदर उनके व्यवहार को अच्छा बताया गया. पुलिस अधीक्षक, लिमखेड़ा ने अपनी रिपोर्ट में प्राथमिकी और चल रहे मुकदमे का उल्लेख किया करते हुए नो ऑब्जेक्शन का संकेत दिया. सवाल ये है कि जिस व्यक्ति की नीयत में खोट था और जो...
बिलकिस बानो बलात्कार मामले में 'अच्छे आचरण' का हवाला देकर बलात्कारियों को रिहा करना गुजरात सरकार के लिए गले की हड्डी बनता नजर आ रहा है. रेपिस्टों की रिहाई संदेह के घेरों में है. साथ ही विपक्ष भी इसे एक बड़े मुद्दे की तरह पेश कर रहा है इसलिए गुजरात सरकार ने देश की सर्वोच्च अदालत में हलफनामा दाखिल किया है. मामले में दिलचस्प ये कि अब गुजरात सरकार का एफिडेविट ही सरकार के निर्णय पर सवालिया निशान लगाता नजर आ रहा है. सवाल होगा कैसे? जवाब है उस गुनाहगार को पेरोल पर बाहर करना जो सजा के दौरान ही गुनाह कर बैठा और गुनाह भी छोटा मोटा नहीं बल्कि यौन हमला और रोचक ये कि इस आरोपी को भी अच्छे चाल चलन का हवाला देकर सरकार द्वारा छोड़ा गया था.
जो एफिडेफिट गुजरात सरकार ने कोर्ट में पेश किया है, अगर उसे देखें और उसका अवलोकन करें तो बिलकिस बानो के साथ हुए गैंगरेप में शामिल मितेश चिमनलाल भट्ट के खिलाफ पैरोल के दौरान छेड़छाड़ का मामला दर्ज हुआ है. ध्यान रहे कि भट्ट के खिलाफ दर्ज मामला जून 2020 का है. केस के संबंध में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है.चिमनलाल पर आईपीसी की धारा 354, 504, 506 (2) के तहत केस दर्ज किया गया था. और दाहोद जिले की अदालत में मुकदमा चल रहा है.
भट्ट के बारे में रोचक तथ्य ये है कि उसके खिलाफ छेड़छाड़ की एक और एफआईआर दर्ज होने के 281 दिनों बाद उन्हें फिर पैरोल दे दी गई. जेल सलाहकार समिति की रिपोर्ट में जेल के अंदर उनके व्यवहार को अच्छा बताया गया. पुलिस अधीक्षक, लिमखेड़ा ने अपनी रिपोर्ट में प्राथमिकी और चल रहे मुकदमे का उल्लेख किया करते हुए नो ऑब्जेक्शन का संकेत दिया. सवाल ये है कि जिस व्यक्ति की नीयत में खोट था और जो लगातार वही कर रहा था जिसके लिए उसे सजा हुई थी. उसका आचरण या ये कहें कि चाल चलन कैसे अच्छा था ये एक ऐसा विषय है जिसपर हर सूरत में बात होनी चाहिए।
सिर्फ भट्ट ही नहीं बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में जितने भी लोग पैरोल पर छूटे सबकी अपनी कहानी और करतूतें हैं। बावजूद इसके जिस तरह उन्हें बचाया गया और उनके अच्छे आचरण का हवाला दिया गया स्वतः इस बात की तस्दीख हो जाती है कि गुजरात सरकार द्वारा किये गए इस कारनामे के तार आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव से जुड़े हैं.
सरकार दोषियों को बचाने के लिए किस हद तक फिक्रमंद थी? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस समय रिहाई हुई, पीड़िता के परिवार से भी इसके लिए सलाह मशविरा किया जाना चाहिए था. लेकिन केवल एक ही मामले में ऐसा किया गया, जिसमें दोषी का परिवार और बिलकिस बानो का परिवार एक ही गांव में रहता था. केवल राधेश्याम भगवानदास शाह के मामले में ही स्थानीय पुलिस ने पीड़िता से सलाह ली थी.
गौरतलब है कि खुद सीबीआई ने भी अपनी जांच में अपराध को 'जघन्य, घिनौना और गंभीर' करार दिया था, बावजूद इसके जिस तरह समय से पहले रिहाई हुई और उस रिहाई के लिए अच्छे आचरण का तर्क दिया गया वो किसी भी समझदार इंसान को न केवल विचलित करेगा बल्कि ये भी बताएगा कि बिलकिस बानो के साथ इंसाफ तो नहीं हुआ हां अलबत्ता इंसाफ का मखौल खूब उड़ाया गया.
ये भी पढ़ें -
क्या दिवाली की सफाई सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है, उनका हर त्योहार काम करने में क्यों बीते?
जहां घर-घर थेपला बनता है, वो गुजरात ब्रांडेड फ्रोजन पराठों पर 18% GST से क्यों परेशान होगा?
सरोगेसी से जुड़वा बच्चों के माता-पिता बने नयनतारा-विग्नेश पर सवाल कितने सही, कितने गलत
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.