पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम मुश्किल में हैं. INX मीडिया केस में करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग के कारण सबसे बड़े राजनीतिक संकट का सामना कर रहे चिदंबरम 24 घंटे लापता रहने के बाद अचानक कांग्रेस कार्यालय पर नजर आए. उन्होंने वहां प्रेस कान्फ्रेंस करके जांच एजेंसियों और अप्रत्यक्ष रूप से सरकार और कोर्ट की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए. दिल्ली हाई कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया केस में फंसे चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद चिदंबरम ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन उसने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया. चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के बाद से केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशलय की टीमों ने चिदंबरम के ऊपर नकेल कसनी शुरू कर दी. मामले को लेकर चिदंबरम के वकील ने कहा है कि लुकआउट नोटिस राजनीतिक बदले के तहत जारी किया गया है. बात अगर दिल्ली हाई कोर्ट की हो तो कोर्ट ने कहा है कि, मामले के तथ्य यह बताते हैं कि याचिकाकर्ता (चिदंबरम) किंगपिन है, यानी इस मामले में महत्वपूर्ण साजिशकर्ता चिदंबरम ही हैं. हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों पर विचाराधीन अपराधों में कानूनी बाधा डालकर अप्रभावी नहीं बनाया जा सकता है. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि केवल इसलिए कि वह संसद सदस्य हैं, उन्हें गिरफ्तारी से पहले जमानत देने का औचित्य नहीं होगा. यदि इस आधार पर अपराधी के लिए बेल की बात कही जा रही है तो ये अदालत की सम्पूर्ण प्रक्रिया को खारिज कर देता है.
मामले पर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस की तरफ से लगातार यही तर्क दिए जा रहे हैं कि भाजपा द्वारा...
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम मुश्किल में हैं. INX मीडिया केस में करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग के कारण सबसे बड़े राजनीतिक संकट का सामना कर रहे चिदंबरम 24 घंटे लापता रहने के बाद अचानक कांग्रेस कार्यालय पर नजर आए. उन्होंने वहां प्रेस कान्फ्रेंस करके जांच एजेंसियों और अप्रत्यक्ष रूप से सरकार और कोर्ट की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए. दिल्ली हाई कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया केस में फंसे चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद चिदंबरम ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन उसने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया. चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के बाद से केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशलय की टीमों ने चिदंबरम के ऊपर नकेल कसनी शुरू कर दी. मामले को लेकर चिदंबरम के वकील ने कहा है कि लुकआउट नोटिस राजनीतिक बदले के तहत जारी किया गया है. बात अगर दिल्ली हाई कोर्ट की हो तो कोर्ट ने कहा है कि, मामले के तथ्य यह बताते हैं कि याचिकाकर्ता (चिदंबरम) किंगपिन है, यानी इस मामले में महत्वपूर्ण साजिशकर्ता चिदंबरम ही हैं. हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों पर विचाराधीन अपराधों में कानूनी बाधा डालकर अप्रभावी नहीं बनाया जा सकता है. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा है कि केवल इसलिए कि वह संसद सदस्य हैं, उन्हें गिरफ्तारी से पहले जमानत देने का औचित्य नहीं होगा. यदि इस आधार पर अपराधी के लिए बेल की बात कही जा रही है तो ये अदालत की सम्पूर्ण प्रक्रिया को खारिज कर देता है.
मामले पर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस की तरफ से लगातार यही तर्क दिए जा रहे हैं कि भाजपा द्वारा लगातार कांग्रेस की छवि धूमिल करने के प्रयास किये जा रहे हैं. साथ ही चिदंबरम पर ये कार्रवाई बदले की भावना से की जा रही है. इस पूरे मामले में कुछ बेहद ही दिलचस्प बातें निकल कर सामने आ रही हैं. यदि इस पूरे मामले का गहनता से अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि ये सम्पूर्ण चक्र कोई 13 साल पहले से चल रहा है और कहीं न कहीं वहीं आकर रुका है जहां इस पूरे मामले की शुरुआत हुई थी.
क्या थी कहानी
जनवरी 2008 में, वित्त मंत्रालय की वित्तीय खुफिया इकाई (FI-IND) ने INX मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को मॉरीशस-आधारित तीन कंपनियों द्वारा 305 करोड़ रुपये से अधिक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की हरी झंडी दिखाई, जिसमें पीटर और इंद्राणी मुखर्जी का स्वामित्व था. मुंबई में आयकर विभाग ने ये केस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपा था. 2010 में प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन के तहत INX मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ केस दर्ज किया और क्योंकि इसमें चिदंबरम की प्रत्यक्ष भूमिका थी.
