भारत के नागरिक और घुसपैठिए की पहचान करने के लिए भारत में तीन कानूनों का इस्तेमाल होता है. पहला है सिटिजनशिप एक्ट 1955 (Citizenship Act of 1955), दूसरा है फॉरेनर्स एक्ट 1946 (Foreigners Act of 1946) और तीसरा है पासपोर्ट एक्ट 1920 (Passport Act of 1920). भारत में रह रहा हर वो शख्स जो भारत का नागरिक नहीं है और अगर वह टूरिस्ट या राजनयिक नहीं है तो उसे भारत में घुसपैठिया माना जाता है, क्योंकि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत एक शरणार्थी को परिभाषित किया जा सके. तिब्बती, श्रीलंकाई तमिल और कुछ अन्य विदेशियों के समूह रिफ्यूजी हैं, क्योंकि तत्कालीन सरकार ने उन्हें ये स्टेटस दिया है. फॉरेनर्स एक्ट के तहत सरकार का ये कर्तव्य है कि वह घुसपैठियों को भारत से बाहर निकाले. क्योंकि इसके लिए कोई कानून नहीं है, इसलिए इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि भारत में कितने अवैध शरणार्थी रह रहे हैं. इनकी संख्या का अंदाजा लगाना ठीक वैसा है, जैसे अर्थव्यवस्था में कालेधन का अंदाजा लगाना.
अभी ये बातें इसलिए हो रही हैं क्योंकि मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल यानी Citizenship Amendment Bill (जो अब कानून बन चुका है) संसद में पेश किया, जो 12 दिसंबर को मंजूरी हासिल कर चुका है. नागरिकता कानून पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार पूरे देश में NRC लागू करेगी. असम का अनुभव काफी बुरा रहा क्योंकि वहां के NRC में बहुत सारे ऐसे नागरिकों को भी लिस्ट से बाहर रखा गया, जो असल में असम के नागरिक हैं. क्योंकि इस बात को पता ही नहीं है कि कितने लोग अवैध शरणार्थी हैं, इसलिए हर भारतीय नागरिक से अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे जा रहे हैं.
CAA से फोकस...
भारत के नागरिक और घुसपैठिए की पहचान करने के लिए भारत में तीन कानूनों का इस्तेमाल होता है. पहला है सिटिजनशिप एक्ट 1955 (Citizenship Act of 1955), दूसरा है फॉरेनर्स एक्ट 1946 (Foreigners Act of 1946) और तीसरा है पासपोर्ट एक्ट 1920 (Passport Act of 1920). भारत में रह रहा हर वो शख्स जो भारत का नागरिक नहीं है और अगर वह टूरिस्ट या राजनयिक नहीं है तो उसे भारत में घुसपैठिया माना जाता है, क्योंकि भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत एक शरणार्थी को परिभाषित किया जा सके. तिब्बती, श्रीलंकाई तमिल और कुछ अन्य विदेशियों के समूह रिफ्यूजी हैं, क्योंकि तत्कालीन सरकार ने उन्हें ये स्टेटस दिया है. फॉरेनर्स एक्ट के तहत सरकार का ये कर्तव्य है कि वह घुसपैठियों को भारत से बाहर निकाले. क्योंकि इसके लिए कोई कानून नहीं है, इसलिए इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि भारत में कितने अवैध शरणार्थी रह रहे हैं. इनकी संख्या का अंदाजा लगाना ठीक वैसा है, जैसे अर्थव्यवस्था में कालेधन का अंदाजा लगाना.
अभी ये बातें इसलिए हो रही हैं क्योंकि मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल यानी Citizenship Amendment Bill (जो अब कानून बन चुका है) संसद में पेश किया, जो 12 दिसंबर को मंजूरी हासिल कर चुका है. नागरिकता कानून पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार पूरे देश में NRC लागू करेगी. असम का अनुभव काफी बुरा रहा क्योंकि वहां के NRC में बहुत सारे ऐसे नागरिकों को भी लिस्ट से बाहर रखा गया, जो असल में असम के नागरिक हैं. क्योंकि इस बात को पता ही नहीं है कि कितने लोग अवैध शरणार्थी हैं, इसलिए हर भारतीय नागरिक से अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे जा रहे हैं.
