प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi Magic) की दिल्ली चुनावों (Delhi Elections 2020) में दोबारा जोरदार एंट्री हुई है. रामलीला मैदान की रैली भी धमाकेदार एंट्री रहीं, लेकिन उसके बाद लगने लगा जैसे अमित शाह ही फ्रंटफुट पर खेल रहे हों. बीते विधानसभा चुनावों की तरह अब दिल्ली में भी PM मोदी ने खुद मोर्चा संभाल लिया है. बीजेपी के एक आंतरिक सर्वे (BJP Internal Survey) में मालूम हुआ है कि मोदी के जादू का असर भी नजर आ रहा है - सवाल है कि ये असर नतीजों में भी दिखेगा क्या?
दिल्ली चुनाव 2020 पर 'मोदी प्रभाव' कितना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी BJP के ब्रह्मास्त्र हैं और कोई भी चुनाव क्यों न हो, एक वक्त ऐसा आता ही है जब वो मोर्चे पर आते हैं और कई बार तो ऐसा होने पर पार्टी चमत्कार भी देखने को मिल चुका है - उत्तर प्रदेश से लेकर नॉर्थ ईस्ट के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव तक PM मोदी अपना असर दिखा चुके हैं. मिसाल तो 2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव भी रहा है.
ये तो हर राजनीतिक दल का हक बनता है कि सर्वे में वो अपनी पार्टी के पक्ष में आंकड़े या उसके नतीजे रखे, लेकिन सर्वे को लेकर कुछ ऐसी बातें कही गयी हैं जिनकी वजह से गौर फरमाने में किसी के लिए भी कोई बुराई नहीं लगती. सर्वे में ऐसी ही एक और भी खासियत है, बताते हैं 'कई सीटों पर कांग्रेस भी बाजी मारती नजर आ रही है.'
बीजेपी सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार, PM मोदी की रैली से पहले जितने भी सर्वे कराये गये बीजेपी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को टक्कर तो दे रही प्रतीत होती लेकिन नतीजे AAP के पक्ष में ही नजर आते.
अब बीजेपी के भीतर राय बन रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद लोगों का नजरिया बदलने लगा है. खासकर मोदी के साथ यूपी के CM योगी आदित्यनाथ के भाषणों के बाद तो BJP माहौल में और भी ज्यादा बदलाव महसूस करने लगी है - दावा है कि अब BJP अब AAP के साथ कांटे के मुकाबले में आ गयी है.
आम चुनाव के बाद से मोदी का जादू अब तक तो नहीं चला है - आगे चलेगा क्या?
इसी हफ्ते पूर्वी दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी की रैली के ठीक बाद सभी विधानसभा क्षेत्रों में BJP की तरफ से सर्वे कराये गये तो पता चला शाहीन बाग, बाटला हाउस और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों के मोदी के भाषण में छाये रहने के बाद लोगों में धारणा बदलने लगी है.
जहां तक 2014 और 2019 के आम चुनावों की बात है, बेशक मोदी का जादू चला है - लेकिन बीच में हुए चुनावों में मिला-जुला असर ही देखा गया है.
2019 के आम चुनाव के बाद और दिल्ली से पहले तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए और नतीजा ये रहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सीटें कम रह गयीं - झारखंड में तो सत्ता भी चली गयी. हार के तमाम कारण रहे होंगे, लेकिन ये तो मानना ही पड़ेगा कि मोदी के जादू का कोई असर नहीं हुआ. वो भी आम चुनाव के ठीक बाद ही. आम चुनाव के साथ ओडिशा, आंध्र प्रदेश और सिक्किम में भी चुनाव हुए लेकिन बीजेपी के हाथ कुछ नहीं लग सका.
2014 से 2019 के बीच हुए विधानसभा चुनावों की बात करें तो नतीजे अलग देखने को मिलते हैं-
1. 2014 में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभाओं के चुनाव बीजेपी के पक्ष में गये - इसे मोदी मैजिक के असर वाले खाते में रखा गया.
2. 2015 में दिल्ली और बिहार विधानसभाओं के चुनाव हुए. दोनों चुनाव बीजेपी बुरी तरह हार गयी - मोदी मैजिक बेअसर देखा गया.
3. 2016 में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए. असम में तो बीजेपी की सरकार बन गयी, लेकिन पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुड्डुचेरी में हार मिली - ये ऐसे चुनाव रहे जिनमें बीजेपी ने थोड़ा संयम बरता और असम में भी मोदी को जरूरत भर ही इस्तेमाल किया गया और पूरा दारोमदार सर्बानंद सोनवाल और हिमंत बिस्वा सरमा पर छोड़ दिया गया था. वे कामयाब भी रहे.
