मैडिसन स्क्वॉयर जैसा नजारा तो कम ही देखने को मिलता है. बाद में वैसा नजारा दिखा भी कम जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी को रॉकस्टार जैसा माना गया. ये सब मुमकिन होता रहा विदेशों में मौजूद बीजेपी समर्थकों की बदौलत. मोदी की विदेश यात्राओं को बड़े इवेंट में तब्दील करने की जिम्मेदारी इन्हीं समर्थकों पर होती है. लेकिन ये हरकत में तभी आते जब मोदी का विदेश दौरा होता. बाकी समय ये अपने अपने काम में लग जाते - लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
ताकि सक्रिय रहें समर्थक
विदेशों में बीजेपी के समर्थकों को 'ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी' के नाम से जाना जाता है. जब भी प्रधानमंत्री का दौरा होना होता है बीजेपी के समर्थक काफी पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं, लेकिन दौरा खत्म होते ही उनकी सक्रियता शून्य हो जाती है. प्रवासी भारतीय समर्थकों को एक्टिव रखने के लिए बीजेपी नई रणनीति तैयार कर रही है.
असल में, ऐसी संभावना है कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों की संख्या काफी कम रहने वाली है. प्रधानमंत्री द्वारा इस साल सिर्फ जरूरी विदेश यात्राएं किए जाने की संभावना है.
ऐसी स्थिति में बीजेपी चाहती है कि विदेशों में मोदी के कार्यक्रम की देखरेख से जुड़ी टीम प्रवासी भारतीय बीजेपी समर्थकों को ज्यादा सक्रिय और संगठित करने पर फोकस करे. ये टीम अब विदेशों में सत्ता के गलियारों में भारत का दबदबा बढ़ाने के लिए अपनी गतिविधियां बढ़ाएगी.
साल भर 'मोदी-मोदी'
अब तक प्रवासी भारतीय समुदाय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के वक्त ही सक्रिय देखा जाता रहा है. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इसमें काफी तेजी आई. विदेशों में जहां जहां भी प्रवासी भारतीयों की जमात है वहां होने पर मोदी उनसे अलग से जरूर मिलते - और हर बार मुलाकात को बड़े इवेंट में तब्दील करने की कोशिश होती.
इस तरह मैडिसन स्क्वॉयर ही नहीं बल्कि चीन से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक जहां भी प्रधानमंत्री पहुंचे - 'मोदी-मोदी'...
मैडिसन स्क्वॉयर जैसा नजारा तो कम ही देखने को मिलता है. बाद में वैसा नजारा दिखा भी कम जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी को रॉकस्टार जैसा माना गया. ये सब मुमकिन होता रहा विदेशों में मौजूद बीजेपी समर्थकों की बदौलत. मोदी की विदेश यात्राओं को बड़े इवेंट में तब्दील करने की जिम्मेदारी इन्हीं समर्थकों पर होती है. लेकिन ये हरकत में तभी आते जब मोदी का विदेश दौरा होता. बाकी समय ये अपने अपने काम में लग जाते - लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
ताकि सक्रिय रहें समर्थक
विदेशों में बीजेपी के समर्थकों को 'ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी' के नाम से जाना जाता है. जब भी प्रधानमंत्री का दौरा होना होता है बीजेपी के समर्थक काफी पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं, लेकिन दौरा खत्म होते ही उनकी सक्रियता शून्य हो जाती है. प्रवासी भारतीय समर्थकों को एक्टिव रखने के लिए बीजेपी नई रणनीति तैयार कर रही है.
असल में, ऐसी संभावना है कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों की संख्या काफी कम रहने वाली है. प्रधानमंत्री द्वारा इस साल सिर्फ जरूरी विदेश यात्राएं किए जाने की संभावना है.
ऐसी स्थिति में बीजेपी चाहती है कि विदेशों में मोदी के कार्यक्रम की देखरेख से जुड़ी टीम प्रवासी भारतीय बीजेपी समर्थकों को ज्यादा सक्रिय और संगठित करने पर फोकस करे. ये टीम अब विदेशों में सत्ता के गलियारों में भारत का दबदबा बढ़ाने के लिए अपनी गतिविधियां बढ़ाएगी.
साल भर 'मोदी-मोदी'
अब तक प्रवासी भारतीय समुदाय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के वक्त ही सक्रिय देखा जाता रहा है. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इसमें काफी तेजी आई. विदेशों में जहां जहां भी प्रवासी भारतीयों की जमात है वहां होने पर मोदी उनसे अलग से जरूर मिलते - और हर बार मुलाकात को बड़े इवेंट में तब्दील करने की कोशिश होती.
इस तरह मैडिसन स्क्वॉयर ही नहीं बल्कि चीन से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक जहां भी प्रधानमंत्री पहुंचे - 'मोदी-मोदी' के नारे गूंजे. अब अगर प्रधानमंत्री अपने विदेश दौरों में कटौती करते हैं तो न तो ऐसे इवेंट होंगे न 'मोदी-मोदी' के नारों की कोई गुंजाइश बचेगी.
इसलिए बीजेपी अब इस लाइन पर काम कर रही है कि प्रधानमंत्री का दौरा न होने की स्थिति में भी बीजेपी समर्थकों में 'मोदी-मोदी' जैसा जोश बरकरार रहे.
मोदी के विदेश दौरों को सफलतापूर्वक अंजाम देनेवाली टीम अब प्रवासी भारतीय बीजेपी समर्थकों के बीच ऐसे काम करेगी कि वो उन देशों में किसी प्रेशर ग्रुप की तरह काम करे.
ये प्रेशर ग्रुप वहां के असरदार पेशेवरों, सक्रिय संस्थाओं, राजनीतिक पार्टियों और सरकारों में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश करेगा. प्रवासी भारतीय समुदाय के ये लोग उन देशों के लोगों और सरकारों को अपनी एक्टिविटी से भारत की ताकत जताने की कोशिश करेंगे. इनका फोकस अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात जैसे मुल्कों में होगा.
इस बीजेपी ऐसा इंतजाम चाह रही है कि बस मौके पर ही नहीं, बल्कि मोदी का विदेश दौरा न होने की स्थिति में भी पूरे साल 'मोदी-मोदी' का नारा गूंजता रहे.
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