2019 के आम चुनाव से पहले तक राहुल गांधी या और कांग्रेस नेता भी स्मृति ईरानी (Smriti Irani) को उतनी गंभीरता से नहीं लेते थे. तब भी जबकि 2014 में चुनाव हार जाने के बावजूद वो पंगा लेने के बहाने खोजती ही रहती थीं - अमेठी में राहुल गांधी की हार के बाद चीजें पूरी तरह बदल गयीं.
अब तो स्मृति ईरानी अपने सरकारी काम निकाल कर वायनाड तक पहुंच जा रही हैं, सिर्फ अमेठी की बात कौन कहे. राहुल गांधी फिलहाल केरल के वायनाड से सांसद हैं और स्मृति ईरानी अभी अमेठी से.
हाल ही में जब राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ पर कांग्रेस कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे तब भी स्मृति ईरानी ने प्रेस कांफेंस कर याद दिलाने की कोशिश की कि वे ये न भूलें कि कांग्रेस नेता जमानत पर चल रहे हैं - और वो भी भ्रष्टाचार के मामले में.
जाहिर है कांग्रेस के रणनीतिकार ऐसे मुद्दे की तलाश में घात लगाकर बैठे होंगे, जिसकी मदद से स्मृति ईरानी को तो कठघरे में खड़ा किया ही जा सके - और लगे हाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को भी घेरा जा सके.
गोवा का ऐसा ही एक मामला कांग्रेस (Congress) के हाथ लगा है, जिसे वो स्मृति ईरानी से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक को घेरने के लिए बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है - लेकिन स्मृति ईरानी ने जोरदार विरोध जताते हुए आरोप लगाने वाले कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कानून से लेकर जनता की अदालत तक जाने की बात कही है.
कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि गोवा के ‘सिली सोल्स कैफे ऐंड बार’ के लिए फर्जीवाड़ा कर शराब परोसने का लाइसेंस लेने का संगीन इल्जाम लगाया है. आरोप तो यहां तक है कि बार का लाइसेंस एक ऐसे शख्स के नाम पर लिया गया जिसकी पहले ही मौत हो चुकी थी - साथ ही दावा ये भी है कि केंद्रीय मंत्री की बेटी जोइश ही उस रेस्ट्रां की मालकिन हैं.
स्मृति ईरानी ने तो ऐसे सभी दावों को झूठा करार ही दिया है, उनकी बेटी के वकील का भी कहना है कि न तो वो रेस्टां की ओनर हैं, न ही उसके प्रबंधन में उनका कोई दखल है. हां, ये बताया गया है कि वो शेफ बनना चाहती हैं, इसलिए वहां इंटर्नशिप करने जरूर गयी थीं.
कांग्रेस के सभी दावों को खारिज करने के साथ साथ स्मृति ईरानी पूरे मामले को अमेठी में राहुल गांधी की हार से जोड़ दे रही हैं - और आगे भी चुनाव मैदान में उतरने पर शिकस्त देने का जोर शोर से दावा कर रही हैं. केंद्रीय मंत्री का कहना है कि कांग्रेस अमेठी लोकसभा में राहुल गांधी की हार को नहीं पचा पा रही है.
स्मृति ईरानी कहती हैं, 'मैं चुनौती देती हूं... राहुल गांधी को अमेठी में फिर से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने भेजिये, बीजेपी कार्यकर्ता के नाते उन्हें फिर से धूल चटाने का वादा करती हूं.' अपने बचाव में स्मृति ईरानी का ये भी कहना है कि चूंकि वो नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में गांधी परिवार के खिलाफ पांच हजार करोड़ की लूट को लेकर प्रेस कांफ्रेंस करती हैं, इसलिए कांग्रेस के नेता उनकी बेटी के चरित्रहनन की कोशिश कर रहे हैं.
कांग्रेस नेताओं के आक्रामक तेवर से बहुत कुछ तो नहीं ही हासिल होने वाला, लेकिन ये जरूर है कि स्मृति ईरानी को सफाई देने के लिए बाध्य तो किया ही है. ऐसा अब तक लगातार कांग्रेस के साथ होता था कि स्मृति ईरानी के हमलों पर मुकाबले में सफाई देनी पड़ती रही है, अभी थोड़ा अलग मामला है.
