हालांकि विधानसभा चुनावों का परिणाम तो 11 तारीख को ही आ गया था लेकिन मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के नाम पर कांग्रेस में सहमति पर काफी वक्त लग गया. सबसे ज़्यादा पेंच राजस्थान और मध्यप्रदेश में फंसा जहां मुख्यमंत्री के दो-दो दावेदार हैं. जहां राजस्थान में अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट प्रमुख दावेदार हैं वहीं मध्यप्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच कुर्सी को लेकर घमासान मचा था. हालांकि काफी इंतजार के बाद कमलनाथ के सीएम की कुर्सी संभालने पर सहमति बनी है, लेकिन राजस्थान में अब भी सीएम की कुर्सी इंतजार कर रही है. हालत ये हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर बैठकों का दौर चल रहा है तो इसके बाहर इन नेताओं के समर्थकों का हंगामा भी जारी है.
लेकिन इन सबके बीच बहस इस बात की हो रही है कि इन राज्यों में मुख्यमंत्रियों के नाम के ऐलान में इतना देरी क्यों? लेकिन ये केवल कांग्रेस पार्टी में ही नहीं हो रहा है. भाजपा में भी मुख्यमंत्रियों के नाम के ऐलान में भी देर हुई थी. आज जानते हैं उन राज्यों के हाल जहां भाजपा ने भी मुख्यमंत्रियों के नाम के ऐलान में समय लगाया था.
त्रिपुरा:
त्रिपुरा में भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने में 3 दिन लगाए थे. यहां विधानसभा चुनाव का परिणाम 3 मार्च 2018 को आया था जबकि मुख्यमंत्री बिप्लब देब के नाम का घोषणा 6 मार्च को की गई थी.
हिमाचल प्रदेश:
यहां भाजपा को अपने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम को घोषित करने में 6 दिनों का वक़्त लगा था. यहां वोटों की गिनती 18 दिसंबर 2017 को ही हो गई थी, जबकि नाम का ऐलान 24 दिसंबर को हो पाया...
हालांकि विधानसभा चुनावों का परिणाम तो 11 तारीख को ही आ गया था लेकिन मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के नाम पर कांग्रेस में सहमति पर काफी वक्त लग गया. सबसे ज़्यादा पेंच राजस्थान और मध्यप्रदेश में फंसा जहां मुख्यमंत्री के दो-दो दावेदार हैं. जहां राजस्थान में अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट प्रमुख दावेदार हैं वहीं मध्यप्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच कुर्सी को लेकर घमासान मचा था. हालांकि काफी इंतजार के बाद कमलनाथ के सीएम की कुर्सी संभालने पर सहमति बनी है, लेकिन राजस्थान में अब भी सीएम की कुर्सी इंतजार कर रही है. हालत ये हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर बैठकों का दौर चल रहा है तो इसके बाहर इन नेताओं के समर्थकों का हंगामा भी जारी है.
लेकिन इन सबके बीच बहस इस बात की हो रही है कि इन राज्यों में मुख्यमंत्रियों के नाम के ऐलान में इतना देरी क्यों? लेकिन ये केवल कांग्रेस पार्टी में ही नहीं हो रहा है. भाजपा में भी मुख्यमंत्रियों के नाम के ऐलान में भी देर हुई थी. आज जानते हैं उन राज्यों के हाल जहां भाजपा ने भी मुख्यमंत्रियों के नाम के ऐलान में समय लगाया था.
त्रिपुरा:
त्रिपुरा में भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने में 3 दिन लगाए थे. यहां विधानसभा चुनाव का परिणाम 3 मार्च 2018 को आया था जबकि मुख्यमंत्री बिप्लब देब के नाम का घोषणा 6 मार्च को की गई थी.
हिमाचल प्रदेश:
यहां भाजपा को अपने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नाम को घोषित करने में 6 दिनों का वक़्त लगा था. यहां वोटों की गिनती 18 दिसंबर 2017 को ही हो गई थी, जबकि नाम का ऐलान 24 दिसंबर को हो पाया था.
उत्तराखंड:
उत्तराखंड में भी मुख्यमंत्री के नाम को बताने में भाजपा को 6 दिन लग गए थे. यहां मतगणना 11 मार्च, 2017 को हुई, जबकि 17 मार्च को मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की गई थी.
उत्तरप्रदेश:
अब बात देश के सबसे बड़े विधानसभा वाले राज्य उत्तरप्रदेश की जहां भाजपा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम के ऐलान में 7 दिन लग गए थे. यहां परिणाम तो 11 मार्च 2017 को ही आ गया था लेकिन नाम का ऐलान 7 दिन बाद यानी 18 मार्च को किया गया था.
गोवा:
गोवा में भाजपा ने सबसे जल्दी यानी एक दिन के अंदर ही मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर दी थी. यहां मार्च 11, 2017 को चुनाव परिणाम आया और अगले दिन ही नाम की घोषणा कर दी गई.
महाराष्ट्र:
यहां तो भाजपा को सबसे ज़्यादा दिन अपने मुख्यमंत्री चुनने में लगे. यहां 9 दिनों के बाद देवेंद्र फडणवीस का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर ऐलान किया गया था. अक्टूबर 19, 2014 को चुनाव परिणाम आए और अक्टूबर 28 को मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हुई थी.
झारखण्ड:
झारखण्ड में वोटों की गिनती दिसम्बर 23, 2014 को हुई थी, तथा मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान तीन दिन बाद दिसम्बर 23 को हुआ था.
हरियाणा:
इस राज्य में भाजपा को अपना मुख्यमंत्री के नाम घोषित करने में दो दिन लगे थे. यहां 19 अक्टूबर 2014 को चुनाव रिजल्ट आया था तथा दो दिनों के बाद मनोहरलाल खट्टर के नाम का ऐलान कर दिया गया था.
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