जेयर बोलसोनारो को 28 अक्टूबर को ब्राजील का नया राष्ट्रपति चुना गया. सेना के पूर्व कैप्टन जेयर बोलसोनारो को उनके तीखे बयानों के कारण ‘ट्रॉपिकल ट्रंप’ भी बुलाया जाता है. वह कई बार सार्वजनिक तौर पर अमेरिकी नेता की प्रशंसा कर चुके हैं. ब्राजील उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जहां दक्षिणपंथियों ने सत्ता पर कब्जा जमा लिया है.
ब्राज़ील के चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार और अपराध रहे. चुनाव प्रचार के दौरान बोलसोनारो पर चाकू से हमला भी हुआ था और जिसके कारण उन्हें सर्जरी भी करवानी पड़ी थी. वे करीब तीन सप्ताह तक अस्पताल में रहे थे. वे कन्जरवेटिव सोशल लिबरल पार्टी से आते हैं. ऑफिशियल नतीजों के अनुसार बोलसोनारो को 55.13 फीसदी मत प्राप्त हुए जबकि उनके वामपंथी प्रतिद्वंद्वी फर्नांडो हद्दाद को 44.87 फीसदी मत मिले. गर्भपात, नस्लवाद, माइग्रेशन, समलैंगिकता और बंदूक से जुड़े क़ानूनों पर बोलसोनारो के उग्र विचारों के चलते उन्हें 'ब्राज़ील का ट्रंप' या 'ट्रॉपिकल ट्रंप' भी कहा जाता है.
राष्ट्रपति बनने से पहले बोलसोनारो और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में कई असमानताएं थी. चुनाव से पहले ट्रम्प एक अरबपति व्यवसायी थे, जबकि बोलसोनारो लंबे समय से कांग्रेस नेता रहे और उन्हें कुछ चुनावों में ही जीत मिली थी. हालांकि उन दोनों में काफी असमानताएं हैं फिर भी कई राजनीतिक विश्लेषक और चुनाव में जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि उनके चुनावी अभियानों में इस्तेमाल की गयी रणनीतियां काफी मिलती जुलती हैं.
जेयर बोलसोनारो को 28 अक्टूबर को ब्राजील का नया राष्ट्रपति चुना गया. सेना के पूर्व कैप्टन जेयर बोलसोनारो को उनके तीखे बयानों के कारण ‘ट्रॉपिकल ट्रंप’ भी बुलाया जाता है. वह कई बार सार्वजनिक तौर पर अमेरिकी नेता की प्रशंसा कर चुके हैं. ब्राजील उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जहां दक्षिणपंथियों ने सत्ता पर कब्जा जमा लिया है.
ब्राज़ील के चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार और अपराध रहे. चुनाव प्रचार के दौरान बोलसोनारो पर चाकू से हमला भी हुआ था और जिसके कारण उन्हें सर्जरी भी करवानी पड़ी थी. वे करीब तीन सप्ताह तक अस्पताल में रहे थे. वे कन्जरवेटिव सोशल लिबरल पार्टी से आते हैं. ऑफिशियल नतीजों के अनुसार बोलसोनारो को 55.13 फीसदी मत प्राप्त हुए जबकि उनके वामपंथी प्रतिद्वंद्वी फर्नांडो हद्दाद को 44.87 फीसदी मत मिले. गर्भपात, नस्लवाद, माइग्रेशन, समलैंगिकता और बंदूक से जुड़े क़ानूनों पर बोलसोनारो के उग्र विचारों के चलते उन्हें 'ब्राज़ील का ट्रंप' या 'ट्रॉपिकल ट्रंप' भी कहा जाता है.
राष्ट्रपति बनने से पहले बोलसोनारो और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में कई असमानताएं थी. चुनाव से पहले ट्रम्प एक अरबपति व्यवसायी थे, जबकि बोलसोनारो लंबे समय से कांग्रेस नेता रहे और उन्हें कुछ चुनावों में ही जीत मिली थी. हालांकि उन दोनों में काफी असमानताएं हैं फिर भी कई राजनीतिक विश्लेषक और चुनाव में जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि उनके चुनावी अभियानों में इस्तेमाल की गयी रणनीतियां काफी मिलती जुलती हैं.
सीधी बात
दोनों के बीच सबसे ज्यादा समानता इस बात की है कि ट्रंप और बोलसोनारो बोलने से पहले ये बिलकुल भी नहीं सोचते कि उन्हें क्या बोलना है और इसका परिणाम क्या हो सकता है. बोलसोनारो भी करीब-करीब इसी सिंड्रोम से पीड़ित हैं. और इसी के तहत उन्होंने ब्राजील में 1964 से 1985 तक लागू सैन्य तानाशाही को भी स्वीकृति दी और इसकी खूब तारीफ भी की है.
मीडिया के खिलाफ रुख
बोलसोनारो और उनके बेटों ने ब्राज़ील के मुख्य मीडिया संस्थानों के खिलाफ आरोप लगाए कि वे उनके खिलाफ झूठ फैला रहे हैं. वे उनकी लोकप्रियता को जनता से छुपा रहे हैं. ट्रंप की ही तरह उन्होंने मीडिया पे ये आरोप लगाया कि वे देश के अभिजात्य वर्ग को फायदा पहुंचने का कार्य कर रहे हैं और उनके चुनावी कैंपेन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
सोशल मीडिया में भरोसा
ट्रंप और बोलसोनारो दोनों ने अपने चुनाव कैंपेन के दौरान सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया. उन्होंने अपने चुनावी अभियानों में फेसबुक और ट्विटर का बखूभी इस्तेमाल किया. बोलसोनारो पर जब सितम्बर में चाकू से हमला हुआ था और जब वे हॉस्पिटल में भर्ती थे तब भी इसका इस्तेमाल बखूभी हुआ था. वोटरों से सीधे जुड़ने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया इसे ही माना गया है.
साथ ही साथ दोनों ने ये आशंका जताई थी कि इलेक्शन में फ्रॉड का इस्तेमाल करके उन्हें सत्ता में आसीन होने से रोका जा सकता है. चुनाव जीतने के बाद बोलसोनारो ने संविधान, लोकतंत्र और स्वतंत्रता की रक्षा करने का वादा किया है और देश में बुनियादी बदलाव लाने का भी संकल्प लिया है लेकिन अब देखना ये है की कही ट्रंप की तरह वे भी कंट्रोवर्शियल फिगर की सूची में सम्मिलित होकर नहीं रह जाएं.
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