अभी भी देश में नोट बैन का मुद्दा सबसे हॉट बना हुआ है. विपक्षी पार्टियां हर दिन धरना प्रदर्शन कर रही हैं. यहां तक कि संसद को भी नहीं चलने दे रहीं. इन सब के बीच छह राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में लोकसभा की चार और विधानसभा की दस सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे मंगलवार को आ गए.
भाजपा ने इस उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है |
नोट बैन के 10 दिन बाद विभिन्न राज्यों में संसदीय व विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव हुए थे जिनमें से चार लोकसभा के थे. उपचुनाव के दौरान ही राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा थी कि परिणाम का नोट बैन पर जनता की प्रतिक्रिया के रूप में आंकलन किया जाएगा. अब उपचुनावों के नतीजे सामने हैं. भाजपा ने इस उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है. न केवल उसने दो लोकसभा और दो विधानसभा सीटें जीतीं, बल्कि त्रिपुरा जैसे राज्य में कांग्रेस को पछाड़ते हुए भारी मत प्राप्त किए.
मध्य प्रदेश, असम और अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने फिर दमखम साबित किया है. उपचुनाव में भाजपा की जीत बताती है कि नोटबंदी को लेकर विपक्ष भले ही हमलावर रहा हो, लेकिन जनता का का इसे समर्थन मिल रहा है.
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आज अगर, उपचुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं होता तो आज विपक्ष तेज हमलावर होता....
अभी भी देश में नोट बैन का मुद्दा सबसे हॉट बना हुआ है. विपक्षी पार्टियां हर दिन धरना प्रदर्शन कर रही हैं. यहां तक कि संसद को भी नहीं चलने दे रहीं. इन सब के बीच छह राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में लोकसभा की चार और विधानसभा की दस सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे मंगलवार को आ गए.
भाजपा ने इस उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है |
नोट बैन के 10 दिन बाद विभिन्न राज्यों में संसदीय व विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव हुए थे जिनमें से चार लोकसभा के थे. उपचुनाव के दौरान ही राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा थी कि परिणाम का नोट बैन पर जनता की प्रतिक्रिया के रूप में आंकलन किया जाएगा. अब उपचुनावों के नतीजे सामने हैं. भाजपा ने इस उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है. न केवल उसने दो लोकसभा और दो विधानसभा सीटें जीतीं, बल्कि त्रिपुरा जैसे राज्य में कांग्रेस को पछाड़ते हुए भारी मत प्राप्त किए.
मध्य प्रदेश, असम और अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने फिर दमखम साबित किया है. उपचुनाव में भाजपा की जीत बताती है कि नोटबंदी को लेकर विपक्ष भले ही हमलावर रहा हो, लेकिन जनता का का इसे समर्थन मिल रहा है.
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आज अगर, उपचुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं होता तो आज विपक्ष तेज हमलावर होता. हालांकि, मौके की राजनीति यहीं है इसलिए, उपचुनाव के नतीजों के बाद भाजपा ने कहा है कि यह उनकी नीतियों पर जनता की मुहर है. वित्त मंत्री अरुण जेटली, वरिष्ठ भाजपा नेता अनंत कुमार और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भाजपा की विजय का श्रेय मोदी की नीतियों को ही दिया.
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का कहना है कि असम तथा मध्य प्रदेश में हुए उपचुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शानदार प्रदर्शन से साफ पता चलता है कि जनता काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500 और 1,000 रुपये के नोटों पर लगाई गई पाबंदी का समर्थन कर रहे हैं.
संभव है, इस चुनाव परिणाम से उत्साहित भाजपा और उत्साहित होकर अगले साल देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में होनेवाले विधानसभा चुनाव में जाएगी.
मध्य प्रदेश, असम और अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी ने कब्जा जमाने में कामयाब रहा. तमिलनाडु की तीनों विधानसभा सीटों पर AIADMK ने जीत हासिल की है. त्रिपुरा में दोनों सीटें सीपीएम को मिलीं हैं. उधर वेस्ट बंगाल में टीएमसी तीनों विधानसभा सीटें अपने ही पास रखने में कामयाब रही है.
मध्य प्रदेश में करीब 13 साल से राज कर रही बीजेपी को इस उपचुनाव में 8 फीसद अधिक मत मिले. वामपंथी शासन त्रिपुरा में भाजपा को अप्रत्याशित समर्थन मिला है. बीजेपी ने यहां कांग्रेस के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई है. इस उपचुनाव में त्रिपुरा में जहां कांग्रेस के मत में 41 फीसद की गिरावट आई है वहीं, भाजपा का वोट 43 फीसद बढ़ा है. वाकई में भाजपा के लिए यह परिणाम चौंकाने वाला है. त्रिपुरा में भाजपा दूसरे स्थान पर रही, वहीं अरूणाचल प्रदेश में भाजपा ने एक विस सीट भी जीत ली है.
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तो क्या मान लिया जाये कि नोटबंदी पर लगातार संसद ठप कर रही कांग्रेस को जनता ने नकार दिया है?
शायद उपचुनावों में देश की सबसे पुरानी पार्टी को नकारकर जनता ने कांग्रेस को संदेश दे दिया है कि नोटबंदी जैसे भ्रष्टाचार पर प्रहार करने वाले कदम का उसका विरोध आमजनों के गले नहीं उतर रहा है. जाहिर है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में जनता ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचारों की वजह से ही स्वीकार किया था.
लेकिन अगर नतीजों को राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में देखें तो शायद राजनीति में कांग्रेस के बुरे दिन अभी भी जारी है और बीजेपी के लिए अच्छे दिन का फील गुड फैक्टर भी जारी है.
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