ब्रिटेन के लेस्टर में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए एक मैच के बाद भड़की हिंसक प्रदर्शनों की आग लगातार फैलती जा रही है. मुस्लिम कट्टरपंथी समूहों द्वारा हिंदुओं के साथ उनके मंदिरों को भी निशाना बनाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो के अनुसार, मुस्लिमों ने अब बर्मिंघम के स्मेथविक में भी हिंदू मंदिर को निशाना बनाया है. इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ 'अल्लाहू-अकबर' के नारे लगाती हुई हिंदू धर्मस्थलों में लगातार तोड़-फोड़ कर रही है. लेस्टर पुलिस ने हिंसक प्रदर्शनों के मामले में अब तक 47 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें से दो मुस्लिम आरोपियों को सजा भी सुनाई जा चुकी है. भारतीय समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा और हिंदू धर्मस्थलों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं की भारतीय उच्चायोग ने निंदा करते हुए सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है. लेकिन, अहम सवाल ये है कि आखिर ये हिंसा रुक क्यों नहीं रही है?
क्या हिंदुओं की रैली से फूटा मुस्लिमों का गुस्सा?
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए मैच के बाद जश्म मनाते एक भारतीय समर्थक के साथ मार-पीट की घटना को अंजाम दिया गया था. जिसके बाद कुछ लोगों ने इस घटना के विरोध में मार्च निकाला था. खुद को पत्रकार कहने वाली एक स्वघोषित बुद्धिजीवी वसुंधरा श्रीनेत ने दावा किया कि उन्होंने लेस्टर की एक फुटेज देखी है, जिसमें करीब 200 हिंदुत्व समर्थकों की भीड़ 'मुस्लिम एरिया' में जय श्री राम के नारे लगाते हुए रैली निकाल रहे थे. इन महिला पत्रकार का मानना है कि हिंदुत्व ने भारत में गहरी खाई बना दी है. और, अब ये अलगाव पूरी दुनिया में फैलता जा रहा है. वसुंधरा ने इसके लिए भारत सरकार को ही दोषी करार दिया है. और, दावा किया है कि उनके जैसे बहुत से लोग हिंदुत्व के खिलाफ भारत में लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन, सवाल ये है कि क्या ब्रिटेन में किसी एरिया को 'मुस्लिम एरिया' घोषित किया जा सकता है?
ब्रिटेन के लेस्टर में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए एक मैच के बाद भड़की हिंसक प्रदर्शनों की आग लगातार फैलती जा रही है. मुस्लिम कट्टरपंथी समूहों द्वारा हिंदुओं के साथ उनके मंदिरों को भी निशाना बनाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो के अनुसार, मुस्लिमों ने अब बर्मिंघम के स्मेथविक में भी हिंदू मंदिर को निशाना बनाया है. इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ 'अल्लाहू-अकबर' के नारे लगाती हुई हिंदू धर्मस्थलों में लगातार तोड़-फोड़ कर रही है. लेस्टर पुलिस ने हिंसक प्रदर्शनों के मामले में अब तक 47 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें से दो मुस्लिम आरोपियों को सजा भी सुनाई जा चुकी है. भारतीय समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा और हिंदू धर्मस्थलों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं की भारतीय उच्चायोग ने निंदा करते हुए सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है. लेकिन, अहम सवाल ये है कि आखिर ये हिंसा रुक क्यों नहीं रही है?
क्या हिंदुओं की रैली से फूटा मुस्लिमों का गुस्सा?
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए मैच के बाद जश्म मनाते एक भारतीय समर्थक के साथ मार-पीट की घटना को अंजाम दिया गया था. जिसके बाद कुछ लोगों ने इस घटना के विरोध में मार्च निकाला था. खुद को पत्रकार कहने वाली एक स्वघोषित बुद्धिजीवी वसुंधरा श्रीनेत ने दावा किया कि उन्होंने लेस्टर की एक फुटेज देखी है, जिसमें करीब 200 हिंदुत्व समर्थकों की भीड़ 'मुस्लिम एरिया' में जय श्री राम के नारे लगाते हुए रैली निकाल रहे थे. इन महिला पत्रकार का मानना है कि हिंदुत्व ने भारत में गहरी खाई बना दी है. और, अब ये अलगाव पूरी दुनिया में फैलता जा रहा है. वसुंधरा ने इसके लिए भारत सरकार को ही दोषी करार दिया है. और, दावा किया है कि उनके जैसे बहुत से लोग हिंदुत्व के खिलाफ भारत में लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन, सवाल ये है कि क्या ब्रिटेन में किसी एरिया को 'मुस्लिम एरिया' घोषित किया जा सकता है?
