छत्तीसगढ़ सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi Death Anniversary) की पुण्यतिथि पर राजीव गांधी किसान न्याय (NYAY) योजना शुरू कर दी है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुआत के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कहा कि न्याय स्कीम की शुरुआत से पूरी कांग्रेस पार्टी खुश है.
सोनिया गांधी और राहुल गांधी काफी दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से मांग कर रहे थे कि कोरोना संकट के वक्त लॉकडाउन लागू होने से बेहाल परेशान लोगों की मदद के लिए न्याय योजना लागू की जाये - और गरीब, किसान और मजदूरों के खातों में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किये जायें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना था कि ये वक्त लोगों को लोन देने का नहीं, बल्कि उनको सीधे पैसे देकर मदद करने का है.
कांग्रेस के नजरिये से देखा जाये तो राजीव गांधी किसान न्याय योजना एक तरीके से मनरेगा 2.0 ही है - लेकिन क्या छत्तीसगढ़ में न्याय लागू कर कांग्रेस सरकार इसे मनरेगा बना पाएगी? कांग्रेस के सामने तात्कालिक सवाल भी यही है और सबसे बड़ा चैलेंज भी.
NYAY योजना किसके लिए - किसान या कांग्रेस
आखिरकार राहुल गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट NYAY योजना की शुरुआत हो ही गयी. वैसी ही न्याय योजना जिसे लेकर अब राहुल गांधी ने यहां तक कह डाला था कि और कुछ नहीं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार इसे अस्थायी तौर पर ही लागू कर ले. कोरोना संकट पर सोनिया गांधी की तरफ से लिखी गयी चिट्ठियों में भी न्याय योजना लागू करने का जिक्र रहा और राहुल गांधी भी लगातार किसी न किसी बहाने ये मांग करते रहे. न्याय योजना कांग्रेस ने 2019 के आम चुनाव में लाया था, लेकिन तब भी कांग्रेस को इसका कोई फायदा नहीं मिल सका.
कांग्रेस का कहना रहा कि न्याय योजना अर्थशास्त्र के लिए नोबल पुरस्कार पाने वाले अभिजीत बनर्जी ने कांग्रेस के लिए बनाया...
छत्तीसगढ़ सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi Death Anniversary) की पुण्यतिथि पर राजीव गांधी किसान न्याय (NYAY) योजना शुरू कर दी है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के साथ राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरुआत के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कहा कि न्याय स्कीम की शुरुआत से पूरी कांग्रेस पार्टी खुश है.
सोनिया गांधी और राहुल गांधी काफी दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से मांग कर रहे थे कि कोरोना संकट के वक्त लॉकडाउन लागू होने से बेहाल परेशान लोगों की मदद के लिए न्याय योजना लागू की जाये - और गरीब, किसान और मजदूरों के खातों में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किये जायें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना था कि ये वक्त लोगों को लोन देने का नहीं, बल्कि उनको सीधे पैसे देकर मदद करने का है.
कांग्रेस के नजरिये से देखा जाये तो राजीव गांधी किसान न्याय योजना एक तरीके से मनरेगा 2.0 ही है - लेकिन क्या छत्तीसगढ़ में न्याय लागू कर कांग्रेस सरकार इसे मनरेगा बना पाएगी? कांग्रेस के सामने तात्कालिक सवाल भी यही है और सबसे बड़ा चैलेंज भी.
NYAY योजना किसके लिए - किसान या कांग्रेस
आखिरकार राहुल गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट NYAY योजना की शुरुआत हो ही गयी. वैसी ही न्याय योजना जिसे लेकर अब राहुल गांधी ने यहां तक कह डाला था कि और कुछ नहीं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार इसे अस्थायी तौर पर ही लागू कर ले. कोरोना संकट पर सोनिया गांधी की तरफ से लिखी गयी चिट्ठियों में भी न्याय योजना लागू करने का जिक्र रहा और राहुल गांधी भी लगातार किसी न किसी बहाने ये मांग करते रहे. न्याय योजना कांग्रेस ने 2019 के आम चुनाव में लाया था, लेकिन तब भी कांग्रेस को इसका कोई फायदा नहीं मिल सका.
कांग्रेस का कहना रहा कि न्याय योजना अर्थशास्त्र के लिए नोबल पुरस्कार पाने वाले अभिजीत बनर्जी ने कांग्रेस के लिए बनाया था, हालांकि, अभिजीत बनर्जी का कहना है कि उनसे सलाह जरूर ली गयी थी, लेकिन तैयार उन्होंने नहीं किया था. हाल फिलहाल अभिजीत बनर्जी और रघुराम राजन से राहुल गांधी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोरोना संकट से निबटने के उपाय पूछे थे और दोनों की राय यही रही कि गरीबों के खाते में सीधे मदद की रकम डाली जाये.
कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए 1 सरकार के दौरान मनरेगा योजना शुरू की गयी थी. तब आरजेडी कोटे से मनमोहन सरकार में मंत्री बने रघुवंश प्रसाद सिंह ने इसे लागू कराया था और माना गया कि 2009 में यूपीए की सत्ता में वापसी में मनरेगा की बहुत बड़ी भूमिका रही. मनरेगा योजना के तहत मजदूरों को साल में 100 दिन काम की गारंटी दी जाती है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल के बाद राहुल गांधी भी अब मांग करने लगे हैं कि मनरेगा के तहत 100 की जगह 200 दिन काम देने का प्रावधान किया जाये.
