नीतीश कुमार ने बीजेपी पर दबाव बना कर चुनाव प्रचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का नाम और तस्वीर इस्तेमाल करने से तो रोक लिया है, लेकिन चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने उसकी काट में नयी नयी तरकीबें निकाल ही है - ऐसा लग रहा है जैसे नीतीश कुमार डाल डाल हैं तो चिराग पासवान पात पात!
हनुमान को निराश कैसे किया जा सकता है
चिराग पासवान को एक ही बात का डर रहा होगा, कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार के दौरान बाकी बीजेपी नेताओं की तरह बोल दिये तो क्या होगा. मगर, ऐसा हुआ नहीं. होता भी कैसे. चिराग पासवान ने खुद को प्रधानमंत्री मोदी का हनुमान बता रखा है. फिर हनुमान को प्रधानमंत्री मोदी भी निराश कैसे करते. आखिर हनुमान को निराश कैसे किया जा सकता है?
पहले तो चिराग पासवान और उनकी पार्टी के लोग कहते फिर रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी के हैं, लेकिन जब नीतीश कुमार के दबाव में बिहार बीजेपी ने नेताओं ने सख्त लहजे में बयान जारी किये तो चिराग पासवान को रणनीति बदलनी पड़ी. बीजेपी नेताओं ने साफ तौर पर बोल दिया था कि अगर एनडीए के अधिकृत प्रत्याशियों के अलावा कोई और प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर इस्तेमाल करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करायी जाएगी. जब अमित शाह ने भी बोल दिया कि चिराग पासवान बिहार एनडीए का हिस्सा नहीं हैं, तो चिराग पासवान ने कह दिया कि उनको प्रधानमंत्री मोदी के तस्वीर की जरूरत नहीं है क्योंकि वो तो उनके दिल में हैं. इसी क्रम में चिराग पासवान ने खुद को मोदी का हनुमान बताया था.
चिराग पासवान ने ये भी कहा कि उनसे कहीं ज्यादा मोदी की तस्वीर की जरूरत नीतीश कुमार को है. फिर चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री मोदी से भी कह डाला कि वो नीतीश कुमार की खुशी के लिए चाहें तो उनको भी भला बुरा बोल सकते हैं, उनको जरा भी बुरा नहीं लगेगा.
अब तक किसी भी चुनावी रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने चिराग पर खुल कर कोई वार नहीं किया है. पहली ही रैली में चिराग के पिता रामविलास पासवान को...
नीतीश कुमार ने बीजेपी पर दबाव बना कर चुनाव प्रचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का नाम और तस्वीर इस्तेमाल करने से तो रोक लिया है, लेकिन चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने उसकी काट में नयी नयी तरकीबें निकाल ही है - ऐसा लग रहा है जैसे नीतीश कुमार डाल डाल हैं तो चिराग पासवान पात पात!
हनुमान को निराश कैसे किया जा सकता है
चिराग पासवान को एक ही बात का डर रहा होगा, कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार के दौरान बाकी बीजेपी नेताओं की तरह बोल दिये तो क्या होगा. मगर, ऐसा हुआ नहीं. होता भी कैसे. चिराग पासवान ने खुद को प्रधानमंत्री मोदी का हनुमान बता रखा है. फिर हनुमान को प्रधानमंत्री मोदी भी निराश कैसे करते. आखिर हनुमान को निराश कैसे किया जा सकता है?
पहले तो चिराग पासवान और उनकी पार्टी के लोग कहते फिर रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी के हैं, लेकिन जब नीतीश कुमार के दबाव में बिहार बीजेपी ने नेताओं ने सख्त लहजे में बयान जारी किये तो चिराग पासवान को रणनीति बदलनी पड़ी. बीजेपी नेताओं ने साफ तौर पर बोल दिया था कि अगर एनडीए के अधिकृत प्रत्याशियों के अलावा कोई और प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर इस्तेमाल करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करायी जाएगी. जब अमित शाह ने भी बोल दिया कि चिराग पासवान बिहार एनडीए का हिस्सा नहीं हैं, तो चिराग पासवान ने कह दिया कि उनको प्रधानमंत्री मोदी के तस्वीर की जरूरत नहीं है क्योंकि वो तो उनके दिल में हैं. इसी क्रम में चिराग पासवान ने खुद को मोदी का हनुमान बताया था.
चिराग पासवान ने ये भी कहा कि उनसे कहीं ज्यादा मोदी की तस्वीर की जरूरत नीतीश कुमार को है. फिर चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री मोदी से भी कह डाला कि वो नीतीश कुमार की खुशी के लिए चाहें तो उनको भी भला बुरा बोल सकते हैं, उनको जरा भी बुरा नहीं लगेगा.
अब तक किसी भी चुनावी रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने चिराग पर खुल कर कोई वार नहीं किया है. पहली ही रैली में चिराग के पिता रामविलास पासवान को शिद्दत से याद किया और उनके योगदानों की चर्चा भी की.
प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश कुमार के पक्ष में बस इतना ही किया है कि एनडीए के सहयोगी दलों की फेहरिस्त बताते वक्त चिराग पासवान और उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का नाम नहीं लिया. लोक जनशक्ति पार्टी को छोड़ कर गिना दिये कि बस इतने ही एनडीए में हैं.
बीजेपी के ज्यादातर महत्वपूर्ण नेता सुशील मोदी और संजय जायसवाल से लेकर अमित शाह तक साफ तौर पर कह चुके हैं कि चिराग पासवान बिहार एनडीए का हिस्सा नहीं हैं. अमित शाह का कहना रहा कि दिल्ली में चिराग पासवान को लेकर बिहार चुनाव के बाद फैसला किया जाएगा.
