वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का 'बही-खाता' भाषण रहा तो बेहद खुशनुमा. जब तक भाषण चला आगे आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पीछे पीछे उनके कैबिनेट सहयोगी और सांसद मेज थपथपाकर जोश हाई किये रहे. निर्मला सीतारमण बीच बीच में हिंदी के शब्दों का बी खूब इस्तेमाल करती रहीं - और आखिर में देश के करदाताओं का आभार जताते हुए तमिल में नैतिक शिक्षा का एक पाठ भी पढ़ाया. सुन कर तो यही लगा कि विरोधियों को भी अच्छे दिनों को लेकर नाउम्मीद होने की जरूरत नहीं है, मोदी सरकार 2.0 का विजन मोदी सरकार 1.0 से भी बड़ा है.
चुनाव से पहले पीयूष गोयल का अंतरिम बजट जहां किसानों, गरीबों और छोटे कारोबारियों पर केंद्रित रहा, निर्मला सीतारमण का मुख्य बजट का फोकस है - गांव, गरीब और किसान. मतलब पूरा का पूरा वोट बैंक जिसका पहला निशाना तो आने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव ही हैं - महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव.
कुछ भी हो पैकेजिंग शानदार है
बजट को लेकर आर्थिक विशेषज्ञ थोड़े निराश जरूर हैं, लेकिन एक बात तो उन्हें भी माननी पड़ेगी - पैकेजिंग तो शानदार है. है कि नहीं?
बजट की खूबसूरत पैकेजिंग तो लाल रंग के बही-खाता में पहले ही आ गयी थी जिसे देख किसी का भी मन खुश हो जाएगा. चमड़े के ब्रीफकेस की जगह भारतीय कारोबारी परंपरा का बही-खाता खूब फब रहा था. बताने की जरूरत नहीं, जब महिला के हाथ में खजाने की चाबी पूरी तरह आ जाएगी तो ये सब तो देखने को मिलेगा ही.
स्पीकर ओम बिड़ला के आने से संसद में हिंदी शब्दों के कोष में जो इजाफा देखने को मिल रहा है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी उसमें खासा योगदान देती देखी गयीं. जगह जगह हिंदी के शब्दों को जोर देकर सुना रही थीं. कहा भी कि बड़े हिंदीभाषी लोगों के लिए ऐसा कर रही हैं. उत्तर और दक्षिण का बैलेंस बरकरार रखने के लिए एक तमिल कविता सुनाया भी और ठीक से समझाया भी. गौर करने वाली बात ये रही कि विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के प्रसंग से शुरुआत की - आखिर पश्चिम बंगाल में भी तो लाल रंग हटा कर आयी तृणमूल...
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का 'बही-खाता' भाषण रहा तो बेहद खुशनुमा. जब तक भाषण चला आगे आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पीछे पीछे उनके कैबिनेट सहयोगी और सांसद मेज थपथपाकर जोश हाई किये रहे. निर्मला सीतारमण बीच बीच में हिंदी के शब्दों का बी खूब इस्तेमाल करती रहीं - और आखिर में देश के करदाताओं का आभार जताते हुए तमिल में नैतिक शिक्षा का एक पाठ भी पढ़ाया. सुन कर तो यही लगा कि विरोधियों को भी अच्छे दिनों को लेकर नाउम्मीद होने की जरूरत नहीं है, मोदी सरकार 2.0 का विजन मोदी सरकार 1.0 से भी बड़ा है.
चुनाव से पहले पीयूष गोयल का अंतरिम बजट जहां किसानों, गरीबों और छोटे कारोबारियों पर केंद्रित रहा, निर्मला सीतारमण का मुख्य बजट का फोकस है - गांव, गरीब और किसान. मतलब पूरा का पूरा वोट बैंक जिसका पहला निशाना तो आने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव ही हैं - महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव.
कुछ भी हो पैकेजिंग शानदार है
बजट को लेकर आर्थिक विशेषज्ञ थोड़े निराश जरूर हैं, लेकिन एक बात तो उन्हें भी माननी पड़ेगी - पैकेजिंग तो शानदार है. है कि नहीं?
