लोकसभा चुनावों से पहले वोटर्स को आकर्षित करने के लिए कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में कई लुभावने वादे किए हैं. लेकिन उसी मेनिफेस्टो में राहुल गांधी ने AFSPA (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट) को लेकर ऐसा वादा कर दिया है, जिससे उस पर गंभीर आरोप लगने लगे हैं. कांग्रेस ने AFSPA में भी बदलाव करने का वादा किया गया है. जी हां AFSPA, वही कानून जिसके तहत कश्मीर में सेना लगाकर शांति बनाए रखने की कोशिश की जाती है. इस कानून में बदलाव कर के राहुल गांधी किसे खुश करना चाहते हैं और उनकी मंशा क्या है, इस पर एक सवालिया निशान लग गया है.
मेनिफेस्टो के अनुसार अगर कांग्रेस की सरकार सत्ता में आती है तो वह AFSPA (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट) में बदलाव करेगी, ताकि सुरक्षा बलों की ताकत और नागरिकों के अधिकारों के बीच एक संतुलन बनाया जा सके. उसमें यह भी लिखा है कि लोगों को दी जाने वाली प्रताड़ना, यौन हिंसा और जबरन गायब कर देने जैसे अपराधों को AFSPA के दायरे से हटाया जाएगा. कांग्रेस के मेनिफेस्टो की इस घोषणा का मतलब तो यही निकलता है कि अभी तक कश्मीर साहित अन्य जगहों, जहां AFSPA लागू है वहां सुरक्षा बलों द्वारा लोगों के साथ हिंसा की जाती है और महिलाओं को यौन हिंसा का शिकार बनाया जाता है. राहुल गांधी ने अपने मेनिफेस्टो में ये बात क्या डाली, इंटरनेट पर मेनिफेस्टो के प्रिंट शॉट भी वायरल होने लगे हैं, जिन्होंने एक बहस को जन्म दे दिया है. सवाल ये उठ रहा है कि जहां एक ओर कश्मीर में कट्टरपंथ से जंग चल रही है, वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी को AFSPA में बदलाव करने की जरूरत क्यों पड़ गई?
राहुल सेना के साथ हैं या आतंकियों और जिहादियों के?
राहुल गांधी को...
लोकसभा चुनावों से पहले वोटर्स को आकर्षित करने के लिए कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में कई लुभावने वादे किए हैं. लेकिन उसी मेनिफेस्टो में राहुल गांधी ने AFSPA (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट) को लेकर ऐसा वादा कर दिया है, जिससे उस पर गंभीर आरोप लगने लगे हैं. कांग्रेस ने AFSPA में भी बदलाव करने का वादा किया गया है. जी हां AFSPA, वही कानून जिसके तहत कश्मीर में सेना लगाकर शांति बनाए रखने की कोशिश की जाती है. इस कानून में बदलाव कर के राहुल गांधी किसे खुश करना चाहते हैं और उनकी मंशा क्या है, इस पर एक सवालिया निशान लग गया है.
मेनिफेस्टो के अनुसार अगर कांग्रेस की सरकार सत्ता में आती है तो वह AFSPA (आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट) में बदलाव करेगी, ताकि सुरक्षा बलों की ताकत और नागरिकों के अधिकारों के बीच एक संतुलन बनाया जा सके. उसमें यह भी लिखा है कि लोगों को दी जाने वाली प्रताड़ना, यौन हिंसा और जबरन गायब कर देने जैसे अपराधों को AFSPA के दायरे से हटाया जाएगा. कांग्रेस के मेनिफेस्टो की इस घोषणा का मतलब तो यही निकलता है कि अभी तक कश्मीर साहित अन्य जगहों, जहां AFSPA लागू है वहां सुरक्षा बलों द्वारा लोगों के साथ हिंसा की जाती है और महिलाओं को यौन हिंसा का शिकार बनाया जाता है. राहुल गांधी ने अपने मेनिफेस्टो में ये बात क्या डाली, इंटरनेट पर मेनिफेस्टो के प्रिंट शॉट भी वायरल होने लगे हैं, जिन्होंने एक बहस को जन्म दे दिया है. सवाल ये उठ रहा है कि जहां एक ओर कश्मीर में कट्टरपंथ से जंग चल रही है, वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी को AFSPA में बदलाव करने की जरूरत क्यों पड़ गई?
