जेल मैनुअल के हिसाब से कैदियों को तमाम सुविधाएं मिलती हैं. जेलों में कैदियों को ऐसी कई सुविधाएं भी मिल जाती हैं, जिनकी मनाही है, लेकिन, 'सेवा शुल्क' देकर ये सभी चीजें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं. कैदियों को मिलने वाली इन सुविधाओं में 'असलहा' भी शामिल है. चौंकने की जरूरत नहीं है, उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जिला जेल में हुए हत्याकांड (Chitrakoot Jail Murder Case) से ये बात साफ जाहिर है. चित्रकूट जेल हत्याकांड में मुख्तार अंसारी के गिरोह के दो गुर्गों मुकीम काला और मेराजुद्दीन को एक अन्य अपराधी अंशु दीक्षित ने 9 एमएम की पिस्टल से गोलियां बरसाकर ढेर कर दिया. अपराधी अंशु दीक्षित को जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने मार गिराया.
अब तक इस मामले में दो अधिकारियों समेत पांच लोगों पर निलंबन की गाज गिर चुकी है. चित्रकूट जेल हत्याकांड की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए जा चुके हैं. चित्रकूट की जिला जेल को आधुनिक सुरक्षा व्यवस्था से लैस हाई सिक्योरिटी जेल कहा जाता है. कोरोना महामारी की वजह से कैदियों की परिजनों से मुलाकात लंबे समय से बंद है. 'मिलाई' के लिए पहुंचने पर कैदियों की फोन के जरिये परिजनों से बातचीत करा दी जाती है. परिजनों द्वारा लाया गया खाने-पीने का सामान की अच्छे से छानबीन होने के बाद कैदियों तक पहुंचाया जाता है. जेलों में लंबे समय से 'सेवा शुल्क' का खेल चल रहा है. चित्रकूट जेल हत्याकांड में इस्तेमाल हुई 9 एमएम पिस्टल से एक बात साफ हो गई है कि 'असलहा' कैदियों को मिलने वाली आम सुविधाओं में शामिल है.
पहले भी जेलों में गरज चुके हैं हथियार
चित्रकूट जेल हत्याकांड के बाद जेल विभाग पहली बार कठघरे में नहीं आया है. बीते कुछ सालों में जेल में हुए तीन गोलीकांडों से इस विभाग पर सवाल उठने लगे हैं. पूर्वांचल में अपराधियों के बीच वर्चस्व की जंग के किस्से बहुत आम रहे हैं. पूर्वांचल ने कई बड़े माफियाओं के बीच खूनी संघर्ष को झेला है और इसी पूर्वांचल में पहली बार जेल में हथियार की गूंज सुनाई दी थी. 2005 में वाराणसी की सेंट्रल जेल में अन्नू...
जेल मैनुअल के हिसाब से कैदियों को तमाम सुविधाएं मिलती हैं. जेलों में कैदियों को ऐसी कई सुविधाएं भी मिल जाती हैं, जिनकी मनाही है, लेकिन, 'सेवा शुल्क' देकर ये सभी चीजें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं. कैदियों को मिलने वाली इन सुविधाओं में 'असलहा' भी शामिल है. चौंकने की जरूरत नहीं है, उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जिला जेल में हुए हत्याकांड (Chitrakoot Jail Murder Case) से ये बात साफ जाहिर है. चित्रकूट जेल हत्याकांड में मुख्तार अंसारी के गिरोह के दो गुर्गों मुकीम काला और मेराजुद्दीन को एक अन्य अपराधी अंशु दीक्षित ने 9 एमएम की पिस्टल से गोलियां बरसाकर ढेर कर दिया. अपराधी अंशु दीक्षित को जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने मार गिराया.
अब तक इस मामले में दो अधिकारियों समेत पांच लोगों पर निलंबन की गाज गिर चुकी है. चित्रकूट जेल हत्याकांड की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए जा चुके हैं. चित्रकूट की जिला जेल को आधुनिक सुरक्षा व्यवस्था से लैस हाई सिक्योरिटी जेल कहा जाता है. कोरोना महामारी की वजह से कैदियों की परिजनों से मुलाकात लंबे समय से बंद है. 'मिलाई' के लिए पहुंचने पर कैदियों की फोन के जरिये परिजनों से बातचीत करा दी जाती है. परिजनों द्वारा लाया गया खाने-पीने का सामान की अच्छे से छानबीन होने के बाद कैदियों तक पहुंचाया जाता है. जेलों में लंबे समय से 'सेवा शुल्क' का खेल चल रहा है. चित्रकूट जेल हत्याकांड में इस्तेमाल हुई 9 एमएम पिस्टल से एक बात साफ हो गई है कि 'असलहा' कैदियों को मिलने वाली आम सुविधाओं में शामिल है.