बजट की खूबसूरत पैकेजिंग तो लाल रंग के बही-खाता में पहले ही आ गयी थी जिसे देख किसी का भी मन खुश हो जाएगा. चमड़े के ब्रीफकेस की जगह भारतीय कारोबारी परंपरा का बही-खाता खूब फब रहा था. बताने की जरूरत नहीं, जब महिला के हाथ में खजाने की चाबी पूरी तरह आ जाएगी तो ये सब तो देखने को मिलेगा ही.
स्पीकर ओम बिड़ला के आने से संसद में हिंदी शब्दों के कोष में जो इजाफा देखने को मिल रहा है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी उसमें खासा योगदान देती देखी गयीं. जगह जगह हिंदी के शब्दों को जोर देकर सुना रही थीं. कहा भी कि बड़े हिंदीभाषी लोगों के लिए ऐसा कर रही हैं. उत्तर और दक्षिण का बैलेंस बरकरार रखने के लिए एक तमिल कविता सुनाया भी और ठीक से समझाया भी. गौर करने वाली बात ये रही कि विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस के प्रसंग से शुरुआत की - आखिर पश्चिम बंगाल में भी तो लाल रंग हटा कर आयी तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल कर 2022 में भगवा फहराना जो है.
विशेषज्ञों से लेकर आम अवाम तक ये सुनने का इंतजार करता रहा कि किस मद के लिए क्या इंतजाम किया गया है - वित्त मंत्री ने ऐसे आंकड़े कागजों के हवाले कर आखिर में बस सूचना दे दी - फिक्र की जरूरत नहीं दस्तावेज पूरे के पूरे हैं.
अब दस्तावेजों के अंदर से जो भी निकल कर आये अभी इतना तो लगता ही है कि ब्रीफकेस को कूड़ेदान के हवाले कर लाल टेस बही-खाता वैसे ही पेश किया गया है जैसे चुनाव घोषणा पत्र की जगह संकल्प पत्रों को दे दी गयी है. बताने की जरूरत नहीं, समझने वाली बात बस इतनी ही है कि चिंता नहीं करने का सरकार सब कुछ करेगी. खूब बड़ा बड़ा करेगी. आप बस वोट देते जाओ और इंतजार करते रहो. अच्छे दिन तो आएंगे ही. देर जरूर है, लेकिन अंधेर होती कहां है.
मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट में कम से कम पांच ऐसी बातें तो हैं ही जो आबादी के बड़े तबके को कवर कर रही है, ताकि बीजेपी के खाते में उनके वोट सुनिश्चित हो सकें.
1. एक देश, एक ग्रिड - सबसे पहले 'एक देश, एक टैक्स' को सबने देख ही लिया है, अब GST किसी में किसी की गब्बर सिंह टैक्स नजर आता है तो ये उसकी समस्या हो सकती है. हाल ही में वो ऐलान भी आपने सुन ही लिया होगा - एक देश, एक राशन कार्ड. मेट्रो कार्ड सुविधा को लेकर भी इसी तरह की बातें चल रही हैं.
मोदी सरकार 2.0 अब 'एक देश, एक ग्रिड' के साथ आ रही है जिसके जरिये सभी राज्यों को सस्ती बिजली मुहैया कराने की योजना है. वित्त मंत्री के अनुसार, मोदी सरकार इस व्यवस्था के माध्यम से हर राज्य को सही दाम पर हर वक्त बिजली देने के इंतजाम में जुटी हुई है.
2. अब आधार भी चलेगा - अब तक आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए PAN कार्ड की जरूरत हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसी बाध्यता नहीं रही. आयकर रिटर्न अब पैन के साथ साथ आधार नंबर से भी फाइल किया जा सकेगा.
3. लोन के लिए सिर्फ 59 मिनट - सरकार छोटे और मझोले उद्योगों के लिए 59 मिनट में लोन मंजूर कराने की व्यवस्था कर रही है. साथ ही छोटे दुकानदारों को पेंशन भी दी जाएगी. वित्त मंत्री के बजट भाषण के अनुसार इस स्कीम से देश के 3 करोड़ से ज्यादा छोटे दुकानदारों को सीधा फायदा मिल सकेगा.
