दुनिया की दो महाशक्तियों अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता और तनातनी कोई नई बात नहीं है. लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते कुछ ज्यादा ही तल्ख हुए हैं. खासतौर से दक्षिण चीन सागर पर आधिपत्य के चीनी दावे को खारिज करते हुए उसके खिलाफ पूरी दुनिया को गोलबंद करने की अमेरिकी कोशिशों के बाद से चीन काफी खफा है.
ये तनातनी चीन में चल रहे जी20 सम्मेलन के दौरान साफ तौर पर दिखी. यहां तक कि चीन की नाराजगी से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी नहीं बच पाए और जी20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंचते ही ओबामा को कड़ा संदेश दिया गया. आइए जानें आखिर चीन ने ओबामा को कैसे दिया कड़ा संदेश.
चीन पहुंचते ही ओबामा को मिला कड़ा संदेश: जी20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के हांगझू पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को चीनी धरती पर कदम रखते ही एक अजीबोगरीब स्थिति का सामना करना पड़ा. जी20 शिखर सम्मेलन के लिए चीन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. जैसे ओबामा का विमान एयरफोर्स वन हांगझू के एयरपोर्ट पर लैंड हुआ चीनी सुरक्षा अधिकारियों ने ओबामा के चारों और एक नीली रस्सी का घेरा बना दिया और प्रेस के लोगों को उनसे दूर रहने को कहा.
यह भी पढ़ें: चीन ने पहली बार दुनिया को दिखाई अपनी परमाणु ताकत! ये चेतावनी है क्या?
दरअसल वाइट हाउस के पत्रकारों का समूह ओबामा की विदेश यात्रा के दौरान साथ जाता है और विदेशी धरती पर एयरफोर्स वन की लैंडिंग के बाद बोइंग 747 विमान के पंखे के नीचे खड़े होकर सीढ़ियों से नीचे उतरते ओबामा की तस्वीरें खींचते हैं. लेकिन चीनी सुरक्षा अधिकारियों ने ओबामा के चारो तरफ रस्सी से घेरा बनाते हुए इन पत्रकारों को उनके पास जाने से रोक दिया.
दुनिया की दो महाशक्तियों अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता और तनातनी कोई नई बात नहीं है. लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते कुछ ज्यादा ही तल्ख हुए हैं. खासतौर से दक्षिण चीन सागर पर आधिपत्य के चीनी दावे को खारिज करते हुए उसके खिलाफ पूरी दुनिया को गोलबंद करने की अमेरिकी कोशिशों के बाद से चीन काफी खफा है. ये तनातनी चीन में चल रहे जी20 सम्मेलन के दौरान साफ तौर पर दिखी. यहां तक कि चीन की नाराजगी से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी नहीं बच पाए और जी20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंचते ही ओबामा को कड़ा संदेश दिया गया. आइए जानें आखिर चीन ने ओबामा को कैसे दिया कड़ा संदेश. चीन पहुंचते ही ओबामा को मिला कड़ा संदेश: जी20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के हांगझू पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को चीनी धरती पर कदम रखते ही एक अजीबोगरीब स्थिति का सामना करना पड़ा. जी20 शिखर सम्मेलन के लिए चीन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. जैसे ओबामा का विमान एयरफोर्स वन हांगझू के एयरपोर्ट पर लैंड हुआ चीनी सुरक्षा अधिकारियों ने ओबामा के चारों और एक नीली रस्सी का घेरा बना दिया और प्रेस के लोगों को उनसे दूर रहने को कहा. यह भी पढ़ें: चीन ने पहली बार दुनिया को दिखाई अपनी परमाणु ताकत! ये चेतावनी है क्या? दरअसल वाइट हाउस के पत्रकारों का समूह ओबामा की विदेश यात्रा के दौरान साथ जाता है और विदेशी धरती पर एयरफोर्स वन की लैंडिंग के बाद बोइंग 747 विमान के पंखे के नीचे खड़े होकर सीढ़ियों से नीचे उतरते ओबामा की तस्वीरें खींचते हैं. लेकिन चीनी सुरक्षा अधिकारियों ने ओबामा के चारो तरफ रस्सी से घेरा बनाते हुए इन पत्रकारों को उनके पास जाने से रोक दिया.
इतना ही नहीं चीनी अधिकारियों ने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुजन राइस और वाइट हाउस के प्रेस समूह को भी सुरक्षा जांच से छूट नहीं दी. इस दौरान एक चीनी अधिकारी अमेरिकी अधिकारियों से उलझ पड़ा. जब वाइट हाउस की महिला स्टाफ एक चीनी अधिकारी को ये बताने लगी ये विमान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का है वह चीनी अधिकारी भड़क उठा और चीखते हुए कहा, 'ये हमारा देश, हमारा एयरपोर्ट है.' देखें वीडियोः चीनी अधिकारी ने कहा, 'ये हमारा देश, हमारा एयरपोर्ट है' इस बीच जब अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुजन राइस और वाइट हाउस के स्टाफ बेन रोड्स ने नीली रस्सी के घेरे को हटाकर ओबामा पास जाने की कोशिश की तो वह चीनी अधिकारी राइस पर नाराज हो उठा और उनका रास्ता रोकने की कोशिश की. इस पर उन दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हुई. इस बीच राइस का खुफिया सर्विस का एजेंट उन्हें आगे ले गया. बाद में पत्रकारों से बीतचीत में राइस ने चीनी सुरक्षा अधिकारियों के इस व्यवहार के बारे में कहा कि उन्होंने ऐसी चीजें कीं जिनका अनुमान नहीं था. अब सवाल ये उठता है कि क्या ऐसा चीनी अधिकारियों ने खुद से किया या जानबूझकर? तो जाहिर सी बात है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को कड़ा संदेश देने के लिए ऐसा निश्चित तौर पर चीनी सरकार के निर्देश पर ही हुआ होगा. ऐसा करके चीन अमेरिकी को संदेश देना चाहता था कि अपने अधिकारों के प्रति वह पूरी तरह जागरूक है और इस मामले में वह किसी की नहीं सुनेगा, अमेरिकी की भी नहीं. यानी वह दक्षिण चीन सागर पर अपने दावे को खारिज करने की अमेरिकी नीति को लेकर अमेरिका को बताना चाहता था कि अपने क्षेत्रों को लेकर वह किस कदर संवेदनशील है और अमेरिका को उसके मामलों में टांग नहीं अड़ानी चाहिए! इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |