अपनी रायबरेली की रैली में अमित शाह ने भाजपा की 2019 की चुनावी रणनीति की एक झलक दिखाई है. कुछ दिन पहले मक्का मस्जिद धमाके मामले में सभी आरोपियों को न्यायालय ने बरी कर दिया था. ऐसे ही कुछ मामलों का उल्लेख कर यूपीए सरकार के दौरान कांग्रेसी नेताओं ने 'हिंदू आतंकवाद' की शब्दावली को प्रचारित किया था. अपनी रैली में अमित शाह ने राहुल गाँधी से कांग्रेस द्वारा शुरू की गई 'हिंदू आतंकवाद' की शब्दावली के लिए माफी मांगने के लिए आग्रह किया.
ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा मक्का मस्जिद धमाके मामले को खूब भुनाने वाली है. इस फ़ैसले का प्रयोग भाजपा आगामी विधान सभा और अगले साल होने वाले लोक सभा चुनावों में अग्रसर होकर करती दिख सकती है. 2014 लोक सभा चुनाव की हार के विश्लेषण में कांग्रेस ने यह पाया था कि पार्टी को आम लोगों की राय में हिंदू विरोधी माना जाता है. इस अपवाद को सुधारने के लिए कांग्रेस पार्टी और विशेषकर राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के समय से प्रयास करना शुरू कर दिया है. 2019 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस स्वयं को सभी धर्मों को मानने वाले लोगों की पार्टी के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है.
अमित शाह के भाषण से लगता है कि भाजपा 'हिंदू आतंकवाद' के कांग्रेसी आरोप को उन्ही के विरुद्ध प्रयोग करेगी. भाजपा बिल्कुल नहीं चाहेगी कि कांग्रेस के छवि 'हिंदू हितैशी' बन सके. इसलिए भाजपा 2019 चुनावों से पहले राहुल गांधी से 'हिंदू आतंकवाद' के आरोप पर माफी मांगती रहेगी. 'हिंदू आतंकवाद' एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कांग्रेस अधिकारिक तौर पर कोई सफाई नहीं दे सकती है. यदि वर्तमान में या 2019 चुनावों से पहले कांग्रेस इस विषय पर कुछ बोलेगी तो वह स्वयं पूर्व की अपनी ग़लत बयानी को जनता के सामने उजागर कर देगी.
हिंदुत्व और धर्म भाजपा के लिए हमेशा से सफलता की कुंजी बन कर आए है. 2019 में कांग्रेस की...
अपनी रायबरेली की रैली में अमित शाह ने भाजपा की 2019 की चुनावी रणनीति की एक झलक दिखाई है. कुछ दिन पहले मक्का मस्जिद धमाके मामले में सभी आरोपियों को न्यायालय ने बरी कर दिया था. ऐसे ही कुछ मामलों का उल्लेख कर यूपीए सरकार के दौरान कांग्रेसी नेताओं ने 'हिंदू आतंकवाद' की शब्दावली को प्रचारित किया था. अपनी रैली में अमित शाह ने राहुल गाँधी से कांग्रेस द्वारा शुरू की गई 'हिंदू आतंकवाद' की शब्दावली के लिए माफी मांगने के लिए आग्रह किया.
ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा मक्का मस्जिद धमाके मामले को खूब भुनाने वाली है. इस फ़ैसले का प्रयोग भाजपा आगामी विधान सभा और अगले साल होने वाले लोक सभा चुनावों में अग्रसर होकर करती दिख सकती है. 2014 लोक सभा चुनाव की हार के विश्लेषण में कांग्रेस ने यह पाया था कि पार्टी को आम लोगों की राय में हिंदू विरोधी माना जाता है. इस अपवाद को सुधारने के लिए कांग्रेस पार्टी और विशेषकर राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के समय से प्रयास करना शुरू कर दिया है. 2019 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस स्वयं को सभी धर्मों को मानने वाले लोगों की पार्टी के रूप में प्रस्तुत करना चाहती है.
अमित शाह के भाषण से लगता है कि भाजपा 'हिंदू आतंकवाद' के कांग्रेसी आरोप को उन्ही के विरुद्ध प्रयोग करेगी. भाजपा बिल्कुल नहीं चाहेगी कि कांग्रेस के छवि 'हिंदू हितैशी' बन सके. इसलिए भाजपा 2019 चुनावों से पहले राहुल गांधी से 'हिंदू आतंकवाद' के आरोप पर माफी मांगती रहेगी. 'हिंदू आतंकवाद' एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कांग्रेस अधिकारिक तौर पर कोई सफाई नहीं दे सकती है. यदि वर्तमान में या 2019 चुनावों से पहले कांग्रेस इस विषय पर कुछ बोलेगी तो वह स्वयं पूर्व की अपनी ग़लत बयानी को जनता के सामने उजागर कर देगी.
हिंदुत्व और धर्म भाजपा के लिए हमेशा से सफलता की कुंजी बन कर आए है. 2019 में कांग्रेस की रणनीति जाति से जुड़े मुद्दे उठाने की होगी, जबकि भाजपा धर्म को प्राथमिकता देगी. 2014 में 'हिंदू आतंकवाद' के विषय ने कांग्रेस की छवि हिंदू विरोधी की बना दी थी. भाजपा का प्रयास उस छवि को 2019 चुनावों तक बरकरार रखने की होगी.
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