CAA से फोकस NPR पर शिफ्ट हो गया
जहां एक ओर नागरिकता कानून ने हजारों लोगों को सड़क पर उतार दिया, जिसके चलते हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन भी हुए. अब एक नया विवाद इस बात को लेकर खड़ा हो गया है कि NPR यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर को अपडेट किया जा रहा है. पश्चिम बंगाल और केरल की सरकार ने NPR के काम को खारिज कर दिया है. बता दें कि NPR देश के नागरिकों का रजिस्टर होता है, जिसमें लोगों का डेमोग्राफिक और बायोमीट्रिक डेटा जमा किया जाता है.
अब जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, वहां की सरकारों ने NPR के काम पर रोक लगा दी है, जिससे लोगों में एक बड़ा कंफ्यूजन पैदा हो गया है, जबकि इसी दौरान जनगणना भी होनी है. तो क्या नागरिकता कानून NPR से संबंधित है? इसके दो जवाब हैं- हां और ना. दोनों से सीधा-सीधा तो कोई लिंक नहीं है, लेकिन ये सरकार पर निर्भर करता है कि वह लोगों से जमा किए गए डेटा को किस तरह इस्तेमाल करना चाहती है.
NPR, NRC और एक कानून
अब बात करते हैं उस कनेक्शन की, जिसके चलते सरकार के इस कदम ने बहुत से लोगों को डराया हुआ है. इसके लिए 2004 में जाना होगा, जब एक अन्य सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट पास हुआ था (सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल 2003), जब अटल बिहारी की सरकार थी. सिटिजनशिप एक्ट 1955 में हुए इस संशोधन में धआरा 14ए को डाला गया था. 14ए का संबंधन नेशनल आइडेंटिटी कार्ड जारी करने से है. इसके अनुसार इसके तहत केंद्र सरकार हर नागरिक का अनिवार्य रूप से रजिस्टर ब नाकर उसे नेशनल आइडेंटिटी कार्ड जारी कर सकती है. इसी में ये भी लिखा है कि केंद्र सरकार एक एनआरआईसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन्स (NRIC) बना सकती है और इसके लिए नेशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी भी बना सकती है.
प्रदर्शन और राजनीति
खासकर बंगाल में नागरिकों अधिकार के लिए लड़ने वाले बहुत से कार्यकर्ता NPR के तहत डेमोग्राफिक और बायोमीट्रिक डेटा जमा किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका आरोप है कि बंगाल में NRC लागू करने की दिशा में NPR पहला कदम था. बंगाल में भाजपा NRC के लिए प्रचार कर रही है, जबकि ममता बनर्जी सरकार इसका पुरजोर विरोध कर रही है. हालांकि, बंगाल में करीब 1 करोड़ अवैध शरणार्थी हैं, जिनमें अधिकतर बांग्लादेश से दशकों से सीमा पार कर के देश में घुसते रहे हैं. NPR पर लग रहे आरोपों पर ममता बनर्जी ने तेजी से एक्शन लिया और NPR पर बंगाल में रोक लगा दी.
NRC की गांठ
NPR अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 के बीच में बनाया जाना है और 2021 की जनगणना से पहले तैयार करने की योजना है. NPR पर काम शुरू हो चुका है और कई राज्यों में ये प्रक्रिया जारी भी है. बता दें कि सिटिजनशिप एक्ट का सेक्शन 14ए NPR बनाने का कानूनी आधार मुहैया कराता है और इसे जनगणना और NRC के साथ जोड़ता है. इसके अनुसार रजिस्ट्रार जनरल एक नेशनल रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी की और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ सिटिजन्स रजिस्ट्रेशन की तरह काम करेगा. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि रजिस्ट्रार जनरल ही सेंसस कमिशनर ऑफ इंडिया की तरह काम करता है. इसका मतलब है कि कि अगर सरकार कभी चाहे तो वह NPR के जरिए जमा किए डेटा का इस्तेमाल कानूनी रूप से NRC के लिए कर सकती है. बता दें कि अभी मुस्लिम धर्म के लोग बड़े कंफ्यूजन में हैं, क्योंकि बहुत सारे कार्यकर्ता और राजनीतिक पार्टियों मोदी सरकार पर आरोप लगा रही हैं कि भाजपा अपने हिंदुत्व के एजेंडे के लिए एक कम्युनिटी को टारगेट कर रही है. यही वजह है कि NRC को लेकर करोड़ों लोगों में डर फैला हुआ है.
