देश की 17 वीं लोकसभा के लिए, 6 चरणों के मतदान के बाद, जिस तरह के रुझान आ रहे हैं. माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे. मोदी दोबारा सत्ता में न आएं. इसके लिए पूरा विपक्ष लामबंद है. विपक्ष द्वारा लगातार यही प्रयास किये जा रहे हैं कि, कैसे भी करके मोदी-शाह का विजय रथ रोका जाए. बात मोदी विरोध या आलोचनाओं की चल रही है तो हमारे लिए बसपा प्रमुख मायावती का जिक्र करना लाजमी हो जाता है.
बीते कुछ वक़्त से मायावती पीएम मोदी के खिलाफ आलोचना को लेकर मुखर रही हैं. जैसा मायावती का अंदाज है, कह सकते हैं फ़िलहाल वो मोदी की सबसे बड़ी आलोचक हैं.आलोचक होने से पहले मायावती खुद एक महिला हैं. एक महिला जब दूसरी महिला को कटघरे में खड़ा करे तो सवाल होने लाजमी है. बसपा प्रमुख मायावती अपने एक बयान के कारण चर्चा में हैं. अलवर गैंगरेप मामले को लेकर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति अपने सबसे ऊंचे मुकाम पर है.
भाजपा ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर इस मामले में लापरवाही बरतने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है. तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बसपा सुप्रीमो मायावती को चुनौती देते हुए कहा कि वो इस मामले पर केवल घड़ियाली आंसू ना बहाएं, बल्कि कांग्रेस की राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस लें. पीएम मोदी के इन आरोपों का पलटवार करते हुए मायावती ने भी पीएम मोदी पर हमला बोला है और कहा है कि जब उन्होंने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए अपनी पत्नी को छोड़ दिया तो फिर वो दूसरों की बहनों और बहुओं का सम्मान कैसे कर सकते हैं.
साथ ही उत्तर परेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ये भी कहा कि भाजपा की महिला नेता उनके...
देश की 17 वीं लोकसभा के लिए, 6 चरणों के मतदान के बाद, जिस तरह के रुझान आ रहे हैं. माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे. मोदी दोबारा सत्ता में न आएं. इसके लिए पूरा विपक्ष लामबंद है. विपक्ष द्वारा लगातार यही प्रयास किये जा रहे हैं कि, कैसे भी करके मोदी-शाह का विजय रथ रोका जाए. बात मोदी विरोध या आलोचनाओं की चल रही है तो हमारे लिए बसपा प्रमुख मायावती का जिक्र करना लाजमी हो जाता है.
बीते कुछ वक़्त से मायावती पीएम मोदी के खिलाफ आलोचना को लेकर मुखर रही हैं. जैसा मायावती का अंदाज है, कह सकते हैं फ़िलहाल वो मोदी की सबसे बड़ी आलोचक हैं.आलोचक होने से पहले मायावती खुद एक महिला हैं. एक महिला जब दूसरी महिला को कटघरे में खड़ा करे तो सवाल होने लाजमी है. बसपा प्रमुख मायावती अपने एक बयान के कारण चर्चा में हैं. अलवर गैंगरेप मामले को लेकर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति अपने सबसे ऊंचे मुकाम पर है.
भाजपा ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर इस मामले में लापरवाही बरतने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है. तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बसपा सुप्रीमो मायावती को चुनौती देते हुए कहा कि वो इस मामले पर केवल घड़ियाली आंसू ना बहाएं, बल्कि कांग्रेस की राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस लें. पीएम मोदी के इन आरोपों का पलटवार करते हुए मायावती ने भी पीएम मोदी पर हमला बोला है और कहा है कि जब उन्होंने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए अपनी पत्नी को छोड़ दिया तो फिर वो दूसरों की बहनों और बहुओं का सम्मान कैसे कर सकते हैं.