ऐसा पहले भी हो कई बार हो चुका है: बेशक कांग्रेस नेताओं को आमने सामने बीजेपी के हमलों को काउंटर करने के लिए कोई मुद्दा मिला है, लेकिन जोश में होश गवांने की जरूरत कतई नहीं है. हां, कुछ देर के लिए खुशी जरूर मना सकते हैं - क्योंकि बड़े दिनों बाद बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्मृति ईरानी को घेरने के लिए उनके हाथ कुछ बड़ा लगा है.
अब तक कांग्रेस की तरफ से जो भी हमले किये जाते रहे, ऐसा लगता था जैसे वे अपनेआप बैकफायर हो जा रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से कुछ भी आरोप लगाया जाता और बीजेपी किसी रटे रटाये जवाब के साथ पलटवार कर देती - और कांग्रेस नेताओं के पास चुप हो जाने के अलावा कोई उपाय भी नहीं बचता रहा.
हाल ही में कांग्रेस नेता जयराम रमेश बीजेपी के आतंकवादियों से रिश्ते को लेकर काफी जोरदार हमला बोले थे. कांग्रेस का आरोप रहा कि उदयपुर हत्या के आरोपी का बीजेपी से संबंध रहा है. अपने दावे को मजबूत करने के लिए कांग्रेस की तरफ से बीजेपी के एक नेता के साथ एक तस्वीर भी पेश की गयी. ऐसे ही जम्मू कश्मीर में गिरफ्तार एक आतकंवादी के बीजेपी का पदाधिकारी होने का कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया.
और तभी बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा जवाब में जाकिर नाइक, यासीन मलिक, इशरत जहां और हाफिज सईद के नाम लेकर कांग्रेस को पुराने मामले याद दिलाने लगे. ये भी वैसे ही रहा जैसे जब भी कांग्रेस की तरफ से 2002 के गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी या केंद्रीय मंत्री अमित शाह को निशाना बनाने की कोशिश होती है, बीजेपी की तरफ से दिल्ली के 1984 के सिख दंगों की याद दिलायी जाने लगती है - और सुनते ही कांग्रेस नेता खामोश हो जाते हैं.
कांग्रेस के आरोपों के बाद स्मृति ईरानी आगे से राहुल गांधी पर हमलौं से परहेज करेंगी या और आक्रामक हो जाएंगी?
ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस की तरफ से पहली बार किसी बीजेपी नेता को इस तरह से निशाना बनाया गया हो. स्मृति ईरानी से पहले ऐसे ही अमित शाह और आनंदी बेन पटेल को भी कांग्रेस अलग अलग समय पर कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर चुकी है.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह को भी उनके बेटे जय शाह के बहाने और गुजरात की मुख्यमंत्री रहते आनंदी बेन पटेल की उनकी बेटी अनार जयेश पटेल के नाम पर कांग्रेस ने हमला बोला था. अनार पटेल को जमीन के एक मामले को लेकर विवाद होने पर टारगेट किया गया था. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने तब भी प्रधानमंत्री मोदी पर पूरे मामले से आंख मूंद लेने का आरोप लगाया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की थी. जय शाह फिलहाल बीसीसीआई के सचिव हैं - और आनंदी बेन पटेल उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं.
आगे हो सकता है, बीजेपी की तरफ से भी गांधी परिवार की भी कोई नयी कमजोर कड़ी खोज कर पेश की जाये, लेकिन अभी तो कांग्रेस नेता खुशी मना ही रहे होंगे, ये बात अलग है कि जिस तरीके से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ से सोनिया गांधी और राहुल गांधी परेशान हैं, ये खुशी डूबते को तिनके के सहारे जैसी ही होगी.
कांग्रेस के सवाल और स्मृति ईरानी के जवाब
कांग्रेस की दलील है कि बार के लाइसेंस के लिए पहले रेस्ट्रां चलाने का परमिशन जरूरी होता है, लेकिन मामला केंद्रीय मंत्री की बेटी से जुड़ा था इसलिए नियमों की परवाह किये बगैर ही बार का लाइसेंस जारी कर दिया गया. ध्यान देने वाली बात ये है कि गोवा में सरकार भी बीजेपी की है, इसलिए कांग्रेस और भी आक्रामक हो जाती है. दिल्ली ही नहीं, बल्कि गोवा में भी कांग्रेस को बीजेपी को घेरना जरूरी है क्योंकि पार्टी के कई विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं.
1. कांग्रेस का दावा है कि आबकारी विभाग की तरफ से ‘सिली सोल्स कैफे ऐंड बार’ को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है - और अब संबंधित अधिकारी का तबादला किया जा रहा है. ये नोटिस एक शिकायत के बाद जारी हुआ है.
