सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने की फाइनल तारीख भी आ चुकी है - 21 जुलाई, 2022. सबसे पहले सोनिया गांधी को ईडी ने पेश होने के लिए 8 जून की तारीख दी थी. बीमार होने की वजह से पेशी की नयी तारीख 23 जून तय हुई, लेकिन कोविड संक्रमण के बीच तबीयत ज्यादा खराब होने पर सोनिया गांधी को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था.
अस्पताल से लौटने के बाद भी डॉक्टरों ने सोनिया गांधी आराम करने की सलाह दी थी, लिहाजा ईडी से कम से काम चार हफ्ते की मोहलत मांगी गयी. ईडी की तरफ से जुलाई के तीसरे हफ्ते में पेश होने को कहा गया था - और फिर अब एक तारीख पक्की कर दी गयी है.
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से सोनिया गांधी और राहुल गांधी को एक साथ ही नोटिस मिला था. तब राहुल गांधी देश से बाहर थे और आते ही ईडी दफ्तर में पेश हुए. राहुल गांधी से करीब 50 घंटे पूछताछ हो चुकी है - और आगे का एक्शन प्लान सोनिया गांधी से पूछताछ के बाद तय किये जाने की संभावना है.
राहुल गांधी की पेशी के दौरान कांग्रेस की तरफ से जगह जगह विरोध प्रदर्शन भी किया गया था. कांग्रेस ने दिल्ली पुलिस के पार्टी मुख्यालय में घुस कर नेताओं को पकड़ने जैसे एक्शन पर गंभीर ऐतराज दर्ज कराया था. दिल्ली पुलिस ने सड़क पर बवाल के लिए कांग्रेस के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस भी दर्ज किया था.
ED दफ्तर में राहुल गांधी की पेशी के तो पहले से ही कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन की तैयारियों को लेकर मालूम हो गया था, लेकिन सोनिया गांधी से पूछताछ के दौरान क्या प्लान है? अभी तक कोई खबर नहीं है.
ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदल ली है. पहले कांग्रेस गांधी परिवार को राजनीतिक वजहों से परेशान करने का आरोप लगा रही थी, लेकिन बीजेपी की तरफ से बेशर्मी से बचाव करने की...
सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने की फाइनल तारीख भी आ चुकी है - 21 जुलाई, 2022. सबसे पहले सोनिया गांधी को ईडी ने पेश होने के लिए 8 जून की तारीख दी थी. बीमार होने की वजह से पेशी की नयी तारीख 23 जून तय हुई, लेकिन कोविड संक्रमण के बीच तबीयत ज्यादा खराब होने पर सोनिया गांधी को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था.
अस्पताल से लौटने के बाद भी डॉक्टरों ने सोनिया गांधी आराम करने की सलाह दी थी, लिहाजा ईडी से कम से काम चार हफ्ते की मोहलत मांगी गयी. ईडी की तरफ से जुलाई के तीसरे हफ्ते में पेश होने को कहा गया था - और फिर अब एक तारीख पक्की कर दी गयी है.
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से सोनिया गांधी और राहुल गांधी को एक साथ ही नोटिस मिला था. तब राहुल गांधी देश से बाहर थे और आते ही ईडी दफ्तर में पेश हुए. राहुल गांधी से करीब 50 घंटे पूछताछ हो चुकी है - और आगे का एक्शन प्लान सोनिया गांधी से पूछताछ के बाद तय किये जाने की संभावना है.
राहुल गांधी की पेशी के दौरान कांग्रेस की तरफ से जगह जगह विरोध प्रदर्शन भी किया गया था. कांग्रेस ने दिल्ली पुलिस के पार्टी मुख्यालय में घुस कर नेताओं को पकड़ने जैसे एक्शन पर गंभीर ऐतराज दर्ज कराया था. दिल्ली पुलिस ने सड़क पर बवाल के लिए कांग्रेस के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस भी दर्ज किया था.