पहले भी जेलों में गरज चुके हैं हथियार
चित्रकूट जेल हत्याकांड के बाद जेल विभाग पहली बार कठघरे में नहीं आया है. बीते कुछ सालों में जेल में हुए तीन गोलीकांडों से इस विभाग पर सवाल उठने लगे हैं. पूर्वांचल में अपराधियों के बीच वर्चस्व की जंग के किस्से बहुत आम रहे हैं. पूर्वांचल ने कई बड़े माफियाओं के बीच खूनी संघर्ष को झेला है और इसी पूर्वांचल में पहली बार जेल में हथियार की गूंज सुनाई दी थी. 2005 में वाराणसी की सेंट्रल जेल में अन्नू त्रिपाठी नाम के शूटर की गोली मारकर हत्या की गई थी. अन्नू त्रिपाठी ने 2004 में जिला जेल के गेट पर पार्षद रहे बंशी यादव की हत्या की थी. 2018 में बागपत जेल में मुख्तार अंसारी के करीबी और कुख्यात अपराधी मुन्ना बजरंगी पर गैंगस्टर सुनील राठी ने गोलियां बरसाकर मौत के घाट उतार दिया था. ये सभी कांड जेल में पिस्टल से अंजाम दिए गए थे. मुन्ना बजरंगी हत्याकांड की जांच सीबीआई कर रही है, लेकिन अभी तक कुछ खास नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. इन सभी हत्याकांड में एक चीज कॉमन है कि ये सभी मुख्तार अंसारी के करीबी और खास गुर्गे रहे हैं.
यूपी में जेल व्यवस्था में सुधार एक दिवास्वप्न
उत्तर प्रदेश में जेल व्यवस्था में सुधार एक दिवास्वप्न से कम नही है. सरकारें बदलीं है, नेता बदले हैं, अधिकारी बदले हैं, लेकिन जेलों में खेला जाने वाला खेल नहीं बदला. 'मिलाई' की मलाई से शुरू होने वाला ये खेल जेल में हथियार की उपलब्धता तक पहुंच चुका है. सीसीटीवी कैमरे, ह्यूमन बॉडी स्कैनर, ड्यूल स्कैनर बैगेज, मेटल डिटेक्टर जैसी अव्वल दर्जे की सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी पिस्टल का जेल में पहुंच जाना जेल विभाग में अंदर तक फैल चुके भ्रष्टाचार पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाता है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों से प्रदेश या अपराध में से एक को छोड़ने की बात कही थी. जिसके बाद कई बड़े अपराधियों ने जेल की शरण ले ली थी. इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती है कि शायद इन अपराधियों ने जेल में शरण लेने का फैसला यहां 'सेवा शुल्क' के सहारे आसानी से मिलने वाली सुविधाओं की वजह से ही लिया होगा.
जेलों में सब कुछ मिलेगा, बस 'सेवा शुल्क' लगेगा
जेल में औचक छापे के दौरान सिगरेट, शराब, मोबाइल, मादक पदार्थ आदि मिलने का उत्तर प्रदेश में काफी पुराना इतिहास रहा है. प्रतिबंधित वस्तुएं के हिसाब से अलग-अलग सेवा शुल्क के हिसाब से कैदियों तक आसानी से पहुंचा दी जाती हैं. पूर्वांचल की जेलों में छापों के दौरान दर्जनों बार प्रतिबंधित वस्तुएं बरामद हुई हैं. इन सभी मामलों में जेल अधिकारियों के स्पष्टीकरण, तबादले और निलंबन के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है और सब कुछ फिर से तय रेट लिस्ट के आधार पर चलने लगता है. सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक, शराब से लेकर कबाब तक सारी व्यवस्थाएं जेलों में आसानी से हो जाती हैं, कैदियों को बस तय रेट चुकाना पड़ता है. 2019 में आई एक वेबसीरीज 'क्रिमिनल जस्टिस' में जेल के अंदर चलने वाले कारोबार को बखूबी दिखाया गया था. कहना गलत नहीं होगा कि तकरीबन सभी जेलों में चोरी-छिपे ये कारोबार बदस्तूर चलता रहता है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोरोनाकाल में जब मुलाकात बंद है, तो बगैर किसी कर्मी की मिलीभगत के जेल में हथियार का पहुंच जाएगा.
पता नहीं कब नतीजे तक पहुंचेगी जांच
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बागपत जेल में मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे मुन्ना बजरंगी के हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी थी. हालांकि, सीबीआई के हाथ इस मामले में खाली ही नजर आ रहे हैं. जेल में हथियार कैसे पहुंचा, ये जांच टीम के लिए अभी भी रहस्य ही बना हुआ है. जांच अभी भी जारी है. वैसे मुश्किल ही है कि सीबीआई जांच में कुछ निकलकर सामने आए. अगर कुछ खुलासा होता भी है, तो ये हो सकता है कि किसी निचले स्तर के कर्मी की संलिप्तता सामने आ जाए. कुछ समय बाद उसे भी जमानत मिल ही जाएगी. जेल विभाग के अधिकारियों और अन्य कर्मियों में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इनका सफाया नामुमकिन सा लगता है.
योगी सरकार की दावों की किरकिरी
सूबे् के मुखिया योगी आदित्यनाथ के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं. 2018 में मुन्ना बजरंगी हत्याकांड के बाद से ही जेलों में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर योगी सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर थी. चित्रकूट जेल हत्याकांड ने योगी सरकार के जेल सुधार को लेकर किए गए तमाम दावों की पोल खोल दी है. कड़े कदम उठाने की बातें केवल बातें ही साबित हुई हैं. इस घटना के बाद सरकार की ओर से निलंबन की कार्रवाई की गई है, अधिकारियों के खिलाफ अनुशानिक कार्यवाही भी जाएगी. लेकिन, सवाल जस का तस है कि क्या 'असलहा' कैदियों को मिलने वाली आम सुविधाओं में शामिल है?
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