साथ ही उत्तर परेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ये भी कहा कि भाजपा की महिला नेता उनके पतियों के पीएम मोदी से करीबी से घबराती हैं. उनका कहना है कि उन महिलाओं को डर है कि कहीं पीएम मोदी उन्हें भी अपनी पत्नी की तरह अपने पतियों से अलग ना करवा दें. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक मायावती ने कहा, 'मुझे तो यह भी मालूम चला है कि भाजपा में खासकर विवाहित महिलाएं अपने आदमियों को श्री मोदी के नजदीक जाते देखकर, यह सोच कर भी काफी ज्यादा घबराती रहती हैं कि कहीं ये मोदी अपनी औरत की तरह हमें भी अपने पति से अलग ना करवा दे.'
बसपा प्रमुख को इतनी महत्वपूर्ण और रहस्यमय जानरी कहां से मिली है? मुद्दा वो नहीं है. बल्कि मुद्दा ये है कि आखिर राजनीति की ये कैसी मजबूरियां हैं कि अपनी राजनीति साधने के लिए एक महिला ही दूसरी महिला के दामन को अपने बेतुके बयानों से दागदार कर दे. मायावती इस बात से परिचित हैं कि नरेंद्र मोदी की पत्नी जसोदाबेन का राजनीति से कोई मतलब नहीं है. कई मौके आए हैं जब उन्होंने इस बात को स्वीकारा है कि वो सिर्फ पीएम मोदी बल्कि उनकी राजनीति तक से कोसों दूर हैं.
मायावती महिलाओं को सलाह दे रही हैं कि वो अपने अपने पतियों को मोदी से दूर रखें. नहीं तो किसी भी क्षण उनके द्वारा उन्हें छोड़ा जा सकता है. सवाल होगा कि क्या वाकई इस देश की महिलाओं को लगता है कि मोदी की वजह से उनके पति उन्हें छोड़ देंगे? या फिर मायावती पतिओं के विश्वास को कम आंक रही हैं? दोनों ही सवालों का जवाब न है.
हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पीएम मोदी की आलोचना के लिए मायवती का उनके परिवार या फिर निजी जीवन को घेरना खुद इस बात को साफ कर देता है कि उत्तर प्रदेश में बसपा से गठबंधन करके मायावती बहुत बुरी तरह से हताशा में हैं. पीएम मोदी के खिलाफ जैसी हड़बड़ाहट मायावती अपनी रैलियों / भाषणों में दिखा रही हैं वो ये भी साफ कर देता है कि यदि भाजपा विशेषकर मोदी दोबारा सरकार बनाने में कामयाब हो गए तो फिर उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा?
बहरहाल, आरोपों प्रत्यारोपों के बीच मायावती पीएम मोदी की पत्नी को ला चुकी हैं और इस विषय में सवाल कर लिया है तो हमारे लिए ये बताना बेहद जरूरी है कि भले ही मोदी से जसोदाबेन को फायदा न हुआ हो हां मगर मायावती का खूब फायदा उनके भाई आनंद कुमार को हुआ है. आपको बताते चलें कि मायावती के भाई आनंद कुमार की संपत्ति साल 2007 से साल 2014 के बीच साढ़े सात करोड़ रुपए से बढ़कर 1300 करोड़ रुपए पहुंच गयी. यहां ये बताना बेहद जरूरी है कि साल 2007 से साल 2012 तक मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं. आनंद कुमार के सम्बन्ध में कहा जाता है कि उन्होंने कई फर्जी कंपनियां बनाकर करोड़ों के लोन हासिल किये और रियल स्टेट में बड़े पैमाने पर निवेश किया.
ज्ञात हो कि मायावती के भाई आनंद कुमार नोट बंदी के बाद सुर्ख़ियों में आए थे जब प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खाते में लगभग डेढ़ करोड़ रुपए और बसपा से जुड़े एक अकाउंट में 104 करोड़ रुपए जमा होने का खुलासा किया था. जांच एजंसियों को शक है कि इन खातों में पैसा हवाला लेन देन के जरिये आया है.
अब क्योंकि मायावती के भाई के बारे में ये बेश्मीमती जानकारी बाहर आ ही चुकी है तो मायावती को कीचड़ में पत्थर मरने से पहले अपने आप को देख लेना चाहिए कि कहीं पत्थर के कारण उछला हुआ कीचड़ उनके खुद के दामन को दागदार न कर दे.
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