31 अक्टूबर को चिराग पासवान का पहला बर्थडे रहा जो राम विलास पासवान के बगैर बीता है - चिराग पासवान फिलहाल जो कुछ भी कर पा रहे हैं उनका मानना है कि उनके पिता अगर देख पा रहे होंगे तो खुश जरूर हो रहे होंगे.
प्रधानमंत्री मोदी अपनी हर रैली में एनडीए के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगते हैं. नीतीश कुमार के लिए ये बहुत बड़ी राहत की बात होती है. वैसे भी नीतीश कुमार के खिलाफ लोगों का गुस्सा जिस तरह सामने आ रहा है, काफी हद तक वो प्रधानमंत्री मोदी पर निर्भर हो चुके हैं. चुनावी वैतरणी पार लगाएंगे भी तो प्रधानमंत्री मोदी ही, वरना, हवाएं तो कब की रुख बदल चुकी हैं.
जेडीयू के पोस्टर में भले ही नीतीश कुमार अपने साथ साथ प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर लगायें, लेकिन बीजेपी के पोस्टर में ऐसा कुछ नहीं होता. पहले चरण के चुनाव के पहले बिहार के अखबारों में दिये गये विज्ञापन में भी सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही तस्वीर लगी थी - नीतीश कुमार का चुनाव निशान जरूर था एनडीए के बाकी सहयोगी दलों की तरह.
बीजेपी के विज्ञापन की तरह ही पोस्टर में भी प्रधानमंत्री मोदी ही दिखायी देते हैं, नीतीश कुमार नहीं. जिन इलाकों में बीजेपी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं वहां तो नीतीश कुमार का नाम लेने वाला भी कोई नजर नहीं आ रहा - बीजेपी उम्मीदवार सिर्फ मोदी-मोदी ही कर रहे हैं. बैनर पोस्टर से लेकर नारेबाजी तक. कई बार तो ऐसा लगता है जैसे बीजेपी उम्मीदवार नीतीश कुमार के नाम से पूरी तरह परहेज कर रहे हों.
नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर के इस्तेमाल से तो रोक लिया लेकिन चिराग पासवान ने ऐसी तरकीब निकाली है जो तस्वीर से भी कहीं ज्यादा मजबूत साबित हो सकती है - क्योंकि नयी तरकीब का असर ग्राउंड लेवल पर हो रहा है.
"भाजपा लोजपा एके हैं"
पहले चरण में जिन 71 सीटों पर चुनाव हुए उनमें 42 सीटों पर चिराग पासवान के उम्मीदवार थे - और जिस तरीके से चिराग पासवान और उनकी पार्टी के नेता दावे कर रहे हैं, उतना न सही कम भी हो तो लगता तो यही है कि नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. जाहिर है आने वाले दो चरण के चुनावों में भी चिराग पासवान कम से कम इतना या उससे ज्यादा ही उम्मीद कर रहे होंगे.
जैसे महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव दावा कर रहे हैं कि 10 नवंबर को नीतीश कुमार की विदाई हो जाएगी, चिराग पासवान का भी वैसा ही मानना है. चिराग पासवान अब भी अपने दावे पर कायम हैं कि बिहार में बीजेपी और एलजेपी ही मिल कर सरकार बनाएंगे.
चिराग पासवान के तेवर पहले जैसे ही हैं. नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार का इल्जाम लगा कर चिराग पासवान लगातार कह रहे हैं कि सत्ता में आने पर वो उनको जेल भिजवाएंगे. मुंगेर हिंसा को लेकर भी वो तेजस्वी यादव की ही तरह बेहद आक्रामक नजर आये.
पहले फेज में दिनारा, पालीगंज और नोखा जैसी विधानसभा सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर बीजेपी के तीन बागी उम्मीदवार रहे. दिनारा से बीजेपी के संगठन मंत्री रहे राजेंद्र सिंह और पालीगंज से पूर्व बीजेपी विधायक उषा विद्यार्थी. राजेंद्र सिंह वहीं हैं जिनको 2015 में बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था - क्या पता दावेदारी अब भी कायम हो?
दूसरे चरण में सिवान, छपरा, वैशाली, मोतिहारी जैसे इलाकों में मतदान होने जा रहा है जहां चिराग पासवान ने जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशी खड़े किये हैं. लगता तो ऐसा ही है जैसे ये सबके सब बीजेपी के ही डमी कैंडिडेट हैं.
बताते हैं कि जमीनी स्तर पर बीजेपी कार्यकर्ता ही एलजेपी उम्मीदवारों के लिए काम कर रहे हैं, हालांकि, हर नेता पूछे जाने पर इस बात से साफ साफ मुकर जाता है.
लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवारों के कैंपेन सॉन्ग में एक लाइन ऐसी ही सुनी जा रही है जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के होश उड़ाने वाली है - "भाजपा-लोजपा एके है!"
कहीं कहीं पोस्टर भी बांटे जाते देखे गये हैं जिन पर ये लाइन लिखी होती है और व्हाट्सऐप के जरिये ऐसे मैसेज तो धड़ल्ले से भेजे जा रहे हैं.
एक पोस्टर भी खूब वायरल हो रहा है जिसकी बिहार में खासी चर्चा है - पोस्टर में एक कपल सड़क पर साथ साथ चला जा रहा है और पीछे से एक और लड़की पीछे पीछे लगी हुई है. पोस्टर में लड़के के कंधे पर लड़की सिर टिकाये हुए है और पीछे पीछे चल रही लड़की लड़के का हाथ पकड़े हुए है. ये कपल बीजेपी और उसकी गर्लफ्रेंड के रूप में जेडीयू है, जबकि अन्य लड़की लोक जनशक्ति पार्टी को समझा जा रहा है.
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