ED दफ्तर में राहुल गांधी की पेशी के तो पहले से ही कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन की तैयारियों को लेकर मालूम हो गया था, लेकिन सोनिया गांधी से पूछताछ के दौरान क्या प्लान है? अभी तक कोई खबर नहीं है.
ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदल ली है. पहले कांग्रेस गांधी परिवार को राजनीतिक वजहों से परेशान करने का आरोप लगा रही थी, लेकिन बीजेपी की तरफ से बेशर्मी से बचाव करने की बात प्रचारित की जाने लगी. बीजेपी नेता आगे आकर ये भी बताने लगे कि प्रवर्तन निदेशालय की जांच कोर्ट के आदेश पर हो रहा है, न कि जांच एजेंसी की अपनी पहल पर.
हाल ही में कांग्रेस की तरफ से देश भर की 23 जगहों से प्रेस कांफ्रेंस कर बीजेपी पर सीधा हमला बोला गया - और बीजेपी को उस भाषा में घेरने की कोशिश की गयी, जैसे अब तक कांग्रेस खुद को घिरा हुआ पाती है - उदयपुर हत्या के एक आरोपी और जम्मू-कश्मीर में पकड़े गये एक आतंकवादी को बीजेपी का पदाधिकारी बताते हुए कांग्रेस नेताओं ने लोगों को ये समझाने की कोशिश की कि कैसे खुद को पाक साफ बताने वाली पार्टी के आंतकवादियों से रिश्ते हैं.
अब जबकि 18 जुलाई से संसद का मॉनसून सेशन (Monsoon Session) शुरू हो रहा है और उसी दिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाने हैं. कांग्रेस की कोशिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार को संसद में घेरने का इरादा पक्का कर चुकी है - अब देखना ये है कि कांग्रेस मोदी सरकार को सिर्फ संसद में घेरने की कोशिश करती है या फिर सोनिया गांधी के लिए भी राहुल गांधी की ही तरह सड़क पर उतर कर संघर्ष करने का फैसला करती है?
मॉनसून सत्र की तैयारी
राहुल गांधी को पेशी के लिए ई़डी दफ्तर तक छोड़ने प्रियंका गांधी वाड्रा हर रोज जाती रहीं. प्रियंका गांधी ऐसा ही अपने पति रॉबर्ट वाड्रा के साथ भी करती थी. जब राहुल गांधी को पेशी के लिए कोई नयी तारीख नहीं दी गयी और सोनिया गांधी की पेशी की तारीख में लंबा वक्त था, तो प्रियंका गांधी अपनी बेटी से मिलने विदेश दौरे पर निकल गयीं. राहुल गांधी भी इन दिनों अपनी निजी विदेश यात्रा पर हैं - और बताया गया है कि वो राष्ट्रपति चुनाव और मॉनसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले यानी 17 जुलाई को लौट भी आएंगे.
देश से बाहर होने के कारण राहुल गांधी के कांग्रेस की प्रस्तावित भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों को लेकर बुलायी गयी बैठक से तो दूर रहेंगे ही, ये भी पहले ही तय हो गया था कि संगठन के चुनावों पर चर्चा के लिए बुलायी गयी बैठक से भी राहुल गांधी दूर ही रहेंगे. 16 जुलाई को लोक सभा स्पीकर ओम बिड़ला और 17 जुलाई को राज्य सभा के उपसभापति एम. वेंकैया नायडू ने सर्वदलीय बैठकें बुलायी हैं. हालांकि, राहुल गांधी को ऐसी बैठकों से लेना देना तो है भी नहीं क्योंकि उनमें या तो पार्टी अध्यक्ष को जाना होगा या फिर सदन में जो नेता होंगे. उपराष्ट्रपति नायडू के मौजूदा कार्यकाल की ये आखिरी बैठक होने जा रही है.
भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कांग्रेस की बैठक में सभी महासचिवों, प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों को बुलाया गया है - भारत जोड़ा यात्रा का प्रस्ताव राजस्थान के उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर के जरिये सामने आया था. पहले तो बताया गया था कि यात्रा का नेतृत्व राहुल गांधी करेंगे, लेकिन फिर राहुल गांधी के दिलचस्पी न लेने की बात भी सामने आ चुकी है. बहरहाल, ये तो साफ है कि राहुल गांधी संसद सत्र के दौरान मौजूद रहेंगे और सदन में फिर से उनका आक्रामक रुख देखने को मिल सकता है.
ईडी के नोटिस मिलने के बाद पैदा हुआ हालात में ही कांग्रेस नेता जयराम रमेश को पार्टी के मीडिया सेल का प्रभारी बनाया गया है. वो अपने हिसाब से मोदी सरकार को घेरने की योजना पर काम भी कर रहे हैं. संसद सत्र से पहले कांग्रेस नेताओं की प्रेस कांफ्रेंस रिहर्सल जैसा ही समझा गया.
जयराम रमेश कांग्रेस की तरफ से बीजेपी के आरोपों पर सफाई या सोनिया और राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध प्रदर्शन की जगह, दो कदम आगे बढ़ कर बीजेपी को ही घेरने की रणनीति पर काम करते नजर आ रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि अगर ईडी की तरफ से कोई बड़ा कदम उठा लिया गया तो क्या करेंगे?
सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ कैसी होगी?
दिसंबर, 2015 में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ट्रायल कोर्ट से नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिली थी. साथ ही पेशी से छूट भी मिल गयी थी. सोनिया और राहुल गांधी के अलावा ये सुविधा आस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और मोतीलाल वोरा को भी मिली थी. मोतीलाल वोरा का दिसंबर 2020 में निधन हो गया था.
सवाल ये है कि 75 साल की सोनिया गांधी के प्रवर्तन निदेशालय जाने के दौरान क्या कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता शांत बैठे रहेंगे?
कांग्रेस नेताओं में सोनिया और राहुल को लेकर फर्क: राहुल गांधी से पूछताछ के दौरान कांग्रेस नेताओं के सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने को लेकर बीजेपी की तरफ से बताया जा रहा था कि कैसे गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी एसआईटी से पूछताछ के लिए अकेले जाया करते थे. घंटों पूछताछ हुआ करती थी, लेकिन कांग्रेस की तरह कहीं कोई हो हल्ला नहीं होता था.
राहुल गांधी की पेशी के दौरान कांग्रेस देश भर से कांग्रेस सांसदों को बुलाया गया था. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मीडिया के जरिये कांग्रेस का पक्ष रखते रहे और केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश करते रहे.
कुछ मीडिया रिपोर्ट से ये भी मालूम हुआ कि संकोचवश या मजबूरी में कांग्रेस नेता प्रदर्शन में हिस्सा ले तो रहे थे, लेकिन उनके मन में अलग ही बातें चल रही थीं. ऐसे नेताओं का कहना रहा कि जब उनके ऊपर ऐसी मुसीबत आती है तो गांधी परिवार ऐसा क्यों नहीं करता.
ऐसा कहने वाले नेताओं में एक नेता ऐसे भी रहे जो खुद भी गांधी परिवार की तरह ही ईडी की जांच के दायरे में हैं. ऐसे नेताओं का ये भी कहना रहा कि अगर सोनिया गांधी के लिए विरोध प्रदर्शन करना हो तो ठीक भी लगता है. क्योंकि सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं, लेकिन राहुल गांधी क्या हैं? कांग्रेस सांसद कह रहे थे कि राहुल गांधी भी तो उनकी ही तरह एक मामूली सांसद हैं - फिर उनके लिए इतनी हाय तौबा क्यों मचायी जा रही है?
अगर ऐसे नेताओं के विचार को समझें तो सोनिया गांधी के लिए तो उनको सड़क पर उतरने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिये. वे पूरे मन से सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं. हां, लेकिन ऐसा करने के लिए पहले तो उनको नेतृत्व की तरफ से ग्रीन सिग्नल का इंतजार होगा.
