काफी इंतज़ार के बाद प्रियंका वाड्रा की एंट्री यूपी के कांग्रेसियों में जोश तो पैदा कर ही रही है लेकिन कलह की भी सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है. उत्तर प्रदेश में हाशिये पर आ चुकी कांग्रेस को प्रियंका खाद-पानी देने उतरी हैं. इस सूबे में ज्यादा लोकसभा सीटें जीतने की गलतफहमी में ना रहकर सिर्फ बारह-चौदह सीटों को कांग्रेस जीतने का लक्ष्य बनाएगी. बाकी सीटों पर इस तरह से डमी कैंडिडेट खड़े किए जायेंगे कि सांप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे. यानी बारह-चौदह के अलावा कांग्रेस के अधिकांश सवर्ण जाति के प्रत्याशी भाजपा के लिए वोटकटवा साबित होकर सपा-बसपा गठबंधन को जिताने के लिए मददगार साबित हों. अमेठी-रायबरेली सीटें छोड़ने का एलान कर चुका गठबंधन कांग्रेस की दस मजबूत सीटों पर डमी कैंडिडेट खड़ा करेगा.
कांग्रेस का ये प्लान पुराने कार्यकर्ताओं और संभावित प्रत्याशियों को अखरने लगा है. पार्टी के ऐसे फैसलों से नाखुश सूत्रों की माने तो विपक्षी खेमों से परिवारवाद के ताने खाने वाली कांग्रेस के अंदर नेहरू परिवार के कुछ खास लोगों का एकछत्र राज चलता है. जिससे आम कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. यानी बाहर वाले परिवारवाद का ताना देते हैं तो कांग्रेस के अंदर वाले नेहरू परिवार के खास लोगों को ही बार-बार अवसर दिये जाने का गिला करते हैं.
कांग्रेस यूपी में तकरीबन जिन दस सीटों पर मजबूती से लड़ेगी ये दसों प्रत्याशी दस जनपद के खास होंगे. लम्बे समय से संघर्ष करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को सिर्फ वोटकटवा प्रत्याशी के तौर पर उतारा जायेगा. पहले दस जनपथ यानी प्रियंका के मायके के खास लोग यूपी संगठन में पद और टिकटों का बंटवारा तय करते थे. और अब प्रियंका के मायके के साथ ससुराल मुरादाबाद का दखल भी यूपी कांग्रेस में हावी हो गया है.
काफी इंतज़ार के बाद प्रियंका वाड्रा की एंट्री यूपी के कांग्रेसियों में जोश तो पैदा कर ही रही है लेकिन कलह की भी सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है. उत्तर प्रदेश में हाशिये पर आ चुकी कांग्रेस को प्रियंका खाद-पानी देने उतरी हैं. इस सूबे में ज्यादा लोकसभा सीटें जीतने की गलतफहमी में ना रहकर सिर्फ बारह-चौदह सीटों को कांग्रेस जीतने का लक्ष्य बनाएगी. बाकी सीटों पर इस तरह से डमी कैंडिडेट खड़े किए जायेंगे कि सांप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे. यानी बारह-चौदह के अलावा कांग्रेस के अधिकांश सवर्ण जाति के प्रत्याशी भाजपा के लिए वोटकटवा साबित होकर सपा-बसपा गठबंधन को जिताने के लिए मददगार साबित हों. अमेठी-रायबरेली सीटें छोड़ने का एलान कर चुका गठबंधन कांग्रेस की दस मजबूत सीटों पर डमी कैंडिडेट खड़ा करेगा.
कांग्रेस का ये प्लान पुराने कार्यकर्ताओं और संभावित प्रत्याशियों को अखरने लगा है. पार्टी के ऐसे फैसलों से नाखुश सूत्रों की माने तो विपक्षी खेमों से परिवारवाद के ताने खाने वाली कांग्रेस के अंदर नेहरू परिवार के कुछ खास लोगों का एकछत्र राज चलता है. जिससे आम कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. यानी बाहर वाले परिवारवाद का ताना देते हैं तो कांग्रेस के अंदर वाले नेहरू परिवार के खास लोगों को ही बार-बार अवसर दिये जाने का गिला करते हैं.
