तमाम कोशिशों के बाद पहले संसद से और फिर राष्ट्रपति से नागरिकता संशोधन बिल यानी सीएबी (CAB) को मंजूरी मिली. इसके साथ ही ये कानून की शक्ल लेकर नागरिकता संशोधन एक्ट यानी सीएए (CAA) बना. इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी अल्पसंख्यकों के लिए भारत की नागरिकता लेने के नियम आसान किए गए हैं. इस बिल में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि भाजपा का तर्क है कि ये तीनों ही देश इस्लामिक हैं, इसलिए वहां पर धर्म के आधार पर किसी का उत्पीड़न नहीं हो सकता. खैर, भाजपा अपने तर्क दे रही है, लेकिन जनता के बीच इस कानून को कई तरीकों से पेश किया जा रहा है. असदुद्दीन ओवैसी खुलेआम डरा रहे हैं कि मुस्लिमों को देश से बाहर निकाल दिया जाएगा और भारत को हिंदू राष्ट्र बना दिया जाएगा. इसकी वजह से कई जगह विरोध के स्वर बुलंद हो रहे हैं. इसी बीच सोशल मीडिया ने आग में घी का काम किया है, जहां से तमाम तरह की अफवाहें फैलीं. इन अफवाहों ने उन हुड़दंगियों और उपद्रवियों का काम और आसान कर दिया है, जिन्होंने जामिया (Jamia Protest), एएमयू (AM Protest), लखनऊ, सीलमपुरी, मऊ, बृजपुरी जैसी जगहों पर उग्र प्रदर्शन (CAA Protest) किया और कानून व्यवस्था खराब करने की कोशिश की. प्रदर्शन इतने उग्र हो गए कि पुलिस को बल प्रयोग तक करना पड़ा. जामिया में तो पुलिस (Delhi Police) की कार्रवाई में करीब 50 छात्रों को इतनी चोटें आईं कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. एएमयू में तो एक छात्र का हाथ ही आंसू गैस के गोले से उड़ गया. इस जामिया से शुरू होकर तमाम जगहों तक फैले इस विरोध प्रदर्शन के बीच 5 ऐसे सवाल हैं, जिनमें से कुछ के जवाब तो मिल गए हैं, लेकिन अभी भी कुछ सवाल मुंह बाए खड़े हैं.
तमाम कोशिशों के बाद पहले संसद से और फिर राष्ट्रपति से नागरिकता संशोधन बिल यानी सीएबी (CAB) को मंजूरी मिली. इसके साथ ही ये कानून की शक्ल लेकर नागरिकता संशोधन एक्ट यानी सीएए (CAA) बना. इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी अल्पसंख्यकों के लिए भारत की नागरिकता लेने के नियम आसान किए गए हैं. इस बिल में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि भाजपा का तर्क है कि ये तीनों ही देश इस्लामिक हैं, इसलिए वहां पर धर्म के आधार पर किसी का उत्पीड़न नहीं हो सकता. खैर, भाजपा अपने तर्क दे रही है, लेकिन जनता के बीच इस कानून को कई तरीकों से पेश किया जा रहा है. असदुद्दीन ओवैसी खुलेआम डरा रहे हैं कि मुस्लिमों को देश से बाहर निकाल दिया जाएगा और भारत को हिंदू राष्ट्र बना दिया जाएगा. इसकी वजह से कई जगह विरोध के स्वर बुलंद हो रहे हैं. इसी बीच सोशल मीडिया ने आग में घी का काम किया है, जहां से तमाम तरह की अफवाहें फैलीं. इन अफवाहों ने उन हुड़दंगियों और उपद्रवियों का काम और आसान कर दिया है, जिन्होंने जामिया (Jamia Protest), एएमयू (AM Protest), लखनऊ, सीलमपुरी, मऊ, बृजपुरी जैसी जगहों पर उग्र प्रदर्शन (CAA Protest) किया और कानून व्यवस्था खराब करने की कोशिश की. प्रदर्शन इतने उग्र हो गए कि पुलिस को बल प्रयोग तक करना पड़ा. जामिया में तो पुलिस (Delhi Police) की कार्रवाई में करीब 50 छात्रों को इतनी चोटें आईं कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. एएमयू में तो एक छात्र का हाथ ही आंसू गैस के गोले से उड़ गया. इस जामिया से शुरू होकर तमाम जगहों तक फैले इस विरोध प्रदर्शन के बीच 5 ऐसे सवाल हैं, जिनमें से कुछ के जवाब तो मिल गए हैं, लेकिन अभी भी कुछ सवाल मुंह बाए खड़े हैं.
1- अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बच्चे गायब हुए या किए गए?
नागरिकता कानून के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का प्रदर्शन जब उग्र हुआ तो पुलिस ने वहां भी कैंपस में घुसकर बल प्रयोग किया. यहां तक कि एक छात्र का हाथ भी आंसू गैस के गोले से उड़ने की खबर है. अब बताया जा रहा है कि पुलिस की कार्रवाई के बाद से करीब दर्जन भर छात्र गायब हैं. सवाल उठता है कि ये बच्चे डरकर कहीं भाग गए? या पुलिस उन्हें उठा ले गई? या उनके साथ कोई अनहोनी तो नहीं हो गई?
2- पुलिस ने गोली नहीं चलाई, तो जामिया के छात्रों को गोली लगी कैसे?
जामिया में हुए प्रदर्शन में ये खबर सामने आ रही थी कि पुलिस ने गोली भी चलाई है. इस पर पुलिस ने सफाई भी दे दी कि सिर्फ आंसू गैस के गोले दागे गए थे, कोई गोली नहीं चलाई गई. बता दें कि सफदरजंग में भी जामिया के 3 छात्रों को भर्ती कराया गया था, जिनमें से 2 के पैरों में गोली लगने की चोट है. डॉक्टर ने खुद इस बात की पुष्टि की है. अब सवाल ये उठता है कि जब पुलिस ने गोली नहीं चलाई तो छात्र को गोली लगी कैसे? क्या पुलिस झूठ बोल रही है? या उस भीड़ में ऐसे लोग भी थे, जिनसे पास बंदूक या पिस्तौल थी, जिनका निशाना वो छात्र बन गए?
3- क्या पुलिस को कानूनन यूनिवर्सिटी में घुसने का हक है?
सबसे अहम सवाल तो ये उठ रहा है कि आखिर पुलिस को यूनिवर्सिटी में घुसने का हक है भी या नहीं. बता दें कि कानून में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है, ना ही यूजीसी की गाइलाइन्स में ऐसे किसी प्रतिबंध की बात है. आपराधिक दंड संहिता का सेक्शन 41 पुलिस को ये ताकत देता है कि वह मजिस्ट्रेट से वारंट लेकर या वारंट के बिना भी गिरफ्तारी कर सकती है. सेक्शन 46 के तहत पुलिस उन लोगों को भी गिरफ्तार कर सकती है जो पुलिस की कार्रवाई का विरोध करे. सेक्शन 47 और 48 के तहत पुलिस को अधिकार है कि वह ऐसे लोगों का पीछा किसी भी जगह घुसकर कर सकती है, जिसके पीछे पुलिस का विश्वास ये होता है कि वह किसी जगह में घुस गया है या छुप रहा है.
4- ये सब करने वाले छात्र हैं या हुड़दंगी?
बताया जा रहा है कि जामिया में प्रदर्शन के दौरान 30-35 हजार की भीड़ थी, जबकि जामिया में छात्रों की संख्या 4-5 हजार के करीब है. तो एक बात तो साफ है कि जामिया के उग्र प्रदर्शन में सिर्फ छात्र नहीं थे, बल्कि आसपास के इलाकों के लोग भी थे. अब सवाल ये उठता है कि आखिर पुलिस पर हमला करने वाले कौन थे? छात्रों का कहना है कि वह शांतिपूर्ण तरीके से दो दिन से प्रदर्शन कर रहे थे, तो फिर रविवार को हुए प्रदर्शन में हिंसा किसने फैलाई? क्या वो भी छात्र ही थे, या कोई बाहर के उपद्रवी? इस सवाल का जवाब तो पूरी जांच पड़ताल के बाद ही मिल सकेगा.
5- क्या ये सब सिर्फ राजनीति का हिस्सा है?
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जगह-जगह हो रहे प्रदर्शनों के बीच एक बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या ये सब सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है? पीएम मोदी ने आरोप लगा दिया है कि कांग्रेस वाले और उनके साथी हो-हल्ला मचा रहे हैं, आगजनी कर रहे हैं, उनके कपड़ों से ही पता चल रहा है कि कौन आगजनी फैला रहा है. तो क्या वाकई ये सारी आगजनी और छात्रों का प्रदर्शन सिर्फ राजनीति है या फिर वाकई वह सरकार के प्रति अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं? ये वो सवाल है, जिसका सवाल कभी नहीं मिल सकता, सीबीआई जांच के बाद भी नहीं.
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