आज के समय में हम उस दौर से गुजर रहे हैं, जिसमें बहुत से बाबाओं ने लोगों के भरोसे को चकनाचूर किया है. अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि हर संत में लोगों को एक ढोंगी के छुपे होने का शक जरूर होता है. आसाराम और राम रहीम जैसे बाबा संतों के नाम पर एक कलंक बन चुके हैं. ऐसे में अब जरूरत है कि बाबाओं के लिए भी कुछ कायदे-कानून बनाए जाएं. विश्वास के दम पर चलने वाली इस इंडस्ट्री के लिए नियम बनाना बेहद जरूरी हो गया है. बेशक, इस तरह के किसी भी कानून से आसाराम और राम रहीम जैसे ढोंगियों को दिक्कत होगी, लेकिन जो संत वास्तव में समाज कल्याण के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें सरकार के कायदे कानून बनाए जाने पर कोई आपत्ति नहीं होगी.
बाबाओं के ट्रस्ट को सामान्य ट्रस्ट जैसा दर्जा क्यों?
भले ही बात गुरमीत राम रहीम की हो या फिर आसाराम की, सभी ने अपना-अपना एक ट्रस्ट खोल रखा है. ट्रस्ट एक गैर लाभकारी संगठन होता है, इसलिए इसे टैक्स से भी छूट दी जाती है. सवाल ये है कि आखिर बाबाओं के ट्रस्ट को सामान्य ट्रस्ट जैसा दर्जा देकर टैक्स छूट क्यों मिलती है? इन ट्रस्ट में कुछ गलत नहीं हो रहा है, ये सुनिश्चित करने के लिए सरकार कौन से अहम कदम उठाती है? इन आश्रम के नाम पर ये बाबा करोड़ों की कमाई करते हैं और उससे ऐशो-आराम की जिंदगी जीते हैं. ऐसे में इन पर टैक्स लगना चाहिए.
कितनी दौलत दबाकर बैठे हैं ये बाबा?
आसाराम ने 4 दशकों में करीब 10,000 करोड़ की प्रॉपर्टी बना ली. इसका पता तब चला था जब पुलिस ने 2013 में आसाराम के मोतेरा स्थिति आश्रम से दस्तावेज बरामद किए थे. हालांकि, इसमें उनकी जमीनों की मार्केट वैल्यू शामिल नहीं है. आयकर अधिकारियों के अनुसार पूरे देश में आसाराम के करीब 400 आश्रम हैं और इन सभी को टैक्स छूट का फायदा मिल रहा था.
अब एक नजर राम रहीम के...
आज के समय में हम उस दौर से गुजर रहे हैं, जिसमें बहुत से बाबाओं ने लोगों के भरोसे को चकनाचूर किया है. अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि हर संत में लोगों को एक ढोंगी के छुपे होने का शक जरूर होता है. आसाराम और राम रहीम जैसे बाबा संतों के नाम पर एक कलंक बन चुके हैं. ऐसे में अब जरूरत है कि बाबाओं के लिए भी कुछ कायदे-कानून बनाए जाएं. विश्वास के दम पर चलने वाली इस इंडस्ट्री के लिए नियम बनाना बेहद जरूरी हो गया है. बेशक, इस तरह के किसी भी कानून से आसाराम और राम रहीम जैसे ढोंगियों को दिक्कत होगी, लेकिन जो संत वास्तव में समाज कल्याण के लिए काम कर रहे हैं, उन्हें सरकार के कायदे कानून बनाए जाने पर कोई आपत्ति नहीं होगी.
बाबाओं के ट्रस्ट को सामान्य ट्रस्ट जैसा दर्जा क्यों?
भले ही बात गुरमीत राम रहीम की हो या फिर आसाराम की, सभी ने अपना-अपना एक ट्रस्ट खोल रखा है. ट्रस्ट एक गैर लाभकारी संगठन होता है, इसलिए इसे टैक्स से भी छूट दी जाती है. सवाल ये है कि आखिर बाबाओं के ट्रस्ट को सामान्य ट्रस्ट जैसा दर्जा देकर टैक्स छूट क्यों मिलती है? इन ट्रस्ट में कुछ गलत नहीं हो रहा है, ये सुनिश्चित करने के लिए सरकार कौन से अहम कदम उठाती है? इन आश्रम के नाम पर ये बाबा करोड़ों की कमाई करते हैं और उससे ऐशो-आराम की जिंदगी जीते हैं. ऐसे में इन पर टैक्स लगना चाहिए.
कितनी दौलत दबाकर बैठे हैं ये बाबा?
