कई लोगों को बोलने की बामारी होती है. वे दिन-रात बक-बक करते हैं लेकिन फिर भी थकते नहीं है. एक बात और जब ऐसे प्राणी से हम कहते हैं कि कितना बोलते हो यार, तो इनका जवाब होता है अरे मैं ज्यादा बोलता हूं क्या, मुझे तो नहीं लगता. कुछ यही हाल हमारे नेता नवजोत सिंह सिद्धू जी का है. अब ये ठोको ताली बोलकर...कितना कुछ यूं ही बोल जाते हैं, यह तो आपने शायद देखा ही होगा.
इसलिए कांग्रेस पार्टी ने सिद्धू को निर्देश दिया है कि भइया कुछ दिन तक शांत रहो, वरना इस बड़बोलेपन के चक्कर में अपने साथ हमारी भी नैया डुबो दोगे. यह ज्यादा बोलने की परेशानी सिर्फ इनको ही नहीं है, हमारे-आपके सर्कल में भी ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जिन्हें अधिक बोलने की बीमारी होती है. उन्हें ऐसा लगता है कि अगर वे इतना नहीं बोलेंगे तो बीमार पड़ जाएंगे.
असल में ऐसे प्राणी को लगता है कि इनका बोलना शायद लोगों को क्यूट लगता होगा, लेकिन कानों के पास मच्छर की तरह भिन-भिनाने वाले लोग किसे भांते हैं. कभी-कभी ही बक-बक को झेला जा सकता है वरना इन बोल बच्चन को झेलने के लिए कानों में रूई का सहारा लेना पड़ जाता है. ऐसे प्राणी को देखते ही लोग दूर भागने लगते हैं या खुद को व्यस्त दिखाने का नाटक करते हैं.
किसी के बोलने का किस हद तक मजाक बनाया जाता है आपको भी पता है. बोलती हुई पत्नी या प्रेमिका की वायरल वीडियो इस बात का सबूत हैं लेकिन बोलते तो पुरुष भी खूब हैं. वाहवाही में आकर कभी ये प्राणी कुछ ऐसा बोल देते हैं कि इन्हें बाद में पछताना पड़ जाता है, लेकिन तब पछताकर क्या होगा भइया जब चिड़िया चुग गई खेत. यानी कमान से छोड़ा हुआ तीर और जुबान से बोले गए शब्द को वापस तो ला नहीं सकते.
इसलिए कहा जाता है कि किसी को कुछ बोलने...
कई लोगों को बोलने की बामारी होती है. वे दिन-रात बक-बक करते हैं लेकिन फिर भी थकते नहीं है. एक बात और जब ऐसे प्राणी से हम कहते हैं कि कितना बोलते हो यार, तो इनका जवाब होता है अरे मैं ज्यादा बोलता हूं क्या, मुझे तो नहीं लगता. कुछ यही हाल हमारे नेता नवजोत सिंह सिद्धू जी का है. अब ये ठोको ताली बोलकर...कितना कुछ यूं ही बोल जाते हैं, यह तो आपने शायद देखा ही होगा.
इसलिए कांग्रेस पार्टी ने सिद्धू को निर्देश दिया है कि भइया कुछ दिन तक शांत रहो, वरना इस बड़बोलेपन के चक्कर में अपने साथ हमारी भी नैया डुबो दोगे. यह ज्यादा बोलने की परेशानी सिर्फ इनको ही नहीं है, हमारे-आपके सर्कल में भी ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जिन्हें अधिक बोलने की बीमारी होती है. उन्हें ऐसा लगता है कि अगर वे इतना नहीं बोलेंगे तो बीमार पड़ जाएंगे.
असल में ऐसे प्राणी को लगता है कि इनका बोलना शायद लोगों को क्यूट लगता होगा, लेकिन कानों के पास मच्छर की तरह भिन-भिनाने वाले लोग किसे भांते हैं. कभी-कभी ही बक-बक को झेला जा सकता है वरना इन बोल बच्चन को झेलने के लिए कानों में रूई का सहारा लेना पड़ जाता है. ऐसे प्राणी को देखते ही लोग दूर भागने लगते हैं या खुद को व्यस्त दिखाने का नाटक करते हैं.
किसी के बोलने का किस हद तक मजाक बनाया जाता है आपको भी पता है. बोलती हुई पत्नी या प्रेमिका की वायरल वीडियो इस बात का सबूत हैं लेकिन बोलते तो पुरुष भी खूब हैं. वाहवाही में आकर कभी ये प्राणी कुछ ऐसा बोल देते हैं कि इन्हें बाद में पछताना पड़ जाता है, लेकिन तब पछताकर क्या होगा भइया जब चिड़िया चुग गई खेत. यानी कमान से छोड़ा हुआ तीर और जुबान से बोले गए शब्द को वापस तो ला नहीं सकते.