शाह पर चिदंबरम की कार्रवाई भाजपा की प्रतिक्रिया
उपरोक्त पंक्तियों में हमने चक्र का जिक्र किया था और कहा था कि आज चिदंबरम के साथ जो हो रहा है उसकी भूमिका आज से 13 साल पहले 2008 में उस वक़्त लिखी गई थी जब चिदंबरम गृह मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री थे. 26 नवंबर 2005 में गुजरात में हुए सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर मामले में साड़ी गाज तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों में शुमार अमित शाह पर गिरी. जांच सीबीआई के पास आई. चूंकि केंद्र में कांग्रेस थी इसलिए सीबीआई पर दबाव बनाया गया की सख्त जांच हो. चिदंबरम पावर में थे इसलिए उन्होंने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की की किसी भी सूरत में अमित शाह को बख्शा न जाए. जांच का परिणाम ये निकला कि 25 जुलाई 2010 को सीबीआई द्वारा अमित शाह को गिरफ्तार किया गया और उन्हें 3 महीनों तक अहमदाबाद कि साबरमती जेल में रहना पड़ा.
बाद में 29 अक्टूबर 2010 को अमित शाह को बेल हुई. इसके बाद 30 अक्टूबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी हाल में अमित शाह गुजरात छोड़ दें. अब इस पूरी प्रक्रिया का अवलोकन किया जाए तो जांच एजेंसी और कोर्ट तक पर दबाव बनाया गया था और इसमें पी चिदंबरम का एक बड़ा हाथ था.
तब भाजपा ने कांग्रेस के इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि कांग्रेस ये जो कुछ भी कर रही है वो एक बड़े राजनितिक षड्यंत्र का हिस्सा है जिसका एकमात्र उद्देश आम जनता के सामने नरेंद्र मोदी, अमित शाह के अलावा पार्टी की छवि धूमिल करना है. ध्यान रहे कि पूर्व में कई ऐसे मौके आए हैं साथ ही ये साबुत भी मिले हैं कि कैसे अपने मनमाने रवैये से चिदंबरम पूरी जांच प्रक्रिया को प्रभावित करते थे.
माल्या पर मोदी सरकार की कार्रवाई और कांग्रेस
कुछ ऐसा ही मामला तब देखने को मिला जब माल्या विदेश भागा. ध्यान रहे की मोदी सरकार शुरू से ही डिफॉल्टर्स पर सख्त रही है चूंकि माल्या ने बैंक से कर्जा लिया था और उसे चुकाया नहीं तो कहीं न कहीं उसे भी डर बना हुआ था कि किसी भी क्षण उसे हिंदुस्तान की सरकार बेनकाब कर सकती है. इसपर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा की जो कुछ भी हुआ भाजपा की देख रेख में हुआ और जो कुछ भी अब भाजपा कर रही है वो देश की जनता को मूर्ख बनाने के लिए कर रही है.
चिदंबरम पर मोदी सरकार की कार्रवाई और कांग्रेस
चक्र घूमा है और वहीं आकर रुका है जहां से इस राजनितिक युद्ध की शुरुआत हुई थी. पी चिदंबरम अपने जीवन की सबसे बड़ी राजनितिक साजिश का शिकार हुए हैं. INX मीडिया केस के मद्देनजर चिदंबरम पर शिकंजा कस चुका है जिस कारण वो फरार है. कांग्रेस के गलियारों में चर्चा तेज है कि ये जो कुछ भी हो रहा है देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारों पर हो रहा है और भाजपा के साथ राजनितिक दुश्मनी निकाली जा रही है. इस मुश्किल वक़्त में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी समेत पूरा कांग्रेस परिवार चिदंबरम के साथ खड़ा है और उन्हें निर्दोष बता रहा है.
इस संबंध में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया है और आरोप लगाया है की चिदंबरम जैसे व्यक्ति का चरित्र हनन किया जा रहा है.
वहीं प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया है कि पार्टी चिदंबरम के साथ हर वक्त खड़ी है और नतीजों की परवाह किए वह बिना सचाई के साथ खड़ी रहेगी. प्रियंका ने ये भी कहा है कि, 'योग्य और सम्मानित राज्यसभा सदस्य पी. चिदंबरम ने दशकों तक देश की सेवा की है, जिसमें वित्त मंत्री और गृह मंत्री के रूप में की गई उनकी सेवा भी शामिल है. वह बेहिचक सत्ता की हकीकत बयां करते रहे हैं और इस सरकार की असफलताएं उजागर करते रहते हैं, लेकिन यह सच्चाई कायरों को असहज कर रही है. इसलिए शर्मनाक तरीके से उनका पीछा किया जा रहा है. हम उनके साथ खड़े हैं और सचाई के लिए लड़ते रहेंगे, चाहे नतीजे जो भी हों.'
चिदंबरम कितनी जल्दी गिरफ्तार होते हैं इसका जवाब वक़्त की गर्त में छुपा है मगर जिस तरह से उनपर शिकंजा कसा है साफ़ हो गया है कि जिस कहानी के सूत्रधार वो कभी खुद थे आज वो कहानी उनपर समाप्त होने वाली है और इस कहानी का अंत कहीं से भी सुखद नहीं होने वाला है. कह सकते हैं कि अगर कल को चिदंबरम बाइज्जत छूट भी गए तो ये कहानी न सिर्फ उनको बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी को बरसों तक डराएगी.
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