राहुल गांधी की गिरफ्तारी की आशंका खत्म हो गयी या नहीं: प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों के पूछताछ के दौरान ही एक ऐसी चर्चा भी रही जिसमें कांग्रेस नेता को गिरफ्तार कर लिये जाने की आशंका जतायी जा रही थी. हालांकि, कुछ कांग्रेस नेता तब ऐसी अनहोनी से इनकार तो नहीं कर पा रहे थे, लेकिन उनका ये भी मानना रहा कि सोनिया गांधी से पूछताछ पूरी होने से पहले ऐसा कुछ शायद न हो.
पहले तो प्रवर्तन निदेशालय की कोशिश होगी कि राहुल गांधी की तरफ से बतायी गयी बातों की सोनिया गांधी से पूछताछ में पुष्टि करें - समस्या तभी पैदा होगी जब दोनों नेताओं के बयानों में किसी तरह का विरोधाभास मिलेगा. ऐसा होने पर ही सवालों में उलझाने की कोशिश होगी ताकि जांच को किसी नतीजे पर पहुंचाया जा सके.
अभी तक ईडी की तरफ से ऐसा कुछ नहीं बताया गया है कि राहुल गांधी ने जांच में सहयोग नहीं किया है. न ही उनके खिलाफ कोई एक्शन लिया गया है. वरना, वो विदेश दौरे पर भी नहीं जा सकते थे.
राहुल गांधी ने अपनी तरफ से जरूर अपनी ही कुछ खासियतें शेयर की थीं. मसलन, ईडी अफसर इस बात से हैरान थे कि कैसे वो घंटों एक ही जगह बैठे होते हैं. राहुल गांधी ने ऐसा कर पाने की वजह विपश्यना बतायी थी. राहुल गांधी की तरफ से कुछ और भी दावे किये गये थे.
सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जिस वक्त पेशी के लिए प्रवर्तन निदेशालय का नोटिस मिला, कांग्रेस नेतृत्व उदयपुर चिंतन शिविर के बाद आगे के चुनावों की तैयारी कर रहा था - और उसमें सबसे पहला राष्ट्रपति चुनाव रहा.
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सोनिया गांधी ने ही पहल की थी कि किसी भी सूरत में विपक्ष की तरफ से एक ही उम्मीदवार हो. तबीयत खराब होने की वजह से भले ही सोनिया गांधी को अस्पताल जाना पड़ा लेकिन ये तो हुआ ही कि विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा के अलावा कोई और उम्मीदवार खड़ा नहीं किया गया. राहुल गांधी के पूछताछ में व्यस्त होने और सोनिया गांधी के अस्पताल में होने की वजह से होस्ट की भूमिका ममता बनर्जी ने निभायी थी, लेकिन जैसे ही बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को एनडीए का उम्मीदवार बनाया तृणमूल कांग्रेस नेता बैकफुट पर आ गयीं. आदिवासी वोटों के डर से ऐसा लग रहा है जैसे ममता बनर्जी खुद ही यशवंत सिन्हा से दूरी बनाने लगी हैं.
और कुछ भले न हुआ हो, लेकिन ये तो है कि प्रवर्तन निदेशालय के नोटिस की वजह से सोनिया गांधी और राहुल गांधी राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों से दूर रहे - और अगर सोनिया गांधी से पूछताछ लंबी चली या प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से कोई ऐसा कदम उठाया गया जो गांधी परिवार के खिलाफ जाता है तो मान कर चलना होगा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों की तैयारियों से भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अलग रहना पड़ेगा.
और खास बात ये है कि ये सब संसद के मॉनसून सेशन के दौरान ही हो रहा है - तभी तो ये भी सवाल उठता है कि मोदी सरकार के प्रति कांग्रेस का हमलावर अंदाज संसद तक ही सीमित रहेगा या सड़क पर भी उतरेगा?
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