पिछले साल मणिपुर और गोवा में कांग्रेस के पास सबसे अधिक सीटें होने के बावजूद भी अन्य छोटे दलों से गठबंधन नहीं कर पाने की वजह से वह सरकार बनाने में विफल रही थी, और इसमें भाजपा ने दोनों ही राज्यों में बाजी मार ली थी. ठीक उसी प्रकार इस साल भी लगातार एक के बाद एक राज्य खोती जा रही कांग्रेस पार्टी के लिए मेघालय से भी बुरी खबर आई. मेघालय में सबसे ज़्यादा 21 सीटें जीतकर दलीय स्थिति में सबसे ऊपर रहने के बावजूद कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब नहीं हुई. 31 सीटों के जादुई आंकड़े से 9 कम, जो कांग्रेस अपने पक्ष में दूसरे दलों से पाने में विफल रही. यानि कांग्रेस यहां भी इतिहास दोहराती नज़र आ रही है.
मेघालय में 59 सीटों के लिए मतदान हुआ था क्योंकि 18 फरवरी को ईस्ट गारो हिल्स जिले में एक आईईडी विस्फोट में राकांपा प्रत्याशी जोनाथन एन संगमा की मौत हो जाने की वजह से विलियम नगर सीट पर चुनाव रद्द कर दिया गया था.
हालांकि फाइनल परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं अहमद पटेल और कमलनाथ को आनन-फानन में शिलॉन्ग भेज दिया था ताकि वहां दस साल पुरानी कांग्रेस की मुकुल संगमा सरकार को किसी तरह से बचाया जा सके, लेकिन वो दोनों भी इसमें चूक गए. और अब कांग्रेस सिर्फ कर्नाटक,पंजाब, मिज़ोरम और केंद्र शाषित प्रदेश पुदुच्चेरी में ही सत्ता पर काबिज़ है.
गोवा और मणिपुर में क्या हुआ था
पिछले साल के विधानसभा चुनावों में गोवा के 40 में से 17 सीटें जीतकर कांग्रेस नंबर एक के पायदान पर थी लेकिन आखिरी वक्त में भाजपा 13 सीटें जीतकर सरकार बनाने में बाज़ी मार गई. तब दिग्विजय सिंह पर आरोप लगा था कि वे सही वक्त पर फैसला करने में असफल रहे थे. इस तरह से सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी...
पिछले साल मणिपुर और गोवा में कांग्रेस के पास सबसे अधिक सीटें होने के बावजूद भी अन्य छोटे दलों से गठबंधन नहीं कर पाने की वजह से वह सरकार बनाने में विफल रही थी, और इसमें भाजपा ने दोनों ही राज्यों में बाजी मार ली थी. ठीक उसी प्रकार इस साल भी लगातार एक के बाद एक राज्य खोती जा रही कांग्रेस पार्टी के लिए मेघालय से भी बुरी खबर आई. मेघालय में सबसे ज़्यादा 21 सीटें जीतकर दलीय स्थिति में सबसे ऊपर रहने के बावजूद कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब नहीं हुई. 31 सीटों के जादुई आंकड़े से 9 कम, जो कांग्रेस अपने पक्ष में दूसरे दलों से पाने में विफल रही. यानि कांग्रेस यहां भी इतिहास दोहराती नज़र आ रही है.
मेघालय में 59 सीटों के लिए मतदान हुआ था क्योंकि 18 फरवरी को ईस्ट गारो हिल्स जिले में एक आईईडी विस्फोट में राकांपा प्रत्याशी जोनाथन एन संगमा की मौत हो जाने की वजह से विलियम नगर सीट पर चुनाव रद्द कर दिया गया था.
हालांकि फाइनल परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं अहमद पटेल और कमलनाथ को आनन-फानन में शिलॉन्ग भेज दिया था ताकि वहां दस साल पुरानी कांग्रेस की मुकुल संगमा सरकार को किसी तरह से बचाया जा सके, लेकिन वो दोनों भी इसमें चूक गए. और अब कांग्रेस सिर्फ कर्नाटक,पंजाब, मिज़ोरम और केंद्र शाषित प्रदेश पुदुच्चेरी में ही सत्ता पर काबिज़ है.
गोवा और मणिपुर में क्या हुआ था
पिछले साल के विधानसभा चुनावों में गोवा के 40 में से 17 सीटें जीतकर कांग्रेस नंबर एक के पायदान पर थी लेकिन आखिरी वक्त में भाजपा 13 सीटें जीतकर सरकार बनाने में बाज़ी मार गई. तब दिग्विजय सिंह पर आरोप लगा था कि वे सही वक्त पर फैसला करने में असफल रहे थे. इस तरह से सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस गोवा में सरकार नहीं बना पाई थी. वही मणिपुर में भी हुआ, जब कांग्रेस 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने में चूक गई थी और भाजपा ने मात्र 21 सीटों के साथ दूसरे दलों के सहयोग से सरकार बना ली थी. वैसे ही मणिपुर में कांग्रेस को 28 और भाजपा को सिर्फ 21 सीटें मिली थीं. लेकिन वहां बीजेपी की सरकार बनी.
कोनराड संगमा होंगे मुख्यमंत्री
मेघालय में नई सरकार बनाने के लिए नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता कोनराड संगमा ने रविवार को वहां के राज्यपाल गंगा प्रसाद से मिलकर सरकार बनाने का अपना दावा पेश किया है. सूत्रों के मुताबिक शपथग्रहण समारोह 6 मार्च को सुबह साढ़े दस बजे होगा. 60 सदस्यों वाली विधानसभा में उन्होंने 34 विधायकों के समर्थन का दावा किया है जिसमें भाजपा (2), एनपीपी (19), यूडीपी (6), एचएसपीडीपी (2), पीडीएफ (4) और 1 निर्दलीय हैं.
कौन हैं कोनराड संगमा
40 साल के कोनराड संगमा, पी ए संगमा देश के पूर्व लोकसभा स्पीकर के बेटे हैं. कोनराड संगमा इस वक्त मेघालय के तूरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. साल 2008 में वह पहली बार मेघालय विधानसभा के लिए चुनकर आए थे और राज्य के सबसे कम उम्र के वित्त मंत्री बने थे. अगले साल यानि 2009 में वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने थे.
इस तरह से गोवा और मणिपुर की ही तरह जनता ने कांग्रेस को मेघालय में भी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में चुना लेकिन सियासत की चाल में भाजपा ने कांग्रेस को मात देते हुए सरकार बना ली. यानि गोवा और मणिपुर के बाद अब मेघालय के सियासी अखाड़े में भी भाजपा गठबंधन ने कांग्रेस को चारों खाने चित करते हुए सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया.
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