लेस्टर को 'नो गो जोन' बनाने की प्रक्रिया
लेस्टर में हिंदुओं के ऊपर हो रहे हमलों के पीछे की कहानी अब धीरे-धीरे परत-दर-परत खुलती जा रही है. दरअसल, लेस्टर के इलाके में हिंदुओं के साथ ही बड़ी संख्या में यहूदी, जैन, सिख और मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं. वैसे, मुस्लिम समुदाय के निशाने पर यहूदी हमेशा से ही रहे हैं. लेकिन, भारत में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही हिंदू भी मुस्लिमों के निशाने पर आ गए. हाल ही में साध्वी ऋतंभरा को लेस्टर में ही एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ब्रिटेन जाना था. लेकिन, स्थानीय मुस्लिमों ने साध्वी ऋतंभरा को भाजपा और आरएसएस का एजेंट और कट्टरपंथी हिंदू बताते हुए उनकी इस यात्रा का विरोध करना शुरू कर दिया. कहा जा रहा है कि मुस्लिमों में गुस्सा भड़कने का एक बड़ा कारण ये भी था. हालांकि, सुरक्षा कारणों से साध्वी ऋतंभरा का ये कार्यक्रम रद्द कर दिया गया. लेकिन, इसके बावजूद लेस्टर के मुस्लिम निवासियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ.
दरअसल, 'बहुसंस्कृतिवाद' और 'शांतिप्रियता' के लिए मशहूर स्वीडन जैसे यूरोपियन देशों में अप्रवासियों और शरणार्थियों ने बहुत से 'नो गो जोन' बना लिए हैं. इन इलाकों में इस्लामिक शरिया कानून लागू करने की मांग की जाती है. क्योंकि, यहां मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक होकर एक समानांतर सरकार चला रहे हैं. ये काफी हद तक वैसा ही है, जैसा म्यामांर में रोहिंग्या मुस्लिमों ने करने की कोशिश की थी. कहना गलत नहीं होगा कि लेस्टर में हिंदुओं, यहूदी, जैन, सिख समुदाय के बीच इस तरह की हिंसक घटनाओं के जरिये दहशत फैलाकर उन्हें इस एरिया से भागने पर मजबूर करने की कोशिश हो रही है. और, कट्टरपंथी मुस्लिम इसमें कामयाब भी होते नजर आ रहे हैं. क्योंकि, विदेशों के साथ ही भारत के बुद्धिजीवियों का एक हिस्सा इन कट्टरपंथी मुस्लिमों पर बात करने की बजाय अब भारत में मुस्लिमों पर हो रहे कथित अत्याचारों पर इसका दोष मढ़ रहा है.
कौन है मोहम्मद हिजाब?
हिंदुओं के खिलाफ इन हमलों में मोहम्मद हिजाब का नाम सामने आया है, जो एक यूट्यूबर बताया जा रहा है. कई वायरल वीडियो में हिंदुओं और हिंदू धर्मस्थलों पर हमले करने के लिए कट्टरपंथी मुस्लिमों की भीड़ को यही मोहम्मद हिजाब उकसाता हुआ नजर आ रहा है. मोहम्मद हिजाब ने इससे पहले लंदन में यहूदियों पर हुए हमलों में भी ऐसी ही भूमिका निभाई थी. यहूदियों पर हुए हमलों से जुड़े एक वीडियो में मोहम्मद हिजाब कहता नजर आ रहा है कि 'जब वो लोग अपने डॉग्स के साथ इस सड़क पर आते हैं. तो, ये हमें भड़काने के लिए किया जाता है. हम साफ कर दे रहे हैं कि अगर उनके डॉग्स हमारे नजदीक आएंगे, तो हम इसे भड़काऊ मानेंगे. और, उनके डॉग्स को मार देंगे.' इसी वीडियो में कट्टरपंथी मोहम्मद हिजाब कहता है कि 'हमें मौत से डर नहीं लगता है. हमारे संघर्ष को मुस्लिम वर्ल्ड नजरअंदाज नहीं करेगा.'
हिंदुओं के खिलाफ हिंसा से जुड़े एक अन्य वायरल वीडियो में मोहम्मद हिजाब कहता नजर आ रहा है कि इन लोगों को इस सड़क पर निकलने देने की वजह से ही ये स्थिति पैदा हुई है. अगर पुलिस इन्हें निकलने से रोक देती तो ऐसा नहीं होता. आसान शब्दों में कहें, तो ये गुस्सा केवल हिंदुओं के खिलाफ नहीं है. बल्कि, उस 'मुस्लिम एरिया' में रहने वाले हर गैर-मजहब के लोगों के खिलाफ है, जो इस्लाम को मानने वाले नहीं हैं. आज जिस तरह से लेस्टर में हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है. भविष्य में अन्य धर्मों के खिलाफ भी यही किया जाएगा. और, उस समय कोई कुछ नहीं कर सकेगा. क्योंकि, तब तक मुस्लिम कट्टरपंथी उस 'मुस्लिम एरिया' में बहुसंख्यक हो चुके होंगे. जिसके बाद लोगों के पास अपनी जमीनें औने-पौने दामों में बेचकर जाने के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा.
यहां देखें इस घटना से जुड़े कुछ वायरल वीडियो...
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