बीते शनिवार दक्षिण एशिया समेत यूरोप में लोगों ने सादिक खान के लंदन का मेयर बनने पर जश्न मनाया. पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक सादिक को मॉडर्न इस्लाम का वो ग्लोबल चेहरा बताया गया जो साबित करता है कि आतंकवाद के लिए किसी धर्म को कटघरे में नहीं खड़ा किया जाना चाहिए. सोशल मीडिया के साधन फेसबुक, ट्वीटर समेत पश्चिमी और देसी मीडिया ने सादिक के प्रोफाइल का जमकर प्रचार किया. लेकिन ये प्लैटफॉर्म आज खुर्रम जाकी के कत्ल पर खामोश है.
खुर्रम जाकी का पाकिस्तान के कराची में शनिवार को 4 मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर कत्ल कर दिया था. जाकी पाकिस्तान में मानवाधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे. इस्लामिक कट्टरपंथियों का वह खुलकर विरोध करते थे और इस्लाम की उस मॉडर्न परिभाषा को आगे बढ़ाने की वकालत करते थे जिसके लिए हम सादिक खान को एक ग्लोबल ब्रांड अम्बैसडर मान रहे हैं. अब सवाल यह है कि क्या मॉडर्न इस्लाम की परिभाषा देने वालों के साथ लंदन और कराची अलग-अलग व्यवहार करता है. लंदन के सादिक की जीत पर अगर जश्न मनाया गया तो क्यों कराची के खुर्रम जाकी की मौत पर खामोशी छाई है.
खुर्रम जाकी को पाकिस्तान में मिली अधिकार मांगने की सजा |
गौरतलब है कि लंदन में मेयर का चुनाव जीतने के बाद सादिक खान ने अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति पद की दौड़ में रिपब्लिकन फ्रंटरनर डोनाल्ड ट्रंप पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस्लाम पर उनका नजरिया अज्ञानता से भरा है. सादिक का कहना था कि ट्रंप के नजरिये से इस्लाम को देखना पूरे यूरोप और अमेरिका को कम सुरक्षित कर देगा. लिहाजा, दोनों यूरोप और अमेरिका को इस्लाम की उसी मॉडर्न परिभाषा के साथ रहना होगा जिसे लंदन शहर के लोगों ने पसंद किया और उन्हें मेयर चुनने का काम किया है.
बीते शनिवार दक्षिण एशिया समेत यूरोप में लोगों ने सादिक खान के लंदन का मेयर बनने पर जश्न मनाया. पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक सादिक को मॉडर्न इस्लाम का वो ग्लोबल चेहरा बताया गया जो साबित करता है कि आतंकवाद के लिए किसी धर्म को कटघरे में नहीं खड़ा किया जाना चाहिए. सोशल मीडिया के साधन फेसबुक, ट्वीटर समेत पश्चिमी और देसी मीडिया ने सादिक के प्रोफाइल का जमकर प्रचार किया. लेकिन ये प्लैटफॉर्म आज खुर्रम जाकी के कत्ल पर खामोश है.
खुर्रम जाकी का पाकिस्तान के कराची में शनिवार को 4 मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर कत्ल कर दिया था. जाकी पाकिस्तान में मानवाधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे. इस्लामिक कट्टरपंथियों का वह खुलकर विरोध करते थे और इस्लाम की उस मॉडर्न परिभाषा को आगे बढ़ाने की वकालत करते थे जिसके लिए हम सादिक खान को एक ग्लोबल ब्रांड अम्बैसडर मान रहे हैं. अब सवाल यह है कि क्या मॉडर्न इस्लाम की परिभाषा देने वालों के साथ लंदन और कराची अलग-अलग व्यवहार करता है. लंदन के सादिक की जीत पर अगर जश्न मनाया गया तो क्यों कराची के खुर्रम जाकी की मौत पर खामोशी छाई है.
खुर्रम जाकी को पाकिस्तान में मिली अधिकार मांगने की सजा |
गौरतलब है कि लंदन में मेयर का चुनाव जीतने के बाद सादिक खान ने अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति पद की दौड़ में रिपब्लिकन फ्रंटरनर डोनाल्ड ट्रंप पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस्लाम पर उनका नजरिया अज्ञानता से भरा है. सादिक का कहना था कि ट्रंप के नजरिये से इस्लाम को देखना पूरे यूरोप और अमेरिका को कम सुरक्षित कर देगा. लिहाजा, दोनों यूरोप और अमेरिका को इस्लाम की उसी मॉडर्न परिभाषा के साथ रहना होगा जिसे लंदन शहर के लोगों ने पसंद किया और उन्हें मेयर चुनने का काम किया है.
मेयर बनने के बाद पहले होलोकॉस्ट मेमोरियल सर्विस में शामिल सादिक खान |
सादिक की इस टिप्पणी से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें बधाई देते हुए कहा था कि अमेरिका में मुसलमानों की एंट्री बंद करने के उनके प्रस्ताव में सादिक खान अपवाद हैं और वह अमेरिका आ-जा सकते हैं. इस टिप्पणी को अज्ञानता से भरा बताते हुए सादिक का कहना था कि यह बात महज उनके अमेरिका आने देने के लिए नहीं है. अमेरिका को दुनिया के किसी भी कोने से आने वाले उन जैसे सभी मुसलमानों के लिए यही कहना चाहिए. सादिक के मुताबिक अमेरिका, इग्लैंड या फिर दुनिया के किसी कोने में मुसलमानों को डोनाल्ड ट्रंप के नजरिए से देखने पर मुख्यधारा से मॉडर्न मुसलमान को कट्टरपंथ अपनी ओर आकर्षित करने लगेगा और इससे पूरी दुनिया की शांति पर खतरा बढ़ सकता है.
अब यहां सवाल यह है कि क्या लंदन, वॉशिंगटन और इन जैसे तमाम वैश्विक शहर डोनाल्ड ट्रंप की बातों को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए लोग सादिक खान के मॉडर्न परिभाषा पर चलें. वहीं कराची, लाहौर और ढ़ाका जैसे इस्लामिक शहरों में मॉडर्न इस्लाम का जिक्र करने वालों को सत्ता से दूर रखने के लिए बरबर्ता से कत्ल कर दिया जाए. जब इन इस्लामिक शहरों में सादिक खान को नहीं बचाया जा सकता है तो डोनाल्ड ट्रंप कहां गलत कह रहे हैं कि अमेरिका को सुरक्षित रखने के लिए वह इस्लामिक देशों से मुसलमानों के आने पर प्रतिबंध लगा देंगे.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.