अभी पिछले ही महीने तेलंगाना ने राज्य के तौर पर अपनी पहली वर्षगांठ मनाई. भारत के इस 29वें राज्य का भविष्य क्या होगा, इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. इस बीच राज्य के मुंख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अपने लिए 5 करोड़ की मर्सिडीज बस खरीद ली है. यह तेलंगाना की जनता के लिए एक संदेश है - आप कितना भी अपना माथा पीट लें, राजनीति से विलासिता खत्म नहीं होने वाली. कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री इस बस से राज्य के जिलों का दौरा करेंगे. लोगों का दुख-दर्द सुनेंगे. और तो और, सफाई ये भी कि यह लग्जरी बस नहीं है. मुंख्यमंत्री के आराम के लिए इसमें बिस्तर नहीं है. इसमें केवल उन 12 अफसरों के लिए सीट का इंतजाम है, जो उनके साथ यात्रा करेंगे.
वाह! यह भी सही है. पांच करोड़ की बस से चलकर राज्य का मुखिया गरीब जनता से मिलेगा. मुख्यमंत्री चंद्रशेखर एसी बस से उतर कर गर्मी से बेहाल लोगों से मिलेंगे. बस के अंदर एक स्वचलित सीढ़ी लगी है. इस दौरान वह उस सीढ़ी से बस की छत पर जाएंगे और किसी अवतार की तरह पब्लिक के सामने आएंगे.
यही नहीं, बस बुलेट और लैंड माइन प्रूफ भी है. इन सबके बीच लाख टके का सवाल यह है कि 500 लाख की इस बस की आखिर जरूरत क्या थी? आपके पास और कई गाड़ियां हैं, हेलीकॉप्टर की सुविधा है. तो फिर इसकी जरूरत क्यों? ऐसा तो होगा नहीं कि मुख्यमंत्री आठ-आठ दिन तक दौरे पर रहेंगे, वह भी बिना सोए. एक दिन का दौरा कार से किया ही जा सकता है. एक ऐसा राज्य, जहां के हजारों किसान कर्जे में डुबे हों, गाहे-बगाहे उनके आत्महत्या करने की खबरें आती रहती हों, उसके मुखिया से ऐसी उम्मीद तो नहीं थी.
प्रवक्ताओं और राज्य सरकार का बचाव करने वालों ने यह दावा किया कि मुख्यमंत्री चाहते थे कि वह ट्रांसपोर्ट के उसी माध्यम का इस्तेमाल करें, जो आम लोग करते हैं. फिर मुख्यमंत्री ही क्यों, उनके मंत्रियों को भी ऐसी नेक सलाह दी जानी चाहिए. सभी अपनी-अपनी पांच करोड़ी बस से घूमें. जनता का भला होगा. लेकिन मर्सिडीज बस में राज्य की कितनी प्रतिशत जनता घूमती है, यह भी जेहन में रखा जाना...
अभी पिछले ही महीने तेलंगाना ने राज्य के तौर पर अपनी पहली वर्षगांठ मनाई. भारत के इस 29वें राज्य का भविष्य क्या होगा, इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. इस बीच राज्य के मुंख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अपने लिए 5 करोड़ की मर्सिडीज बस खरीद ली है. यह तेलंगाना की जनता के लिए एक संदेश है - आप कितना भी अपना माथा पीट लें, राजनीति से विलासिता खत्म नहीं होने वाली. कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री इस बस से राज्य के जिलों का दौरा करेंगे. लोगों का दुख-दर्द सुनेंगे. और तो और, सफाई ये भी कि यह लग्जरी बस नहीं है. मुंख्यमंत्री के आराम के लिए इसमें बिस्तर नहीं है. इसमें केवल उन 12 अफसरों के लिए सीट का इंतजाम है, जो उनके साथ यात्रा करेंगे.
वाह! यह भी सही है. पांच करोड़ की बस से चलकर राज्य का मुखिया गरीब जनता से मिलेगा. मुख्यमंत्री चंद्रशेखर एसी बस से उतर कर गर्मी से बेहाल लोगों से मिलेंगे. बस के अंदर एक स्वचलित सीढ़ी लगी है. इस दौरान वह उस सीढ़ी से बस की छत पर जाएंगे और किसी अवतार की तरह पब्लिक के सामने आएंगे.
यही नहीं, बस बुलेट और लैंड माइन प्रूफ भी है. इन सबके बीच लाख टके का सवाल यह है कि 500 लाख की इस बस की आखिर जरूरत क्या थी? आपके पास और कई गाड़ियां हैं, हेलीकॉप्टर की सुविधा है. तो फिर इसकी जरूरत क्यों? ऐसा तो होगा नहीं कि मुख्यमंत्री आठ-आठ दिन तक दौरे पर रहेंगे, वह भी बिना सोए. एक दिन का दौरा कार से किया ही जा सकता है. एक ऐसा राज्य, जहां के हजारों किसान कर्जे में डुबे हों, गाहे-बगाहे उनके आत्महत्या करने की खबरें आती रहती हों, उसके मुखिया से ऐसी उम्मीद तो नहीं थी.
प्रवक्ताओं और राज्य सरकार का बचाव करने वालों ने यह दावा किया कि मुख्यमंत्री चाहते थे कि वह ट्रांसपोर्ट के उसी माध्यम का इस्तेमाल करें, जो आम लोग करते हैं. फिर मुख्यमंत्री ही क्यों, उनके मंत्रियों को भी ऐसी नेक सलाह दी जानी चाहिए. सभी अपनी-अपनी पांच करोड़ी बस से घूमें. जनता का भला होगा. लेकिन मर्सिडीज बस में राज्य की कितनी प्रतिशत जनता घूमती है, यह भी जेहन में रखा जाना चाहिए.
यहां सवाल केवल एक व्यक्ति विशेष या पार्टी से नहीं है. पूरी राजनीतिक जमात पिछले कई सालों से सवालों के घेरे में है. पांच करोड़ी बस की आलोचना के बीच सासंदों के वेतन बढ़ाने का मुद्दा भी छाया हुआ है. देखिएगा, जब संसद में वेतन बढ़ाने पर प्रस्ताव पेश होगा तो कैसे सभी एक-दूसरे के हिमायती बने नजर आएंगे. फिर क्या बीजेपी, क्या कांग्रेस और क्या टीआरएस!!!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.