4. हर घर को जलशक्ति - जलशक्ति मंत्रालय के तहत जल आपूर्ति के लक्ष्य को लागू किया जा रहा है. वित्त मंत्री ने बताया कि 1500 ब्लॉक की पहचान की गई जिनके जरिये 2024 तक हर घर में जल पहुंचाने का टारगेट रखा गया है.
5. आदर्श किराया कानून - सबको घर मिले और सस्ता मिले इसके लिए ब्याज पर 3.5 लाख रुपये की छूट भी मिलने जा रही है - और किरायेदार और मकान मालिक की मुश्किलों को खत्म करने के लिए आदर्श किराया कानून भी बनने जा रहा है.
जिन्होंने दोबारा सत्ता दिलवायी वे आगे भी वोट देते रहें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये तो बता ही दिया है कि सरकार की नीतियों के केंद्र में गांव, गरीब और किसान हैं. गरीबी खत्म हो न हो, गरीबी की राजनीति सत्ता की राह आसान तो कर ही देती है. जब उसे गांव और गांव के किसान से जोड़ दिया जाये फिर कहना ही क्या?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब नामांकन के लिए वाराणसी पहुंचे थे तो एक इच्छा का इजहार किया था - मातृ शक्ति का वोट ज्यादा पड़ जाता तो कितना अच्छा होता. ये सुनना ही था कि मातृशक्ति ने जी खोल कर आशीर्वाद दिया और इच्छी भी पूरी कर दी. खुद प्रधानमंत्री तो इस बात का जिक्र संसद में कर ही चुके हैं - वित्त मंत्री के भाषण में भी सुनने को मिला.
महिलाओं के वोट के लिए - मोदी सरकार 1.0 का स्लोगन 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अगले स्तर पर पहुंच कर मोदी सरकार 2.0 में 'नारी तू नारायणी' हो गया है.
स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा - 'एक पंख के बिना कोई चिड़िया उड़ नहीं सकती.'
फिर उस बात का भी जिक्र आया जो प्रधानमंत्री मोदी ने भी किया था - 'इस चुनाव में महिलाओं ने रेकॉर्ड मतदान किया - और लोक सभा में 78 महिला सांसद चुनी गई हैं, जो अपने आप में एक रेकॉर्ड है.'
1. वित्त मंत्री ने बताया कि जनधन खाताधारक महिलाओं को 5000 रुपये ओवरड्राफ्ट की सुविधा दी जाएगी.
2. महिलाओं के लिए अलग से एक लाख रुपये के मुद्रा लोन की भी व्यवस्था की जाएगी.
अन्नदाता बनेगा ऊर्जादाता - अंतरिम बजट में किसानों के खातों में सालाना 6000 रुपये देने की घोषणा हुई थी और चुनाव से पहले एक किस्त काफी किसानों के अकाउंट में पहुंच भी गया. अब किसानों को और भी ज्यादा सुविधाएं देने की कोशिश की जा रही है.
1. अगले पांच साल में नये किसान उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
2. किसानों के उत्पाद से जुड़े कामों में निजी उद्यमिता को बढ़ावा देने पर सरकार का जोर रहेगा.
3. आजादी की 75वीं सालगिरह तक किसानों की आय दोगुनी करने की कोशिश होगी.
मध्यवर्ग का साथ बना रहे - मध्यवर्ग का वोट मिलता रहे और ऐसे ही सपोर्ट बना रहे इसके लिए सरकार ने 5 लाख तक की आय पर कोई भी टैक्स न लगाने के फैसले को बरकरार रखा है. अंतरिम बजट में भी यही बात रही.
1. अब 45 लाख रुपये का घर खरीदने पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त छूट दी जाएगी. 2. हाउसिंग लोन के ब्याज पर मिलने वाली कुल छूट अब 2 लाख से बढ़ाकर 3.5 लाख कर दी गयी है.
2. इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने पर सरकार की ओर से 2.5 लाख रुपये तक छूट दी जाएगी.
3. सरकार ने पैन और आधार कार्ड का भेद भी खत्म कर दिया है. अब पैन से जोड़ने की भी झंझट नहीं रहेगी, सिर्फ आधार से ही आयकर रिटर्न दाखिल हो जाएगा.
