मथुरा (Mathura Temple) पर केशव प्रसाद मौर्य के ट्वीट के बाद कंगना रनौत श्रीकृष्ण जन्मभूमि का दर्शन करने पहुंची थीं - इंस्टाग्राम पर अपनी मथुरा वृंदावन की तस्वीरें शेयर करते हुए कंगना ने ये जानकारी दी है.
तस्वीरों में जैसी भक्ति से सराबोर कंगना रनौत नजर आ रही हैं, अपनी पोस्ट में भी वैसी ही बातें लिखी है. कंगना रनौत के मुताबिक, ये एक बहुत ही संवेदनशील जगह है, जहां भारी सुरक्षा व्यवस्था है - और किसी को भी तस्वीर लेने की अनुमति नहीं है.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मौजूद सुरक्षा बलों को देख कर लगता है कंगना रनौत को गुस्सा आ रहा है, तभी तो लिखती हैं - ये कोई सरहद नहीं है... ये श्रीकृष्ण जन्मभूमि है - यहां भारी फोर्स देख कर दुख होता है.
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के ट्वीट पर काफी रिएक्शन देखने को मिला था, खास तौर पर चुनावी माहौल को देखते हुए बीजेपी के विरोधी राजनीतिक दलों के नेताओं के - बीजेपी के विरोधियों का तो यहां तक कहना रहा कि विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ की हार निश्चित है, इसीलिए ऐसे पैंतरे शुरू किये जा रहे हैं.
राजनीतिक विरोध और रिएक्शन पर केशव मौर्य ने सफाई भी दी है, वो तो और भी स्पष्ट तस्वीर पेश कर रही है - 'राम जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर बन रहा है. काशी में बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है. अब ये सभी कृष्ण भक्तों की मांग है कि मथुरा में भी कृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बने - मैंने सिर्फ यही व्यक्त किया था.'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) से एक इंटरव्यू के दौरान मथुरा को लेकर पूछा गया - और जवाब वो बिलकुल वैसे ही घुमा फिर कर दिये जैसे विकास दुबे एनकाउंटर में गाड़ी पलटने के सवाल पर सुनने को मिला था - 'फिर पलट सकती है... गाड़ी कभी भी पलट सकती है.'
मथुरा का मुद्दा भी वैसे ही उठाया गया है जैसे साल दर साल बीजेपी के मैनिफेस्टो में अयोध्या का जिक्र देखने को मिलता रहा. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म करने जैसे ही बीजेपी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को भी चुनावी वादे पूरे करने वाले लहजे में पेश करती आयी है - बड़ा सवाल ये है कि क्या यूपी चुनाव 2022 के लिए बीजेपी के मैनिफेस्टो में मथुरा को भी अयोध्या की तरह जगह मिलने जा रही है क्या?
बीजेपी का 'संकल्प-पत्र' क्या कहता है
यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य के मथुरा वाले ट्वीट पर बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा कहते हैं, 'घिसी पिटी बातों से उनको लगता है कि ध्रुवीकरण कर लेंगे, तो बहुत गलतफहमी में हैं केशव प्रसाद मौर्या...जनता इनका असली चेहरा देख चुकी है.'
बीएसपी नेता की ऐसी प्रतिक्रिया तब देखने को मिल रही है जब वो मायावती की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने के लिए अयोध्या से ब्राह्मण सम्मेलन करते हैं और मंचों से 'जय श्रीराम' के नारे भी लगाये जाने लगे हैं.
यूपी चुनाव के लिए बीजेपी का मैनिफेस्टो आने तक चाहें तो मथुरा की भी झांकी देख सकते हैं!
लखनऊ में मायावती जब ब्राह्मण सम्मेलन का समापन करने पहुंचती हैं तो हाथों में त्रिशूल नजर आता है - और प्रियंका गांधी वाड्रा जब बनारस में रैली करती हैं तो माथे पर त्रिपुंड और हाथों में माला-मौली लपेटा हुआ नजर आता है.
अगर वास्तव में केशव मौर्या ने घिसी पिटी बातें की है तो अरविंद केजरीवाल भला क्यों जय श्रीराम के उद्घोष के बीच दिवाली मना रहे हैं - और दिल्ली के लोगों को ट्रेन से भेज कर अयोध्या दर्शन करा रहे हैं.
असल बात तो ये है कि बीजेपी अयोध्या को भी चुनावी वादा पूरा करने के अंदाज में पेश करना चाहती है - और ये दलील ज्यादा दमदार नजर आये इसीलिए लिए अयोध्या के बाद मथुरा की झांकी पेश कर रही है.
बीजेपी ने कभी भी ये लिखित वादा नहीं किया था कि वो अयोध्या में राम मंदिर बनवाएगी. बल्कि 1991 में मंदिर आंदोलन को मुद्दा बनाने के बाद 1996 से लेकर 2019 तक हर चुनाव में बीजेपी के संकल्प का लब्बोलुआब भी एक जैसा ही रहा - बीजेपी ने बार बार यही दोहराया कि वो ऐसे हर संभव प्रयास करेगी जो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण सुनिश्चित करता हो.
1996 लोक सभा चुनाव: सत्ता में आने पर लाखों लोगों की इच्छा के अनुरूप राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की राह आसान बनाने की कोशिश होगी.