जनगणना में क्या होता है और NPR में क्या हो रहा है?
जनगणना में सीधे-साधे ये गितनी की जाती है कि भारत में कितने लोग रहते हैं. इसमें कई सवालों के जवाब लिए जाते हैं. जैसे 2011 में जनगणना करने वाले अधिकारियों को 29 सवालों के जवाब भरे थे, जिनमें उम्र, लिंग, वैवाहिक स्थिति, पेशा, धर्म, जन्मस्थान, भाषा आदि के अलावा अनुसूचित जाति या जनजाति आदि के होने के बारे में पूछा गया था.
वहीं दूसरी ओर, NPR की प्रक्रिया में डेमोग्राफिक और बायोमीट्रिक जानकारियां ली जाती हैं. दोनों ही प्रक्रिया घर-घर जाकर होने वाली है, लेकिन जनगणना का मकसद सिर्फ ये जानना होता है कि देश में कितने लोग रह रहे हैं, जबकि NPR में डेटाबेस बनाया जा रहा है. सेंसस में नागरिकों का वेरिफिकेशन नहीं होता है. हालांकि, 2021 की जनगणना में ये फर्क भी नहीं रहेगा, क्योंकि सरकार मोबाइल ऐप के जरिए जनगणना करने की योजना बना रही है.
NPR में Aadhaar की भूमिका !
यूपीए सरकार में NPR और आधार को एक दूसरे का उलट कहा जाता था. जब NPR की प्रक्रिया शुरू हुई थी तो पी चिदंबरम गृहमंत्री थे, जिन्होंने NPR को आगे बढ़ाया था. हालांकि, आधार भी उस वक्त अपना आकार लेना शुरू कर चुका था, जिस दौरान प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री थे. NPR और आधार दोनों ही प्रोजेक्ट डेमोग्राफिक और बायोमीट्रिक डेटा जमा करते हैं. शुरुआत में यूआईडीएआई और गृह मंत्रालय में इस बात को लेकर टकराव भी था कि ये एक ही काम की डुप्लिकेसी जैसा है. इसके बाद यूआईडीएआई और गृह मंत्रालय के बीच ये तय हुआ कि आधार के जरिए वेलफेयर सेवाएं दे जाएंगी, जबकि NPR बाकी सरकारी कामों में इस्तेमाल होगा. यह भी तय हो चुका है कि जिन लोगों ने पहले ही आधार के जरिए अपना बायोमीट्रिक डेटा दिया हुआ है, उन्हें NPR में दोबारा बायोमीट्रिक डेटा नहीं देना है. NPR का डेटा आधार से मैच कर लिया जाएगा, हालांकि, अगर NPR और आधार के डेटा में जानकारियां अलग-अलग पाई गईं तो NPR को अधिक विश्वस्त माना जाएगा. यानी एक बात तो तय है कि सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 2003 के तहत बनाया गया NPR न सिर्फ आधार के काम आएगा, बल्कि एनआरआईसी के काम भी आएगा.
भले ही गृह मंत्री अमित शाह ने देश भर में NRC लागू करने की बात संसद में उठा दी है, लेकिन सरकार की तरफ से इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. मौजूदा NPR की प्रक्रिया को मोदी सरकार ने अपडेट करने का फैसला किया. अब अगर इसे सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट 2003 के संदर्भ में देखें तो NPR के जरिए एनआरआईसी लागू किया जा सकता है. इसी वजह से नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ प्रदर्शन बढ़ रहा है. मोदी सरकार के आलोचक आरोप लगा रहे हैं कि नया संशोधन गैर-मुस्लिम अवैध शरणार्थियों को एक कवच दे रहा है, जबकि बहुत सारे मुस्लिमों को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ सकता है.
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