इसलिए कहा जाता है कि किसी को कुछ बोलने से पहले सोच-समझ लीजिए. बोलने से पहले कबीर दास जी का दोहा 'ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोये...औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए…' को याद जरूर कीजिए. वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं कि एकदम शांत होते हैं, लेकिन जब बोलते हैं तो ऐसा बोलते हैं कि दिमाग का दही हो जाए. आपका मन करेगा कि कहां जाकर अपना सिर फोड़ लूं. कुछ लोग बाहर से बहुत स्मार्ट लगते हैं लेकिन जैसे ही जुबान खोलते हैं सारी असलियत झट से सामने आ जाती है.
वहीं कुछ लोग मुंहफट होते हैं जो किसी के भी सामने कुछ भी बोल देते हैं. हमारी बोली ही रिश्ते बनाती है और बिगाड़ती है, ये बात तो सभी को पता होगी...तो भइया भगवान बचाए ऐसे बोलतू लोगों से. कई लोग तो इतना बोलते हैं कि उनके मुंह से थूक निकल जाती है. कई लोगों को कहना कुछ और होता है और वे बोलने के चक्कर में किसी और ही धारा में बह जाते हैं. माने सीधी बात ना बोलकर उसके इतिहास में चले जाते हैं. तब ऐसा लगता है कि सामने वाले की कैसट की रील कहीं फंस गई है...काश फॉरवर्ड करने का कोई ऑप्शन होता…
खैर, इस बात तो पूरी किताब लिखी जा सकती है. अब बात करते हैं कि कांग्रेस ने सिद्धू पाजी को यह सजा दी तो आखिर क्यों दी...हां भाई खुलकर बोलने वाले को चुप रहने के लिए कहना उसके लिए सबसे बड़ी सजा होती है. असल में पंजाब में अंदरूनी कलह खत्म करने की कोशिश में लगी कांग्रेस का मंथन जारी है. विधान सभा चुनाव से पहले कांग्रेस नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने वाली है. वहीं मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह गुट पार्टी के इस फैसले के खिलाफ है.
पार्टी के लोगों को डर है कि कहीं सिंद्धू पाजी कुछ ऐसा ना बोल दें जिससे सारी मेहनत पर पानी फिर जाए, इसलिए उन्हें चुप रहने की नसीहत दी गई है. पार्टी के लोगों को तो पाजी के बोलने का अंदाजा है ही, डर इस बात का है कि कहीं इनके बोलने की वजह बात ना बिगड़ जाए…अब पाजी को लग रहा होगा कि बोलता हूं तो बोलते हैं कि बोल रहा हूं!
कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिद्धू के बीच विवाद के मामले को सुलझाने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंजाब के प्रभारी हरीश रावत, प्रियंका गांधी वाड्रा और केसी वेणुगोपाल के साथ बैठक की. पार्टी इस चुनाव में सभी को साथ लेकर चलना चाहती है. इसलिए पार्टी बीच का रास्ता निकालते हुए सिद्धू पाजी के साथ दो कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने की सोच रही है.
यानी एक तरफ नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और दूसरी करफ विजय इंदर सिंगला और संतोष चौधरी के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की बात चल रही है. अब बात यह है कि विजय इंदर सिंगला कैप्टन अमरिंदर सिंह के भरोसेमंद माने जाते हैं. वहीं, संतोष चौधरी पंजाब में बड़ा दलित चेहरा हैं जिनका चुनाव में कांग्रेस को फायदा मिल सकता है. इनके जरिए पार्टी जातीय समीकरण साधने की कोशिश करेगी.
पेंच यहां फंस रहा है कि सिद्धू को अध्यक्ष बनाए जाने पर कैप्टन को ऐतराज है. समर्थकों के अनुसार, सिद्धू को उप मुख्यमंत्री और चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के खिलाफ नहीं है लेकिन वे एक एक दलित सहित दो और उप मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. अब पार्टी ने बड़े ही मुश्किल से चीजें ठीक करने की कोशिश की है, ऐसे में जब सिद्धू जैसा इंसान हो तो मन में थोड़ा इस तरह के जर का होना लाजिमी है.
काश सिद्दू पाजी की तरह बाकी लोगों को भी हमारी परेशानी समझ आ जाती, हम उनसे माफी मांगते हैं लेकिन भइया थोड़ा सामने वाले के बारे में सोच समझकर बोला करो...यूं हर बार करेले और नीम का काढ़ा बनाकर जुबान से जहर उगलना जरूरी नहीं है. सबके सीने में दिल ही होता है पत्थर नहीं, कहीं आपकी बात उसे कांटे की तरह चुभ गई तो? वैसे भी मीठा बोलने से आपकी स्वीटनेस कम नहीं हो जाएगी.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.