1998 लोक सभा चुनाव: कानूनी और संवैधानिक दायरे में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आम सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी - और इस मुद्दे पर बीजेपी की प्रतिबद्धता कायम है.
2004 लोक सभा चुनाव: बीजेपी फिर से कहना चाहती है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर पार्टी की प्रतिबद्धता पूरी तरह बरकरार है.
2009 लोक सभा चुनाव: बीजेपी बातचीत और न्यायिक प्रक्रिया सहित उन सारी संभावनाओं के लिए प्रयास करेगी जिससे अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का रास्ता निकाला जा सके.
2014 लोक सभा चुनाव: बीजेपी अपनी प्रतिबद्धता दोहराना चाहती है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की राह सुगम बनाने के लिए संविधान के दायरे में हर संभव प्रयास करेगी.
2019 लोक सभा चुनाव: हम फिर से दोहरा रहे हैं कि संविधान के दायरे में रहते हुए हर संभव और आवश्यक प्रयास किये जाएंगे ताकि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का काम पूरा हो सके.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017: बीजेपी अपनी वचनबद्धता दोहराती है कि पार्टी संविधान के दायरे में रहते हुए हर संभव उपायों के लिए प्रयास करेगी जिससे अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण मूर्त रूप ले सके. 2012 के भी यूपी विधानसभा चुनावों के लिए भी बीजेपी ने ऐसा ही संकल्प दोहराया था.
बात वही, अंदाज भी वही है
मथुरा को लेकर बीजेपी नेता केशव प्रसाद मौर्य का ट्वीट, दरअसल, बीजेपी के पुराने मंदिर स्लोगन का ही नया वर्जन है. नये अपडेट में भी 'अयोध्या तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है' जैसी ध्वनि सुनी जा सकती है.
ये बात अलग है कि ये ध्वनि ज्यादा स्पष्ट बीजेपी के वोटर को ही सुनाई पड़ेगी, बनिस्बत राजनीतिक विरोधी मतदाताओं के - हां, वैसे वोटर का भी ध्यान खींच सकती है जो आखिरी दौर में निर्णय लेते हैं कि ईवीएम पर किस चुनाव निशान के सामने वाला बटन दबाना है.
केशव मौर्य के ट्वीट पर सबसे जरूरी था योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया जानना और एक इंटरव्यू में ये मौका भी आ ही गया, सवाल था - 'क्या मथुरा में जन्मभूमि का जो स्थान है, वहां से वो मस्जिद हटाना आपके एजेंडे में शामिल है?'
क्या ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर किसी भी नेता से हां या ना में जवाब की अपेक्षा की जा सकती है - ये भले ही नामुमकिन हो लेकिन सवाल तो बनता ही है. पूछा ही जाना चाहिये और जवाब देने वाले के पास भी सब सर्वाधिकार सुरक्षित है.
बेशक योगी आदित्यनाथ के लिए ये मुश्किल सवाल रहा होगा, लेकिन ये भी मान कर चलना चाहिये कि उनको भी ऐसे सवाल की प्रतिक्षा तो रही ही होगी - ताकि वो अपने वोटर को सीधे सीधे संबोधित कर सकें.
हो सकता है, योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठे होते तो कुछ और भी कह सकते थे, लेकिन मथुरा में मस्जिद को हटाने के सवाल पर बोले, 'मथुरा में तो भगवान श्री कृष्ण की ही पूजा होती है... अयोध्या में भगवान श्रीराम की पूजा होती है... काशी में बाबा विश्वनाथ जी की पूजा होती है... बरसाना में राधा रानी की पूजा होती है... मुझे लगता है कि ये सब राजनैतिक एजेंडा से बहुत ऊपर हैं.'
चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ योगी आदित्यनाथ ऐसी बातें बड़े आराम से बोल जाते हैं और अक्सर ही ये द्विअर्थी होती हैं. योगी आदित्यनाथ से सोशल मीडिया पर जारी उस बहस की तरफ भी ध्यान दिलाया जाता जिसमें कहा जा रहा है - इस बार योगी जी आएंगे तो मथुरा से वो मस्जित हट जाएगी.
योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर छायी मुस्कुराहट को महसूस कीजिये और उनके एक एक शब्द पर ध्यान दीजिये, 'मैं मथुरा जाता रहता हूं… हाल ही में मथुरा गया था, लेकिन मैंने पहले भी कहा कि आस्था का सम्मान प्रथमिकता है... किसी से भी पूछेंगे मथुरा में किसकी पूजा होती है तो सामने वाला कहेगा कि भगवान श्रीकृष्ण की...'
क्या बीजेपी ने कभी भी कहा था कि वो अयोध्या में खुद राम मंदिर निर्माण कराएगी? अब भी तो बीजेपी नेता केशव प्रसाद मौर्य यही कह रहे हैं कि जैसे अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, मथुरा में भव्य श्रीकृष्ण मंदिर बनेगा - और ये सब शुरू हुआ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे से ठीक पहले, जहां वो 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करने वाले हैं.
शब्दों पर मत जाइये. भावनाओं को समझिये. जो बात केशव मौर्य के ट्वीट में है वही उनकी सफाई में भी समझ आती है और योगी आदित्यनाथ भी वहीं फोकस हैं. 2022 के लिए नये मैनिफेस्टो का इंतजार कीजिये - ज्यादा दिन दूर नहीं है.
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