राहुल सेना के साथ हैं या आतंकियों और जिहादियों के?
राहुल गांधी को यहां ये समझने की जरूरत है कि वह हमारे सैनिकों को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं, जो हमारे लिए अपनी जान तक दे देते हैं. वहीं दूसरी ओर, वह उन अपराधियों को अधिक अधिकार दे रहे हैं, जो आतंकवाद, पत्थरबाजी और हिंसा फैलाने जैसे काम में लगे रहते हैं. बीजेपी की ओर से अरुण जेटली ने तो यहां तक कहा कि यह वादा पूरा करके कांग्रेस पार्टी आतंकियों के परिवारों की भी मदद करने वाली है. आखिर एक आतंकी के साथ कोई प्यार से पेश क्यों आएगा? किसी के घर में छानबीन की जाती है तो पहला आरोप सेना पर यही लगता है कि उनके घर से सामान चुरा लिया, महिलाओं के साथ बदसलूकी की वगैरह-वगैरह. तो कहीं इन आरोपों को राहुल गांधी सच तो नहीं मान बैठे? राहुल गांधी को अपनी सेना से अधिक उन पर भरोसा क्यों है जो देश को तोड़ना चाहते हैं और आए दिन पत्थरबाजी करते हैं. कांग्रेस मेनिफेस्टो में AFSPA में बदलाव करने वाली घोषणा सुरक्षा बलों के कमजोर करने का काम कर रही है.
बिना इजाजत सेना के अधिकारियों पर कार्रवाई?
सुरक्षा बलों के बारे में ही बात करते हुए अगली घोषणा में लिखा है कि सुरक्षा बलों के अधिकारियों के खिलाफ जांच के कानून में भी बदलाव किया जाएगा. आपको बता दें कि अभी तक AFSPA कानून के तहत अगर सुरक्षा बल के किसी अधिकारी के खिलाफ जांच करनी होती है तो पहले केंद्र सरकार से इसकी इजाजत लेनी पड़ती है, लेकिन कांग्रेस अब इसमें बदलाव करना चाहती है, जिसके बाद बिना इजाजत के ही किसी भी अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू हो सकेगी.
बिना केंद्र सरकार की इजाजत सेना के अधिकारियों पर कार्रवाई करने वाला ये बदलाव बेशक सुरक्षा बलों को कमजोर करेगा और आतंकियों, जिहादियों को ताकत देगा. अरुण जेटली ने तो आंकड़े देते हुए कांग्रेस के मेनिफेस्टो की इस घोषणा की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि अगर सेना या पैरा मिलिस्ट्री फोर्स के किसी अधिकारी के खिलाफ कोई शिकायत आती है तो अगर शिकायत में दम होता है तो अभी भी उस पर कार्रवाई होती है, लेकिन केंद्र सरकार से इजाजत लेकर. जिस बदलाव की बात राहुल गांधी कर रहे हैं उसके बाद तो घाटी में हर अधिकारी पर केस ही चल रहे होंगे, क्योंकि वहां किसी भी सर्च ऑपरेशन के बाद सेना पर घाटी के लोग आरोप लगाते ही हैं. जेटली के अनुसार घाटी में ऐसी कुल 1799 शिकायतें आई हैं, जिनमें से 68 मामलों में कार्रवाई हुई, जबकि 1741 में छानबीन हुई.
जेटली की बात सही भी है, क्योंकि वहां सेना लगाने की नौबत ही इसीलिए आई क्योंकि अशांति फैल गई थी. अब जो लोग अशांति फैला रहे हैं, वह सेना का फूल-माला से स्वागत तो कतई नहीं करेंगे. हां वो बात अलग है कि राहुल गांधी ऐसी घोषणा से इन अशांति फैलाने वालों को फूल-मालाएं पहनाने का काम जरूर कर रहे हैं. राहुल गांधी की ऐसी घोषणा से घाटी में आतंकियों और जिहादियों को बढ़ावा मिलेगा.
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