युवाओं का वोट और सपोर्ट तो सबसे जरूरी है - प्रधानमंत्री मोदी का पूरा जोर तो 21वीं में पैदा हुए मतदाताओं पर शुरू से ही रहा. चुनाव आयोग के नोटिस और विपक्ष के हो हल्ला को नजरअंदाज कर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रवाद और सर्जिकल स्ट्राइक के नाम पर पहली बार वोट देने वालों से भी सपोर्ट मांगा था - और वो मिला भी. सरकार ने युवाओं के लिए भी खास इंतजाम कर रखा है.
1. देश में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए बजट में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाया जाना है.
2. खेलो इंडिया स्कीम के तहत नेशनल स्पोर्ट्स एजुकेशन बोर्ड की शुरुआत होने जा रही है.
3. अध्यापन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए उच्च शिक्षा में 'ज्ञान' स्कीम की शुरुआत होगी.
4. विकीपीडिया की तर्ज पर गांधीपीडिया तैयार किया जाएगा, ताकि युवाओं को गांधीवादी मूल्यों से जोड़े रखा जाये.
सूट-बूट की सरकार वाली तोहमत धोने की कोशिश
वैसे तो विपक्ष फिलहाल अपने अस्तित्व के लिए ही जूझ रहा है, लेकिन लगता है मोदी सरकार अमीरों को फायदा पहुंचाने वाली और सूट-बूट की सरकार जैसे नारों से मिली तोहमत को धोने की कोशिश कर रही है.
अक्सर देखने को मिला है कि जब भी सरकार अमीर और बड़े घरानों के खिलाफ कुछ करती है तो गरीब तबका और मध्य वर्ग बेहद खुश होता है. नोटबंदी का मामला भी ऐसा ही रहा. गरीब तबका इसी बात से खुश रहा कि सबको लाइन में लगना पड़ा. मध्य वर्ग को टैक्स में कोई नया छूट न देकर भी मोदी सरकार ने उस तबके का मन जीतने की कोशिश अमीरों के बहाने की है.
1. अब 2 से 5 करोड़ रुपये सालाना कमाने वालों पर 3 फीसदी सरचार्ज लगेगा.
2. इसी तरह 5 करोड़ रुपये से अधिक कमाने पर 7 फीसदी सरचार्ज देना होगा.
3. अगर कोई भी व्यक्ति बैंक से एक साल में एक करोड़ से अधिक रकम निकालता है तो उस पर 2 फीसदी TDS लगेगा. दूसरे तरीके से समझें तो साल में 1 करोड़ रुपये से अधिक बैंक से कैश निकालने पर 2 लाख रुपये टैक्स में ही कट जाएंगे.
अब ये काम न तो गरीब कर सकता है, न कभी मध्य वर्ग के वश की बात होती है - जाहिर है दोनों इसी बात से खुश होंगे कि सरकार अमीरों के साथ ठीक कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट को लेकर कहा, 'इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, सोलर सेक्टर पर बजट में विशेष बल दिया गया है. पर्यावरण का ख्याल रखा गया है. ये बजट स्थायी विकास को ध्यान में रखते हुए पेश किया गया है.'
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसे न्यू इंडिया का बजट बताया है. अमित शाह ने कहा, 'ये बजट देश के किसानों, युवाओं, महिलाओं और गरीबों के सपनों को साकार करने वाला है.'
बेशक शाह के सपने वाली बात में दम है - सपने पूरे हों न हों सोच कर ही अच्छे लगते हैं. जब कुछ सोच कर अच्छा लगे इससे अच्छी बात क्या हो सकती है. आखिर अच्छे दिन भी तो एक सपना ही है. है कि नहीं?
इन्हें भी पढ़ें :
निर्मला सीतारमण का लाल कपड़े में लिपटा 'स्वदेशी बजट'!
Survey: मोदी सरकार की इनकम टैक्स पॉलिसी से 'छेड़छाड़' न हो
'कट मनी वापसी' ममता बनर्जी की एक सोची समझी राजनीतिक मुहीम है
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.