बिहार की राजनीति (Bihar politics) में उठापटक का खेल किसी से भी छिपा नहीं है. यहां की राजनीति में सियासी वार तीखे तो चलते ही हैं लेकिन साथ में जो राजनीतिक पार्टियों की उठापटक देखने को मिलती है उससे बिहार हमेशा ही राजनीति के रंग में रंगा हुआ दिखाई पड़ता है. बिहार में जहां आपको गठबंधन तो दिखता ही है वहीं महागठबंधन भी नज़र आता है. उत्तर प्रदेश के बाद अगर किसी भी पार्टी की दिलचस्पी किसी राज्य में सरकार बनाने की होती है तो वह बिहार में ही होती है. बिहार में मौजूदा वक्त में नीतीश कुमार (Nitish Kumar)मुखिया हैं जिनकी पार्टी जदयू (JD) है. यह लालू यादव (Lalu Yadav) की पार्टी राजद (RJD) के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे. इनके सामने भाजपा (BJP) थी जो पासवान (Ramvilas Paswan) की पार्टी लोजपा (LJP) के साथ गठबंधन में थी. चुनाव हुआ जीत मिली नितीश-लालू (Nitish-Lalu) के गठबंधन को, नितीश बने मुख्यमंत्री और लालू यादव के बेटे तेजस्वी (Tejasvi Yadav) बने उपमुख्यमंत्री. वक्त ने पासा पलटा और नितीश कुमार ने अपने साथ ले लिया भाजपा गठबंधन को.
लालू यादव की पार्टी एक ही झटके में सरकार से बाहर हो गई. नितीश कुमार भाजपा के समर्थन से अब भी मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं. सरकार पलटने के बाद 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ. नितीश कुमार भाजपा संग ही चुनाव में गए और पूरी तरह से लोकसभा चुनाव में बाजी मार ली. वहीं दूसरी ओर लालू यादव की पार्टी ने किया था महागठबंधन, और इस महागठबंधन को महापराजय देखने को मिली थी.
अब एक बार फिर बिहार चुनाव की दहलीज़ पर है तो सियासी गुणागणित जोरों पर जारी है, पहले बात सत्ताधारी एनडीए की करते हैं. जिसमें जदयू, भाजपा औऱ लोजपा है. सभी...
बिहार की राजनीति (Bihar politics) में उठापटक का खेल किसी से भी छिपा नहीं है. यहां की राजनीति में सियासी वार तीखे तो चलते ही हैं लेकिन साथ में जो राजनीतिक पार्टियों की उठापटक देखने को मिलती है उससे बिहार हमेशा ही राजनीति के रंग में रंगा हुआ दिखाई पड़ता है. बिहार में जहां आपको गठबंधन तो दिखता ही है वहीं महागठबंधन भी नज़र आता है. उत्तर प्रदेश के बाद अगर किसी भी पार्टी की दिलचस्पी किसी राज्य में सरकार बनाने की होती है तो वह बिहार में ही होती है. बिहार में मौजूदा वक्त में नीतीश कुमार (Nitish Kumar)मुखिया हैं जिनकी पार्टी जदयू (JD) है. यह लालू यादव (Lalu Yadav) की पार्टी राजद (RJD) के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे. इनके सामने भाजपा (BJP) थी जो पासवान (Ramvilas Paswan) की पार्टी लोजपा (LJP) के साथ गठबंधन में थी. चुनाव हुआ जीत मिली नितीश-लालू (Nitish-Lalu) के गठबंधन को, नितीश बने मुख्यमंत्री और लालू यादव के बेटे तेजस्वी (Tejasvi Yadav) बने उपमुख्यमंत्री. वक्त ने पासा पलटा और नितीश कुमार ने अपने साथ ले लिया भाजपा गठबंधन को.
लालू यादव की पार्टी एक ही झटके में सरकार से बाहर हो गई. नितीश कुमार भाजपा के समर्थन से अब भी मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं. सरकार पलटने के बाद 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ. नितीश कुमार भाजपा संग ही चुनाव में गए और पूरी तरह से लोकसभा चुनाव में बाजी मार ली. वहीं दूसरी ओर लालू यादव की पार्टी ने किया था महागठबंधन, और इस महागठबंधन को महापराजय देखने को मिली थी.
अब एक बार फिर बिहार चुनाव की दहलीज़ पर है तो सियासी गुणागणित जोरों पर जारी है, पहले बात सत्ताधारी एनडीए की करते हैं. जिसमें जदयू, भाजपा औऱ लोजपा है. सभी नितीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ने को राज़ी हैं लेकिन सीट बंटवारे को लेकर एऩडीए में रार पैदा हो गयी है. वर्ष 2015 में एनडीए की ओर से लोजपा ने 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. उस वक्त नितीश कुमार एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे. लेकिन मौजूदा वक्त में नितीश कुमार एनडीए के खैमे मे हैं.
अब नितीश कुमार के आने से चिराग पासवान को कोई खास तवज्जो मिल नहीं रही है. इसी बात से चिराग पासवान कुछ नाराज़ से चल रहे हैं. वह पप्पू यादव के साथ बैठक कर रहे हैं. बिहार में हवा इस बात की चल रही है कि हो सकता है कि चिराग पासवान, पप्पू यादव के साथ तीसरा मोर्चा बना कर चुनाव में जा सकते हैं. हालांकि जानकारों की मानें तो इसकी संभावना कम ही है लेकिन अंसभव नहीं है.
जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान को भाजपा शीर्ष हर हाल में अपने साथ जोड़कर रखेगी. रामविलास पासवान को भाजपा ने अपने सहारे ही राज्यसभा भेज रखा है. भाजपा किसी भी कीमत पर चिराग को भटकने नहीं देगी. वहीं दूसरी ओर लालू यादव का बनाया हुआ महागठबंधन है. जिसमें एक राय बनना बहुत टेढ़ी खीर बन जाती है.
लोकसभा चुनाव का सीट बंटवारा रहा हो या फिर होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सींटों का बंटवारा. महागठबंधन हर मामले में लेटलतीफ साबित हुआ है जिसका अंजाम वह लोकसभा चुनाव के वक्त भोग भी चुका है. यहां भी जीतन राम मांझी सींट बंटवारे को लेकर नाराज़ चल रहे हैं जो कभी भी कुछ भी कर सकते हैं. कुल मिलाकर इतना तो तय है कि बिहार में चुनाव की तारीखों का जब भी ऐलान होगा तब ही सरगर्मियां बढ़ जाएंगी और कई नए सियासी समीकरण बनेंगे.
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