आसाराम ने 4 दशकों में करीब 10,000 करोड़ की प्रॉपर्टी बना ली. इसका पता तब चला था जब पुलिस ने 2013 में आसाराम के मोतेरा स्थिति आश्रम से दस्तावेज बरामद किए थे. हालांकि, इसमें उनकी जमीनों की मार्केट वैल्यू शामिल नहीं है. आयकर अधिकारियों के अनुसार पूरे देश में आसाराम के करीब 400 आश्रम हैं और इन सभी को टैक्स छूट का फायदा मिल रहा था.
अब एक नजर राम रहीम के साम्राज्य पर भी डालते हैं. सिर्फ हरियाणा के अंदर ही गुरमीत राम रहीम की करीब 1600 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी है. अगर पूरे देश में डेरा सच्चा सौदा की शाखाओं को ध्यान में रखते हुए प्रॉपर्टी का हिसाब लगाया जाए तो यह आंकड़ा 2000 करोड़ से भी ऊपर चला जाएगा. फाइनेंसियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीन साल पहले तक डेरा की एक दिन की कमाई करीब 16.5 लाख रुपए थी. इन सबके बावजूद आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(23) के तहत राम रहीम टैक्स छूट का भी फायदा उठाते थे.
वक्त आ गया है लगाम कसने का
अब वो वक्त आ चुका है जब सरकार को इन बाबाओं पर लगाम कसनी चाहिए. ऐसा करने से जो फर्जीवाड़ा करने वाले बाबा हैं उनका सच भी सामने आ जाएगा और जो बाबा वाकई समाज कल्याण का काम करते हैं, उनकी पहचान आसानी से हो सकेगी. सरकार ये कदम उठाने चाहिए:-
- हर बाबा के ट्रस्ट का ऑडिट होते रहना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पैसा कहां से आ रहा है और किन कामों में उसे लगाया जा रहा है.- अक्सर बाबाओं के भक्तों की संख्या इतनी अधिक होती है कि दूर-दूर तक एक भीड़ सी जमा हो जाती है. ऐसे में सरकार को इस पर विचार करना चाहिए कि क्या भक्तों की संख्या सीमित की जा सकती है? या फिर कोई और तरीका अपनाया जाए ताकि एक जगह पर बहुत भारी भीड़ जमा न हो. भक्तों की बहुत भारी भीड़ अगर अचानक उग्र हो जाए तो हालात कैसे हो सकते हैं, इसका अंदाजा आप राम रहीम के लिए पंचकूला में हुई हिंसा से लगा सकते हैं.- ये भी देखने को मिलता है कि कई बाबा अपने साथ हथियारबंद सुरक्षाकर्मी भी रखते हैं. यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि क्या सभी के हथियार लाइसेंसी हैं और साथ ही सुरक्षाकर्मी रजिस्टर्ड हैं?
आरोपी बाबाओं के खिलाफ गवाहों को मिले सुरक्षा
बहुत से फर्जी बाबाओं का खुलासा तो सिर्फ डर की वजह से ही नहीं हो पाता है. आसाराम के ही केस में देखा जाए तो 3 गवाहों को मौत के घाट उतार दिया गया, जबकि कई पर जानलेवा हमले हुए हैं. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए भी ऐसे बाबाओं के समर्थक लोगों को डराते धमकाते हैं. यहां तक कि आसाराम के मामले में आसाराम को दोषी घोषित किए जाने के बाद ट्विटर पर एक तरह का कैंपेन चल पड़ा, जिसमें उन्हें निर्दोष कहा जाने लगा.
इन बाबाओं पर लगाम लगाने के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने जरूरत तो है, लेकिन क्या सरकार ऐसा करने के लिए तैयार है? इन बाबाओं से मिलने वाले राजनीतिक फायदे पर नजर डालें तो ये मुमकिन नहीं लगता. 2014 से पहले डेरा सच्चा सौदा का राजनीतिक फायदा कांग्रेस उठा रही थी और 2014 से ये फायदा भाजपा को मिलने लगा. वहीं दूसरी ओर आसाराम से पीएम मोदी की नजदीकियां किसी से छुपी नहीं है. पीएम मोदी खुद आसाराम के भक्त थे, इसके पुख्ता सबूत तस्वीरों और वीडियो के रूप में इंटरनेट पर भरे पड़े हैं. अब जब इन बाबाओं की वजह से राजनेताओं को राजनीतिक फायदा मिल रहा है तो ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर सरकार अपने ही पेट पर लात क्यों मारेगी? हालांकि, आसाराम और राम रहीम दोनों ही अब सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं, लेकिन ऐसे कई बाबा हैं जिनके एक इशारे पर पूरी की पूरी भीड़ एक ही शख्स को वोट दे आती है.
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