कांग्रेस यूपी में तकरीबन जिन दस सीटों पर मजबूती से लड़ेगी ये दसों प्रत्याशी दस जनपद के खास होंगे. लम्बे समय से संघर्ष करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को सिर्फ वोटकटवा प्रत्याशी के तौर पर उतारा जायेगा. पहले दस जनपथ यानी प्रियंका के मायके के खास लोग यूपी संगठन में पद और टिकटों का बंटवारा तय करते थे. और अब प्रियंका के मायके के साथ ससुराल मुरादाबाद का दखल भी यूपी कांग्रेस में हावी हो गया है.
बताया जाता है कि राहुल गांधी के जीजा राबर्ट वाड्रा के जीजा तहसीन पूनावाला को कांग्रेस मुरादाबाद से अपना प्रत्याशी बनाएगी. इन्हें जिताने के लिए पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ेगी. रायबरेली और अमेठी सीटों के बाद तहसीन पूनावाला की सीट जिताना कांग्रेस की वरीयता होगी.
पार्टी से जुड़े जानकार सूत्रों के मुताबिक अंदरूनी सामंजस्य करने वाला सपा-बसपा गठबंधन कांग्रेस की जिन लगभग दस सीटों को जिताने के लिए डमी कैंडिडेट उतारेगा उनमें तहसीन की लोकसभा सीट पहले नंबर पर होगी. मुरादाबाद के अलावा अलीगढ़ या फिर लखनऊ सीट पर तहसीन पूनावाला को टिकट दिये जाने पर मंथन हो रहा है. जिस सीट से भी प्रियंका वाड्रा के इन पारिवारिक सदस्य को टिकट दिया जायेगा उस सीट पर सपा-बसपा गठबंधन अपना बेहद कमजोर उम्मीदवार खड़ा करेगा.
उधर दूसरी तरफ रायबरेली-अमेठी के सिवा करीब दस-बारह सीटों के टिकट पर दस जनपथ के खासमखास कांग्रेसियों को ही टिकट दिया जाना है. इसलिए टिकट की लाइन में लगे अन्य कांग्रेसियों को निराशा ही हाथ लग रही है. ऐसे लोगों को 65-67 उन सीटों के टिकट का आफर दिया जा रहा है जहां कांग्रेस उम्मीदवार को वोटकटवा की भूमिका अदा करनी है.
पार्टी हाईकमान के ऐसे रवैया से आम कांग्रेसी कार्यकर्ता और पदाधिकारी नाराज हैं. बताया जाता है कि जमीनी संघर्ष से दूर यूपी के कुछ हाईटेक कांग्रेसी नेता संगठन को मजबूत करने के बजाय दस जनपद से मजबूत रिश्ते बनाने के संघर्ष में कामयाब होते रहे हैं. यूपी कांग्रेस की बदहाली का यही कारण रहा है. हो सकता है कि पार्टी की नवनिर्वाचित महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका वाड्रा इन बातों पर गौर करें और संगठन के आम पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की शिकायत दूर कर यूपी कांग्रेस में एक नयी जान फूंके.
कांग्रेस ने यूपी में जिन चंद सीटों पर मजबूती से लड़ने की रणनीति तैयार की है उसमें संभावित सीटें और प्रत्याशी निम्न हैं- कानपुर- प्रकाश जायसवाल बाराबंकी- अन्नू टंडन, कुशीनगर- आरपीएन सिंह, धरारा- जितिन प्रसाद, बाराबंकी- पी एल पुनिया, इलाहाबाद- प्रमोद तिवारी, सहारनपुर - इमरान मसूद, मुरादाबाद- तहसीन पूनावाला, फैजाबाद- निर्मल खत्री, राजबब्बर को लखनऊ से लड़ाने पर विचार चल रहा है.
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