लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ दिन पहले कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था और अब भाजपा ने भी अपना घोषणा पत्र जनता के सामने रख दिया है, जिसे संकल्प पत्र का नाम दिया है. दोनों ही पार्टियों के घोषणा पत्र में वादों की भरमार है. लेकिन इन सभी मुद्दों में सबसे अहम है 'न्याय'. कांग्रेस ने 60 साल की उम्र तक के लोगों को न्याय दिलाने का वादा किया है और भाजपा ने 60 साल से अधिक के बुजुर्गों को न्याय दिलाने वाली स्कीम लाने की बात कही है. भारत में सोशल सिक्योरिटी जैसी कोई चीज नहीं है, इसलिए बुढ़ापा अक्सर ही बोझ बन जाता है, लेकिन मोदी सरकार की पेंशन स्कीम इस बोझ से मुक्ति दिलाने वाली स्कीम है.
मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव जीतने की स्थिति में पेंशन स्कीम को दो कैटेगरी में लाने की घोषणा की है. एक कैटेगरी है किसान और दूसरी है छोटे दुकानदार. इसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को 60 साल की उम्र का होने के बाद सोशल सिक्योरिटी मिलेगी यानी उन्हें सरकार की ओर से पेंशन दी जाएगी. इसके अलावा छोटे दुकानदारों को पेंशन सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री श्रम मानधन स्कीम का कवरेज बढ़ाएगी. आपको बता दें कि अभी इस स्कीम के तहत सिर्फ गरीब कामगार आते हैं, जिन्हें बहुत ही मामूली रकम (करीब 100 रुपए) हर महीने देकर 60 साल की उम्र के बाद सालाना 3000 रुपए दिए जाते हैं.
बात भले ही कांग्रेस की हो या फिर भाजपा की, दोनों की ही योजनाओं पर अधिक जानकारी तो तब पता चलेगी, जब ये धरातल पर उतरेंगी. यानी जो भी पार्टी लोकसभा चुनाव जीतेगी, वो अपनी योजना लागू करते समय सारी नियम व शर्तें बताएगी. खैर जो भी हो, लेकिन मोदी सरकार ने जैसी पेंशन स्कीम शुरू करने की बात कही है, उससे बुढ़ापा जरूर संवर जाएगा....
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ दिन पहले कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था और अब भाजपा ने भी अपना घोषणा पत्र जनता के सामने रख दिया है, जिसे संकल्प पत्र का नाम दिया है. दोनों ही पार्टियों के घोषणा पत्र में वादों की भरमार है. लेकिन इन सभी मुद्दों में सबसे अहम है 'न्याय'. कांग्रेस ने 60 साल की उम्र तक के लोगों को न्याय दिलाने का वादा किया है और भाजपा ने 60 साल से अधिक के बुजुर्गों को न्याय दिलाने वाली स्कीम लाने की बात कही है. भारत में सोशल सिक्योरिटी जैसी कोई चीज नहीं है, इसलिए बुढ़ापा अक्सर ही बोझ बन जाता है, लेकिन मोदी सरकार की पेंशन स्कीम इस बोझ से मुक्ति दिलाने वाली स्कीम है.
मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव जीतने की स्थिति में पेंशन स्कीम को दो कैटेगरी में लाने की घोषणा की है. एक कैटेगरी है किसान और दूसरी है छोटे दुकानदार. इसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को 60 साल की उम्र का होने के बाद सोशल सिक्योरिटी मिलेगी यानी उन्हें सरकार की ओर से पेंशन दी जाएगी. इसके अलावा छोटे दुकानदारों को पेंशन सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री श्रम मानधन स्कीम का कवरेज बढ़ाएगी. आपको बता दें कि अभी इस स्कीम के तहत सिर्फ गरीब कामगार आते हैं, जिन्हें बहुत ही मामूली रकम (करीब 100 रुपए) हर महीने देकर 60 साल की उम्र के बाद सालाना 3000 रुपए दिए जाते हैं.
बात भले ही कांग्रेस की हो या फिर भाजपा की, दोनों की ही योजनाओं पर अधिक जानकारी तो तब पता चलेगी, जब ये धरातल पर उतरेंगी. यानी जो भी पार्टी लोकसभा चुनाव जीतेगी, वो अपनी योजना लागू करते समय सारी नियम व शर्तें बताएगी. खैर जो भी हो, लेकिन मोदी सरकार ने जैसी पेंशन स्कीम शुरू करने की बात कही है, उससे बुढ़ापा जरूर संवर जाएगा. पीएम मोदी के अनुसार तो पेंशन स्कीम से अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर के करीब 40 करोड़ लोग पेंशन कवरेज में शामिल हो जाएंगे.
कांग्रेस का 'न्याय' vs मोदी का 'न्याय'
राहुल गांधी ने गरीबों को सालाना 72,000 रुपए देने की स्कीम को 'न्याय' स्कीम बता दिया और कहा कि इस स्कीम के जरिए गरीबों के साथ न्याय होगा. इस स्कीम को न्यूनमत आय के तहत शुरू करने की योजना बनाई है. राहुल गांधी इस स्कीम के जरिए न्यूनतम आय को 12000 रुपए पहुंचाने का वादा कर चुके हैं. यानी अगर रिटायरमेंट की उम्र 60 साल मानी जाए तो राहुल गांधी की स्कीम उस वर्ग के लिए है, जो काम करता है यानी नौकरी करता है. वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार ने अपने घोषणा पत्र में किसानों और छोटे दुकानदारों को 60 साल की उम्र के बाद पेंशन देने की योजना शुरू करने का वादा किया है. देखा जाए तो ये बुजुर्गों के लिए किसी 'न्याय' से कम नहीं है.
बुढ़ापा संवारने की ही जरूरत थी!
जब राहुल गांधी ने सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों को सालाना 72,000 रुपए देने का वादा किया तो उस पर कई सवाल उठे. ये तक कहा गया कि इस तरह तो बेरोजगारी को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि बिना कुछ किए ही पैसे घर में आएंगे तो काम कौन करना चाहेगा. लेकिन मोदी सरकार की पेंशन स्कीम को लेकर ऐसा कोई विवाद नहीं हो रहा है, क्योंकि इस अहम कदम की बहुत जरूरत थी. इंसान का बचपन मां-बाप के भरोसे और जवानी जैसे-तैसे संघर्ष करते हुए पैसे कमाने में कट ही जाती है, लेकिन बुढ़ापा जीना मुश्किल हो जाता है. मोदी सरकार ने लोगों के इस बुढ़ापे को ही संवारने की कोशिश की है.
भारत में अब लोग धीरे-धीरे न्यूक्लियर फैमिली के कॉन्सेप्ट को अपना रहे हैं. शहरों में रहने वाले लोग तो अपने बुढ़ापे के लिए कोई न कोई योजना पहले से बना भी लेते हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में स्थिति भयावह होती जा रही है. गांव में गरीब लोगों की कमाई का जरिया या तो खेत होते हैं या फिर मजदूरी. बुढ़ापे में जब वह काम करने की स्थिति में नहीं रहते हैं तो उनकी कमाई भी बंद हो जाती है. मोदी सरकार की पेंशन स्कीम से ऐसे लोगों को फायदा होगा, जिसकी इस समय काफी अधिक जरूरत थी. अब उन गरीब लोगों की भी कमाई का एक जरिया होगा, जो बुढ़ापे के बोझ तले दब जाते थे. ये देखना दिलचस्प होगा कि अगर भाजपा जीतती है और पेंशन स्कीम लागू करती है तो लोगों को कितनी पेंशन दी जाएगी.
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