4. 2017 में 7 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए जिनमें बीजेपी 6 राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब रही. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश में तो बीजेपी की सरकारें बन गयीं, लेकिन पंजाब में कांग्रेस ने बीजेपी और अकाली दल के गठबंधन को जीत की तरफ बढ़ने से पहले ही रोक दिया था.
5. 2018 की शुरुआत तो बीजेपी के लिए बेहतरीन रही, लेकिन साल खत्म होते होते काफी मलाल रह गये. त्रिपुरा में लेफ्ट के गढ़ को बीजेपी ने जो ढहाया तो वो मोदी का ही जादू माना गया, लेकिन उसके बाद कर्नाटक में वैसा कुछ नहीं हो सका. कर्नाटक में बीजेपी की सरकार तो बनी लेकिन सवा साल बाद और वो भी तमाम विवादों के बाद. 2018 का अंत बीजेपी के लिए काफी खराब रहा. तेलंगाना में कमल का न खिलना कोई बड़ी बात नहीं रही, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सरकारें गंवा देना बीजेपी के लिए बहुत बड़ा नुकसान रहा.
ये तीनों ही विधानसभा चुनाव ऐसे रहे जब मोदी के साथ साथ योगी आदित्यनाथ ने भी खूब मेहनत और बयानबाजी की थी - लेकिन हनुमान का दलित रूप भी वैतरणी पार नहीं लगा सका. एक बार फिर हनुमान का नाम दिल्ली की चुनाव रैलियों में भी शुमार हो चुका है - एक तरफ टीवी इंटरव्यू में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं तो दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ उस पर अलग से राजनीतिक प्रवचन देने लगे हैं.
बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी?
दिल्ली में चुनाव प्रचार आखिरी दौर में पहुंच चुका है. बीजेपी के आंतरिक सर्वे में दावा किया गया है कि पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में 40 सीटें हासिल हो सकती हैं. हाल ही में बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी ने 41 सीटों पर जीत का दावा किया था.
न्यूज एजेंसी IANS को दिये दो इंटरव्यू में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अलग अलग दावे किये हैं. पहले मनोज तिवारी को अंदाजा रहा कि बीजेपी दिल्ली में 42 सीटें जीत सकती है, लेकिन बदले माहौल में पार्टी के स्थानीय कमांडर 47 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं. दलील ये है कि CAA विरोध के नाम पर विपक्ष की तरफ से करायी गयी हिंसा की वजह से बीजेपी के हिस्से की 5-7 सीटें बढ़ सकती हैं.
बीजेपी के सर्वे और उसे लेकर मीडिया को दिये गये मनोज तिवारी के इंटरव्यू में दावों पर नजर डालें तो लगता है कि पार्टी भी मान कर चल रही है कि करीब दर्जन भर सीटों पर वो तीसरे नंबर पर ही रहेगी. ये भी मालूम हुआ है कि कुछ इलाकों में बीजेपी AAP से कड़ी टक्कर मान कर चल रही है - ये वे इलाके हैं जहां से आम आदमी पार्टी के बड़े नेता उम्मीदवार हैं या मुस्लिम समुदाय का दबदबा है या फिर रिजर्व सीटें हैं.
बकौल मनोज तिवारी, आंतरिक सर्वे में ये भी पता चला है कि ऐसे कई विधानसभा क्षेत्र हैं जहां बीजेपी बहुत ही मजबूत स्थिति में है - ये इलाके हैं मॉडल टाउन, मालवीय नगर, घोंडा, द्वारका, कृष्णा नगर, गांधीनगर, लक्ष्मीनगर, रोहिणी, मुस्तफाबाद और विश्वासनगर.
आंतरिक सर्वे में जहां बीजेपी की बल्ले-बल्ले है, वहीं टाइम्स नाउ-IPSOS के ओपिनियन पोल के मुताबिक जो तस्वीर उभर रही है वो तो पूरी तरह उलटी हुई है. खुद बीजेपी को भले लगता हो कि वो 40 से ऊपर का नंबर हासिल कर आराम से सरकार बना लेगी, लेकिन टाइम्स नाउ-IPSOS ऐसे सपनों पर बीजेपी की झोली सिर्फ 10-14 सीटें देकर पानी फेर दे रहा है. पोल के मुताबिक, दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 54 से 60 सीटें मिलने का अनुमान है - यानी एक बार फिर बंपर जीत की संभावना है.
टाइम्स नाउ-IPSOS पोल की जो सबसे खास बात है, वो है - अगर अभी दिल्ली में लोकसभा चुनाव हो तो बीजेपी फिर से क्लीन स्वीप करेगी - जैसे राजधानी की सभी 7 सीटें फिलहाल बीजेपी के लिए ही बनी हों!
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