कांग्रेस के आरोप को लेकर स्मृति ईरानी का कहना है, '18 साल की मेरी बेटी कॉलेज में पहले साल की छात्र है - और वो कोई बार नहीं चलाती. स्मृति ईरानी की बेटी के वकील का भी दावा है कि किसी भी अथॉरिटी की तरफ से कोई कोई कारण बताओ नोटिस नहीं मिला है.
स्मृति ईरानी के इस जवाब पर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें जोइश को फूड ब्लॉगर कुणाल विजयकर के साथ बात करते हुए देखा जा सकता है. अगर वीडियो सही नहीं है तो बात और है, लेकिन बातचीत से ऐसा तो नहीं लगता कि कुणाल विजयकर किसी इंटर्न से बात कर रहे हैं - और जो शख्स घूम घूम कर रेस्ट्रां के मालिक और मैनेजर से बात करते देखा जाता हो, भला एक इंटर्न से ऐसे क्यों मिलेगा - सिर्फ इसलिए क्योंकि वो केंद्रीय मंत्री की बेटी है?
2. कांग्रेस का एक बड़ा आरोप है कि जिस शख्स के नाम से बार का लाइसेंस अप्लाई किया गया था, मई, 2021 में ही उसकी मौत हो चुकी है. फिर भी लाइसेंस जारी कर दिया गया - अगर वाकई ऐसा है, फिर फर्जीवाड़ा तो हुआ ही है.
कांग्रेस नेता नेता पवन खेड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया, '22 जून, 2022 को लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए जिस एंथनी डीगामा के नाम से आवेदन किया गया, पिछले साल मई में ही उनकी मौत हो चुकी है... एंथनी के आधार कार्ड से पता चला है कि वो मुंबई के विले पार्ले के रहने वाले थे... RTI के तहत सूचना मांगने वाले वकील को एंथनी का मृत्यु प्रमाण-पत्र भी मिल चुका है.'
स्मृति ईरानी कहती हैं, 'मेरी बेटी राजनीति में नहीं है... कॉलेज की छात्रा है... कांग्रेस नेताओं ने उसकी छवि धूमिल करने की कोशिश की है... अब मैं कोर्ट जाऊंगी और एक-एक से हिसाब लूंगी.'
3. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की मांग है कि चूंकि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए मोदी मंत्रिमंडल से उनको तत्काल प्रभाव से हटाया जाना चाहिये.
प्रेस कांफ्रेंस में पवन खेड़ा कहते हैं, 'ये कोई सूत्रों के हवाले से या एजेंसियों की तरफ राजनीतिक प्रतिशोध लेने के लिए लगाया गया आरोप नहीं है, बल्कि RTI यानी सूचना के अधिकार से मिली जानकारी में खुलासा हुआ है.'
स्मृति ईरानी पलटवार करती हैं, 'पवन खेड़ा और जयराम रमेश ने मेरी बेटी का नाम लिया है... मेरा सवाल है कि आरटीआई के जवाब में मेरी बेटी का नाम कहां है?'
कांग्रेस को ऐसा करके क्या मिलेगा
अपने खिलाफ बीजेपी की मुहिम को काउंटर करने के लिए कांग्रेस को भी कोई मजबूत मुद्दा हर हाल में चाहिये. कांग्रेस को लग रहा होगा कि आरोपों से तिलमिला कर स्मृति ईरानी को बचाव का रास्ता अख्तियार करना पड़ेगा - तो गांधी परिवार के खिलाफ बीजेपी नेताओं के हमले की धार कमजोर हो सकेगी.
लेकिन एक बड़ा जोखिम ये है कि स्मृति ईरानी के कोर्ट चले जाने पर कांग्रेस नेताओं को अपने आरोपों को साबित करना होगा - आपराधिक मानहानि का केस होने पर स्मृति ईरानी का काम तो आरोपों से इनकार से ही चल जाएगा, लेकिन कांग्रेस नेताओं को सबूतों के साथ कोर्ट को समझाना होगा कि स्मृति ईरानी की बेटी ने क्या गलत किया है?
और कांग्रेस नेता अपने आरोपों के सबूत पेश करने में नाकाम रहे तो लीगल एक्शन के लिए भी पहले से ही तैयार रहना होगा - हां, एक आखिरी रास्ता जरूर बचता है - दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह माफी मांग कर पीछा छुड़ाने का, बशर्ते स्मृति ईरानी भी बख्श देने को राजी हों.
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