पहले ट्विटर पर लोग फिल्म स्टार अनिल कपूर को महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का नाम फाइनल होने तक CM बनाने की सलाह दे रहे थे. अब एक किसान ने राज्यपाल को पत्र लिख कर निश्चित व्यवस्था होने तक खुद को ही मुख्यमंत्री बना देने की मांग की है.
बाकायदा राज्यपाल को एक पत्र लिख कर श्रीकांत वी गाडले ने कहा है, 'जब तक मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई हल नहीं निकल जाता है, तब तक मुझे महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना देना चाहिए. बेमौसम बारिश के बाद फसलों के नुकसान के कारण किसानों के लिए यह कठिन समय है - ऐसे में जल्द से जल्द एक सरकार की जरूरत है.'
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे भी किसानों की समस्याओं के नाम पर ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करने गये थे. आदित्य ठाकरे से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी राज्यपाल से मुलाकात की थी, लेकिन बताया कि वो दिवाली की शुभकामनाएं देने गये थे.
दिवाली की शुभकामनाओं के ही नाम पर शिवसेना सांसद संजय राउत भी एनसीपी नेता शरद पवार से मिलने गये थे - लेकिन उसके बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल तेज हो गयी है. संजय राउत कहने लगे हैं कि शिवसेना अपने दम पर भी महाराष्ट्र में सरकार बना सकती है. हैरानी की बात ये है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मी तो 2014 जैसी ही है, लेकिन देवेंद्र फणडवीस की तरफ से शपथग्रहण को लेकर कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं देखने को मिली है. दो-तीन दिन पहले एक चर्चा रही कि देवेंद्र फडणवीस 1 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं - लेकिन कहीं से कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी गयी है.
महाराष्ट्र में इस दौरान ट्विटर पर कार्टूनों के जरिये भी राजनीतिक संदेश देने की कोशिशें हो रही हैं. एक बीजेपी नेता ने कार्टून के जरिये ही मैसेज देने की कोशिश की है कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र की राजनीति के रिंग मास्टर हैं - ऐसा क्या?
जोर आजमाइश चालू आहे...
एकनाथ शिंदे के शिवसेना विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद, आदित्य ठाकरे उन्हें साथ लेकर राज्यपाल से...
पहले ट्विटर पर लोग फिल्म स्टार अनिल कपूर को महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का नाम फाइनल होने तक CM बनाने की सलाह दे रहे थे. अब एक किसान ने राज्यपाल को पत्र लिख कर निश्चित व्यवस्था होने तक खुद को ही मुख्यमंत्री बना देने की मांग की है.
बाकायदा राज्यपाल को एक पत्र लिख कर श्रीकांत वी गाडले ने कहा है, 'जब तक मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई हल नहीं निकल जाता है, तब तक मुझे महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना देना चाहिए. बेमौसम बारिश के बाद फसलों के नुकसान के कारण किसानों के लिए यह कठिन समय है - ऐसे में जल्द से जल्द एक सरकार की जरूरत है.'
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे भी किसानों की समस्याओं के नाम पर ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करने गये थे. आदित्य ठाकरे से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी राज्यपाल से मुलाकात की थी, लेकिन बताया कि वो दिवाली की शुभकामनाएं देने गये थे.
दिवाली की शुभकामनाओं के ही नाम पर शिवसेना सांसद संजय राउत भी एनसीपी नेता शरद पवार से मिलने गये थे - लेकिन उसके बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल तेज हो गयी है. संजय राउत कहने लगे हैं कि शिवसेना अपने दम पर भी महाराष्ट्र में सरकार बना सकती है. हैरानी की बात ये है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मी तो 2014 जैसी ही है, लेकिन देवेंद्र फणडवीस की तरफ से शपथग्रहण को लेकर कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं देखने को मिली है. दो-तीन दिन पहले एक चर्चा रही कि देवेंद्र फडणवीस 1 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं - लेकिन कहीं से कोई औपचारिक जानकारी नहीं दी गयी है.
महाराष्ट्र में इस दौरान ट्विटर पर कार्टूनों के जरिये भी राजनीतिक संदेश देने की कोशिशें हो रही हैं. एक बीजेपी नेता ने कार्टून के जरिये ही मैसेज देने की कोशिश की है कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र की राजनीति के रिंग मास्टर हैं - ऐसा क्या?
जोर आजमाइश चालू आहे...
एकनाथ शिंदे के शिवसेना विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद, आदित्य ठाकरे उन्हें साथ लेकर राज्यपाल से मिलने गये थे. मुलाकात का मुद्दा तो किसानों से जुड़ा बताया गया लेकिन विधायकों की संख्या के जरिये कुछ खास संदेश देने की कोशिश जरूर की गयी. राज्यपाल से मुलाकात करने वाले विधायकों की संख्या 63 रही, जबकि शिवसेना के 56 विधायक ही चुन कर आये हैं - दरअसल, बाकी सात विधायकों के जरिये शिवसेना अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रही थी.
कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन की तस्वीरें तो देवेंद्र फडणवीस ने पहले भी ट्विटर पर शेयर की थी, अब उसमें ऐड-ऑन किया है. शिवसेना और बीजेपी दोनों ही निर्दलीय विधायकों और छोटे दलों के एमएलए के जरिये अपनी अपनी ताकत का एहसास दिलाते हुए बीजेपी और शिवसेना एक दूसरे को आंख दिखा रहे हैं.
संजय राउत के शरद पवार के घर जाकर मुलाकात करने के बाद से शिवसेना अटकलों पर बहस चालू रखने की कोशिश कर रही है. संजय राउत का दावा है कि अगर शिवसेना चाहे तो अपने दम पर राज्य में सरकार बना सकती है.
संजय राउत कहते हैं कि शिवसेना अगर सरकार बनाने का फैसला कर ले तो स्थिर सरकार बनाने के लिए उसे नंबर भी हासिल हो जाएगा. संजय राउत अब ये भी कहने लगे हैं कि जनता भी शिवसेना का ही मुख्यमंत्री चाहती है.
मुश्किल ये है कि संजय राउत के इर्द-गिर्द ही एनसीपी नेताओं के जो बयान आ रहे हैं, वे सीधे सीधे शिवसेना के दावों को खारिज कर दे रहे हैं. शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने भी कह दिया है कि एनसीपी जनादेश के साथ जाने के अपने पुराने रूख पर कायम है. पहले भी एक शिवसेना नेता ने ऐसी ही बात कही थी. खुद शरद पवार भी साफ तौर पर इस मुद्दे पर अपनी बात कह चुके हैं.
महाराष्ट्र में रिंग मास्टर है कौन?
शिवसेना की तरफ से कभी खबर आती है कि उद्धव ठाकरे बीजेपी, एनसीपी और कांग्रेस सभी के संपर्क में हैं - और कभी संजय राउत आकर कह देते हैं कि सरकार गठन को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच कोई बातचीत नहीं हो रही है. उनका कहना है कि उनकी पार्टी की ओर से बीजेपी को कोई अल्टीमेटम नहीं दिया है. बीजेपी नेतृत्व को बड़े लोग बताते हुए संजय राउत ने एक ट्वीट भी किया है.
शिवसेना नेता संजय राउत ने बुरा न मानो होली वाले अंदाज में दिवाली के मौके पर बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए एक कार्टून भी शेयर किया था - बुरा न मानो दिवाली है.
फिर बीच में बीजेपी और शिवसेना को लेकर एनसीपी प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने भी एक कार्टून के जरिये दोनों दलों पर तंज कसा था. अब इस कार्टून पॉलिटिक्स में बीजेपी की ओर से तेजिंदर सिंह बग्गा भी कूद पड़े हैं. बग्गा ने भी बाकियों की तरह महाराष्ट्र में सरकार बनने को लेकर एक कार्टून शेयर किया है.
सवाल उठता है कि महाराष्ट्र की राजनीति में वास्तव में रिंग मास्टर है कौन? क्या देवेंद्र फडणवीस रिंग मास्टर की भूमिका में हैं? बीजेपी की ओर से वैसे भी लगातार यही मैसेज देने की कोशिश हो रही है कि मुख्यमंत्री भी उसी का होगा और सरकार पर कंट्रोल भी. शिवसेना की भूमिका गठबंधन सहयोगी की रही है और बनी रहेगी. खुले तौर पर अब भी देवेंद्र फणडवीस ने शिवसेना को डिप्टी सीएम की पोस्ट ऑफर की है. साथ ही, कहा भी है कि ये शिवसेना पर निर्भर करता है कि उसे मंजूर है या नहीं.
शिवसेना अपनी तरफ से पूरा माहौल बनाये हुए है. शिवसेना का कहना है कि वो बीजेपी ने ज्यादा मांग रही है और न ही उसे जो तय हुआ है उससे कम मंजूर है - बस 50-50. उद्धव ठाकरे का कहना है कि ये सब लोक सभा चुनाव से पहले की बात है और जब ये निर्णय हुआ तो उनके और देवेंद्र फडणवीस के साथ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे.
महाराष्ट्र में सरकार बनने में हो रही देरी से तो ऐसा ही लग रहा है कि उद्धव ठाकरे रिंग मास्टर की भूमिका में हैं - लेकिन रिंग का कंट्रोल तो अब भी देवेंद्र फडणवीस के हाथ में ही नजर आ रहा है.
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