सीबीआई की रेड दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से होते हुए पटना आ धमकी. समय भी बेहद खास था. महागठबंधन विधानसभा में अपना फ्लोर टेस्ट देने की तैयारी में थी. और तो और विधानसभा अध्यक्ष पद पर भी अपने नेता मनोनित करने वाली थी. ठीक उससे पहले बुधवार को सीबीआई ने पूर्व उपमुख्यमंत्री राबड़ी देवी के राखी भाई सुनील सिंह के यहां घंटी बजा दी? इसकी कई वजहें हैं. महागठबंधन इसे भाजपा का षड़यंत्र कह रहा है. लेकिन, मामला उससे आगे का भी बनता है.
दरअसल, सुनील सिंह एमएलसी के साथ बिस्कोमान के अध्यक्ष भी हैं. वे इस पद पर लगातार 2003 से बने हुए हैं. राजद में पूरी तरह सक्रिय नहीं रहने के बावजूद भी वे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी रहे हैं. जैसे की उनका रेलमंत्री रहते हुए ओएसडी भोला यादव थे. यहां तक की जब राजद झारखंड जेल में बंद थे तो कई बार व्यक्तिगत तौर पर भेंट कर उनका दर्द बांटते दिखे थे.
राजद सुप्रीमो की कृपा दृष्टि से ही सुनील सिंह 2020 में विधान परिषद के बतौर सदस्य बनकर पार्टी की आवाज लगातार सदन में उठाते रहे हैं. एक प्रखर वक्ता की ओर अपने आप को स्थापित कर चुके हैं. सदन हो या सदन के बाहर ये हमेशा पार्टी का पक्ष मजबूती से रखते दिखते हैं. पटना की मीडिया हमेशा सुर्खियों में रखती है. इतना ही नहीं लालू परिवार में कभी-कभी असामान्य स्थिति बनती है तो यह संभालते दिखते हैं.
इन्हें धनकुबेर भी कहा जाता है. अलबत्ता, राजद के कोषाध्यक्ष भी हैं. इस बार मंत्री की रेस में भी थे. लेकिन, सामाजिक समीकरण के चलते बनते-बनते रह गये. लेकिन, पार्टी के प्रबंधन के साथ राजद के युवा नेता व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के भी काफी करीब हैं. सीबीआई की रेड सुनील सिंह के अलावा राजद नेता अशफाक करीम,...
सीबीआई की रेड दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से होते हुए पटना आ धमकी. समय भी बेहद खास था. महागठबंधन विधानसभा में अपना फ्लोर टेस्ट देने की तैयारी में थी. और तो और विधानसभा अध्यक्ष पद पर भी अपने नेता मनोनित करने वाली थी. ठीक उससे पहले बुधवार को सीबीआई ने पूर्व उपमुख्यमंत्री राबड़ी देवी के राखी भाई सुनील सिंह के यहां घंटी बजा दी? इसकी कई वजहें हैं. महागठबंधन इसे भाजपा का षड़यंत्र कह रहा है. लेकिन, मामला उससे आगे का भी बनता है.
दरअसल, सुनील सिंह एमएलसी के साथ बिस्कोमान के अध्यक्ष भी हैं. वे इस पद पर लगातार 2003 से बने हुए हैं. राजद में पूरी तरह सक्रिय नहीं रहने के बावजूद भी वे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी रहे हैं. जैसे की उनका रेलमंत्री रहते हुए ओएसडी भोला यादव थे. यहां तक की जब राजद झारखंड जेल में बंद थे तो कई बार व्यक्तिगत तौर पर भेंट कर उनका दर्द बांटते दिखे थे.
राजद सुप्रीमो की कृपा दृष्टि से ही सुनील सिंह 2020 में विधान परिषद के बतौर सदस्य बनकर पार्टी की आवाज लगातार सदन में उठाते रहे हैं. एक प्रखर वक्ता की ओर अपने आप को स्थापित कर चुके हैं. सदन हो या सदन के बाहर ये हमेशा पार्टी का पक्ष मजबूती से रखते दिखते हैं. पटना की मीडिया हमेशा सुर्खियों में रखती है. इतना ही नहीं लालू परिवार में कभी-कभी असामान्य स्थिति बनती है तो यह संभालते दिखते हैं.
इन्हें धनकुबेर भी कहा जाता है. अलबत्ता, राजद के कोषाध्यक्ष भी हैं. इस बार मंत्री की रेस में भी थे. लेकिन, सामाजिक समीकरण के चलते बनते-बनते रह गये. लेकिन, पार्टी के प्रबंधन के साथ राजद के युवा नेता व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के भी काफी करीब हैं. सीबीआई की रेड सुनील सिंह के अलावा राजद नेता अशफाक करीम, फैय्याज अहमद जैसे नेताओं के घर भी हुई. लेकिन, सुनील सिंह केन्द्र बिंदु में हैं.
सुनील के पटना स्थित आवास पर सुबह से ही छापेमारी टीम पहुंच गयी. मीडिया भी वहीं जमी दिखी. मीडिया में चल रही खबर के मुताबिक, सीबीआई का टारगेट सुनील सिंह पर ही है. कहा जाता है कि सुनील सिंह के ही उपर पार्टी के सभी कार्यक्रमों की जिम्मेदारी होती है. सुनील सिंह ही पार्टी के अधिवेशनों और अन्य कार्यक्रमों का प्रबंधन देखते हैं.
ये आइपीसी की धारा 420 के तहत भी नामजद हैं. एमएलसी चुनाव में नामांकन पत्र देखने से पता चलता है कि ये अकूत संपत्ति के मालिक तो हैं ही. इनपर अलग-अलग वर्षों में सात मुकदमे दर्ज हैं. जिनमें आइपीसी धारा 406, 420 के अधिक मामले नजर आ रहे हैं. इसके अलावा 307 का भी एक मामला दर्ज है. बहरहाल, कहा जाता है कि बिस्कोमान से भी कुछ जुड़े मामले हो सकते हैं. राजद परिवार के करीबी तो हैं ही.
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