महिलाओं पर अत्याचार के मामले में मध्य प्रदेश का रिकॉर्ड बहुत ही ख़राब है. ऐसे में ये उम्मीद की जाती है कि वहां के नेता इसे लेकर संजीदा होंगे. लेकिन रूलिंग पार्टी बीजेपी के विधायक पन्नालाल शाक्य ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है, जिससे वो विवादों में आ गए हैं. गुना में एक पीजी कॉलेज के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, "हमारे देश में महिलाओं की पूजा चार बार होती है. हम कैसे मान लें कि अत्याचार हो रहा है? आंकड़े कुछ भी बताते हैं. उस क्रम में हमने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहना चाहिए. ना गर्लफ्रेंड बनाना चाहिए, ना बॉयफ्रेंड".
विधायक की बातों को झुठलाता है एनसीआरबी का डाटा, जिसके अनुसार साल 2016 में उनका राज्य मध्य प्रदेश बलात्कार के मामले में पहले नंबर पर था. साल 2016 में यहां 4,882 मामले रिपोर्ट किए गए थे. कह सकते हैं कि महिलाओं पर अत्याचार के मामले ना सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश में बढ़ रहे हैं और सरकार उन पर नियंत्रण करने की पूरी कोशिश करती. तो वहीं इस तरह के बेतुके बयान हैरान करते हैं. कई मौकों पर हमारे नेता ऐसे बयान देते रहे हैं और जब ऐसे बयानों कि निंदा होती है तो उनकी ओर से ये सफाई आती है कि उनके बयान का सही मतलब नहीं निकला गया या फिर उनका ये मतलब नहीं था. कह सकते हैं कि नेताओं को ऐसे बयानों से बचना चाहिए. आइये नजर डालते हैं कुछ और ऐसे बयानों पर...
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की महिला नेता आशा मिर्जे ने महिलाओं को ही बलात्कार के लिए ज़िम्मेदार ठहरा दिया था. उन्होंने कहा था कि महिलाएं ही एक हद तक बलात्कार के लिए ज़िम्मेदार हैं, साथ ही उनके कपड़े एवं व्यवहार भी इसमें भूमिका अदा करते हैं.
दिल्ली की पूर्व...
महिलाओं पर अत्याचार के मामले में मध्य प्रदेश का रिकॉर्ड बहुत ही ख़राब है. ऐसे में ये उम्मीद की जाती है कि वहां के नेता इसे लेकर संजीदा होंगे. लेकिन रूलिंग पार्टी बीजेपी के विधायक पन्नालाल शाक्य ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है, जिससे वो विवादों में आ गए हैं. गुना में एक पीजी कॉलेज के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, "हमारे देश में महिलाओं की पूजा चार बार होती है. हम कैसे मान लें कि अत्याचार हो रहा है? आंकड़े कुछ भी बताते हैं. उस क्रम में हमने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहना चाहिए. ना गर्लफ्रेंड बनाना चाहिए, ना बॉयफ्रेंड".
विधायक की बातों को झुठलाता है एनसीआरबी का डाटा, जिसके अनुसार साल 2016 में उनका राज्य मध्य प्रदेश बलात्कार के मामले में पहले नंबर पर था. साल 2016 में यहां 4,882 मामले रिपोर्ट किए गए थे. कह सकते हैं कि महिलाओं पर अत्याचार के मामले ना सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश में बढ़ रहे हैं और सरकार उन पर नियंत्रण करने की पूरी कोशिश करती. तो वहीं इस तरह के बेतुके बयान हैरान करते हैं. कई मौकों पर हमारे नेता ऐसे बयान देते रहे हैं और जब ऐसे बयानों कि निंदा होती है तो उनकी ओर से ये सफाई आती है कि उनके बयान का सही मतलब नहीं निकला गया या फिर उनका ये मतलब नहीं था. कह सकते हैं कि नेताओं को ऐसे बयानों से बचना चाहिए. आइये नजर डालते हैं कुछ और ऐसे बयानों पर...
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की महिला नेता आशा मिर्जे ने महिलाओं को ही बलात्कार के लिए ज़िम्मेदार ठहरा दिया था. उन्होंने कहा था कि महिलाएं ही एक हद तक बलात्कार के लिए ज़िम्मेदार हैं, साथ ही उनके कपड़े एवं व्यवहार भी इसमें भूमिका अदा करते हैं.
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अपने कार्यकाल के दौरान हुए पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के बाद पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि महिलाओं को ज़्यादा एडवेंचर्स नहीं होना चाहिए.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने 16 दिसंबर की दिल्ली की घटना के बाद प्रदर्शन के लिए जुटी महिलाओं को 'डेंटेड-पेंटेड' औरत कहा और ये भी कहा था कि कैंडल मार्च करना फैशन बन गया है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि बलात्कार पाश्चात्य सभ्यता का दुष्प्रभाव है और इसीलिए शहरी इलाकों में ज़्यादा होता है. हमारे गांव जहां राष्ट्रीय भावना प्रबल होती है वहां बलात्कार नहीं होते हैं.
हरियाणा के खाप पंचायत के नेता जितेंद्र छत्तर ने कहा था कि मेरे ख़्याल से फास्ट फूड खाने से बलात्कार की घटनाएं बढ़ती हैं. चाऊमीन खाने से शरीर के हार्मोन में असंतुलन पैदा होता है. इसी वजह से इस तरह के कार्य करने का मन करता है.
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