कहने को तो न्याय योजना छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए लायी गयी है, लेकिन इसे कांग्रेस अपने उत्थान से जोड़ कर देख रही है. जिस तरह मनरेगा ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी करायी थी, अब कांग्रेस को लगता है कि न्याय योजना भी उसे फिर राष्ट्रीय राजनीति में खड़े होने में मददगार साबित हो सकता है.
बेहतर तो यही होता कि न्याय योजना सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि सभी कांग्रेस शासित राज्यों में लागू की गयी होती - राजस्थान और पंजाब में भी. कोशिश ये भी की जाती कि इसे महाराष्ट्र और झारखंड में भी लागू हो किया जाता, जहां की सत्ता में कांग्रेस भी साझीदार है. ऐसा करने पर और कुछ हो न हो, कम से कम मोदी सरकार पर कुछ न कुछ दबाव तो बनता ही. कुछ कुछ वैसे ही जैसे इन राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा से पहले ही लॉकडाउन लागू हुआ और उसकी मियाद भी केंद्र सरकार के ऐलान से पहले ही बढ़ा दी गयी. भूपेश बघेल ने न्याय योजना को लेकर सोनिया गांधी का एक वीडियो शेयर किया है.
देखा जाये तो कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में न्याय योजना लागू कर खुद को ही चुनौती दे डाली है. कांग्रेस की चुनौती ये है कि वो न्याय योजना को इतने अच्छे तरीके से लागू करे कि इसके लाभार्थियों की जिंदगी पर बदलाव का असर भी दिखायी दे और फिर देश के हर राज्य में इसे लागू करने की मांग उठे. ऐसा होने पर कांग्रेस को भी केंद्र सरकार पर दबाव बनाने में आसानी होगी. वैसे भी हाल ही में राहुल गांधी ने कहा भी था कि मीडिया का साथ मिल जाने से मोदी सरकार पर दबाव बनाना आसान हो जाता है.
अगर वाकई न्याय योजना दमदार है. अगर वाकई न्याय योजना लोगों की जिंदगी में बदलाव ला सकती है. अगर वाकई न्याय योजना का असर मोदी सरकार के आर्थिक पैकेज के मुकाबले ज्यादा असरदार साबित हो सकता है तो निश्चित तौर पर लोगों के साथ साथ कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा. फिर तो वो दिन भी आ सकता है जब मोदी सरकार अस्थायी नहीं बल्कि स्थायी तौर पर न्याय योजना वैसे ही लागू कर दे जैसे मनरेगा को लागू करने के बाद उसके फंड में भी इजाफा किया गया है. राहुल गांधी ने तो इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद भी दिया था - ये बात अलग है कि धन्यवाद कम और तंज ज्यादा लग रहा था क्योंकि ट्वीट के साथ राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी का पुराना वीडियो शेयर किया था जिसमें वो मनरेगा की बुराई कर रहे थे.
डायरेक्ट ट्रांसफर के लिए फंड कहां है
2019 के आम चुनाव के दौरान न्याय योजना को जिस तरह पेश किया गया था उसके अनुसार 10 करोड़ परिवारों के लिए हर साल 72 हजार रुपये देने का वादा किया गया था. कांग्रेस को पूरी उम्मीद रही कि मनरेगा की तरह न्याय योजना एक बार फिर पार्टी को दिल्ली की सत्ता पर कब्जा दिला देगी. सोनिया गांधी में चुनावों के दौरान कई बार ऐसा आत्मविश्वास भी देखा गया - प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट करते हुए सोनिया गांधी ने कहा था कि 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी अजेय माने जाते थे, लेकिन 2019 में वैसा कोई चमत्कार कांग्रेस के साथ नहीं हो सका.
छत्तीसगढ़ में लागू राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 19 लाख किसानों के खातों में सीधे 5700 करोड़ रुपये कुल चार किस्तों में डाले जाएंगे - और 1500 करोड़ रुपये की पहली किस्त धान के 18,34,834 किसानों को दी गई है.
अब सवाल है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल न्याय योजना के लिए फंड का इंतजाम कैसे करेंगे. निश्चित तौर पर ये फंड किसी और मद से निकालना होगा और जो काम इस रकम से होने थे वे प्रभावित होंगे. अगर ऐसी मुश्किल नहीं होती महाराष्ट्र और झारखंड न सही, कांग्रेस छत्तीसगढ़ के साथ साथ पंजाब और राजस्थान में तो इसे लागू कर ही चुकी होती. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्र सरकार से 30 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता देने की मांग कर चुके हैं - और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिख चुके हैं. कहा तो ये गया है कि जरूरतमंदों के लिए खाने और दूसरे जरूरी चीजों की व्यवस्था के लिए इस रकम की जरूरत आ पड़ी है. इसमें से 10 हजार करोड़ रुपये की मदद तक तत्काल मुहैया कराने के लिए कहा गया है.
सवाल ये है कि जब भूपेश बघेल को जरूरतमंदों के खाने जैसी जरूरी चीजों के लिए फंड का टोटा पड़ा है तो न्याय योजना के लिए पैसे कहां से आएंगे - ये कोई रेलवे का टिकट तो है नहीं कि 740 रुपये खर्च करने के बाद गरीब, मजदूर और किसानों पर एहसान जताया जा सकेगा.
इन्हें भी पढ़ें :
Priyanka Vadra की बस पॉलिटिक्स में राहुल और सोनिया गांधी के लिए भी बड़े सबक हैं
Rahul Gandhi का फुटपाथ दौरा और मोदी सरकार पर दबाव की जमीनी हकीकत
Modi govt तमाम विपक्ष के साथ 'आम सहमति' तक यूं ही नहीं पहुंची
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.